संसार में विवाह का रस्म एक ऐसा रस्म हैं जो दो परिवारों को आपस में जोड़ने का कार्य करता हैं। विवाह के पवित्र बंधन में जब कोई लड़की एक लड़के से बंधती हैं तो वो दोनों एक दूसरे के सुख-दुःख दोनों के परस्पर भागीदार हो जाते हैं। कितना अद्भुत हैं ना ये संस्कृति जो विवाह के सूत्र में दो अनजान लोगो को एक कर देती हैं और दोनों को एक दूसरे का पूरक बना देती हैं। जब आप विवाह के बंधन में बंधते हैं तो विवाह के सभी रस्मो रिवाजो से आपको अवगत कराया जाता हैं। क्या आपने कभी ये सोचा हैं कि क्यों विवाह के समय इतने नियमो का पालन किया जाता हैं ? क्यों विवाह के वक़्त पुरोहित मंत्रो द्वारा दोनों दाम्पत्य जोड़े को सारी रस्मो रिवाजो से एक दूसरे के साथ विवाह सूत्र में बांधते हैं ? क्यों आप ईश्वर को साक्षी मान कर अग्नि के सात फेरे लेते हैं ? क्यों विवाह के समय सभी रिश्तेदार परिवार समाज के लोग एकत्रित होते हैं ? क्योकि विवाह ईश्वर द्वारा बनाया गया एक ऐसा पवित्र बंधन हैं जिसमे शामिल होना एक पुण्य का भागीदार बना देता हैं। विवाह सूत्र में बंधने वाले जोड़े अपनी हर ख़ुशी और गम अपने जीवनसाथी के साथ बाँटने का वचन लेते हैं, एक दूसरे के विश्वास प्यार और सम्मान पर खरे उतरने की कसम भी खाते हैं। पूरे रस्मो रिवाज और विधि विधान के साथ विवाह कार्य संपन्न होता हैं। मगर जो सबसे महत्वपूर्ण बात हैं वो बहुत कम लोग ही समझ और जान पाते हैं वो हैं कन्या और वर के साथ दोनों के परिवारों का मिलाप। विवाह के वक़्त कन्या केवल अपने वर के सुख दुःख में साथ देने का कसम नहीं खाती बल्कि वर के माता पिता भाई बहन उसके सम्पूर्ण परिवार को एक साथ सुखी संपन्न रखने कि कसम भी खाती हैं। ये हर कन्या का फर्ज होता हैं कि वो अपने मायके और ससुराल दोनों कुलो का मान सम्मान बना कर रखे। हर वैवाहिक कन्या को ये नहीं भूलना चाहिए कि उसके पति पर जितना अधिकार उसका हैं उससे कहीं अधिक अधिकार उसके वर के माता-पिता का भी हैं। संसार में कुछ लोग ऐसी अनेको समस्याओ से घिरे हुए हैं जिन्हे ऐसा लगता हैं कि सास कभी माँ का प्यार नहीं दे सकती ना ही बहू कभी बेटी का प्यार दे सकती हैं। इसमें सबसे बड़ा दोष आपकी भावनाओ का हैं आप जिसके प्रति जैसी भावना रखेंगे आपको वो व्यक्ति वैसा ही दिखाई देगा। जो वैवाहिक कन्या अपने ससुराल जाती हैं वो जितना हक़ अपने पति पर जताती हैं अपने पति कि हर ख़ुशी का ख्याल रखती हैं, वो इस बात को कैसे भूल जाती हैं ? जिस पति से वो सुख पा रही हैं जब वो बेगाना नहीं तो उसके पति के माता-पिता बेगाने कैसे हो सकते हैं ? हमेशा इस बात को स्मरण रखे हर स्त्री त्याग ममता और दया कि प्रतिमूर्ति मानी जाती हैं और माँ की ममता का तो कोई पार नहीं लगा सकता। माँ किसी कि भी हो माँ तो माँ ही होती हैं यदि सास को भी माँ का दर्जा और प्यार दिया जाए तो वो सास भी बहू को बेटी का ही दर्जा, प्यार और ममता देगी। अपनी सोच को बदले आपके बिगड़े से बिगड़े रिश्ते सुलझ जाएंगे। हर कन्या को विवाह के बाद अपने ससुराल में अपनी सास कि एक बहू बन कर नहीं बल्कि एक बेटी बन कर ही रहना चाहिए जिसमे संस्कार प्यार और दया की भावना हो यकीन माने आपको अपने ससुराल में भी मायके का ही प्यार और सम्मान भरा दर्जा मिलेगा। जो बहू अपने बुजुर्ग सास-ससुर के भावनाओ को सदा ठेस पहुँचाती हैं उन्हें दुःख अथवा पीड़ा पहुँचाती हैं,''वो इस बात को ना भूले कि भविष्य में वो भी कल को सास बनेगी और कर्म का चक्र किसी का पीछा नहीं छोड़ता करता हैं उसे उसके किए हर कर्मो का भुगतान यही इसी धरा पर करना पड़ता हैं।
''सास भी दे सकती हैं माँ का प्यार यदि बहू में हो बेटियों जैसे संस्कार।'' ( Mother-in-Law Can Also Give Mother's Love If Daughter-in-Law Has Rites Like Daughters.)
By -
March 11, 2024
4
In the world, the ceremony of marriage is a ritual which connects two families. When a girl gets tied to a boy in the sacred bond of marriage, both of them become mutual partners in each other's happiness and sorrow.How wonderful is this culture which unites two unknown people in the form of marriage and makes both of them complement each other. When you get married, you are informed about all the rituals and customs of marriage. Have you ever wondered why so many rules are followed at the time of marriage? Why at the time of marriage, the priest binds the married couple to each other with all the rituals and customs through mantras? Why do you take seven rounds of fire considering God as your witness? Why do all the relatives, family members and society gather at the time of marriage? Because marriage is such a sacred bond created by God that joining it makes one a virtuous partner. Couples tying the knot take a vow to share all their joys and sorrows with their spouses, and also swear to live up to each other's trust, love and respect. The marriage ceremony takes place with complete rituals and ceremonies. But the most important thing that very few people understand and know is the union of the families of both the bride and the groom. At the time of marriage, the girl not only takes an oath to support her groom in his happiness and sorrow, but the groom's parents, brothers and sisters also take an oath to keep his entire family happy and prosperous together. It is the duty of every girl to maintain the honor of both her maternal and in-laws' clans. Every married girl should not forget that her groom's parents have more rights than her husband. Some people in the world are surrounded by so many problems that they feel that mother-in-law can never give mother's love nor daughter-in-law can ever give daughter's love. The biggest fault in this is your emotions. Whatever feelings you have towards someone, you will see that person in the same way. The married girls who go to their in-laws' house, show as much authority over their husbands as they do taking care of every happiness of their husbands, how do they forget this? If the husband from whom she is getting happiness is not a stranger, then how can her husband's parents be strangers? Always remember this, every woman is considered an embodiment of sacrifice, love and kindness and no one can surpass a mother's love. Whoever the mother is, she is always a mother. If the mother-in-law is given the status and love of a mother, then the mother-in-law will also give the status, love and affection of a daughter to her daughter-in-law. Change your thinking and your worst relationships will get resolved. After marriage, every girl should live in her in-laws' house not as a daughter-in-law of her mother-in-law but as a daughter who has rites, love and kindness. Believe me, you will get the love and respect of your mother-in-law in your in-laws too. Those daughters-in-law who always hurt the sentiments of their elderly in-laws and cause pain or suffering to them, should not forget that in the future, she will also become a mother-in-law and the cycle of karma does not leave anyone behind and it will punish her for every act of hers. Karmas have to be paid for on this earth only.
सास और बहू दोनों का दायित्व बनता है कि वह एक दूसरे का सम्मान करें तभी परिवार में सुख शांति रह सकती है। 👍
ReplyDeleteThank you..
DeleteGood 👍
ReplyDeleteThank you....
Delete