आपकी सफलता के मार्ग को इस दुनिया में कोई भी अवरुद्ध नहीं कर सकता जबतक आपको स्वयं पर विश्वास नहीं होगा, तबतक आप अपने जीवन में कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकते। दुनिया में ना जाने कितने लोगो कि यही समस्या हैं कि उन्हें सबकुछ बिना परिश्रम के ही प्राप्त हो जाए। मगर किसी ने ये नहीं सोचा यदि बिना परिश्रम आपको कुछ भी हासिल हो जाएगा तो उस चीज़ कि कदर आपको कभी नहीं होगी। मगर जो इंसान दिन-रात कठिन परिश्रम करता हैं उसे जब उसके परिश्रम का फल प्राप्त होता हैं उसकी बात ही कुछ और होती हैं और ऐसे मेहनती व्यक्ति की हर कोई प्रसंशा करता हैं। परिश्रम एक ऐसी तपस्या हैं जिसकी अग्नि में जल कर कोई भी मनुष्य हीरे के समान हो जाता हैं जिसकी कोई भी कीमत नहीं लगा सकता। मगर कभी-कभी ऐसा भी होता हैं जब इंसान अपनी सफलता को शीघ्र पाने के जूनून में सही मार्ग से भटक जाते हैं और गलत रास्तो पर निकल पड़ते हैं। लोग इस बात को भूल जाते हैं कि गलत रास्ता जितना सरल और आसान होता हैं। उसकी वापसी उतनी ही कठिन होती हैं, फिर उसके बाद सफलता तो क्या ? आप दो पल की सुकून आराम नींद और चैन सबकुछ गवा देते हैं। आज इस दुनिया में लोग अपने घर के बड़े बुजुर्गो को वो सम्मान और प्यार नहीं देते जिनके वो हक़दार होते हैं तो ऐसे में आप कैसे अपने जीवन को सफल बना सकते हो ? बिना गुरु के आशीष और बिना माता पिता के आशीर्वाद के कोई भी संतान अपने जीवन में सफलता और तरक्की हासिल नहीं कर सकता। आपका कर्म ही आपको कामयाबी दिलाता हैं, और कर्म ही आपको असफलता भी दिलाता हैं। अब प्रश्न बस इतना हैं कि आपने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं या बुरे कर्म किया हैं। नारी का सम्मान करना हर पुरुष का एक महत्वपूर्ण दायित्व होता हैं। जो पुरुष किसी स्त्री को गलत नजरो से देखते हैं और अपनी पत्नी के होते हुए भी पराई अन्य स्त्री को देखते हैं ऐसे दुष्ट व्यक्ति कभी जीवन में सफल नहीं होते ना ही कभी खुशहाल जीवन और प्यार पाते हैं। ये बात एकमात्र पुरुष के लिए ही नहीं स्त्री के लिए भी हैं जो नारी अपने पति को धोखा देती हैं किसी अन्य पुरुष से रिश्ता रखती हैं वो भी आजीवन असफलता के ही मुख देखती हैं ऐसी स्त्री ना ही कभी सच्चा प्यार पाती हैं और ना ही कोई ख़ुशी। आप स्वयं ही अपने मित्र हैं और आप स्वयं ही अपने शत्रु हैं, आपके प्रत्येक विचारधारा आपके आदर्श आपके गुण ही आपको आपका मित्र या शत्रु बनाता हैं। यदि आपने सदैव अच्छे गुणों और आदर्शो को अपनाया हैं तो यही गुण आपको सफल बनाता हैं आपको आपका मित्र बनाता हैं मगर यदि आपने सदैव बुराई और अधर्म को अपनाया हैं तो यही अवगुण आपको आपका ही सबसे बड़ा शत्रु बनाता हैं और असफलता का मुख दिखाता हैं।
इसलिए हमेशा याद रखे आपके असफलता का दोषी ना ही भगवान हैं और ना ही इंसान आपके प्रत्येक कर्म आपकी अच्छी बुरी सोच और स्वयं आप दोषी होते हैं अपनी असफलता के।
Therefore, always remember that neither God nor any person is responsible for your failure, your every deeds, your good or bad thinking and you yourself are responsible for your failure.
प्रत्येक मनुष्य निरंतर अच्छे कर्म करके माता-पिता और बड़े बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए तभी वह अपने जीवन में सफल हो सकते हैं।
ReplyDeleteAbsolutely Right...Thank you.....
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