''अगर आप सम्मान पाने की ईच्छा रखते हैं, तो सबसे पहले दुसरो का सम्मान करना सीखे।'' ( If You wish to be respected, first Learn to respect Others.)
इस दुनिया में कौन नहीं चाहता की उन्हें सम्मान मिले और हर कोई उनका सम्मान करे। मगर जो लोग ऐसी ईच्छा रखते हैं उन्हें ये बात नहीं भूलना चाहिए की सम्मान वही पाता हैं जो दुसरो को सम्मान देता हैं। कुछ लोग बड़े पद को हासिल करने के बाद ये भूल जाते हैं की, कौन उनसे बड़ा हैं,और कौन छोटा हैं। लोगो में यही अहंकार जागृत हो जाती हैं की उन्हें बड़ा सम्मान भरा पद प्राप्त हुआ हैं इस वजह से सब उनका सम्मान करे। चाहे कोई भी इंसान कितना भी बड़ा पद हासिल कर ले या बहुत बड़ा अधिकारी बन जाए उसे किसी को भी खुद से छोटा नहीं समझना चाहिए। कुछ लोग बहुत पैसे होने के बाद गरीबो को तुच्छ समझने लगते हैं। वो बस यही सोचते हैं की हर कोई उनको सम्मान दे। हमेशा याद रखे सम्मान पाना इतना आसान नहीं होता क्योकि सम्मान एकमात्र बड़े पद को हासिल कर ही नहीं मिलती हैं सम्मान किसी को तब ही मिलती हैं जब वो दुसरो को भी सम्मान देता हैं। परिवार में और समाज में हर जगह आपको सम्मान तभी मिल सकती हैं जब आप परिवार के हर सदस्यों का दिल से सम्मान करेंगे। समाज में लोग उन्ही को सम्मानित करते हैं जो अपने परिवार और समाज को सदा सम्मान भरी नज़रो से देखता हैं। आजकल के कुछ युवा तो अपने से बड़ो को सम्मान देना भूल गए हैं। माना की आपको बड़ी उपलब्धि और अच्छी जॉब हासिल हो गई इसका मतलब ये तो नहीं की आप उस अहंकार में सबको तुच्छ समझने लगेंगे। बस खुद के लिए जीना और खुद के बारे में ही सोचना किसी भी इंसान को महान नहीं बनाता। ऐसे लोग कभी दुसरो की नज़रो में ऊपर नहीं उठ सकते जो केवल खुद के लिए जीते हैं और स्वार्थी होते हैं। बड़ा पद मिल जाने के बाद भले की लोग आपको आपके सामने सम्मान दे मगर यदि आपकी सोच और आपके कर्तव्य लोगो के प्रति सही नहीं तो पीठ पीछे वो बस आपकी निंदा करते हैं। क्योकि दिल से किया गया सम्मान व्यक्ति को गौरव दिलाता हैं ना की किसी को भयभीत कर जबरदस्ती उससे सम्मान पाना। जब तराजू में दोनों तरफ बराबर भार होता तभी वो तराजू टिक सकता हैं यदि एक का भार अधिक और दूसरे का कम तो वो तराजू अपना संतुलन खो देता हैं। ठीक वैसे ही इंसान के हर रिश्ते होते हैं। आप समाज के लोगो को यदि सम्मान देंगे तो बेशक समाज के लोग आपको सम्मान देंगे आप यदि अपने परिवार और मित्र सबका सम्मान करेंगे तो सभी आपका सम्मान करेंगे। ईश्वर से बड़ा कोई नहीं और कोई भी बड़ा पद आपको ईश्वर तुल्य नहीं बना सकता। ईश्वर कभी ये नहीं कहते की मैं ईश्वर हूँ सबसे बड़ा हूँ सब मेरा सम्मान करे। ईश्वर भी अपने प्रत्येक भक्तो का सम्मान करते हैं सभी बुजुर्गो का सम्मान करते हैं। ईश्वर ये नहीं सोचते की किसी को सम्मान देने से मेरे पद की गरिमा कम हो जाएगी बल्कि ईश्वर बिना भेदभाव विचारे सबको एक समान मानते हैं तभी तो ईश्वर कहलाते हैं।
Who in this world does not want to be respected and everyone respects them? But those who have such a desire should not forget that only those who respect others get respect.Some people, after achieving a big position, forget who is bigger and who is smaller than them.This ego awakens in people that they have got a very respectable position and hence everyone should respect them. No matter how big a position a person achieves or becomes a big official, he should not consider anyone inferior to him. Some people, after having a lot of money, start considering the poor as inferior. They just think that everyone should respect them.Always remember that it is not so easy to get respect because respect is not achieved only by achieving a big position, someone gets respect only when he gives respect to others also.You can get respect everywhere in the family and society only when you respect every member of the family wholeheartedly. People in the society respect only those who always look at their family and society with respect.Some youth these days have forgotten to respect their elders. Just because you have achieved big achievements and got a good job, it does not mean that you will start considering everyone as insignificant due to your ego. Just living for oneself and thinking only about oneself does not make any person great. Such people can never rise in the eyes of others who live only for themselves and are selfish.After getting a big position, people may respect you in front of you but if your thinking and your duties towards people are not right then they just criticize you behind your back. Because respect done from the heart gives pride to a person and not by intimidating someone and getting respect from him forcefully.Only when there is equal weight on both sides of the scale can it remain stable. If the weight of one is more and the other is less then the scale loses its balance. Similarly, every human relationship is like that.If you respect the people of the society, then undoubtedly the people of the society will respect you. If you respect your family and friends, then everyone will respect you. No one is bigger than God and no big position can make you like God. God never says that I am God, I am the greatest, everyone should respect me. God also respects each of his devotees and respects all the elders. God does not think that by giving respect to someone, the dignity of my position will be reduced, rather God considers everyone equal without any discrimination, that is why he is called God.
हर व्यक्ति को यह समझ लेना चाहिए अगर आप सम्मान पाना चाहते हैं तो पहले दूसरों को सम्मान करना सीखो बड़ा पद प्रकार या पैसों के अहंकार में इंसान की पहचान करना ना भूलना चाहिए।
ReplyDeleteAbsolutely right... Thank you..
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