सभी देशवासियों को स्नेहाजीत डिवाइन इंस्पाइरेशनल वर्ल्ड की तरफ से होली के त्यौहार कि ढेरो शुभकामनाएं। 💚
जैसे हर अंधेरी रात के बाद सुबह कि शुरुआत होती हैं ठीक वैसे बुराई,पाप और अधर्म के अंत के पश्चात अच्छाई के उदय होने के पश्चात उसकी रौशनी पूरे जगत को प्रकाशित करती हैं। होली का पर्व सभी प्राणियों को एक सन्देश देता हैं कि जब बुराई अपनी सारी चरमसीमा पार कर देती हैं तो अच्छाई कि दिव्यता उस बुराई का अंत अवश्य करती हैं। होली एकमात्र रंगो का ही त्यौहार नहीं माना जाता हैं बल्कि होली पर्व आप सभी को एक विशेष सन्देश देता हैं जब किसी सच्चे निर्दोष भक्त पर कोई आंच आती हैं तो ईश्वर को स्वयं रणभूमि में उतरना पड़ता हैं। प्रह्लाद महान विष्णु भक्त हैं उन्होंने बचपन से ही श्री विष्णु कि निष्ठापूर्वक भक्ति की सदा धर्म का पालन किया जिसके लिए उन्होंने अपने पिता हिरणकश्यप का भी विरोध किया। अनेको दुःख और पीड़ा सहन करने के बावजूद प्रह्लाद ने अपना विश्वास और अपनी भक्ति पर कभी प्रश्न नहीं किया उन्होंने कभी श्री विष्णु की भक्ति और स्तुति करना नहीं छोड़ा। जब हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका को अग्नि में प्रह्लाद को ले कर बैठने को कहा तब होलिका और हिरणकश्यप को ऐसा लगता था कि होलिका को वरदान हैं अग्नि उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकती अंततः हानि केवल प्रह्लाद को ही होगा। मगर जब किसी कि मनसा किसी दूसरे को हानि और कष्ट पहुँचाने कि होती हैं तब हानि उसकी ही होती हैं जिसने गलत मनसा से किसी निर्दोष को कष्ट देना चाहा था। अंततः हानि प्रह्लाद को नहीं बल्कि होलिका को हुई अग्नि से रक्षित वरदान भी होलिका कि रक्षा ना कर सका क्योकि वरदान और आशीर्वाद तभी काम आते हैं जब आपके इरादे और कर्म नेक होते हैं। उस आग में प्रह्लाद को एक खरोच भी नहीं आया और होलिका उस अग्नि में जल कर भस्म हो गई। तब उस जली आग कि भस्म को सब लोगो ने अपने शरीर पर लगाया और सबने धर्म की जीत की ख़ुशी मनाई। तबसे ले कर आजतक होली एक दिन पहले होलिका दहन कि परम्परा लागू हुई। इस होलिका दहन में लोग कई उपाय कर अपने समस्त परिवार का और स्वयं के हित कि प्राथना करते हैं। होलिका दहन पर भले ही आप कोई उपाय करे मगर सर्वप्रथम आपको होलिका दहन के वक़्त भगवान से यही प्राथना करना चाहिए कि ईश्वर सदा आपको सही मार्ग दिखाए और आपसे कभी किसी निर्दोष या किसी अन्य प्राणियों का अहित ना हो, आप सदैव धर्म के रास्ते पर चलो और आप कभी अपने मार्ग से ना भटको। महान भक्त शिरोमणि प्रह्लाद से सबको ये सीख मिलती हैं कि असुर कुल में जन्म लेने के बावजूद भक्त प्रह्लाद ने कभी अधर्म और बुराई को ना तो कभी अपनाया और ना ही कभी उसका साथ दिया अंत में जीत भक्त प्रह्लाद की हुई। इसलिए कोई भी अच्छी -बुरी आदतों को अपनाना या ना अपनाना किसी इंसान का अपना चुनाव होता हैं। अर्थात बुराई किसी को नहीं अपनाती बल्कि इंसान स्वयं बुराई को अपनाता हैं जिससे अंत में उसका ही सर्वनाश होता हैं।
ये रंग भरा त्यौहार सभी सच्चे और निष्कपट भक्तो के जीवन में उमंग और आनंद से भरी खुशियाँ लाए। इस होली पर अपने सारे गिले-शिकवे भुला कर अपनों के संग होली के त्यौहार को खुशियों के साथ मनाए। ईश्वर से मेरी यही कामना हैं जो भी सच्चे दाम्पत्य जोड़े हैं उनके जीवन में ये होली का त्यौहार अनेको उमंग और खुशियों कि बौछार लाए और आपके जीवन से प्रेम का रंग कभी ना उतरे।
Just as morning begins after every dark night, similarly after the end of evil, sin and unrighteousness, after the rise of goodness, its light illuminates the entire world. The festival of Holi gives a message to all the living beings that when evil crosses all its limits then the divinity of goodness definitely puts an end to that evil. Holi is not considered to be the only festival of colours, but Holi festival gives a specific message to all of you that when any true innocent devotee is harmed, God himself has to enter the battlefield. Prahlad is a great devotee of Vishnu. He devoted himself sincerely to Lord Vishnu since childhood and always followed his religion, for which he even opposed his father Hiranyakashyap. Despite enduring many sorrows and pains, Prahlad never questioned his faith and his devotion, he never stopped worshiping and praising Lord Vishnu. When Hiranyakashyap asked his sister Holika to sit in the fire with Prahlad, then Holika and Hiranyakashyap felt that Holika was blessed and fire could not harm her, ultimately only Prahlad would be harmed. But when someone's intention is to cause harm and pain to someone else, then the harm is done to the one who had wrong intentions to cause pain to an innocent person. Ultimately, it was not Prahlad who suffered the loss but even the boon of protecting Holika from fire could not protect Holika because boons and blessings are useful only when your intentions and deeds are good. Prahlad did not get even a scratch in that fire and Holika got burnt to ashes in that fire. Then everyone applied the ashes of that burnt fire on their bodies and everyone celebrated the victory of religion. From then till today the tradition of burning Holika has been implemented one day before Holi. In this Holika Dahan, people take many measures and pray for the welfare of their entire family and themselves. No matter what measures you take on Holika Dahan, first of all you should pray to God at the time of Holika Dahan that God always shows you the right path and you never harm any innocent or any other living being, you always follow the path of religion. And may you never deviate from your path. Everyone learns from the great devotee Shiromani Prahlad that despite being born in the Asura clan, devotee Prahlad neither accepted nor supported unrighteousness and evil, but in the end devotee Prahlad won. Therefore, adopting or not adopting any good or bad habits is a person's own choice. That is, evil does not adopt anyone, rather man himself adopts evil, which ultimately leads to his destruction.
May this colorful festival bring joy and happiness in the lives of all the true and sincere devotees. This Holi, forget all your grievances and celebrate the festival of Holi with happiness with your loved ones.
I pray to God that this festival of Holi brings lots of enthusiasm and happiness in the lives of all true married couples and that the color of love never fades from your life.
आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं आपका प्रत्येक लेख बहुत अच्छा होता है आपके लेख से समाज को दुनिया को बहुत प्रेरणा मिलती है।
ReplyDeleteआप इसी तरह से लिखती रहे।
धन्यवाद👍
Thank you so much...
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