जैसा मन वैसा तन, इस कथन का सही अर्थ क्या हैं ? ( What is The True Meaning of This Statement, Like Mind, Like Body? )

Snehajeet Amrohi
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जैसा तन वैसा मन इस कथन का सही अर्थ क्या हैं ? आज मैं आप सबसे  इस विषय में चर्चा करुँगी। 

संसार बहुत बड़ा हैं और इस बड़े से संसार में अनेको प्रकार के प्राणी मौजूद हैं। आप जैसे वातावरण में रहते हैं आपके अंदर बिल्कुल वैसी प्रवृति का विकास होने लगता हैं।  सभी मनुष्यो की सोच एक जैसी नहीं होती हैं। सभी मनुष्यो की विचारधाराए एक दूसरे से भिन्न होती हैं। अगर सबकी सोच एक जैसी हो जाए तो मेरा, तुम्हारा, अपना, पराया जैसे भेदभाव और कलह जैसी कोई समस्या ही उत्पन्न नहीं होगी। इस संसार में हर कोई यही चाहता हैं की वो इस दुनिया का सबसे खूबसूरत और अमीर इंसान हो। ज्यादातर लोग यही सोचते हैं की खूबसूरत होने के लिए क्या चाहिए बस दौलत और पैसे फिर तो हर कोई उनके इशारो पर चलेगा। कुछ लोगो के पास अधिक धन और पैसा उपलब्ध नहीं होता तो भी उनके सुन्दर  विचार उन्हें  खूबसूरत बनाते हैं। आप खुद विचार कीजिए आप पैसो से क्या सब कुछ खरीद सकते हैं ? क्या आप पैसो से चैन की नींद और सच्चा प्यार खरीद सकते हैं ? क्या आप पैसो से सुख शांति खरीद सकते हैं ? बेशक नहीं खरीद सकते हैं। क्योकि यह वो अनमोल और कीमती जीवन के रहस्यमयी सुख हैं जो कोई भी कीमती हीरे जवाहरात और पैसो से नहीं ख़रीदे जा सकते। जबतक आप अपने चंचल मन पर काबू नहीं पाते तबतक आप अपने जीवन के विशेष रहस्यमय गुणों से अवगत नहीं हो सकते।  सर्वप्रथम आपको अपने मन को दर्पण की तरह बनाना सीखना होगा। किसी के भी प्रति इर्षा,नफरत और अहंकार जैसी अनुचित अवगुणो को अपने मन से सदा के लिए निकालना अत्यंत आवश्यक हैं।  क्योकि प्रतिपल यदि आपके मन में बुरे विचार और बुराईया पलती रहेगी तो उसका पूरा असर आपके निजी जीवन और विशेष रूप से आपके शरीर और चेहरे पर पड़ेगा। देवता और असुर में क्यों भेद होते हैं क्या आप इस तथ्य को भली प्रकार जानते हैं ? मैं बताती हूँ देवता सभी मनुष्य,जीव जंतु से बिना किसी भेदभाव के बराबर स्नेह करते हैं उनकी नज़रो में कोई छोटा-बड़ा और अमीर-गरीब नहीं होता। इसलिए देवता को पूजनीय स्थान प्राप्त होते हैं जहाँ देवता निवास करते हैं इसलिए उस स्थान को सुन्दर सा स्वर्ग कहा जाता हैं। यही असुर सदा बुराई और अनीति अधर्म को अपनाते हैं और सभी जीव जंतु और मनुष्यो को ऋषि मुनियो को सताते हैं। सदा देवताओ से इर्षा करते हैं इस कारण वो भयावह और कुरूप प्रतीत होते हैं तथा उनका स्थान पाताल लोक में मौजूद होता हैं। इसलिए कोई उन्हें पूजित होने का कोई दर्जा नहीं देता।  मैंने हमेशा से आप सभी से एक ही बात कहा हैं की आप अपने विचारो को जितना निखारने का प्रयास करेंगे आपके जीवन में वैसे ही सकारात्मक बदलाव आप पाएंगे। आपकी सोच और मन जितनी सुन्दर और निर्मल होगी आपके चेहरे और आपकी सुंदरता स्वतः आपके रूप को निखारती जाएगी।  

अपने चेहरे को दर्पण में निहारने से पूर्व बेहतर होगा अपने मन के दर्पण को निहारने का प्रयास करे। 

यदि आपका मन दूषित होगा और आप बुराई का चयन करेंगे तो वो दूषित मन आपके रूप को ना ही निखार सकती हैं और ना ही आपके जीवन को सुखमय और खुशहाल बना सकती हैं। इसलिए कहा जाता हैं जैसा मन वैसा तन। ✌





What is the true meaning of this statement, like mind, like body? Today I will discuss this topic with you all.

The world is very big and many types of creatures exist in this big world. The environment in which you live begins to develop exactly the same tendencies within you. Not all humans have the same thoughts. The ideologies of all human beings are different from each other. If everyone's thinking becomes the same then there will be no problem of discrimination and discord like mine, yours, ours, strangers. Everyone in this world wants to be the most beautiful and richest person in this world. Most people think that all they need to be beautiful is wealth and money, then everyone will follow their instructions. Even if some people do not have much money and wealth, their beautiful thoughts make them beautiful. Think for yourself, can you buy everything with money? Can you buy peaceful sleep and true love with money? Can you buy happiness and peace with money? Of course can't buy. Because these are the mysterious pleasures of precious and precious life which cannot be bought with any precious diamonds, jewels and money. Unless you control your fickle mind you cannot become aware of the special mysterious qualities of your life. First of all you have to learn to make your mind like a mirror. It is very important to remove inappropriate qualities like jealousy, hatred and arrogance towards anyone from your mind forever. Because if bad thoughts and evil thoughts keep growing in your mind every moment, then it will have a full impact on your personal life and especially on your body and face. Why are there differences between gods and demons? Do you know this fact well? I tell you that the Gods love all humans and animals equally without any discrimination, in their eyes no one is big or small or rich or poor. That's why gods get worshipable places where gods reside, hence that place is called a beautiful heaven. These demons always adopt evil and unrighteousness and torment all living beings, animals and humans as well as sages. They are always jealous of the gods, that is why they appear scary and ugly and their place is present in the underworld. That's why no one gives them any status to be worshipped. I have always said the same thing to all of you that the more you try to improve your thoughts, the more positive changes you will see in your life. The more beautiful and pure your thinking and mind are, the more beautiful your face and your beauty will automatically enhance your appearance.

Before looking at your face in the mirror, it would be better to try looking at the mirror of your mind.

If your mind is polluted and you choose evil, then that polluted mind can neither enhance your appearance nor make your life happy and prosperous. That's why it is said, like the mind, like the body.✌



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  1. बहुत सुंदर लेख प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में निरंतर कुछ ना कुछ अच्छा सीखना चाहिए क्योंकि अच्छाई को लोग हमेशा याद करते हैं आपने बहुत प्रेरणादायक लेख लिखा जिसकी जितनी सराहना की जाये कम है।

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