इस दुनिया में जबतक लोग कामयाब नहीं होते तो उन्हें कभी कोई अभिमान नहीं होता उन्हें पता होता हैं कि उनकी सीमाएं कहाँ से कहाँ तक सिमित हैं। मगर जैसे ही वो अधिक कामयाबी कि ऊंचाइयों तक पहुँच जाते हैं तो उन्हें सब खुद से छोटे दिखने लगते हैं और अभिमान वश वो सबको उनकी औकात दिखाने कि गुस्ताखी कर जाते हैं और हर वक़्त सबकी औकात कि बात करते रहते हैं। ऐसे अभिमानी लोग स्वयं को ईश्वर समझने लग जाते हैं। मगर यही उनकी सबसे बड़ी भूल होती हैं जो उन्हें ईश्वर कि नजरो से गिरा देती हैं और एक दिन ऐसा भी होता हैं जब ईश्वर ऐसे अभिमानी व्यक्ति का अभिमान क्षण भर में तोड़ देते हैं। वो क्षण भी आता जब उसे अपनी भूल का एहसास होता हैं कि जिसे उसने कभी निचा दिखाने का प्रयास किया था उसको अपनी औकात समझाने का प्रयास किया था आज वही शख्स उससे कई ज्यादा कामयाब हो कर वापस लौटा हैं। मगर उस कामयाब व्यक्ति ने उसे ना ही औकाद कि बात की और ना ही उसपे कोई दोषारोपण लगाया। यही फर्क होता हैं एक नेक और सरल इंसान में तथा एक अभिमानी और कपटी इंसान में। इसलिए अपने हालात पर ना ही कभी अफ़सोस करे और ना ही कभी अभिमान। क्योकि अच्छे-बुरे हालात आते और जाते रहते हैं मगर इंसान को अपनी समझदारी से काम लेना चाहिए। ये जरुरी नहीं जब कोई आपका अपमान करे आप उसी क्षण जवाब दो। आपके अपमान का जवाब उसे ईश्वर द्वारा स्वतः मिल जाएगा जब वो आपको खुद से कही ज्यादा कामयाबी के शिखर पर पाएगा। सदैव याद रखे औकात कि बात वही करता हैं जिसका खुद का कोई औकाद नहीं होता,औकाद कि बात वही करता हैं जिसके भीतर अनेको अवगुण और दोष भरा होता हैं। औकाद कि बात वही करता हैं जो ईश्वर का सम्मान नहीं करता और जिसे ईश्वर से भी भय नहीं होता। ऐसे अभिमानियों के अभिमान को तोड़ने के लिए स्वयं ईश्वर को हस्तक्षेप करने आना पड़ता हैं ऐसे अभिमानियों को सही पाठ पढ़ाने के लिए ईश्वर ना चाहते हुए उसे उसकी औकाद दिखाना पड़ता हैं। ऐसे लोग बस नाम के लिए ईश्वर की भक्ति करते हैं,क्योकि जो ईश्वर के सच्चे निश्छल भक्त होते हैं वो कभी किसी अन्य का भूल कर भी अपमान नहीं करते जो सभी प्राणियों को एक समान देखते हैं। औकात इस संसार में किसी कि भी ना ही किसी से कम होती हैं ना ही ज्यादा अर्थात संसार के प्रत्येक मनुष्य ईश्वर कि नजरो में एक समान होते हैं चाहे ईश्वर के दरबार में कोई अमीर जाए या कोई गरीब ईश्वर कि नजरो में सब एक बराबर होते हैं।
जो व्यक्ति अपने अभिमान में सदैव दुसरो को औकाद दिखाने का प्रयास करते हैं वो स्वयं ही ईश्वर कि नजरो में और सबकी नजरो में अपना सम्मान खो देते हैं।
In this world, unless people are successful, they never have any pride; they know to what extent their limits are limited.But as soon as they reach greater heights of success, everyone starts looking smaller than themselves and out of pride, they become audacious enough to show their status to everyone and keep talking about everyone's status all the time. Such arrogant people start considering themselves God.But these are their biggest mistakes which make them fall from the eyes of God and there comes a day when God breaks the pride of such an arrogant person in a moment. That moment also comes when he realizes his mistake that he had tried to explain his status to the person whom he had once tried to humiliate, but today the same person has returned much more successful than him. But that successful person neither talked about his status nor made any allegations against him. This is the difference between a noble and simple person and an arrogant and deceitful person.Therefore, never regret or be proud of your situation. Because good and bad situations come and go but a person should use his wisdom. It is not necessary that when someone insults you, you respond at that very moment. He will get the answer to your insult automatically from God when he will find you at the pinnacle of success much more than himself. Always remember that only those who have no status of their own talk about status, only those who are filled with many demerits and faults talk about status. Only those who do not respect God and who do not fear God talk about status. To break the pride of such arrogant people, God himself has to intervene. To teach the right lesson to such arrogant people, God has to show them his status, unwillingly.Such people worship God just for the sake of name because those who are true devotees of God never insult anyone else even by mistake and who see all living beings as equal. The status of anyone in this world is neither less nor more than anyone else's, that is, every human being in the world is equal in the eyes of God, whether a rich or a poor goes to the court of God, everyone is equal in the eyes of God.
The person who, in his pride, always tries to show his status to others, himself loses his respect in the eyes of God and in the eyes of everyone.
हमें दूसरों की आलोचनाओं को नजर अंदाज करके आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि एक दिन हमारी सफलता सबके मुंह पर ताला लगा देगी बहुत ही प्रेरणादायक लेख 👍
ReplyDeleteThank you so much...
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