इस धरा पर कोई भी मनुष्य किसी का दुश्मन नहीं होता। क्योकि सारा खेल मानवी सोच पर आधारित होता हैं। मनुष्य की सोच ही उसे उसकी दिशा प्रदान करती हैं यदि किसी मनुष्य की सोच में एकमात्र जगत कल्याण की भावना उत्पन्न होगी तो वो ना ही किसी का शत्रु हो सकता हैं ना ही कोई और उसका शत्रु हो सकता हैं। क्या आप जानते हैं की आपकी सबसे बड़ी समस्या क्या हैं ? आपकी सबसे बड़ी समस्या आपके ही भीतर मौजूद हैं जिससे आप खुद ही अपने भीतर पाल रहे हैं। जैसे कि आप किसी अन्य को खुश देख नहीं पाते और हर पल बुरे विचारो को अपने भीतर पालते रहते हो जिससे आप स्वयं ही खुद के और दूसरे के शत्रु बन जाते हैं। बच्चे को भगवान का रूप क्यों कहा जाता हैं ? क्योकि उनका ह्रदय निर्मल होता हैं और वो किसी को अपना शत्रु नहीं मानते क्योकि उनको हर पल यही लगता हैं जो उन्हें प्यार दे रहे वो उसके मन की बातो को उनके स्नेह से जान लेते हैं और बच्चे उन्ही के पास ज्यादा रहना पसंद करते हैं जो निर्मल-साफ़ मन व्यक्ति होते हैं। जन्म उपरांत हर बच्चा विकारमुक्त होता हैं उनमे कोई दोष और बुराइयाँ मौजूद नहीं होती तभी अक्सर बच्चो में ईश्वर का वास होता हैं और बच्चे जो कहते हैं वो बाते सत्य होती हैं। फिर जैसे-जैसे उस बच्चे में विकास होने लगता हैं वो बुरी आदतों का शिकार होने लगता हैं। अनेको बुरे विकारो से ग्रसित होने लगता हैं तब उसकी शक्तियाँ छिन्न होने लगती हैं जो उसे ईश्वर ने प्रदान किया था जब उसका जन्म हुआ था। ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि उनकी ही त्रुटि और दोष के कारण वो जो पा सकते हैं, या जो ईश्वर से पाया हैं उसे भी खो देते हैं। आपने देखा होगा जो मनुष्य धर्म के रास्तो को अपनाते हैं वो सदैव सम्मानित जीवन जीते हैं। पैसा,धन -दौलत, और जायदाद ही सब कुछ नहीं होता आपका अच्छा कर्म और अच्छी सोच का ही महत्त्व आपके छवि को दर्शाती हैं कि आप असल में कौन हैं ? यही एकमात्र हैं हर मनुष्य की पहचान। ये तो आप सभी मनुष्य जानते होंगे जहाँ गंदगी का वास होता हैं वहाँ अनेक रोगो, अनेको बुरी नकारात्मक शक्तियों का निवास होता हैं क्योकि कोई दैविक शक्ति गंदगी और अस्वच्छ को पसंद कदापि नहीं करती और ना ऐसे स्थान पर कोई देवी- देवता रहते हैं। ठीक उसी प्रकार यदि कोई मनुष्य अपने भीतर गलत और बुरे सोच को अपनाता हैं तो ईश्वर को स्वयं से दूर कर लेता हैं और ईश्वर भी ऐसे मनुष्यो से कुपित हो कर अपनी कृपा और आशीर्वाद से उन्हें वंचित कर देते हैं। कुछ लोग ऐसा सोचते हैं की ये इंसान इतना बुरा सोचता हैं और तब भी पूजा पाठ करता हैं क्या ईश्वर इससे प्रसन्न होते होंगे ? जवाब हैं बिलकुल नहीं ईश्वर किसी अधर्मी और बुरे व्यक्ति की पूजा-पाठ से ना ही प्रसन्न होते हैं और ना ही उसकी भेट को स्वीकार करते हैं। और एक समय ऐसा भी आने वाला हैं जब ऐसे बुरे और कपटी मनुष्यो का ईश्वर की पूजा और उनके दरबार में कदम रखना भी मुश्किल हो जाएगा जब स्वयं ईश्वर कुपित हो कर ऐसा दंड हर अधर्मी को देंगे। क्योकि स्वच्छ हाथ ही किसी देवी-देवता की पूजा अर्चना कर सकते हैं एकमात्र नहाने से साफ़ वस्त्र धारण करने से कोई शुद्ध और स्वच्छ नहीं होता जबतक कि उसका मन भीतर से निर्मल नहीं होता। इसलिए अपने भीतर छुपे सबसे बड़े शत्रु को नष्ट करे एवं अपने विचारो को एक नई उज्जवल दिशा प्रदान करे, फिर आपकी हर समस्या स्वतः ही दूर हो जाएगी और ईश्वर की कृपा भी आप पर और आपके पुरे परिवार पर बनी रहेगी।
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कौन ? (Who is Human Biggest Enemy?)
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March 01, 2024
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No human being is anyone's enemy on this earth. Because the whole game is based on human thinking. Only a man's thinking gives him his direction. If the sole feeling of welfare of the world arises in a man's thinking, then neither can he be anyone's enemy nor can anyone else be his enemy.Do you know what your biggest problems are? Your biggest problems exist within you and you are harboring them within yourself. As if you are unable to see anyone else happy and keep harboring bad thoughts within yourself every moment, due to which you yourself become an enemy of yourself and others.Why is the child called the form of God? Because their heart is pure and they do not consider anyone as their enemy because they feel the one who is giving them love every moment, they know the things in their heart through their affection and children like to stay more with those who are pure. -There are clean minded people. After birth, every child is free from vices, there are no faults or evils present in them, that is why often God resides in the children and whatever the children say is true. Then as the child starts developing, he starts falling victim to bad habits. When he starts suffering from many bad disorders, his powers start disappearing which were given to him by God when he was born. Most of the people are unaware that due to their own mistakes and faults they lose what they could have achieved or even what they have received from God. You must have seen that people who follow the path of religion always live a respectable life. Money, wealth and property are not everything. Your good deeds and good thoughts are important. Your image reflects who you really are. This is the only identity of every human being.All of you must be aware that where dirt resides, many diseases and many bad negative powers reside there because no divine power likes dirt and uncleanliness, nor do any deities live in such a place. In the same way, if a person adopts wrong and bad thoughts within himself, then he distances God from himself and God also gets angry with such people and deprives them of his grace and blessings. Some people think that this person thinks so badly and still worships, would God be pleased with this? The answer is absolutely no. God is neither pleased with the worship of an unrighteous and evil person nor does he accept his offering.And a time is going to come when it will become difficult for such evil and deceitful people to worship God and even step into His court, when God himself will get angry and give such punishment to every unrighteous person. Because only clean hands can worship any God or Goddess. No one becomes pure and clean just by taking bath and wearing clean clothes unless his mind is pure from within.Therefore, destroy the biggest enemy hidden within you and give a new bright direction to your thoughts, then all your problems will automatically go away and God's blessings will be upon you and your entire family.
आपने सही कहा मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु उसके अंदर छिपी अनेकों बुराइयां हैं जब तक हम अपने अंदर की बुराइयों को नष्ट नहीं करेंगे तब तक हमारा विकास संभव नहीं बहुत ही सराहनीय लेख.. 👍👍
ReplyDeleteThank you so much...
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