हर पल दुसरो को अपने क्रोध से भयभीत करने वाले ज्यादा प्रसन्न ना हो कि लोग आपके क्रोध से डर कर आपके सही और गलत सभी निर्णय में साथ दे रहे हैं। क्रोध से आजतक किसी का भला ना हुआ हैं और ना कभी होगा। क्रोध एक ऐसी अग्नि हैं जो क्रोधित व्यक्ति को स्वयं कि क्रोधाग्नि में जला देती हैं। क्रोध एक ऐसा विकार हैं जो किसी का हित नहीं चाह सकता ना ही स्वयं का और ना ही किसी दूसरे का। क्रोध को महत्त्व तब दी जाती हैं जब उसके क्रोध के पीछे किसी का हित और कल्याण छुपा हैं। ईश्वर भी बेवजह अपने क्रोध से किसी को भयभीत नहीं करते ना ही हर समय अपने क्रोध का प्रदर्शन करते हैं। ईश्वर का क्रोध एकमात्र दुष्ट-पापियों अधर्म और अन्याय के लिए होता हैं। जब कोई व्यक्ति बड़ा पद हासिल कर लेता हैं तो वो स्वयं को ईश्वर तुल्य समझने कि भूल करने लगता हैं उसे ऐसा लगने लगता हैं कि अपने बड़े पद के दम पर वो किसी को भी कुछ भी करने के लिए मजबूर कर सकता हैं। क्योकि कभी-कभी ज्यादा बुलंदी,कामयाबी हासिल कर लेने वाले इंसानो को सब खुद से छोटे नजर आने लगते हैं क्योकि अपने बड़े पद के अहंकार वश ऐसे व्यक्ति सबको अपने क्रोध और बड़े पद के दम से लोगो को भयभीत करने लगते हैं जिससे कई जगहों पर गलत और अनुचित फैसलों में तथा कार्यो में लोगो को ना चाहते हुए भी हाँ कहना पड़ता हैं ना चाह कर भी वो करना पड़ता हैं जो किसी के लिए उचित नहीं सिद्ध होता। कुछ लोग सोचते हैं कि चाहे जो भी हो आज मेरे क्रोधी स्वाभाव के ही कारण मगर लोग मुझसे डरते तो हैं और सब मेरा कितना सम्मान करते हैं। ऐसे लोगो से मैं यही कहना चाहूँगी कि ये एकमात्र तुम्हारी भूल हैं क्योकि तुमसे और सबसे बड़ा वो ईश्वर हैं जिसके पास सबकी बागडोर हैं कोई भी बड़ा से बड़ा पद ईश्वर से बड़ा नहीं हो सकता जरा विचार करो यदि तुम्हे इस बड़े पद पर बिठाया गया हैं तो उस पद का सम्मान करो किसी को अपने क्रोध से भयभीत करना कोई बड़ी महानता नहीं कहलाती बल्कि बड़ा पद बड़ी जिम्मेदारियों के लिए होता हैं, चाहे आप कितने बड़े पद को हासिल कर लो मगर यदि कोई बड़े बुजुर्ग आपके समक्ष आए और आप उनका सम्मान ना कर सको तो ये आपका और आपके पद के लिए कोई सम्मान नहीं बल्कि उसका अपमान कहलाता हैं। चाहे पति-पत्नी हो या कोई अन्य रिश्ता किसी भी रिश्ते में क्रोध का वर्चस्व कभी हितकर नहीं होता। यदि पत्नी अपने पति को अपने क्रोध से सदा भयभीत करती हैं अपने पति का तिरस्कार करती हैं तो वो स्वयं के पत्नी धर्म का ही अपमान कर रही हैं यदि पति अपनी पत्नी को सदैव अपने क्रोधी स्वाभाव से भयभीत करता हैं सदा उसका तिरस्कार करता हैं तो वो भी अपने पतित्व धर्म का अपमान करता हैं। यही वो मुख्य कारण हैं जो सभी मजबूत रिश्तो को अपना शिकार बना रहा क्रोधी स्वाभाव हर मनुष्य को उसके सही मार्ग से भटका रहा जिसमे उलझ कर मनुष्य स्वयं अपने विनाश और पतन का कारण बन रहा। आपका क्रोध ही हैं जो आपको अपनों से दूर कर रहा आपका क्रोध ही हैं जो आपके सोचने की क्षमता को नष्ट कर रहा आपका क्रोध ही हैं जो आपसे गलत फैसले करवा रहा आपका क्रोध ही हैं जो आपके जीवन में आपके लिए अनेको मुश्किलें खड़ी कर रहा। वो क्रोध ही हैं जो आपसे आपकी खुशियाँ छीन रहा, वो क्रोध ही हैं जो सबको आपका शत्रु बना रहा और आपको सबका शत्रु बना रहा। वो क्रोध ही हैं जो जीवन में दुःख और अकेलेपन का कारण बन रहा।
क्रोध कभी आपका मित्र नहीं हो सकता जो आपका क्रोधी स्वाभाव भला कैसे किसी दूसरे को आपका सच्चा मित्र और शुभचिंतक बना सकता हैं ? इसलिए यदि आप अपना कल्याण और हित चाहते हैं तो अपने क्रोध से अपने क्रोधी स्वाभाव से मुक्ति पाए।
Anger can never be your friend, how can your angry nature make someone else your true friend and well-wisher? Therefore, if you want your welfare and well-being, then get rid of your angry nature.
मनुष्य के अंदर सहनशक्ति होना जरूरी है क्योंकि सहनशक्ति मनुष्य को हर समस्या का समाधान कर देती है क्रोध से मनुष्य का हमेशा नुकसान होता है। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को क्रोध बहुत कम करना चाहिए।👍
ReplyDeleteबहुत ही प्रेरणादायक लेख
Thank you so much....
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