हो जाती हैं मातारानी कुपित जो नवरात्रि पर करते ऐसी भूल। ( Goddess Mother Queen Gets Angry With Those Who Commit Such Mistakes On Navratri.)

Snehajeet Amrohi
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नवरात्रि नौ दिनों का अनुष्ठान होता हैं जिसमे देवी जगदम्बा के नौ स्वरुप की पूजा अर्चना की जाती हैं। भक्त नवरात्रि के प्रत्येक दिन बहुत श्रद्धा और भक्ति भाव से देवी का अनुष्ठान और पूजन करते हैं।

 इस दुनिया में हर जगह के लोग अपने अलग नियमो से पूजन  अनुष्ठान किया करते हैं। कुछ पंडित ऐसे भी मौजूद हैं जिन्हे पूजन और अनुष्ठान की सटीक जानकारी भी नहीं होती मगर स्वयं भी भूल करते हैं और भक्तो से भी भूल करवाते हैं। 

कुछ ऐसे लोग हैं जो नवरात्रि के अष्टमी तिथि के दिन ही हवन कर देते हैं मगर जरा विचार करे देवी के नवरात्रे जब नौ दिनों तक विधिवत मनाने की परम्परा चली आ रही जिसमे हर दिन देवी के विभिन्न नौ स्वरुप की पूजा की जाती हैं तो अष्ठमी के दिन हवन करना ये सिद्ध करता हैं की देवी के नौ रूप में जो नवम रूप हैं आप उनका जाने-अनजाने अपमान कर रहे हैं या तो आपको अपना अनुष्ठान जल्दी खत्म करने की तथा देवी को जल्दी विदा करने की शीघ्रता हैं।

क्या आपने कभी सोचा हैं हवन पूजा अनुष्ठान के पूर्ण होने के पश्चात किया जाता हैं तो क्या अष्टमी को ही आपका सम्पूर्ण अनुष्ठान पूर्ण हो गया ? क्या मातारानी के नवम रूप का कोई महत्व आपके लिए नहीं हैं ? ये भूल ही आपको मातारानी की कृपा और आशीर्वाद से वंचित रख जाता हैं। नवमी के दिन पूजन कर हवन करे हवन के बाद आरती करे। पंडितो के बातो में आ कर कुछ लोग जाने-अनजाने एक भूल कर जाते हैं यही भूल उनके लिए पछतावा बन जाता हैं। सत्य तो इस संसार में मनुष्य भुला ही चूके हैं। 

सदैव याद रखे सम्मान ,प्यार ,कृपा और आशीर्वाद माँगा नहीं जाता ये सब किसी को तभी प्राप्त होते  हैं जब उसमे उसे पाने के गुण मौजूद हो अन्यथा नहीं। जो पंडित जबरदस्ती भक्तो से दान मांगते हैं वो पंडित स्वयं ही ईश्वर की दृष्टि में छोटे हो जाते हैं क्योकि कोई भी दान अपनी इच्छा से ही किया जाता हैं तथा जिसके पास जितने पर्याप्त धन होते हैं वो उसी अनुसार दान करते हैं।

यही लोभ व्यक्ति के पूजा-पाठ और पुण्य को भी खंडित कर देता हैं। चाहे कोई पंडित हो या आम इंसान सबको अपनी मर्यादा कदापि नहीं भूलना चाहिए। 

केवल युग बदला हैं ईश्वर नहीं बदले केवल समय बदला हैं रीती रिवाज और नियम नहीं बदले, बदला हैं तो केवल मनुष्य और उसकी सोच, ईश्वर का न्याय नहीं बदला।


Navratri is a nine-day ritual in which nine forms of Goddess Jagadamba are worshipped. Devotees perform rituals and worship the Goddess with great reverence and devotion on every day of Navratri.  

People everywhere in this world perform worship rituals with their own different rules. There are some scholar who do not have accurate knowledge of worship and rituals but they themselves make mistakes and make their devotees also make mistakes. 

There are some people who perform Havan on the Ashtami Tithi of Navratri, but just consider that when the tradition of celebrating Navratri of the Goddess is going on for nine days in which different nine forms of the Goddess are worshiped every day, then on the day of Ashtami, Performing Havan on the day proves that you are knowingly or unknowingly insulting the ninth form of the Goddess, or you are in a hurry to end your ritual quickly and bid farewell to the Goddess. 

Have you ever thought that if Havan is done after the puja rituals are completed, is your entire ritual completed on Ashtami itself? Does the ninth form of Matarani have no significance for you? This mistake itself deprives you of the blessings and blessings of the Mother Goddess.On the day of Navami, do puja and havan and after havan, do aarti. Some people, following the talks of scholar, knowingly or unknowingly commit a mistake and this mistake becomes a regret for them. People have forgotten the truth in this world. 

Always remember that respect, love, kindness and blessings are not asked for, all these are received by someone only when he has the qualities to receive them, otherwise not.The scholar who forcefully ask for donations from the devotees, themselves become small in the eyes of God because any donation is done on their own free will and those who have enough money donate accordingly.

This greed also destroys a person's worship and virtues. Be it a scholar or a common man, everyone should never forget their dignity.

Only era has changed, God has not changed, only time has changed, customs and rules have not changed, only man and his thinking have changed, God's justice has not changed.



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  1. महागौरी की कृपा सब पर हमेशा बनी रहे सब भक्तों को अच्छे विधि विधान से पूजा और नवरात्रि व्रत करने चाहिए।

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