इस वर्ष महाशिवरात्रि 08 मार्च 2024 शुक्रवार के दिन पुरे विश्व में मनाया जाएगा। कुछ लोग अपने वीडियो में और अनेको न्यूज़ और अखबारों में ऐसा बता कर भक्तो को एक संशय में डाल देते हैं की इस वर्ष की महाशिवरात्रि बहुत खास हैं और यह शिवयोग में आई हैं इसलिए सभी भक्त अनेको उपाय कर सकते हैं जिससे भोलेनाथ और माता पार्वती आपसे प्रसन्न होंगे। मगर एक बात आज मुझे आप सभी भक्तो को और पुरे विश्व को इस विडंबना से और झूठी बातो से बाहर निकालना हैं जरा विचार करे क्या महादेव की कृपा आपके चढ़ावे पर आश्रित हैं क्या महादेव की प्रसन्नता आपके पूजा के उपाय और भोग पर आधारित हैं ? क्या महादेव का कोई भी त्यौहार उनके कृपा के बगैर आती हैं ? हर पूजा हर व्रत और हर त्यौहार शिव और शक्ति की कृपा के साथ ही आते हैं इसलिए महादेव के भक्तो अपने दिल और मन में सच्ची आस्था और भावना को बना कर पूरी विश्वास के साथ और भक्ति के साथ महाशिवरात्रि की पूजा और व्रत करे आपको और आपके पूरे परिवार को शिव और शक्ति की कृपा अवश्य प्राप्त होगी। शिवरात्रि का अर्थ होता हैं ''शिव की रात्रि'' सम्पूर्ण विश्व तीनो लोको में मनुष्य हो या देवता,असुर हो या कोई पशु ,पक्षी सभी देवो के देव महादेव को अपना इष्ट देवता मान कर महादेव की पूजा अर्चना करते हैं। क्योकि एकमात्र महादेव ही हैं जो किसी में भेदभाव नहीं करते सभी को एक समान मानते हैं। महादेव आदियोगी महासंयासी और वैरागी हैं जिन्होंने अपने सभी इन्द्रियों पर अपना नियंत्रण रखा हैं। महादेव गृहस्थ जीवन कभी भी धारण नहीं करना चाहते थे। चाहे कोई कितनी भी सुन्दर अप्सरा हो या कोई देवी महादेव किसी भी स्त्री को देखना भी पसंद नहीं करते थे। मगर विधि को कोई टाल नहीं सकता जो लिखा होता हैं वो घटित होता ही होता हैं। फिर एक दिन ऐसा हुआ जब देवी सती प्रजापति दक्ष की पुत्री ने महादेव के गुणों को देख उनकी तरफ आकर्षित हुई और देवी सती ने महादेव से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की मगर महादेव ने इंकार कर दिया क्योकि उन्हें पता था यह विवाह दोनों के लिए एक दुःख और वियोग का कारण बनेगा क्योकि देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष को महादेव पसंद नहीं थे उन्हें महादेव से सदा घृणा रही जो महादेव को पहले से पता था इसलिए उन्होंने देवी सती को कहा की वो उनसे विवाह नहीं कर सकते मगर देवी सती नहीं मानी और कठोर तपस्या करने लगी जिसे देख सारे देवगण प्रभावित हुए और महादेव के पास जा कर उनसे अनुरोध करने लगे की वो देवी सती को अपनी अर्धांगनी के रूप में स्वीकार कर ले तब महादेव ने देवी सती से विवाह किया और गृहस्थ जीवन में अपना कदम रखा। मगर प्रजापति की महादेव के प्रति नफरत अपनी चरमसीमा पार कर गई उन्होंने एक महायज्ञ का आयोजन रखा और जानबूझ कर देवी सती और महादेव को निमंत्रण नहीं दिया जब ये बात देवी सती को पता चला तो वो महादेव के मना करने के बाद भी अपने पिता दक्ष के यज्ञस्थल पहुँच गई जहाँ सभी देवता, ऋषि, मौजूद थे वहाँ महादेव का स्थान ना देख वो अपने पिता से सवाल करने लगी की उन्होंने महादेव का अपमान क्यों किया मगर दक्ष के अहंकार की कालिमा अपने शीश पर थी उन्होंने महादेव को अनेको कठोर अशब्द कहे और सभी के समक्ष देवी सती और महादेव का अपमान किया जो देवी सती से सहन नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ के समक्ष अपनी योगाग्नि प्रकट कर उसमे जल कर आत्मदाह कर लिया और महादेव से क्षमा मांग कर यह वचन दिया की देवी महासती पुनः जन्म ले कर महादेव से मिलेगी। वही देवी महासती राजा हिमवान और माता मैना के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया और कई वर्षो तक महादेव को पाने के लिए कठोर तप किया जिससे महादेव प्रसन्न हुए और देवी पार्वती से विवाह का वचन दिया। जैसा की आप सब जानते हैं शिव और शक्ति दोनों एक दूसरे से भिन्न नहीं शिव और शक्ति एक दूसरे के पूरक हैं। शिव के बिना शक्ति अधूरी हैं और शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं उनका अर्धनारीश्वर रूप इस बात का प्रतिक हैं की शिव और शक्ति एक हैं। संसार को गतिमान करने के लिए और सभी प्राणियों में ऊर्जाशक्ति का संचार करने के लिए शक्ति की आवश्यकता होती हैं अर्थात जब संसार का निर्माण हुआ तब सभी प्राणियों के जीवनसंचार के लिए शिव ने अपने शरीर से शक्ति को विलग किया ब्रह्मा देव ने महादेव से याचना की वो देवी आदिशक्ति को खुद से विलग करे जिससे संसार के निर्माण में उनकी सहायता हो महादेव ने ब्रह्म देव की याचना पूरी की और शक्ति को खुद से पृथक किया मगर जब-जब शिव और शक्ति विलग हुए संसार में पाप और अधर्म अपनी चरमसीमा पर बढ़ने लगा जिससे विचलित हो कर सारे देवता ब्रह्म देव के पास गए ब्रह्म देव ने उन्हें कहा की आदिशक्ति का पुनः जन्म हो चूका हैं मगर शिव और शक्ति दोनों विवाह सूत्र में नहीं बंधे और दोनों एक दूसरे से पृथक हो कर अपना अधूरा जीवन जी रहे। तब सभी ऋषि और देवतागण महादेव के पास जा कर हिमवान की पुत्री देवी पार्वती से विवाह के लिए अनुरोध किया फिर महादेव और देवी पार्वती का विवाह हुआ, जिस शुभ मुहूर्त और तिथि में शिव और शक्ति का विवाह हुआ वो फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी के दिन संपन्न हुआ था तबसे समस्त संसार में इस पवित्र दिन को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता हैं। यह पवित्र दिन शिव और शक्ति के शुभ महामिलन का दिन हैं और इस दिन सभी शिव भक्त पूजा व्रत कर अपना अनुष्ठान रखते हैं और शिव शक्ति की पूजा अर्चना करते हैं। जब आप कोई वाहन आदि चलाते हैं तो उसपे आपका नियंत्रण उचित और सही दिशा में होना अति आवश्यक होता हैं यदि आपने अपना नियंत्रण खो दिया तो दुर्घटना होने की संभावना हो सकती हैं ठीक वैसे शक्ति को एकमात्र शिव ही नियंत्रित और गति प्रदान कर सकते हैं एकमात्र शिव ही शक्ति को सही दिशा प्रदान कर सकते हैं शक्ति अपना नियंत्रण खो सकती हैं। अर्थात शिव शक्ति को दिशा दिखाते हैं और उसी दिशा में शक्ति अपना कार्य करती हैं। यदि शक्ति ने अपना नियंत्रण खो दिया तो संसार में असंतुलन स्थापित हो सकता हैं इसलिए शिव और शक्ति का एक दूसरे के साथ होना अति आवश्यक माना गया हैं क्योकि दोनों के बिना ये समस्त संसार अधूरा-अपूर्ण और वीरान कहलाता हैं।
This year Mahashivratri will be celebrated all over the world on Friday, March 8, 2024. Some people put the devotees in doubt by telling in their videos and in many news and newspapers that this year's Mahashivratri is very special and it has come in Shivayoga, hence all the devotees can take many measures so that Bholenath and Mata Parvati can meet you. Will be happy. But today I want to take one thing out of all the devotees and the whole world from this irony and false talk. Just think, is Mahadev's grace dependent on your offerings? Is Mahadev's happiness dependent on your worship methods and offerings? Does any festival of Mahadev come without his blessings? Every puja, every fast and every festival comes only with the blessings of Shiva and Shakti, therefore, devotees of Mahadev should worship and fast on Mahashivratri with full faith and devotion with true faith and feelings in their heart and mind for you and yours. The entire family will definitely receive the blessings of Shiva and Shakti.
Shivratri means "Night of Shiva". In all the three worlds, be it humans, gods, demons, animals or birds, all the deities consider Mahadev as their favorite deity and worship him. Because Mahadev is the only one who does not discriminate between anyone and considers everyone equal.Mahadev Adiyogi is a great ascetic and recluse who has controlled all his senses. Mahadev never wanted to lead a family life. No matter how beautiful a nymph or goddess Mahadev was, he did not like to even look at any woman. But no one can avoid the law, whatever is written definitely happens. Then one day it happened when Goddess Sati, the daughter of Prajapati Daksh, got attracted towards Mahadev after seeing his qualities and Goddess Sati expressed her desire to marry Mahadev but Mahadev refused because she knew that this marriage would be a good one for both of them. This will cause sorrow and separation because Goddess Sati's father Prajapati Daksh did not like Mahadev, he always hated Mahadev, which Mahadev already knew, so he told Goddess Sati that he could not marry her, but Goddess Sati did not agree and She started performing rigorous penance, seeing which all the gods were impressed and went to Mahadev and requested him to accept Goddess Sati as his wife, then Mahadev married Goddess Sati and entered into family life.But Prajapati's hatred towards Mahadev crossed its limits. He organized a Mahayagya and deliberately did not invite Goddess Sati and Mahadev. When Goddess Sati came to know about this, even after Mahadev's refusal, she went to her father Daksh. When she reached the Yagya place where all the gods and sages were present, not seeing Mahadev's place, she started questioning her father as to why he insulted Mahadev, but Daksh's arrogance was on his head. He said many harsh words to Mahadev and all Insulted Goddess Sati and Mahadev in front of Goddess Sati, which was not tolerated by Goddess Sati and she revealed her Yogagni in front of the Yagya, burnt it and committed suicide and sought forgiveness from Mahadev and promised that Goddess Mahasati would take birth again and meet Mahadev. . The same Goddess Mahasati was born as the daughter of King Himavan and Mother Maina and performed rigorous penance for many years to get Mahadev, due to which Mahadev was pleased and promised to marry Goddess Parvati.As you all know, Shiva and Shakti are not different from each other, Shiva and Shakti are complementary to each other. Shakti is incomplete without Shiva and Shiva is incomplete without Shakti. His Ardhanarishwar form is a symbol of the fact that Shiva and Shakti are one. Power is required to move the world and to transmit energy to all the living beings. That is, when the world was created, for the life of all the living beings, Shiva separated the power from his body. Brahma Dev requested Mahadev. He should separate Goddess Adishakti from himself so that he could help in the creation of the world. Mahadev fulfilled the request of Brahma Dev and separated Shakti from himself, but whenever Shiva and Shakti were separated, sin and unrighteousness started increasing in the world to its peak. Disturbed by this, all the gods went to Brahma Dev. Brahma Dev told them that Adishakti had been reborn but both Shiva and Shakti were not tied in marriage and both were living their incomplete lives separated from each other. Then all the sages and gods went to Mahadev and requested him to marry Himavan's daughter Goddess Parvati. Then the marriage of Mahadev and Goddess Parvati took place. The auspicious time and date on which the marriage of Shiva and Shakti took place was on Krishna Chaturdashi of Phalgun month. Since then this holy day is known as Mahashivratri all over the world. This holy day is the day of auspicious union of Shiva and Shakti and on this day all Shiva devotees observe puja fast and observe their rituals and worship Shiva Shakti.When you drive a vehicle etc., it is very important that you have proper control over it and in the right direction. If you lose control, there can be a possibility of an accident. Similarly, only Shiva can control the Shakti and provide speed. Only Shiva can provide the right direction to Shakti, Shakti can lose her control. That is, Shiva shows the direction to Shakti and Shakti does its work in the same direction.If Shakti loses its control then imbalance can be established in the world, hence it is considered very important for Shiva and Shakti to be with each other because without both of them this entire world is considered incomplete and desolate.
आपने सही तरीके से महाशिवरात्रि का महत्व बताया मुझे बहुत खुशी हुई जानकार और सबसे अच्छा आपने बताया महादेव और महागौरी की कृपा हमेशा हो सकती है उनके लिए कोई शुभ और अशुभ दिन नहीं होता।
ReplyDeleteThank You so much....
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