प्रेम का अर्थ होता हैं त्याग,तपस्या,और पूजा।प्रेम कोई खेल नहीं ना ही कोई साधारण सा शब्द हैं। प्रेम का वास्तविक परिचय हैं अपने जीवनसाथी के लिए जीना और अपने जीवनसाथी के लिए मरना। प्रेम एक बार होता हैं और दिल में भी बस एक शख्स ही बसता हैं जो प्रेम हर किसी को दिल में स्थान दे दिया करते हैं और आज किसी के साथ और कल किसी और के साथ अपना जीवन बिताते हैं वो प्रेम नहीं बल्कि निजी स्वार्थ भरा रिश्ता कहलाता हैं ,क्योकि सच्चा प्रेम सिवाय अपने जीवनसाथी के सिवा किसी अन्य को देखना तो दूर की बात हैं, किसी अन्य को सोचना भी पसंद नहीं करता हैं। सच्चा प्रेम वो हैं जो साधारण इंसान को भी देवता बना देता हैं। सच्चा प्रेम वो हैं जिसके लिए पूरी दुनिया ही उसका जीवनसाथी होता हैं, सच्चा प्रेम वो हैं जो जिसके सामने पूरी दुनिया की दौलत भी फिकी पड़ जाती हैं। सच्चा प्रेम वो हैं जिसे पैसो से या जबरदस्ती ख़रीदा नहीं जा सकता। सच्चा प्रेम वो हैं जो असंभव को भी संभव बना देता हैं। सच्चा प्रेम बस देना जानता हैं बदले में कुछ ना मांगता हैं और ना चाहता हैं। सच्चा प्रेम वो हैं जो बिना किसी स्वार्थ अपने जीवनसाथी को बेशुमार प्यार करता हैं। सच्चा प्रेम वो हैं जो तमाम उम्र बस अपने जीवनसाथी का इंतजार करता हैं चाहे ये उम्र भी कम पड़ जाए मगर सच्चा प्रेमी कभी अपने जीवनसाथी के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता। सच्चा प्रेम वो हैं जो किसी के सुंदरता और रूप को देख मोहित नहीं होता हैं बल्कि सच्चे प्रेम में आत्मा का आत्मा से मिलन और जुड़ाव होता हैं। सच्चा प्रेम वो हैं जो समाज और दुनिया तो क्या ईश्वर के समक्ष भी अपने प्रेमी के लिए लड़ सकता हैं। सच्चा प्रेम वो हैं जो बीच मजधार में भी अपने जीवनसाथी का साथ नहीं छोड़ सकता। सच्चे प्रेम कि ताक़त के सामने ईश्वर भी नतमस्तक हो जाते हैं। यदि प्रेम दोनों तरफ सच्चा हो तो वो प्रेम जन्म-जन्म और युगो-युगो का साथ बन जाता हैं। शिव और शक्ति के प्रेम का ऐसा अद्भुत नाता हैं जिसने दो आत्माओ को एक कर दिया और दोनों को हर जन्म के लिए युगो-युगो के लिए एक दूसरे से बाँध दिया। जो बिछड़ कर भी कभी नहीं बिछड़ते जो विरह में भी हमेशा अपने जीवनसाथी को खुद में ही महसूस करते हैं। जिस प्रेम में ना कोई अहंकार ना कोई स्वार्थ। ऐसा हैं महादेव और देवी महागौरी का दाम्पत्य रिश्ता। सच्चा प्रेम अपने जीवनसाथी के सम्मान को अपनी जिंदगी से भी बढ़कर मानता हैं। क्योकि जहाँ सम्मान नहीं वहाँ पर किसी रिश्ते का स्थान नहीं। देवी महासती ने अपने पति के सम्मान को अपने जीवन से अधिक महत्व दे कर यह सिद्ध कर दिया कि वो अपने जीवनसाथी को अपने प्राणो से भी बढ़कर मानती हैं और हर पल हर जन्म मानती रहेगी। क्योकि यदि महासती ने प्रेम किया तो महादेव ने भी प्रेम और वचन को निभाया हर जन्म अपनी अर्धांगनी सती का ही इंतेजार किया और उनसे ही विवाह किया।
सच्चे प्रेम का वास्तविक परिचय। (Real Introduction Of True Love)
By -
March 08, 2024
2
Love means sacrifice, penance and worship. Love is neither a game nor a simple word. The real definition of love is to live for your spouse and to die for your spouse. Love happens once and only one person resides in the heart. The love that gives place to everyone in the heart and spends its life today with someone and tomorrow with someone else is not love but a selfish relationship. It is called so because true love does not like to even think of anyone else, forget seeing anyone else except your life partner.True love is that which turns even an ordinary person into a god. True love is the one for whom the whole world is his life partner, true love is the one for whom even the wealth of the whole world pales in comparison. True love is something that cannot be bought with money or force. True love is that which makes the impossible possible.True love only knows how to give and neither asks nor wants anything in return. True love is one who loves his/her spouse unconditionally and without any selfishness.True love is the one who waits for his/her life partner all his/her life, even if the age gets shortened, but a true lover can never betray his/her life partner.True love is that which is not fascinated by someone's beauty and looks, but in true love there is union and connection of soul with soul.True love is that which can fight for its lover not only in front of the society and the world but also in front of God. True love is that which cannot leave its partner even in the midst of labor.Even God bows before the power of true love. If love is true on both sides, then that love lasts from birth to birth and lasts for ages. There is such a wonderful bond of love between Shiva and Shakti that it unites two souls and binds them together in every birth for ages. Those who never get separated even after separation, who always feel their life partner within themselves even in separation. Love in which there is no ego and no selfishness. Such is the marital relationship between Mahadev and Goddess Mahagauri.True love considers the respect of its spouse more than its own life. Because where there is no respect there is no place for any relationship. By giving more importance to her husband's honor than her own life, Goddess Mahasati proved that she considered her life partner more than her life and would continue to value every moment of every birth. Because if Mahasati loved then Mahadev also kept his love and promise, waited for his better half Sati in every birth and married her only.
सचमुच सच्चा प्रेम इस संसार में सबसे अनमोल होता है इस संसार की कोई भी दौलत सच्चे प्यार को खरीद नहीं सकती इसलिए पति-पत्नी को एक दूसरे से सच्चा प्यार करना चाहिए। इस संसार में महादेव महागौरी सच्चे प्यार के सबसे बड़े उदाहरण है।
ReplyDeleteThank you so much..
Delete