जो लोग समाज में अपनी अच्छाईयों से सबका दिल जीत लेते हैं,अक्सर कुछ व्यक्तियों के नज़रो में उनकी प्रसंशा चुभने लगती हैं,और कुछ लोग जानबूझ कर उनकी निंदा करते हैं। क्योकि ज्यादातर लोगो को दुसरो की ख़ुशी और दुसरो की प्रसंशा नहीं भाती। ऐसे इर्षा स्वभाव वाले कुछ इंसान तो आपके घरो में भी मौजूद होते हैं। कुछ लोग आपके समक्ष अच्छे होने का दिखावा करते हैं और पीठ पीछे वो दुसरो से आपकी अनेको बुराइयाँ करते हैं। हालांकि उन्हें यह बखूबी पता होता हैं की जिसकी खामिया वो निकाल रहे वास्तविकता में वो इंसान ऐसा नहीं मगर कुछ लोगो को दुसरो की तरक्की और दुसरो की ख़ुशी बर्दाश्त नहीं होती। कुछ लोगो की ऐसी मानसिकता होती हैं की केवल मैं खुश रहूं, केवल मैं सुन्दर दिखू , केवल मैं अच्छे महंगे कपड़े पहनू ,हर कोई बस मेरी तारीफ़ करे। यहां तक की किसी अन्य का अच्छा भोजन करना भी उनको रास नहीं आता। कितनी अजीब मानसिकता हो गई हैं इस संसार में लोगो की। अक्सर परिवार के ही कुछ सदस्य अपने ही सदस्यों की निंदा किसी अन्य दूसरे व्यक्ति से किया करते हैं। ऐसे लोगो को ये नहीं पता होता की खुद अपने परिवार की निंदा करने से उनकी भी बदनामी और निंदा हो रही क्योकि वो भी उसी सदस्य का हिस्सा हैं , और जिस अन्य व्यक्ति से वो अपने घर के सदस्यों की निंदा कर रहे कल को वो अनजान व्यक्ति उसको ही गलत समझेगा और दुसरो से बताएगा जिससे स्वयं उसकी ही बदनामी होगी। जो मनुष्य ऐसा कर रहे जरा ध्यान दे की जैसे आपके शरीर का अंग आपके जीवन में मायने रखते हैं और जिनके सहारे आप अनेको कार्य करते हैं यदि आपके शरीर का एक अंग भी कमजोर हो गया तो नुकसान आपके पुरे शरीर को होगा, ठीक वैसे ही परिवार का हर सदस्य आपके ही अपने हैं जिनके बगैर आपकी दुनिया बेरंग और वीरान हैं। इसलिए अपने ही शरीर को अपने खुशियों को अपने हाथो बर्बाद करने की भूल कदापि ना करे। ये बात तो आप सब जानते हैं की जो धागा एक बार टूट गया दुबारा जोड़ने पर उस धागे में गाँठ पड़ जाती हैं और उस गाँठ भरे धागे का जब आप उपयोग करेंगे तो वो बार-बार उलझेगा उसमे पहले वाली बात नहीं रहेगी। ठीक उसी प्रकार यदि आप किसी मित्र की निंदा किसी दूसरे से करते हैं ,जैसे आप अपने ही कुटुंब की निंदा किसी दूसरे से करते हैं तो इससे आपकी ही छवि खराब होती हैं। लोग यही सोचते हैं की यदि यह इंसान अपने ही परिवार की निंदा कर रहा तो यह कल को मेरी भी निंदा किसी अन्य से करेगा जो अपने ही परिवार और मित्र का नहीं हुआ वो दूसरे का क्या होगा ? जब आप किसी कीचड़ में पाँव रखते हैं तो उससे आपके ही वस्त्र और आपका तन मैला होता हैं इसलिए निंदा जैसी प्रवृति को छोड़ कर एक अच्छी पहचान बनाए। लोगो की कमियों को निकालने से बेहतर हैं की आप खुद के भीतर एक बार झाँक कर देखे की कहीं आपमें कोई कमी तो नहीं। क्योकि दुसरो में दोष और कमिया वही निकालते हैं जिनमे खुद अनेको कमिया मौजूद होती हैं एक साफ़, निर्मल ह्रदय वाला व्यक्ति कभी दुसरो में कोई कमी नहीं निकालता हैं बल्कि हर किसी की कमियों को बिना उसकी निंदा किए सुधारने का प्रयास करता हैं। हर वक़्त किसी की निंदा करना, हर वक़्त किसी का बुरा सोचना आपको कभी किसी की नज़रो में अच्छा नहीं बना सकता,ऐसा करने से लोग आपको गलत समझते हैं और कहते हैं की इसकी तो आदत बन गई हैं हर वक़्त दुसरो की निंदा करने की, ऐसे में लोग आपसे दुरी बना लेते हैं। मगर आजकल दुनिया में कुछ लोग दुसरो की निंदा करना और उनमे खामिया निकालना अपने मनोरंजन का साधन समझ बैठे हैं, मगर वो इस बात से बेखबर हैं की दुसरो की निंदा और खामिया वही निकालता हैं जिनमे खुद अनेको खामिया मौजूद होती हैं। जरा एक बार विचार करे जो बुरा आप दुसरो के लिए बोलते हैं और बुराई आप दुसरो की करते हैं यही कोई आपके साथ करे तो आपको कैसा लगेगा ? यदि संसार का हर व्यक्ति इस बात पर विचार करे तो संसार में बुराई का लेस मात्र भी अंश नहीं बचेगा और सभी के दिलो में एक दूसरे के लिए प्यार सम्मान और एकता जैसी भावना रहेगी।
जैसे गंदे और मैले वस्त्र को साफ़ कर आप अपने शरीर पर धारण करते हैं, ठीक वैसे दिल और मन को भी साफ़ और निर्मल बनाए जो आपका शरीर धारण करता हैं,तथा जिससे आपकी छवि और आपकी पहचान बनती हैं, और हर जगह आपको,''सबकी नज़रो में मान -सम्मान दिलाता हैं।
Just as you clean the dirty and dirty clothes that you wear on your body, in the same way clean and purify the heart and mind which wears your body, and which forms your image and your identity, and which helps you everywhere,' 'Inspires respect in everyone's eyes.
बहुत सुंदर लेख हमें प्रत्येक व्यक्ति की बुराई को नहीं देखकर उसकी अच्छाई को देखना चाहिए और हमें किसी की निंदा करने से बचना चाहिए हमें सदैव दूसरों की हित की एवं स्वयं की हित की बातें करनी चाहिए।
ReplyDeleteThank you
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