एक कर्तव्यनिष्ठ धर्मपरायण स्त्री का परिचय। (Introduction of a Dutiful Pious Woman.)

Snehajeet Amrohi
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स्त्री अपने जीवन में एक बेटी से किसी की पत्नी और पत्नी से माँ तक का सफर तय करती हैं। ना जाने कितने कष्टों को सहन कर अपने ख्वाईशो को मिटा कर अपना फ़र्ज़ निभाती हैं। जब किसी  घर बेटी का जन्म होता हैं तो कुछ लोग प्रसन्न होते तो कहीं पर कुछ लोग अफ़सोस करते की काश बेटा जन्म लेता तो उन्हें अधिक प्रसन्नता होती। क्योकि बेटियों के जन्म से अधिक जिम्मेदारिया बढ़ जाती हैं और बेटे के जन्म से जिम्मेदारिया कम उठानी पड़ती हैं क्योकि बेटियों के विवाह के लिए दहेज़ दिया जाता हैं और बेटे के विवाह के लिए दहेज़ लिया जाता हैं। सारा खेल बस कागज़ के टुकड़े का हैं ना ? अगर इन पैसो को पानी में बहा दिया जाए तो इनका कोई महत्व नहीं यदि इन पैसो को कोई अपनी मेहनत से  प्राप्त करता तो इसका कई गुना महत्व बढ़ जाता हैं। आज के दौर में भी लोग कहते हैं की एक बेटे की माँ कहलाना बहुत गौरव की बात होती हैं मगर बेटियों की माँ का कोई महत्व नहीं क्योकि उसने बेटी को जन्म दिया।  अब सोचने वाली बात ये हैं की बेटे हो या बेटी माँ तो दोनों को नौ महीने तक अपनी कोख में रखती हैं ऐसा तो नहीं की बेटे पांच महीने में ही जन्म ले लेते हैं, और बेटे को जन्म देते वक़्त माँ को कोई पीड़ा नहीं होती, पीड़ा तो बेटे और बेटी दोनों के जन्म में माँ को एक समान होती हैं। एक स्त्री ही पुरे संसार को संचारित करती हैं वो नारीशक्ति ही प्रत्येक मनुष्यो के शरीर में ऊर्जा शक्ति का संचार करती हैं जिसे हमसब माँ आदिशक्ति पार्वती के नाम से जानते हैं। देवी पार्वती भगवान महादेव की अर्धांगनी हैं और गणेश कार्तिकेय की जननी हैं। देवी पार्वती अपने गृहस्थ को भी उचित प्रकार संभालती हैं और अपने संसार को भी भलीप्रकार से संभालती हैं। देवी पार्वती ने स्त्री हो कर भी कभी अपनी स्त्री शक्ति को कम नहीं समझा एक योद्धा बन कर भयानक से भयानक कुरुर दुष्ट असुरो का संघार किया उनका वध किया। जब देवी पार्वती अपने पति महादेव के समक्ष होती तो वो अपनी गृहस्थ सौम्य रूप का ही परिचय देती हैं जब देवी पार्वती अपने पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ होती तो अपनी ममता,करुणा और दया का ही परिचय देती हैं मगर जब देवी पार्वती के समक्ष कोई अधर्मी और अत्याचारी आता तो वो अपने सौम्य रूप में नहीं बल्कि अपने भयानक और विशाल महाकाली रूप का परिचय देती हैं।  

क्योकि देवी पार्वती समस्त स्त्री शक्ति को यही सीख और सन्देश प्रदान करना चाहती हैं की तुम्हे अपनी सौम्यता केवल अपने गृहस्थ जीवन में ही दर्शाना चाहिए सदा अपने परिवार और पति का सम्मान करना चाहिए तथा अपने सन्तानो में कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए बल्कि सभी को एक समान स्नेह और सम्मान देना चाहिए। हर स्त्री को यह बात स्मरण रखना चाहिए की उसे एक कर्तव्यनिष्ठ पुत्री और धर्मपरायण स्त्री के गुणों को अवश्य अर्जित करना चाहिए अपने पति के सिवा किसी पराए पुरुष को कभी अपने पति का स्थान नहीं देना चाहिए क्योकि यह एक अपराध ही नहीं एक पाप भी हैं जिस स्त्री में यह अवगुण और दोष होते हैं ऐसी स्त्रियों के अंदर कभी देवी पार्वती की कोई कृपा शक्ति नहीं प्राप्त होती। जैसे पुरे घर की गंदगी को बाहर कर घर की सफाई कर उसे  स्वच्छ बनाया जाता हैं, ठीक उसी प्रकार एक धर्मपरायण स्त्री पुरे घर को समेट कर अपने घर परिवार का संचालन करती हैं और अपना कर्तव्य निभाती हैं। जीवन में उतार-चढाव सुख-दुःख तो आते जाते रहते हैं मगर आपकी विवेकशीलता और अच्छाइयाँ कभी आपको विपरीत परिस्थिति में कमजोर नहीं बना सकती। सदैव याद रखे ईश्वर भी अनेको दुःख और पीड़ा को सहन करते हैं वो भी केवल अपने भक्तो के लिए तो क्या आप अपने परिवार के लिए अपने पति के लिए थोड़ा कष्ट सहन नहीं कर सकते ? हर युग में महादेव और देवी पार्वती को एक दूसरे से विछोह की पीड़ा सहन करनी पड़ती हैं मगर उन दोनों का रिश्ता कभी कमजोर नहीं होता। क्योकि देवी पार्वती और महादेव के प्रेम में इतनी सच्चाई और शक्ति हैं जो दोनों को बिछड़ जाने के बाद भी एक दूसरे से जोड़ कर रखते हैं। तो संसार की हर स्त्री को देवी पार्वती से यही सीख  ग्रहण कर अपने आदर्शो का सही से चुनाव कर अपने फ़र्ज़ को निभाना चाहिए। यदि हर स्त्री ने खुद के भीतर इतने बदलाव ले आई तो आजीवन वो कभी निराश नहीं होगी ना ही खुद को कभी कमजोर पाएगी क्योकि ऐसी स्त्रीयो में सदैव देवी पार्वती की शक्ति उनके नारीशक्ति को सुढृढ़ बनाएगी। 

संसार के हर पुरुषो का फ़र्ज़ बनता  हैं की वो अपनी पत्नी को सदैव प्यार और सम्मान दे जिनकी वो हक़दार हैं। क्योकि हर स्त्री घर की लक्ष्मी मानी जाती हैं, उसके सौभाग्य से ही आपका सौभाग्य हैं। ✌


In her life, a woman travels from a daughter to someone's wife and from a wife to a mother. 
Who knows, after enduring so many hardships, she fulfills her duty by suppressing her desires. When a daughter is born in some families, some people are happy and some people regret that they would have been more happy if only a son was born. Because with the birth of daughters, more responsibilities increase and with the birth of a son, one has to bear less responsibilities because dowry is given for the marriage of daughters and dowry is taken for the marriage of sons. The whole game is just a piece of paper, isn't it? If this money is wasted in water then it has no value. If someone gets this money through his hard work then its importance increases manifold. Even in today's times, people say that it is a matter of great pride to be called the mother of a son, but the mother of daughters has no importance because she gave birth to a daughter. Now the thing to think about is that whether it is a son or a daughter, the mother keeps both of them in her womb for nine months. It is not the case that sons are born within five months, and the mother does not feel any pain while giving birth to a son. The mother faces the same pain during the birth of both a son and a daughter. Only a woman transmits the whole world, that female power transmits energy power in the body of every human being, which we all know by the name of Mother Adishakti Parvati. Goddess Parvati is the better half of Lord Mahadev and mother of Ganesha Kartikeya. Goddess Parvati manages her household well and also manages her world well. Goddess Parvati, despite being a woman, never underestimated her feminine power. She became a warrior and fought against the most dreadful and ferocious evil demons and killed them. When Goddess Parvati was in front of her husband Mahadev, she showed only her gentle housewife form. When Goddess Parvati was with her sons Ganesha and Kartikeya, she showed only her affection, compassion and kindness, but when there was no one in front of Goddess Parvati, When an unrighteous or tyrannical person comes, she shows herself not in her gentle form but in her terrifying and huge Mahakali form.

Because Goddess Parvati wants to impart this lesson and message to all the women power that you should show your gentleness only in your domestic life, always respect your family and husband and do not discriminate among your children but treat everyone equally. Affection and respect should be given. Every woman should remember that she must acquire the qualities of a dutiful daughter and a devout woman. She should never give the place of her husband to any stranger except her husband because it is not only a crime but also a sin. A woman has these vices and faults; such women never receive any grace from Goddess Parvati. Just as a house is made clean by removing all the dirt from the house, in the same way a devout woman cleans the entire house and runs her family and performs her duties.In life, there are ups and downs, happiness and sorrow, but your prudence and goodness can never make you weak in adverse situations. Always remember that God also bears many sorrows and pains, that too only for his devotees, so can't you bear a little pain for your family, for your husband? In every era, Mahadev and Goddess Parvati have to bear the pain of separation from each other, but their relationship never weakens. Because there is so much truth and power in the love of Goddess Parvati and Mahadev that it keeps them connected to each other even after separation. So every woman in the world should take this lesson from Goddess Parvati and fulfill her duty by choosing her ideals correctly. If every woman brings so many changes within herself, then she will never be disappointed throughout her life nor will she find herself weak because in such women, the power of Goddess Parvati will always strengthen their feminine power.

It is the duty of every man in the world to always give his wife the love and respect she deserves. Because every woman is considered Lakshmi of the house, your good fortune is due to her good fortune.✌

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  1. संसार में नारी शक्ति सर्वोपरि है क्योंकि नारी शक्ति से ही संसार है इसलिए सभी को नारी का सम्मान करना चाहिए और घर में लड़की का जन्म होने पर खुश होना चाहिए ना कि उदास आपने अपने लेख में बहुत ही अच्छी तरह से नारी शक्ति के महत्व को बताया।

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