इस दुनिया में अनगिनत ऐसे लोग मौजूद हैं जिन्हे अधिक बोलने कि आदत होती हैं मगर कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अत्यधिक बोलना जरुरी नहीं समझते। हर चीज़ कि एक सीमा होती हैं और मनुष्य को अपने दायरे में ही रहकर किसी को कुछ भी बोलना सही होता हैं। मगर ज्यादातर लोग ये सोचते हैं अधिक बोलने से उनकी मान्यता अधिक बढ़ रही हैं मगर ये उनकी सबसे बड़ी भूल हैं। आपने ऐसा देखा और महसूस किया होगा कि जो लोग अधिक बोलते हैं उनके पास लोग ज्यादा रहना पसंद नहीं करते। अधिक बोलने वाले लोग अपने बोलने की धुन में ये नहीं सोचते कि उनकी कौन सी बात किसी को बुरी लग सकती हैं और कौन सी बात उन्हें लोगो के समक्ष नहीं कहना चाहिए जिससे आगे चल कर उन्हें ही समस्या से गुजरना पड़ जाए। कुछ लोग बोलते-बोलते अपने घर के राज़ भी अक्सर किसी अन्य से कह देते हैं बाद में वही लोग उनकी बातो को इधर-उधर फैलाना शुरू कर देते हैं जिससे उनकी और उनके परिवार कि ही बदनामी और निंदा होती हैं। मगर अधिक बोलने वाले लोग इस बात को जल्दी समझ नहीं पाते। मगर अधिक बोलने वालो कि तुलना में कम बोलने वाले व्यक्ति कि एक अलग ही खासियत होती हैं क्योकि उनकी कमजोरियों को उनके व्यवहार को समझ पाना बहुत कठिन होता हैं। मगर जो इंसान अधिक बोलते हैं उनकी हर कमजोरी उनका व्यवहार लोगो के समक्ष उजागर हो जाते हैं जो उनके लिए सही नहीं। कम बोलने वाले व्यक्ति को लोग ज्यादा पसंद करते हैं लोगो को उनके विषय में जानने कि महत्वकांक्षा अधिक बढ़ जाती हैं और कम बोलने वाले लोगो को हर जगह सम्मान दिया जाता हैं। अब किसी रिश्ते कि बात हो या आपके अपनों की किसी भी रिश्ते में दरार उत्पन्न होने कि वजह एकमात्र अधिक बोलना ही होता हैं। कभी-कभी कुछ बातो का जवाब ख़ामोशी से ही देना उचित होता हैं यदि आपको किसी से शिकायत हैं तो आप उनसे लड़ाई या बहस करने कि भूल ना करे क्योकि जो बाते आपकी ख़ामोशी कह देती हैं वो आपके द्वारा कहे शब्द किसी को उसकी भूल का एहसास नहीं करा सकता। क्योकि जब आप अधिक बोलते हैं तो आपका सम्मान किसी की भी नजरो में कम हो जाता हैं मगर यदि आप खामोश रह कर सही वक़्त कि प्रतीक्षा करते हैं आपका विनम्र और शांत स्वाभाव सबको आपकी तरफ आकर्षित करता हैं। लोग यही सोचते हैं कि मैंने उसे क्या कुछ नहीं कहा मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया ना ही मुझसे बहस कि मुझे उसके साथ ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए था बाद में वो व्यक्ति आपसे खुद ही माफ़ी मांगता हैं. क्योकि ये आपकी सौम्यता और आपकी ख़ामोशी का ही परिणाम हैं जो किसी को भी आपकी तरफ झुकने पर मजबूर कर देता हैं।
There are countless people in this world who have the habit of speaking too much, but there are some people who do not consider it necessary to speak too much.Everything has a limit and it is right for a person to say anything to anyone while remaining within his limits. But most of the people think that by speaking more, their recognition is increasing but this is their biggest mistake.You must have seen and felt that people do not like to be around people who talk a lot. People who speak too much do not think about what they say that might offend someone and what they should not say in front of people so that they may have to face problems in the future.Some people often tell their family secrets to someone else while speaking, later the same people start spreading their words here and there, which brings defamation and condemnation to them and their family.But people who speak a lot are not able to understand this quickly. But a person who speaks less has a different specialty as compared to someone who speaks more because it is very difficult to understand their weaknesses and their behaviour. But people who speak too much, their every weakness and their behavior gets exposed in front of people which is not good for them.People like people who speak less, their ambition to know about themselves increases and people who speak less are respected everywhere.Now whether it is about any relationship or any relationship between your loved ones, the only reason for rift is speaking too much. Sometimes it is appropriate to answer some things with silence. If you have a complaint with someone, then do not make the mistake of fighting or arguing with them because what your silence says is the words you say, which can make someone realize his mistake. can't do it.Because when you speak too much, your respect reduces in anyone's eyes, but if you remain silent and wait for the right time, your humble and calm nature attracts everyone towards you. People think that I did not tell him anything but he did not answer nor did he argue with me that I should not have behaved like this with him. Later the person himself apologizes to you. Because it is the result of your gentleness and your silence that forces anyone to bow towards you.
हर व्यक्ति को सब जगह बोलना उचित नहीं होता कम बोलना भी कभी-कभी हमारे लिए फायदेमंद होता है। बहुत प्यारा लेख 👍
ReplyDeleteThank you...
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