क्यों नवरात्रि मानी जाती हैं पाप और अधर्म के अंत का प्रतिक ? ( Why is Navratri Considered a Symbol of the End of Sin and Unrighteousness?)

Snehajeet Amrohi
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सभी भक्तों को चैत्र माह की नवरात्रि और हिन्दू सनातन नववर्ष की ढेरों शुभकामनाएं। 

इस वर्ष चैत्र माह की नवरात्रि कि शुरुआत 09/04 2024 मंगलवार के दिन होने जा रही। 09 अप्रैल 2024 के दिन हिन्दू सनातन नववर्ष की शुरुआत भी हो रही। देवी दुर्गा हर दुर्गति और बुराई का अंत करती हैं नवरात्रि में देवी के नव रूपों का आवाहन कर उनकी पूजा अर्चना व्रत अनुष्ठान किए जाते हैं। नवरात्रि विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण है और इसका एक सामान्य अर्थ है, यानी बुराई पर अच्छाई की जीत। चैत्र नवरात्रि में, राक्षस महिषासुर, जिसने सभी देवताओं को पराजित किया था, अंततः वो असुर देवी दुर्गा द्वारा मारा गया था।चैत्र नवरात्रि में, 9 वां दिन  राम नवमी  के रूप में, जिस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था मनाया जाता है। शरद नवरात्रि में, 10वें दिन को विजयादशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है, जिस दिन भगवान राम ने राक्षस राजा रावण का वध किया था। हिंदू संस्कृति में नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण और शुभ त्योहारों में से एक है जिसे बहुत खुशी, और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह 9 दिनों का त्यौहार है। एक वर्ष में चार नवरात्रि होती हैं, हालांकि, उनमें से दो को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। पहला चैत्र नवरात्रि है जो अप्रैल या मार्च के महीने में होता है। दूसरी शारदीय नवरात्रि है जो अक्टूबर या सितंबर के महीने में आती है।भक्त इस त्योहार पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। उत्सव पहले दिन से शुरू होता है जब नवरात्रि स्थापना का अनुष्ठान किया जाता है। इस विशेष दिन पर, लोग एक बर्तन में जौ के बीज बोते हैं और उस बर्तन को एक पवित्र स्थान पर अलग रख दिया जाता है जहां नौ दिनों तक प्रार्थना की जाती है। ये बीज छोटे अंकुरों में विकसित होते हैं जिन्हें बाहर निकाला जाता है भक्तो को प्रदान किया जाता हैं।  कलश स्थापना या घटस्थापना को सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है जो नवरात्रि  उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। कलश स्थापित कर देवी का आह्वान करने की रस्म निभाई जाती है। भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और अखंड ज्योति भी जलाते हैं जो उत्सव के पूरे नौ दिनों तक जलाई जाती है। कलश स्थापित करके नवरात्रि स्थापना का अनुष्ठान करने का सबसे शुभ और महत्वपूर्ण समय प्रतिपदा के दौरान किया जाता है। यदि यह संभव न हो तो अभिजीत मुहूर्त में भी अनुष्ठान किया जा सकता है। हर त्यौहार अपने साथ एक खास सन्देश ले कर आता हैं। नवरात्रि का त्यौहार देवी दुर्गा को इसलिए समर्पित हैं क्योकि जब पाप और अधर्म अपनी चरमसीमा पार कर चूकि थी जब अहंकार और अन्याय अपना आतंक का विस्तार कर लोगो को भयभीत कर रहा था जब स्त्रियों का अपमान और उनका शोषण किया जा रहा था,जब एक अहंकारी अधर्मी खुद को सर्वोच्च समझने कि भूल कर रहा था हर स्त्री को अबला समझ कर अपने आतंक से उन्हें सता रहा था तब उस पापी के अहंकार को मिटाने उसके पाप और अधर्म के बोझ से धरती को मुक्त करने एक स्त्री ने अवतार धारण कर उस अधर्मी राक्षस का अंत किया और सम्पूर्ण जगत की रक्षा की वो स्त्री कोई और नहीं बल्कि देवी आदिशक्ति थी जिन्होंने कात्यायनी अवतार ले कर महृषि कात्यान की पुत्री के रूप में जन्म लिया और दुष्ट महिषासुर का अंत किया। संसार को पाप और अधर्म के साम्राज्य से मुक्त कराया। 



Best wishes to all the devotees on Navratri of Chaitra month and Hindu Sanatan New Year.

This year Navratri of Chaitra month is going to start on Tuesday 09/04 2024. Hindu Sanatan New Year is also starting on 09 April 2024.Goddess Durga ends every misery and evil. During Navratri, new forms of Goddess are invoked and worship and fasting rituals are done.Navratri is a mixture of different cultures and has a common meaning, i.e. the victory of good over evil. In Chaitra Navratri, the demon Mahishasura, who defeated all the gods, was finally killed by Goddess Durga. In Chaitra Navratri, the 9th day is celebrated as Ram Navami, the day Lord Ram was born. In Sharad Navratri, the 10th day is celebrated as Vijayadashami or Dussehra, the day Lord Rama killed the demon king Ravana.
Navratri is one of the most important and auspicious festivals in Hindu culture which is celebrated with great joy, enthusiasm and enthusiasm. It is a 9 day festival. There are four Navratris in a year, however, two of them are considered highly important. The first is Chaitra Navratri which is in the month of April or March. The second is Shardiya Navratri which falls in the month of October or September. Devotees worship and worship nine different forms of Goddess Durga on this festival. The festivities begin from the first day when the Navaratri Sthapana ritual is performed. On this special day, people sow barley seeds in a pot and that pot is set aside at a sacred place where prayers are offered for nine days. These seeds develop into small sprouts which are taken out and offered to the devotees. Kalash Sthapana or Ghatasthapana is considered to be the most important ritual which marks the beginning of the celebration of Navratri festival. The ritual of invoking the Goddess is performed by installing the Kalash. Devotees recite Durga Saptashati and also light the Akhand Jyoti which is lit for the entire nine days of the festival. The most auspicious and important time to perform the Navratri establishment ritual by installing the Kalash during Pratipda. If this is not possible then the ritual can also be performed in Abhijeet Muhurta. Every festival brings with it a special message. The festival of Navratri is dedicated to Goddess Durga because when sin and unrighteousness had crossed their limits, when arrogance and injustice were spreading their terror and scaring people, when women were being insulted and exploited, when an arrogant The unrighteous man was making the mistake of thinking of himself as supreme and was tormenting every woman by considering them as helpless and with his terror. Then, to destroy the ego of that sinner and free the earth from the burden of his sins and unrighteousness, a woman incarnated and defeated that unrighteous demon. That woman was none other than Goddess Adishakti who took the incarnation of Katyayani and was born as the daughter of sage Katyayan and ended the evil Mahishasura.Freed the world from the empire of sin and unrighteousness.














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  1. आदिशक्ति की शक्ति अनंत है, वह तो पूरे संसार की पालन करता है पूरे संसार की रखवाली करने वाली है इसलिए आदिशक्ति को पूरे संसार में नवरात्रि के नौ रूपों में पूजा जाता है। 💐🙏

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