आप मंदिरो में तो जाते हैं ईश्वर के समक्ष हाथ तो जोड़ते हैं शीश झुका कर उन्हें नमन तो करते हैं मगर उन्ही ईश्वर पर उनकी अनुकम्पा पर आपको संदेह भी होता हैं। जब आपका कोई कार्य पूर्ण नहीं होता जब आपकी कोई अभिलाषा पूर्ण नहीं होती तो आप नकारात्मक विचारो के घेरे में आ जाते हैं। कुछ लोग तो ईश्वर को अनेको अशब्द वचन यहाँ तक कि गाली भी देते हैं ऐसे लोग ईश्वर के भक्त कदापि नहीं हो सकते ना ही एक नेक दिल इंसान हो सकते हैं। कुछ लोगो को ये संदेह हैं कि ईश्वर इस धरा पर मौजूद नहीं जितनी मर्ज़ी कुछ भी कह दो अपमान कर लो या कोई अपराध ईश्वर दंड देने नहीं आ रहे। कुछ लोग झूठ इस तरह बोलते हैं जैसे उनके जैसा सच्चा व्यक्ति कोई अन्य मौजूद हैं ही नहीं। मगर झूठे लोगो को ना तो ईश्वर का स्नेह प्राप्त होता हैं ना ही उन्हें दुनिया में किसी का सम्मान प्राप्त होता हैं। जैसे आप मनुष्य के जीवन की एक सीमा और उम्र तय होती हैं ठीक वैसे झूठ,अपराध,पाप और अधर्म की भी एक उम्र और सीमा तय होती हैं प्रत्येक चीज़ कि एक सीमा होती हैं यदि वो सीमा से बाहर गया तो उसका अंत अवश्य होता हैं। मनुष्य भले ही अपने उसूलों को अपने नियमो को परिवर्तित कर लेते हैं मगर ईश्वर के न्याय और नियम कभी नहीं बदलते जो युगो-युगो से होता आया हैं वही होते चला आएगा ईश्वर के न्याय पर कभी कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा पाएगा। जिनके बदौलत आज सभी जीव प्राणियों को ये जीवन मिला हैं जिनके बदौलत आज सभी मनुष्य पृथ्वी पर टिके हैं उनके एहसान मानने शुक्रिया अदा करने कि जगह यदि कोई उनकी निंदा कर रहा तो वो स्वयं ही अपने भाग्य के दरवाज़े बंद कर रहा। कई पुराणों में कई ग्रंथो में आपने पढ़ा और सुना होगा जब भी कोई पापी और अधर्मी संसार में विस्तार बढ़ाता हैं तथा ईश्वर को चुनौती देने की चेष्टा करता हैं तो ईश्वर सर्वप्रथम उसे विनम्रतापूर्वक समझाने का प्रयत्न करते हैं मगर जब वो अधर्मी अहंकार मे आ कर ईश्वर को ललकारता हैं तो ईश्वर एक पल में उसके अहंकार का दमन कर उसका सर्वनाश कर देते हैं। कुछ बनावटी बाते जो आजकल आप ईश्वर के बारे में फिल्मो में नाटकों में देखते हैं वो पूरा सत्य नहीं होता हैं फिर भी आप उन पर यक़ीन कर बड़े दिलचस्पी के साथ सभी फिल्म और धारावाहिक देखते हैं। जब आपके घरो में आपके अपने आपकी भावनाओं को ठेस पहुँचाने का प्रयास करते हैं तो आपको बहुत तकलीफ़ होती हैं आपको ऐसा महसूस होता जैसे आपका सम्मान कोई नहीं करता जबकि आपने सबके भले के लिए सोचा हमेशा सबका ख्याल रखने का पूरा प्रयास किया फिर भी ऐसा क्यों हो रहा आपके न्याय और प्यार पर ही प्रश्नचिन्ह आज क्यों लगाए जा रहे ? ईश्वर तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के रखवाले हैं सभी प्राणियों के रखवाले हैं तो उन्ही जगतपिता पे संदेह करना उनके होने ना होने का प्रमाण ढूँढना ये आप मनुष्यो की भूल नहीं तो फिर क्या हैं ? कलयुग में इतने पाप और अधर्म हुए हैं जिससे ईश्वर को देख पाना किसी के लिए भी संभव नहीं जहाँ पुण्य आत्माओं का निवास होता हैं, ईश्वर एकमात्र उन्हें ही महसूस हो सकते हैं उनकी दिव्यता एकमात्र इस धरा के पुण्य कर्म करने वाले प्राणियों को प्रत्यक्ष महसूस हो सकती हैं किसी अन्य को नहीं। कौन जाने समय का चक्र कब गति परिवर्तित कर आगे बढ़ जाए जो आज सबको असंभव प्रतीत हो रहा कल वही संभव हो जाए फिर यक़ीनन सबका संदेह सबके प्रश्नचिन्ह उन मनुष्यो के लिए ही एक प्रश्न बन जाएंगे जब ईश्वर अपने होने का प्रमाण छोड़ जाएंगे। आजकल कुछ चैनेलो पर आए दिन लोग कहते हैं मैं कल्कि अवतार हूँ या मुझमे ईश्वर की अनंत शक्ति हैं मैं सबका,भूत,भविष्य,वर्तमान सब जानता हूँ ऐसे लोगो पर यक़ीन कर आप ना जाने कितने पंडितो के बताए उपाय तांत्रिको के बताए उपाय कर अपना पैसा और जीवन दांव पर लगा रहे हैं अभी भी वक़्त हैं संभल जाए सतर्क हो जाए। यदि तांत्रिको और पंडितो में इतनी शक्ति हैं तो क्यों वो अपना भविष्य क्यों नहीं सवार रहे ? क्यों वो आपके भविष्य की इतनी चिंता कर रहे ?
ईश्वर जिस भी अवतार में अवतरित हो उन्हें बतलाना नहीं पड़ेगा मैं कौन हूँ मैं ही ईश्वर हूँ वो समय आने पर स्वतः ही सबके समक्ष उजागर हो जाएगा क्योकि सत्य को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती और ईश्वर सत्य हैं उनको ढूँढ़े नहीं समझने का प्रयास करे। ईश्वर का अवतार और ईश्वर की लीला एक रहस्य हैं, जिसे ईश्वर गुप्त रखते हैं वो सबसे कहते नहीं फिरते मैं ईश्वर हूँ वो जिस उदेश्य से अवतरित होते हैं उस उदेश्य को पूर्ण कर इस धरा से अदृश्यमान हो जाते हैं ना ही ईश्वर को किसी प्रचार की आवश्यकता हैं और ना ही किसी के प्रसंशा की। ईश्वर के अवतार का जीवन आपसे कहीं ज्यादा कठिन और चुनौतियों से भरा होता हैं, जिसे सरलता से समझ पाना कठिन हैं।
जैसा कि सबको पता हैं जब प्रभु भक्तो पर अत्याचार होता हैं पाप और अधर्म का विस्तार होता हैं तब इस धरा पर ईश्वर का आगमन तथा उनका अवतार किसी ना किसी रूप में अवश्य होता हैं।
In whatever form God incarnates, he will not have to explain who I am, I am God, when the time comes, it will automatically be revealed to everyone because truth does not require any proof and God is the truth, there is no need to search him, try to understand him.The incarnation of God and the play of God are a mystery, which God keeps secret, He does not tell everyone, I am God, He fulfills the purpose for which He incarnates and becomes invisible from this earth, nor does God need any publicity. There is no need for anyone's praise.The life of God's incarnation is more difficult and full of challenges than you, which are difficult to understand easily.
As everyone knows, when God's devotees are persecuted, sin and unrighteousness spread, then the arrival of God and His incarnation on this earth definitely happens in some form or the other.
बहुत ही प्रेरणादायक लेख इस लेख में ईश्वर की दिव्य शक्ति का जो आपने वर्णन करा है, उसे जानकर मैं काफी खुश हूं। आपका प्रत्येक लेख प्रेरणादायक होता है। 👍
ReplyDeleteThank you so much.....
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