आज भी इस दुनिया में कई ऐसे लोग मौजूद हैं जो सही और गलत में भेद नहीं कर पाते हैं। कुछ मनुष्य तो इतने भले स्वाभाव के होते हैं कि उन्हें किसी को ना कहने में संकोच होता हैं और गलत बर्ताव, अन्याय और झूठ को भी चुपचाप सहन कर लेते हैं। मगर इससे कोई भी इंसान महान नहीं कहलाता कि वो किसी के जुल्म को अन्याय को गलत बर्ताव को सहन कर रहा हैंऔर गलत का विरोध नहीं कर रहा हैं। ईश्वर भी सदा यही कहते आए हैं और कहते रहेंगे कि जुल्म,अन्याय, और अधर्म करने वाला तो दोषी हैं ही मगर उससे कई ज्यादा दोषी जुल्म और अन्याय को सहन करने वाला और गलत के लिए आवाज ना उठाने वाला व्यक्ति होता हैं। इसलिए जहाँ पर आपको लगे कि कोई आपके हित की बात नहीं कर रहा या सामने वाला व्यक्ति गलत हैं तो तुरंत उसी वक़्त उसका विरोध करे यदि वो किसी गलत कार्य के लिए आपका साथ मांग रहा उसी वक़्त उसको ना कहने की आदत डाले। एक बार अपने जीवन में संकोच को त्याग कर भय को त्याग कर गलत को ना कहने का प्रयास कर के देखे आपको यक़ीनन बहुत सुकून और प्रसन्नता का अनुभव होगा। ज्यादातर लोग घर से बाहर कि दुनिया में रहना अधिक पसंद करते हैं। क्योकि कुछ लोगो को बाहर कि चकाचोंध दुनिया,भीड़ और नए-नए लोगो से मिलना अच्छा लगता हैं। मगर जो इंसान साफ़ दिल और सरल स्वाभाव के होते हैं उन्हें बाहर कि दुनिया में बहुत सोच समझ कर कदम रखना चाहिए। क्योकि जिन्हे ये पता होता हैं कि आप किसी को जवाब नहीं दे सकते आप किसी को ना नहीं कह सकते वो आपके इस भोलेपन का फायदा उठाते हैं। अक्सर लोग जैसे बाहर से नजर आते हैं हक़ीक़त में वो कुछ अलग ही होते हैं, कोई भी आ कर आपसे ये बिल्कुल नहीं कहेगा कि वो आपका शत्रु हैं सब आपसे मित्र और अपने बन कर ही सामने आते हैं। मगर शत्रु और मित्र को पहचानने की परख तो आपको ही करना होगा। इसके लिए आपको अपनी कमजोरियों को किसी के समक्ष जाहिर नहीं करना चाहिए, ख़ामोशी अच्छी होती हैं मगर कहीं-कहीं पर ख़ामोशी सही नहीं होती, क्योकि बुराई और अन्याय को देख खामोश रहना एक विवेकशील व्यक्ति का पहचान नहीं होता। इसलिए आप अंदर से चाहे कितने भी साफ़ दिल और नेक इंसान हैं मगर बाहर की दुनिया में बुरे लोगो के समक्ष आपको एक कठोर इंसान बन कर ही मिलना उचित होगा। क्योकि चट्टान से कोई भी टकराने की गुस्ताखी नहीं करता क्योकि सबको पता हैं चट्टान से टकराने से चोट और नुकसान उस व्यक्ति को ही होगा चट्टान को तनिक लेस मात्र भी असर नहीं हो सकता। अपना नुकसान कर के दूसरे के गलत कार्यो में उसका साथ देना कोई नेक और महान कार्य नहीं कहलाता। इसलिए जो जैसा हैं उसके साथ वैसा बनना सीखे गलत को सदा गलत ही कहा जाता हैं और गलत इंसान को कभी जीवन में कोई अपना समझ कर ना ही प्यार देता हैं और ना ही सम्मान। जहाँ पर आपके या किसी अन्य के सम्मान कि बात हो वहाँ पर गलत निर्णय और गलत लोगो का विरोध करना सीखे किसी के हक़ के लिए आवाज़ उठाना सीखे और गलत को हमेशा ना कहने की आदत सीखे।
आपका ना कहना किन परिस्तिथियों में जरुरी हैं ? (Under What Circumstances Is It Necessary For You To Say No?)
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March 08, 2024
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Even today, there are many people in this world who are unable to differentiate between right and wrong. Some people are so good natured that they feel hesitant in saying no to anyone and even tolerate misbehavior, injustice and lies silently.But no person is called great because he is tolerating someone's oppression, injustice or misbehavior and not opposing the wrong. God has always said this and will continue to say that the person who commits oppression, injustice and unrighteousness is guilty, but the person who tolerates oppression and injustice and does not raise his voice for the wrong is much more guilty. Therefore, wherever you feel that someone is not working in your interest or the person in front is wrong, then immediately oppose him, if he is asking for your support in any wrong work, make a habit of saying no to him at the same time. Once in your life, give up hesitation, give up fear and try to say no to what is wrong, you will surely feel very relaxed and happy.Most people prefer to live in the world outside their home. Because some people like the glittering world outside, the crowd and meeting new people. But people who have a clean heart and simple nature should step into the outside world very thoughtfully. Because those who know that you cannot answer to anyone, that you cannot say no to anyone, they take advantage of your innocence. Often people are different from how they appear from outside, in reality no one will come and tell you that they are your enemy, everyone comes to you as your friend and your own. But you will have to test yourself to distinguish between friend and foe. For this, you should not reveal your weaknesses to anyone, silence is good but sometimes silence is not right, because remaining silent after seeing evil and injustice is not the mark of a rational person. Therefore, no matter how pure and noble a person you are from within, it would be appropriate to meet bad people in the outside world as a harsh person. Because no one has the audacity to hit a rock because everyone knows that hitting a rock will cause injury and harm only to that person and the rock cannot be affected even by a little bit.Helping others in their wrongdoings by causing harm to oneself is not considered a noble and noble act. Therefore, learn to be as you are with the person you are. Wrong is always called wrong and no one in life ever considers a wrong person as their own and gives them neither love nor respect. When it comes to your or someone else's honor, learn to oppose wrong decisions and wrong people, learn to raise your voice for someone's rights and learn the habit of always saying no to what is wrong.
आपने सही कहा प्रत्येक व्यक्ति को गलत होते देख आवाज उठानी चाहिए और सही गलत का जवाब निसंकोच देना चाहिए। आपका प्रत्येक लेख समाज के लिए प्रेरणादायक होता है। 👍
ReplyDeleteThank you so much...
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