यदि आपका सवाल हैं, क्या आज भी चमत्कार होते हैं ? तो इसका जवाब हैं हाँ।अब आपको ऐसा लग रहा होगा अगर ऐसा हैं तो जो हम चाहते हैं जैसा चाहते हैं हमे वो हासिल क्यों नहीं हो जाता ? हमारे साथ कोई चमत्कार क्यों नहीं होता ? संसार में सब कुछ संभव हैं ईश्वर का चमत्कार भी और ईश्वर को पाने का रास्ता भी। मगर ईश्वर को पाना मतलब ये नहीं कि ईश्वर अपना स्थान छोड़ कर सदा के लिए आपके पास आ जाएंगे बल्कि ईश्वर कि कृपा उनकी दया को महसूस करना उनके होने का प्रमाण यही होता हैं। यदि आपको खुद पर विश्वास हैं तो आपके लिए क्या असंभव हैं ? यदि आपको खुद पर विश्वास हैं तो, आप ऐसा क्या हैं जो हासिल नहीं कर सकते ? सर्वप्रथम ये पता करे आपको खुद पर कितना यक़ीन हैं ? आपने आजीवन कितने पुण्य कर्म किए हैं ? या बुरे कर्म किए हैं ? जबतक आप स्वयं के भीतर जा कर ये नहीं समझ और जान लेते तबतक आप कुछ भी समझ पाने में असमर्थ हैं। भले ही आप अपने बुरे कर्मो को किसी दूसरे के समक्ष उजागर ना कर सको मगर तन्हाई में जरूर विचार करे आपने किस-किस का दिल दुखाया हैं चाहे जाने, चाहे अनजाने जो भी भूल हुई क्या आपने उसकी क्षमा याचना ईश्वर के समक्ष किया ? क्या आपने स्वयं में एक अच्छा बदलाव का विचार लाया हैं या नहीं ? यदि आपकी भूल छोटी हैं तो बेशक आपको ईश्वर माफ़ कर देंगे मगर यदि आपकी भूल बड़ी हैं तो उसकी भरपाई तो आपको करनी ही पड़ेगी। यदि वाकई अच्छा बनना हैं तो आईने कि तरह बनो जो अंदर से हैं वो बाहर से भी महसूस हो बस दिखावे के लिए दुसरो के समक्ष अच्छा बनने का ढोंग करना एक अपराध कहलाता हैं। विश्वास एक ऐसा शब्द हैं जिसमे वो शक्ति हैं जिसके दम पर आप कुछ भी पा सकते हैं मगर ऐसा तब होता हैं जब आपके इरादे किसी को नुकसान या क्षति पहुँचाना ना हो। जहाँ विश्वास होता हैं वही चमत्कार भी होता हैं। आपका विश्वास यदि ईश्वर पर सदैव बना रहता हैं तो ईश्वर कभी आपको निराश नहीं कर सकते। क्या कोई माता-पिता अपनी संतान के विश्वास को कभी तोड़ सकते हैं ? कदापि नहीं तोड़ सकते। मगर माता-पिता भी अपनी सभी संतान पर विश्वास रखते हैं कि उनकी कोई संतान कभी उनके विश्वास को नहीं तोड़ेगे। मगर यदि संतान अपने माता-पिता के विश्वास को तोड़ देता हैं तो माता-पिता उससे निराश हो जाते हैं और उसे संभलने का और अपनी भूल सुधारने का एक मौका अवश्य देते हैं ताकि उनकी संतान वापस सही रास्ते पर आ जाए मगर जब संतान माता-पिता के विश्वास को बार-बार तोड़ता हैं तो माता-पिता यानि ईश्वर अपनी संतान से कुपित हो कर उससे चमत्कार नहीं बल्कि दंड का अधिकारी मान लेते हैं। आज इस धरा पर वही हो रहा हैं एक सड़ा फल किसी टोकरी में हो यदि उसको सही वक़्त पर बाहर ना निकाला जाए तो वो अपने साथ-साथ सारे फलो को खराब कर देता हैं ठीक वैसे एक बुरा इंसान यदि किसी के संपर्क में हो तो अपने साथ-साथ उसको भी बुरा बनने पे मजबूर कर देता हैं। कुछ लोगो को कलयुग में ऐसा लगता हैं कि भगवान नहीं हैं ना ही कोई चमत्कार, जो बुरा हैं वो कितना खुश रहता हैं उसके पास सबकुछ हैं मगर अच्छा बन कर क्या मिला ? इससे बेहतर बुरे रास्ते और बुरी आदतों को क्यों ना आजमा लिया जाए हो सकता हैं उससे हमारे पास भी बेशुमार धन-दौलत और पैसे हो जाए। मनुष्य की यही सोच और उसके ईश्वर के प्रति विश्वास का कम होना आज सभी मनुष्यो के लिए संकट उत्पन्न कर रहा उन्हें ये विश्वास हैं कि कोई सज़ा नहीं मिलती ईश्वर कुछ नहीं देख रहे यही अविश्वास आज बहुत से मनुष्यो के लिए एक संकट का शंखनाद हैं। ऐसा नहीं कि ईश्वर नहीं हैं और ईश्वर को मनुष्यो के किसी क्रियाकलाप से कोई मतलब नहीं। ईश्वर यही हैं सब देख रहे और उनकी नजरे आप सब पर हैं। ईश्वर आज भी उनकी ही सहायता करते हैं जिन्हे स्वयं पर और अपने कर्मो पर विश्वास होता हैं।
इसलिए प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर के प्रति कभी अपने विश्वास को कम नहीं करना चाहिए। क्योकि जिसे ईश्वर पर विश्वास होता हैं उसमे ईश्वर का वास होता हैं।
Therefore every human being should never reduce his faith in God. Because God resides in the one who believes in himself.
बहुत ही प्रेरणादायक लेख आपका प्रत्येक लेख एक नयी सीख देता है आप इसी तरह लीखती रहें और समाज को देश को नया रास्ता दिखाती रहे। 👍
ReplyDeleteThank you so much....
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