अक्सर लोग धन-दौलत और पैसो के खातिर अपनों के ही जान के दुश्मन बन बैठे हैं। भाई-भाई का नहीं रहा, एक शत्रु कि भाति अपने ही भाई कि खुशियों का उसकी जान का दुश्मन बन बैठा हैं।भाई तो वो होता हैं जो हर दुःख और मुसीबत में अपने भाई का हाथ थामे रहता हैं उसकी ढाल बन कर आजीवन उसके साथ खड़ा रहता हैं। चंद पैसे और दौलत भाई- भाई के रिश्ते को कभी कमजोर नहीं कर सकता जबतक उनके दिलो में एक दूसरे के लिए प्यार और सम्मान रहता हैं। माता-पिता हमारे लिए ईश्वर के समान होते हैं ईश्वर से भी पहला स्थान और दर्जा माता-पिता को दिया जाता हैं जिनसे हमे ये जीवन मिला हैं मगर आज के कुछ युवा अपने निजी स्वार्थ के लिए लोभ-लालच वश अपने ही माता-पिता को जान से मार देते हैं, या तो उनको अपने ही घर से निकाल देते हैं। कुछ लोग तो बड़ी उचाईयो और कामयाबी को हासिल करने के बाद माता-पिता के किए उपकार प्यार और ममता को ही भूल जाते हैं और उनका हर दिन तिरस्कार करते हैं ना ही अपने माता-पिता को सही भोजन देते हैं ना ही उनका सम्मान करते हैं। पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते हैं एक दूसरे कि परछाई बन कर तमाम उम्र हर सुख-दुःख में एक दूसरे का साथ निभाते हैं मगर आजकल के युवा में ईमानदारी वफादारी सच्चाई और भरोसा ये सारे जज़्बात बस नाम मात्र बन के रह गए हैं, कोई भी पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को ना वो सम्मान दे रहे और ना ही प्यार। अपने निजी स्वार्थ के खातिर पति-पत्नी भी एक दूसरे के भरोसे को तोड़ते चले जा रहे। कुछ स्त्री तो अपने पति को पराए इंसान के लिए जान से मार देती हैं तो कहीं पर पति किसी अन्य महिला के लिए अपनी पत्नी को धोखा देते हैं और मार देते हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि बाहर की दुनिया बहुत ज़ालिम होती हैं मनुष्य अपने घरो में अपनों के साथ ही सुरक्षित रह सकता हैं, मगर क्या होगा जब कोई अपना ही अपने प्रिय जन कि जान का दुश्मन बन जाए ? मित्र का अर्थ होता हैं वो साथी जो आपका सारथि बन कर आपके साथ प्रतिपल साथ निभाता हैं। चाहे गम हो या ख़ुशी सच्चे मित्र सदा साथ निभाते हैं। कितना अच्छा पल होता हैं जब दो मित्र साथ घूमते हैं एक साथ खाना खाते हैं वो पल बहुत ही सुखदाई और अनमोल क्षण होता हैं जिसे आप भूल नहीं सकते। मगर आजकल मित्र भी मित्र का सबसे बड़ा शत्रु बन बैठा हैं कभी किसी लड़की के खातिर तो कभी पैसो के खातिर अपने मित्र को धोखा देते या मार देते हैं। इससे किसी को क्या लाभ होगा ? अपने गलत इरादों को अंजाम देने वाला व्यक्ति ये नहीं सोचता किसी को धोखा देना उसके विश्वास के साथ खेलना कितना बड़ा पाप होता हैं ऐसे व्यक्ति ईश्वर कि नजरो से सदा के लिए गिर जाते हैं। जो लोग किसी के साथ विश्वासघात करते हैं उनका जीवन वो स्वयं अपने हाथो से बर्बाद कर लेते हैं। किसी को मार कर किसी हाल में आपको कुछ हासिल नहीं होगा सिवाय बदनामी और दुःख के कुछ अन्य हासिल नहीं हो सकता ऐसे लोगो को जो अपनों के साथ विश्वासघात करते हैं। जो लोग पैसो के खातिर किसी अपने कि हत्या कर देते हैं ऐसे लोग कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते क्योकि जुर्म-अपराध का रास्ता एक नर्क और घोर अंधकार का रास्ता होता हैं जिसमे गया व्यक्ति तमाम उम्र उसी सज़ा में गुजार देता हैं जो पाप उससे हुआ हैं फिर मरने के बाद भी ईश्वर के दंड का अधिकारी हो जाता हैं। ऐसे लोग ना तो जीते जी प्यार और सम्मान पाते और ना ही मरने के बाद। क्योकि समाज और दुनिया के लोग किसी अपराधी के मरने का कोई अफ़सोस नहीं जताते सब यही कहते हैं अच्छा हुआ मर गया संसार का बोझ था वो अपनों के जान का दुश्मन था वो। क्या ऐसे में मरने के बाद किसी के आत्मा को शांति या मुक्ति मिलती हैं ? हरगिज़ नहीं मिलती अच्छे व्यक्ति के मरने का अफ़सोस सब जताते हैं यहां तक कि लोग उसके लिए आँशु भी बहाते हैं मगर बुरे को सदा बुरा ही परिणाम मिलता हैं जीते जी भी और मरने के बाद भी।
''अपनों से विश्वासघात करने वाले हो जाए सावधान।'' ( Those Who Betray Their Loved Ones, Beware)
By -
March 14, 2024
2
Often people have become enemies of their own people for the sake of wealth and money. There is no brother-brother relationship anymore; like an enemy, he has become the enemy of his own brother's happiness and his lifeA brother is one who holds his brother's hand in every sorrow and trouble, becomes his shield and stands with him throughout his life. A little money and wealth can never weaken the relationship between brothers as long as they have love and respect for each other in their hearts. Parents are like God for us. The first place and status is given to the parents from whom we have got this life, even before God, but some of today's youth, out of greed and greed, kill their own parents for their own selfishness. They kill them, or throw them out of their own house. Some people, after achieving great heights and success, forget the love and affection shown by their parents and despise them every day, neither give proper food to their parents nor respect them. Husband and wife complement each other, become each other's shadow and support each other throughout their lives in every happiness and sorrow, but in today's youth, all these feelings of honesty, loyalty, truthfulness and trust have become just names. No one is giving respect or love to the sacred relationship between husband and wife. For the sake of their personal interests, husband and wife are breaking each other's trust. Some women kill their husbands for someone else's sake, while at other places the husband betrays and kills his wife for another woman. It is said that the outside world is very cruel. Man can stay safe in his home with his loved ones, but what will happen when one of his own becomes the enemy of his dear ones? Friend means that companion who becomes your charioteer and stays with you every moment. Be it sadness or happiness, true friends always stay together. What a wonderful moment it is when two friends hang out together and eat food together. That moment is a very pleasant and precious moment which you cannot forget. But nowadays even friends have become their friend's worst enemy, sometimes for the sake of a girl and sometimes for the sake of money, they betray or kill their friend. How will anyone benefit from this? A person who carries out his wrong intentions does not think that it is a big sin to cheat someone and play with his trust. Such a person falls forever from the eyes of God. Those who betray someone, ruin their lives with their own hands. By killing someone, you will not gain anything except shame and sorrow. People who betray their loved ones cannot gain anything else. Those who kill a loved one for the sake of money, such people cannot achieve anything because the path of crime is a path of hell and extreme darkness in which the person who goes through it spends his whole life in the same punishment for the sin he has committed. Then even after death, one becomes entitled to God's punishment. Such people neither get love and respect while alive nor after death. Because the people of the society and the world do not express any regret for the death of a criminal, everyone says that it is good that he died, he was the burden of the world and he was the enemy of the lives of his own people. In such a situation, does someone's soul get peace or salvation after death? Everyone regrets the death of a good person and even sheds tears for him. But a bad person always gets bad results, both while alive and after death.
हमें अपनों के साथ हमेशा निस्वार्थ रहना चाहिए और अपनी जान पर खेल कर अपनों साथ देना चाहिए यही सच्चा जीवन है।
ReplyDeleteबहुत प्यारा लेख👍
Thanx 👍Sneha inspirational world.com
Thank you so much....
Delete