तुम्हारे घर में मौजूद हैं जो माता-पिता उनमे बसी हैं ईश्वर की कृपा,देना उन्हें सम्मान फर्ज हैं तुम्हारा। बुजुर्गो को बोझ समझने वाले उन्हें अशब्द कहने वाले हकीकत में अपमान उनका नहीं करते वो अपमान ईश्वर का अपमान कहलाता हैं और ऐसी संतान अपने जीवन में कभी कोई ख़ुशी हासिल नहीं कर सकती हैं। जैसे बचपन में खिलाया तुम्हे माता-पिता ने अपने हिस्से का भी निवाला ठीक वैसे तुम भी उन्हें वैसा ही प्यार दो क्योकि घर के बुजुर्ग में मौजूद होते हैं ईश्वर जिन्हे जान पाना असंभव हैं। क्या करोगे मंदिर मस्जिद चर्च और जा कर गुरुद्वारा ? जब स्वयं अपने हाथो से कर रहे तुम प्रतिदिन उनका अपमान जो बुजुर्ग के रूप में मौजूद हैं तुम्हारे भगवान। चाहे कितने भी कर लो तीरथ धाम यदि नहीं किया अपने बुजुर्गो का सम्मान तो किसी काम का नहीं तुम्हारे लिए कोई भी तीरथ धाम। जो कठोर शब्द तुम दुसरो को कहते हो कभी अकेलेपन में विचार करना यही कठोर शब्द यदि कोई तुम्हे कहे तो तुम पर क्या गुजरेगी ? नवरात्रि में चले हो मातारानी को मनाने उनकी पूजा और अनुष्ठान करने मगर जो माता मौजूद हैं, तुम्हारे घर में क्या कभी कदर दिया हैं उन्हें तुमने ? भक्ति में इतनी शक्ति हैं कि वो ईश्वर से साक्षात्कार करा दे वैसे ही शक्ति हैं बुजुर्ग माता-पिता के सेवा भाव में जो तुम्हे बड़ी से बड़ी कामयाबी के शिखर तक पहुँचा दे। धन दौलत पैसा और जायदाद कुछ भी नहीं जाएगा तुम्हारे साथ जब होगा ईश्वर से तुम्हारा साक्षात्कार तो बस काम आएंगे तुम्हारे पुण्य कर्म और नेक विचार। कलयुग के मायाजाल के अंधकार से बाहर आ जाओ स्वयं को पहचानो अपने कर्तव्यों को जानो यदि उलझ कर रह जाओगे इस मायाजाल में तो अंत में पछतावा होगा तुम्हे जब उलझ जाओगे तुम अपने ही बनाए चक्रव्यूह में। मौजूद हूँ मैं प्रतिपल इस धरा पर मगर एहसास नहीं तुम्हे कि मैं किस रूप में प्रतिपल तुम्हारे साथ हूँ। जब तुम्हे तपती धुप का एहसास हुआ तुम्हे छाया मैंने दिया जब तुम्हे किसी समस्याओं ने भयभीत किया उस समस्या का हल तुम्हे मैंने प्रदान किया। जब तुम्हे भूख ने सताया तुम्हे भोजन भी मैंने प्रदान किया। मैं वो हूँ जिसने तुम्हे ये जीवन प्रदान किया। तुमने मुझसे ही अपना वजूद पाया मगर आज तुम मेरे ही वजूद को भूला बैठे। सत्य को भूला कर तुम झूठ और फरेब कि दुनिया बसा बैठे। चाहे सतयुग हो त्रेतायुग हो द्वापर युग हो या कलयुग हर युग में मैं अवतरित हो कर तुम्हारे अच्छे-बुरे कर्मो का हिसाब कर,सत्य और धर्म का विस्तार कर तुम्हे सन्मार्ग प्रदान करता हूँ। हर कश्ती का किनारा होता हैं हर चक्रव्यूह से बाहर निकलने का भी सही रास्ता होता हैं मगर जो चक्रव्यूह इस कलयुग में अधर्म और पाप ने बना कर मनुष्यो को उस मायाजाल में उलझा रखा हैं उससे बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता हैं सत्य और धर्म का रास्ता जिसे सब अपनाना नहीं चाहते मगर जिसने इस सत्य को अपना लिया वही मनुष्य इस कलयुग में ईश्वर को वास्तविक रूप में देख पाएगा क्योकि बुराई और पाप के अन्धकार में आप कभी दिव्य महाशक्ति के प्रकाश से अवगत नहीं हो सकते।
कलयुग के कालचक्र में जो मनुष्य उलझ जाएगा वो ईश्वर की कृपा को कभी नहीं जान पाएगा।
The man who gets entangled in the time cycle of Kaliyuga will never be able to know the grace of God.
हमें घर में बैठे माता-पिता का पहला सम्मान करना चाहिए उसके बाद हमारी पूजा सफल होगी, इसलिए हमें अपने बुजुर्गों का सदा सम्मान करना चाहिए। 👍
ReplyDeleteThank you....
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