हर इंसान की बस यही ख्वाइश होती हैं कि वो आराम और चैन की जिंदगी जिए मगर उनके कुछ अपने सपने भी होते हैं जिन्हे पूरी तरह मुकम्मल करने के लिए दिन-रात कि कठिन मेहनत की आवश्यकता होती हैं। बिना परिश्रम आपको कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता अगर किसी को प्यास लगी हैं तो उसे अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की आवश्यकता होती हैं और जाहिर हैं आपको बिस्तर पर पड़े-पड़े ना ही खाना मिल सकता हैं ना ही प्यास बुझाने के लिए जल। भोजन पकाएंगे तभी आप अपनी भूख मिटा सकते हैं। बस सोचने से आपको कुछ भी हासिल नहीं हो सकता। परिश्रम सभी के लिए अनिवार्य हैं चाहे कोई देवता हो मनुष्य हो या फिर जीव-जंतु। मगर कुछ लोगो में आलस्य की अधिकता होने कारण वो हर कार्य में सबसे पीछे रह जाते हैं। जैसे कि कुछ लोग अधिक सोने की चाह में सही वक़्त पर नहीं उठ पाते उनकी आलसी स्वभाव उन्हें रोके रखता हैं वो सोचते हैं क्या हुआ थोड़ा और सो लेता हूँ या सो लेती हूँ कौन सा मुझे पहाड़ तोड़ने जाना हैं ? यही आलस्य प्रवृति अधिक निद्रापान ये सब जिस मनुष्य में समाहित होता हैं वो अपने जिंदगी में कभी वक़्त पर किसी भी स्थान पर नहीं पहुँच पाता। जो लोग बस आराम भरा जीवन जीना चाहते हैं वो इस बात से बेखबर हैं की अभी जो दिन-रात सोने की चाह उन्हें आलसी बना रहा एक दिन ऐसा आएगा जब वो जागेंगे तब बहुत देर हो जाएगी वो अपनी मंज़िल और अपने ख्वाबो को आलस्य के कारण खो देंगे। क्योकि जो इंसान अधिक सोता हैं उसका भाग्य भी सो जाता हैं क्योकि अधिक सोना और अपनी नियमित दिनचर्या का उचित पालन ना करना आपका आलसी स्वभाव आपके उन्नति मार्ग का विरोधी बन जाता हैं। आपका भाग्य का सितारा तभी चमक सकता हैं जब आप उसकी पहल स्वयं करते हैं। क्योकि जो मनुष्य अपने भाग्य भरोसे सोए रहता हैं उसका भाग्य भी सो जाता हैं और आपका भाग्य भी यही कहता हैं कि मैं तुमसे ही हूँ, तुम ही मुझे बना और मिटा सकते हो। तुम जो चयन करोगे मैं उसी अनुसार पहल करूँगा यदि तुम आलस्य अपनाओगे और दिन-रात सोओगे तो मैं भी सो जाऊँगा यदि तुम नियमित समय अनुसार जागोगे तो मैं भी तुम्हारे लिए नियमित समय पर जागूँगा। आप खुद सोचिए जब आप देर रात तक जागते हैं अपने समय का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करते आपका आलसी स्वभाव आपको उठने नहीं देता। ना ही आप उचित समय पर उठ पाते हैं और ना ही आपका कोई कार्य उचित समय पर हो पाता हैं। आप स्वयं ही अपना कीमती समय बर्बाद कर लेते हैं। जो समय एक बार चला गया वो दोबारा लौट कर कभी नहीं आता। इसलिए अपने उन्नति के मार्ग में उत्पन्न होने वाले बाधा को दूर करे अपने आलस्य का त्याग करे। क्योकि मनुष्य का उम्र और मनुष्य का कीमती समय कभी उसकी प्रतीक्षा में बैठा नहीं रहता। आपका उम्र भी निकल जाता हैं और आपका कीमती समय भी निकल जाता हैं। इसलिए अपने नियमित दिनचर्या का पालन करे अपने समय की कीमत को पहचाने तभी आप सही समय पर अपनी मंज़िल अपने ख्वाब तक पहुँच पाएंगे।
Because man's age and man's precious time never sit waiting for him. Your age also passes and your precious time also passes. Therefore, follow your regular routine and recognize the value of your time, only then you will be able to reach your destination and your dreams at the right time.
बिल्कुल आपने सही कहा एक मनुष्य की उन्नति तभी हो सकती है जब वह अपने आलस भरे जीवन को छोड़कर निरंतर उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ता रहे आपका प्रत्येक लेख काफी अच्छा होता है जिसे पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteThank you so much....
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