आज होगा संसार हकीकत से रूबरू। ( Today The World Will Come Face To Face With Reality.)

Snehajeet Amrohi
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तुम्हारे घर में मौजूद हैं जो माता-पिता उनमे बसी हैं ईश्वर की कृपा,देना उन्हें सम्मान फर्ज हैं तुम्हारा। बुजुर्गो को बोझ समझने वाले उन्हें अशब्द कहने वाले हकीकत में अपमान उनका नहीं करते वो अपमान ईश्वर का अपमान कहलाता हैं और ऐसी संतान अपने जीवन में कभी कोई ख़ुशी हासिल नहीं कर सकती हैं। जैसे बचपन में खिलाया तुम्हे माता-पिता ने अपने हिस्से का भी निवाला ठीक वैसे तुम भी उन्हें वैसा ही प्यार दो क्योकि घर के बुजुर्ग में मौजूद होते हैं ईश्वर जिन्हे जान पाना असंभव हैं। क्या करोगे मंदिर मस्जिद चर्च और जा कर गुरुद्वारा ? जब स्वयं अपने हाथो से कर रहे तुम प्रतिदिन उनका अपमान जो बुजुर्ग के रूप में मौजूद हैं तुम्हारे भगवान। चाहे कितने भी कर लो तीरथ धाम यदि नहीं किया अपने बुजुर्गो का सम्मान तो किसी काम का नहीं तुम्हारे लिए कोई भी तीरथ धाम। जो कठोर शब्द तुम दुसरो को कहते हो कभी अकेलेपन में विचार करना यही कठोर शब्द यदि कोई तुम्हे कहे तो तुम पर क्या गुजरेगी ? नवरात्रि में चले हो मातारानी को मनाने उनकी पूजा और अनुष्ठान करने मगर जो माता मौजूद हैं, तुम्हारे घर में क्या कभी कदर दिया हैं उन्हें तुमने ? भक्ति में इतनी शक्ति हैं कि वो ईश्वर से साक्षात्कार करा दे वैसे ही शक्ति हैं बुजुर्ग माता-पिता के सेवा भाव में जो तुम्हे बड़ी से बड़ी कामयाबी के शिखर तक पहुँचा दे। धन दौलत पैसा और जायदाद कुछ भी नहीं जाएगा तुम्हारे साथ जब होगा ईश्वर से तुम्हारा साक्षात्कार तो बस काम आएंगे तुम्हारे पुण्य कर्म और नेक विचार। कलयुग के मायाजाल के अंधकार से बाहर आ जाओ स्वयं को पहचानो अपने कर्तव्यों को जानो यदि उलझ कर रह जाओगे इस मायाजाल में तो अंत में पछतावा होगा तुम्हे जब उलझ जाओगे तुम अपने ही बनाए चक्रव्यूह में। मौजूद हूँ मैं प्रतिपल इस धरा पर मगर एहसास नहीं तुम्हे कि मैं किस रूप में प्रतिपल तुम्हारे साथ हूँ। जब तुम्हे तपती धुप का एहसास हुआ तुम्हे छाया मैंने दिया जब तुम्हे किसी समस्याओं ने भयभीत किया उस समस्या का हल तुम्हे मैंने प्रदान किया। जब तुम्हे भूख ने सताया तुम्हे भोजन भी मैंने प्रदान किया। मैं वो हूँ जिसने तुम्हे ये जीवन प्रदान किया। तुमने मुझसे ही अपना वजूद पाया मगर आज तुम मेरे ही वजूद को भूला बैठे। सत्य को भूला कर तुम झूठ और फरेब कि दुनिया बसा बैठे। चाहे सतयुग हो त्रेतायुग हो द्वापर युग हो या कलयुग हर युग में मैं अवतरित हो कर तुम्हारे अच्छे-बुरे कर्मो का हिसाब कर,सत्य और धर्म का विस्तार कर तुम्हे सन्मार्ग प्रदान करता हूँ। हर कश्ती का किनारा होता हैं हर चक्रव्यूह से बाहर निकलने का भी सही रास्ता होता हैं मगर जो चक्रव्यूह इस कलयुग में अधर्म और पाप ने बना कर मनुष्यो को उस मायाजाल में उलझा रखा हैं उससे बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता हैं सत्य और धर्म का रास्ता जिसे सब अपनाना नहीं चाहते मगर जिसने इस सत्य को अपना लिया वही मनुष्य इस कलयुग में ईश्वर को वास्तविक रूप में देख पाएगा क्योकि बुराई और पाप के अन्धकार में आप कभी दिव्य महाशक्ति के प्रकाश से अवगत नहीं हो सकते। 

कलयुग के कालचक्र में जो मनुष्य उलझ जाएगा वो ईश्वर की कृपा को कभी नहीं जान पाएगा। 


It is your duty to give respect to the parents who are present in your house and God's grace resides in them. Those who consider the elderly as a burden and call them useless are not actually insulting them, that insult is called insult to God and such children can't achieve some happiness in their life. Just as your parents fed you in your childhood, you should also give them the same love because God is present in the elders of the house, who is impossible to know. What will you do by going to temple, mosque, church and Gurudwara ? when with your own hands you are everyday insulting those who are present in the form of elders as your God.No matter how many pilgrimages you do, if you do not respect your elders then any pilgrimage is of no use to you.The harsh words you say to others. Sometimes think about it when you are alone. If someone says these harsh words to you, what will happen to you? You have gone during Navratri to celebrate the Mother Goddess and perform her rituals, but have you ever given importance to the Mother Goddess who is present in your house? There is so much power in devotion that it can make you meet God, similarly there is power in serving your elderly parents that it can take you to the pinnacle of great success. Wealth, money and property, nothing will go with you when you meet God, only your good deeds and good thoughts will be useful.Come out of the darkness of the illusion of Kaliyuga, recognize yourself, know your duties, if you remain entangled in this illusion, then in the end you will regret when you get entangled in the Trap of your own making. I am present on this earth every moment but you do not realize in what form I am with you every moment.When you felt the scorching heat, I gave you shade. When you were frightened by some problem, I provided you the solution to that problem. When you were tormented by hunger, I also provided you food. I am the one who gave you this life.You found your existence from me but today you forgot my existence. Forgetting the truth, you create a world of lies and deceit.Be it Satyayuga, Tretayuga, Dwapar Yuga or Kaliyuga, I incarnate in every Yuga, calculate your good and bad deeds, spread truth and religion and provide you with the right path. Every boat has a shore, there is a right way to get out of every trap, but the only way to get out of the trap created by unrighteousness and sin in this Kalyug is the path of truth and religion. Not everyone wants to accept it but only the one who has accepted this truth will be able to see God in his real form in this Kaliyuga because in the darkness of evil and sin you can never be aware of the light of divine superpower.

The man who gets entangled in the time cycle of Kaliyuga will never be able to know the grace of God.

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  1. हमें घर में बैठे माता-पिता का पहला सम्मान करना चाहिए उसके बाद हमारी पूजा सफल होगी, इसलिए हमें अपने बुजुर्गों का सदा सम्मान करना चाहिए। 👍

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