इस जगत को बनाने वाले उस परमपिता परमात्मा को जान पाना और समझ पाना इतना सरल नहीं। ईश्वर को एकमात्र वही जान पाता हैं जिसका ह्रदय निर्मल और साफ़ होता हैं। ना जाने लोग ईश्वर को पत्थरो में क्यों ढूँढ़ते हैं ? ईश्वर तो आप सबके ही आस पास किसी ना किसी रूप में मौजूद होते हैं। ये कोई क्यों नहीं सोचता कि जिस ईश्वर ने इतनी कठिनाइयों से समस्त जीव प्राणी कि संरचना की,इस सम्पूर्ण जगत को बनाया ताकि उनके भक्त उनकी सन्तानो को कोई कष्ट और कोई कमी महसूस ना हो। कभी सोचा हैं आप सब ने जो ईश्वर अपने भक्तो को बिन मांगे इतना कुछ देते हैं भला उन्हें आपके चढ़ावे का क्या काम ? जो चढ़ावा और अनेको भोग प्रसाद आप ईश्वर को चढ़ा रहे हो वही भोग और दान आप किसी गरीब असहाय व्यक्ति को यदि प्रदान करोगे तो इससे ईश्वर भी आपके कर्मो से प्रसन्न होंगे और वो गरीब जरूरतमंद व्यक्ति कि भी दुआएं आपको प्राप्त होगी। मगर इस धरा पर लोग दिखावा अधिक और किसी की सहायता कम करते हैं। मेरी कुछ प्रश्नो पर स्वयं विचार करे। जिस ईश्वर ने आपको और समस्त जीव प्राणी,पशु-पक्षी,पेड़-पौधे सबका निर्माण किया उस ईश्वर ने किसी में कोई भेदभाव नहीं किया क्योकि ईश्वर कि नजरो में कोई छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब नहीं होता। ईश्वर प्रत्येक जीवों को एक समान प्यार करते हैं। यदि ईश्वर के भक्त किसी में भेदभाव करे या किसी कि समस्या में दुःख में उनकी सहायता ना करे तो उस ईश्वर के आत्मा को ठेस अवश्य पहुँचेगी फिर ईश्वर को अनेको भोग और चढ़ावा भेट कर आप क्या हासिल कर लोगे ? ये बाते एकमात्र लिखित बाते नहीं हैं ये एक अटल सत्य हैं ईश्वर कि आत्मा कि वाणी हैं जो वो सदा कहते आए मगर ईश्वर के कुछ भक्तो ने उसे अनदेखा किया हैं। सदैव याद रखे जिसने खुद कि खामियों को पहचाना हैं वही ईश्वर को जाना हैं। ईश्वर तो कब किस रूप में व्याप्त हो किसी को अनुमान भी नहीं हो सकता। चाहे कोई भी युग हो सतयुग हो या कलयुग ईश्वर किसी भी काल में किसी भी रूप में कहीं भी मौजूद हो सकते हैं। अपने भूले भटके सन्तानो को सही मार्ग पर लाने के लिए उन्हें सही पाठ पढ़ाने के लिए ईश्वर किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं। जिन परिवारों में आपसी रिश्ते मजबूत होते हैं जिनके दिलो में अपने परिवार के लिए सदा सम्मान और प्यार का वास होता हैं ऐसे घरो में ईश्वर का भी निवास होता हैं। जिनके मन में सदा बुराई और अनीति बसती हैं जो सदा अपने परिवार से छल करते हैं उनसे घृणा करते हैं जिन घरो में सदैव लड़ाई-झगड़े कलह होते रहते हैं। ऐसे अपवित्र स्थान पर ना ही ईश्वर निवास करते हैं और ना ही ईश्वर की कृपा ऐसे परिवारों पर बरसती हैं। ऐसे घरो में सदैव बुरी नकारात्मक शक्ति का निवास होता हैं ऐसे घरो की रौनक और खुशियाँ भी दूर चली जाती हैं। बुराई को अपना कर अपने बुजुर्ग माता पिता को अपमानित कर यदि कोई ईश्वर कि भक्ति का ढोंग करता हैं अपने घरो में ईश्वर की पत्थर की मूर्ति की पूजा और भक्ति कर ये सोचता हैं कि ईश्वर उससे प्रसन्न हो रहे हैं तो ये उनकी भूल हैं। माना कि कलियुग के कालचक्र में ईश्वर कि अनुकम्पा पर सवाल उठ रहे कि ईश्वर हैं भी या नहीं तो ईश्वर को बताना नहीं पड़ता कि वो ईश्वर हैं और उनकी शक्तियों और महिमा का पार क्या हैं ? हो सकता हैं वो यही कहीं आप सबके करीब हो।
It is not so easy to know and understand the Supreme Father God who created this world. Only he can know God whose heart is pure and clean. I don't know why people look for God in stones? God is present around all of you in some form or the other. Why doesn't anyone think that the God who created all the living beings with so much difficulty, created this entire world so that His devotees and their children do not feel any pain or any lack.Have you all ever thought that what is the use of your offering to the God who gives so much to his devotees without even asking? If you give the same offerings and donations to a poor and helpless person as you are offering them to God, then God will also be pleased with your deeds and you will receive the blessings of that poor needy person. But on this earth people show off more and help others less. Consider some of my questions yourself. The God who created you and all the living beings, animals, birds, trees and plants, did not discriminate between anyone because in the eyes of God no one is big or small or rich or poor. God loves every living being equally. If a devotee of God discriminates against someone or does not help someone in their problem or sorrow, then the soul of that God will definitely be hurt. Then what will you achieve by offering many offerings to God? These things are not the only written things, they are an unchangeable truth, they are the words of the Spirit of God which He has always been saying but some of the devotees of God have ignored them. Always remember that only the one who has recognized his own shortcomings can know God. No one can even guess when and in what form God will be present. Be it any era, be it Satyayuga or Kaliyuga, God can be present anywhere in any form at any time. God can appear in any form to teach the right lessons to His misguided children to bring them on the right path. God also resides in those families where mutual relationships are strong and where there is always respect and love for their family in their hearts. Those who always harbor evil and unrighteousness in their minds, who always cheat their families, hate those who always have fights and quarrels in their homes. Neither God resides in such an unholy place nor does God's blessings shower on such families. Bad negative energy always resides in such houses and the beauty and happiness of such houses also goes away. If someone pretends to worship God by adopting evil and insulting his elderly parents and by worshiping and worshiping the stone idol of God in his home and thinks that God is pleased with him, then it is his mistake. It is believed that in the time cycle of Kaliyuga, questions are being raised on the mercy of God whether God exists or not, then God does not have to tell that He is God and what is the extent of His powers and glory? Maybe he is somewhere here, maybe he is close to all of you.
ReplyDeleteईश्वर मूर्ति में नहीं ईश्वर तो हम सब के दिल में है ईश्वर तो कण-कण में व्याप्त है।
बहुत ही सुंदर लेख 👍
Thank you so much..
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