हो जाए सतर्क जो कर रहे ऐसी भूल। ( Be Careful Who are Making Such Mistakes.)

Snehajeet Amrohi
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चाहे कोई मनुष्य हो पशु पक्षी हो पेड़ पौधे हो या कोई अन्य प्रत्येक जीवो से ईश्वर एक समान स्नेह करते हैं। एक माँ अपने सभी बच्चों से एक समान स्नेह करती हैं एक माँ कभी अपनी संतान में कोई भेदभाव नहीं करती हैं। माँ की ममता का कोई पार नहीं। जब एक साधारण स्त्री की ममता इतनी अगाढ़ होती हैं तो जो समस्त ब्रह्माण्ड की माता हैं सभी जीवों कि  माता हैं उनकी ममता कि सीमा का पता लगा पाना किसी के बस कि बात नहीं। क्योकि उस जगतमाता कि ममता तो एक ऐसा महासागर हैं जो ना ही कभी खाली हो सकता हैं और ना ही कभी कम। मगर जो संतान अपने सही मार्ग से भटक जाए और समझाने के बावजूद भी यदि वो गलत और अनुचित मार्ग का परित्याग ना करे तब ना चाह कर भी उस जगतमाता को उस संतान को उसके पाप और अपराध को रोकने हेतु उसका अंत करना ही पड़ता हैं। जो इस संसार में आजकल इतना प्रचलित हैं हर नवरात्रि के अष्टमी पूजन से ले कर नवमी तथा दशमी, लोग देवी को बलि भेट करने की जो परम्परा निभाते हैं,और ये सोच कर प्रसन्न होते हैं,कि इस तरह एक निर्दोष पशु की बलि से देवी उनसे प्रसन्न हो जाएगी और उनकी सभी मनोरथ को पूर्ण कर देगी तो ये उन मनुष्यो कि बहुत बड़ी भूल हैं। बल्कि ऐसा करने से वो देवी को और दुःखी तथा कुपित कर रहे हैं जिसका अनुमान उन मनुष्यो को नहीं हैं। जब किसी कि कोई मनोकामना पूर्ण नहीं हो पाती तो वो अक्सर ऐसी भूल करते हैं देवी को बलि भेट कर उनसे याचना करते हैं ताकि शीघ्र देवी उनकी मनोकामना सिद्ध करे। क्या आपको नहीं पता कि एक निर्दोष पशु की हत्या करना अपने स्वार्थ के लिए उसकी बलि देना कितना बड़ा पाप और अधर्म कहलाता हैं ? क्या एक माँ अपनी किसी संतान को ऐसे कष्ट और दर्द में देख प्रसन्न हो सकती हैं ? भले ही आपके लिए कोई भी पशु पक्षी मायने नहीं रखते उनका जीवन भी आपके लिए मायने नहीं रखता मगर समस्त जगत को ऊर्जा और जीवन देने वाली वही जगतमाता हैं जो समस्त प्राणियों में ऊर्जा शक्ति का संचार करती हैं चाहे कोई पशु हो या इंसान उनकी नजरो में सब एक समान हैं उनकी ममता सभी के लिए एक बराबर हैं। यदि समय रहते मनुष्य इस परम्परा को नहीं रोके तो वो दिन दूर नहीं जब वो सौम्य ममता एक रौद्र रूप में आ कर उन सभी का नाश कर देगी जो ऐसी जघन अपराध करने कि भूल कर रहे। वो असहाय बेचारे निर्दोष पशु ने तुम सबका क्या बिगाड़ा हैं जो उसे बलि का भेट चढ़ा कर उसका जीवन उससे छीन रहे ? जरा विचार करो यदि तुमने कोई जुर्म और अपराध नहीं किया मगर निर्दोष होते हुए भी कोई तुम्हे क्षति पहुँचाए या तुम्हे कष्ट दे तो तुम्हारे ऊपर क्या गुजरेगी ? क्या किसी अपने प्रिय जन को कष्ट में तड़पते देख आपको कभी प्रसन्नता हो सकती हैं ? तो उस जगतमाता को कैसे प्रसंन्नता होगी जिसने सभी को जीवन दिया, जिसने सबका निर्माण कर इस धरा पर भेजा ? अपने निजी स्वार्थ कि पूर्ति हेतु किसी कि जिंदगी उससे छीन लेना एक पाप हैं इससे किसी को कभी मुक्ति नहीं मिलती ना ही क्षमा। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो संसार के लिए ये घातक सिद्ध हो सकता हैं। ऐसा पाप और अधर्म कर एक निर्दोष पशु हत्या कर लोग यदि ये समझ रहे कि वो बलि भेट कर देवी को प्रसन्न कर रहे तो ये उनकी मूर्खता हैं। मंदिरो में किसी निर्दोष जीव पशु हत्या करना देवी को उस निर्दोष कि बलि भेट करना उस मंदिर को अपवित्र करना कहलाता हैं देवी को प्रसन्न करना नहीं। एक ये भी कारण हैं जो इस कलयुग में देवी के मंदिरो में बस वो पत्थर कि मूर्ति ही बची हैं उसकी शक्ति छिन्न हो गई देवी,देवता वही मौजूद होते हैं जहाँ पर पवित्रता का वास होता हैं तथा जहाँ पर धर्म का वर्चस्व होता हैं। और धर्म यही कहता हैं किसी निर्दोष जीव या पशु कि हत्या करना आपको पाप का अधिकारी बना देता हैं। 



Be it a human being, animal, bird, tree, plant or any other living being, God has equal love for all living beings.A mother loves all her children equally; a mother never discriminates among her children. There is no limit to mother's love. When the love of an ordinary woman is so deep, then it is not possible for anyone to know the limits of her love who is the mother of the entire universe and the mother of all living beings. Because the love of that world mother is such an ocean which can neither become empty nor diminish.But if the child deviates from the right path and despite being explained, does not abandon the wrong and inappropriate path, then even against his wish, the World Mother has to destroy that child to stop him from his sins and crimes.Which is so prevalent in this world these days, from the Ashtami Puja of every Navratri to the Navami and Dashami people follow the tradition of offering sacrifices to the Goddess, and they are happy to think that by sacrificing an innocent animal in this way, the Goddess gets blessings from them. If she becomes happy and fulfills all their wishes then it is a big mistake of those people.Rather, by doing this they are making the Goddess more sad and angry, which those humans have no idea about. When someone's wish is not fulfilled, they often make the mistake of offering sacrifices to the Goddess and pleading with her so that the Goddess fulfills their wish soon. Don't you know how big a sin and unrighteousness it is to kill an innocent animal and sacrifice it for one's own selfishness? Can a mother be happy seeing one of her children in such suffering and pain? Even if any animal or bird does not matter to you, their life also does not matter to you, but the one who gives energy and life to the entire world is the same Jagatmata who transmits energy power to all the living beings, be it an animal or a human being, in her eyes. Everyone is equal, Her love is equal for everyone.If humans do not stop this tradition in time, then the day is not far when that gentle love will come in a fierce form and destroy all those who are making the mistake of committing such heinous crimes. What harm has that helpless innocent animal done to all of you that you snatch its life away after offering it as a sacrifice? Just think, if you have not committed any crime but despite being innocent, someone harms you or hurts you, then what will happen to you? Can you ever feel happy seeing a loved one suffering? So how will that Mother World be pleased who gave life to everyone, who created everyone and sent them to this earth? Taking away someone's life to fulfill one's personal interest is a sin and no one ever gets salvation or forgiveness from it. If it is not stopped in time, it can prove fatal for the world. By committing such a sin and injustice and killing an innocent animal, if people think that they are pleasing the Goddess by offering the sacrifice, then it is their foolishness. Killing any innocent animal or animal in the temple, offering sacrifice to the goddess is called desecrating the temple, not pleasing the goddess.

 This is also the reason that in this Kalyug, only those stone idols are left in the temples of Goddesses, their power has been snatched away. Goddesses and Gods are present only where purity resides and where religion dominates. And religion says that killing an innocent creature or animal makes you guilty of sin.

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  1. संसार के मनुष्य की यह सबसे बड़ी भूल है कि एक पशु की हत्या कर वह किसी देवी देवता को प्रसन्न कर रहे हैं वह तो पाप के भागी बन रहे हैं इसके लिए उन्हें बहुत- बडा़ दंड मिलेगा
    सबसे बड़ी पूजा है कर्म❤

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