आप सब हर दिन अनेको खबरों में यही सुनते रहते हैं कोई ना कोई अधर्म या अपराध हर दिन अपनी चरमसीमा को पार करते जा रहा हैं। एक साधारण सा मनुष्य ही बड़ा अपराधी बन कर दूसरे इंसानो को क्षति पहुँचा रहा हैं। कभी किसी के घर में रहने वाला सदस्य ही अपने सदस्यों का शत्रु बन कर उनको कष्ट देने का प्रयास कर रहा तो कही कोई अपने ही माता-पिता पर जुल्म और अन्याय कर रहा। कभी कोई अधर्मी किसी मासूम बच्चियों को भी अपनी दरिंदगी का शिकार बना रहा। आखिर कौन करवा रहा इस धरा पर इतना पाप और अधर्म ?
वो कोई और नहीं मनुष्यो के अंदर छुपा एक नकारात्मक शक्ति जिसके प्रभाव में आ कर कुछ इंसान अधर्म और पाप को जन्म दे रहे हैं,आए दिन कोई ना कोई जुर्म को अंजाम देते जा रहे हैं। आज भी नकारात्मक शक्ति (आसुरी शक्ति ) इस धरा पर मौजूद हैं जिसने समस्त प्राणियों को अपना शिकार बना रखा हैं मगर यदि कोई इंसान अपने भीतर नकारात्मकता को बढ़ावा नहीं देता हैं तो वो इंसान इन नकारात्मक बुरी शक्ति को अपने अंदर कभी हावी नहीं होने देता हैं।
क्या तुमने कभी विचार किया हैं आखिर क्यों सतयुग काल में मनुष्यो को बड़ी सरलता से ईश्वर के दर्शन प्राप्त हो जाते थे ? क्यों सतयुग में मनुष्य पुण्य कर्मो में रूचि रखते थे ? क्यों सतयुग में मनुष्य सुखी समपन्न रहा करते थे ? क्योकि सतयुग में मनुष्य सदा सत्य का साथ दिया करते थे। कोई भी मनुष्य किसी दूसरे का शत्रु नहीं होता था कोई भी मनुष्य अपने बुजुर्ग माता पिता का अपमान और तिरस्कार नहीं किया करता था। कोई भी मनुष्य अपना और बेगाना जैसे विचारो को खुद पर हावी नहीं होने देता था उनके लिए सभी एक समान हुआ करते थे। उन दिनों हर मनुष्य दूसरे की सहायता और परोपकार की भावना को अपना कर जीवन यापन किया करते थे।
अमीर,गरीब छोटा,बड़ा ये सारे विकार सतयुग में मनुष्य नहीं सोचा करते थे उनके दिलो में सबके लिए इज़्ज़त और सम्मान हुआ करता था। स्वार्थ,झूठ,पाप और अन्याय सतयुग काल में मनुष्यो के भीतर नहीं पाया जाता था। यही वजह हैं की सतयुग में लोग सुखी समपन्न हुआ करते थे तथा ईश्वर के दर्शन भी उन्हें प्राप्त होते थे। मगर इस कलयुग के काल में मनुष्य में सत्य का वास कहाँ ? लोग अपनों से ही झूठ बोलते हैं तो दूसरो से सत्य की उम्मीद करना ही व्यर्थ होगा। जब मनुष्य इतनी गलतियां करते फिरेंगे उसके बावजूद ईश्वर की पूजा अनुष्ठान करेंगे तीरथ धाम जाएंगे तो उससे क्या ईश्वर प्रसन्न होंगे ? कदापि नहीं होंगे प्रसन्न, क्योकि मनुष्य का कर्म ही उसकी पूजा हैं जब कोई अपने कर्म ही गलत करेगा तो वो इंसान ईश्वर के आशीर्वाद और कृपा का पात्र कैसे बनेगा ? एक की गलती की सज़ा आज सब पा रहे हैं। आप सोच रहे होंगे वो कैसे, एक की गलती की सज़ा सबको क्यों ? वो इसलिए क्योकि जो पाप और अधर्म हो रहा वो कही और नहीं इसी धरा पर हो रहा हैं जहाँ सभी प्राणियों का निवास हैं।
पाप और अधर्म ने इस धरा को अपवित्र कर दिया हैं जहाँ अपवित्रता का वास होता हैं वहाँ आसुरी शक्ति अपना निवास बना लेती हैं फिर वही आसुरी शक्ति सबको पीड़ा कष्ट दुःख और समस्याओ को बढ़ा कर मनुष्यो को क्षति पहुँचाती हैं। इस कलयुग का सबसे बड़ा सत्य यही हैं जिस सत्य से आप दूर हैं क्योकि आप जब दुखी होते हैं तो ईश्वर को उसका दोषी मान लेते हैं अपने समस्याओ का कारण भी ईश्वर को मानना शुरू कर देते हैं आपको लगता हैं ईश्वर आपका साथ नहीं दे रहे हैं जबकि ऐसा नहीं हैं। जरा एक बार स्वयं से पूछो क्या तुमने अनजाने ही सही मगर ईश्वर को कोष कर आसुरी शक्ति को आमंत्रित करने की भूल नहीं की ?
स्वयं को ईश्वर के भक्त कहते हो खुद को ईश्वर की संतान मानते हो फिर हताश क्यों होते हो ? क्यों भयभीत हो कर आसुरी शक्ति के वश में होने लगते हो ?
क्यों स्वार्थ और लालच को मन से नहीं निकालते हो ? क्यों दूसरे का अहित चाह कर ईश्वर की दिव्यता को स्वयं से दूर करने की भूल करते हो ? ईश्वर तो यही देख रहे हैं कि आसुरी शक्ति यहाँ के मनुष्यो को अपने वश में करने में सफल हो रही हैं इसका एकमात्र कारण हैं स्वार्थ और लालच। सदैव याद रखो करोड़ो की दौलत भी हीरे जवाहरत भी ईश्वर के समक्ष कुछ नहीं क्या करोगे यदि सत्य से साक्षात्कार होगा जब तुम्हे ये एहसास होगा की तुमने ये सोचा ईश्वर कलयुग में नहीं इस धरा पर ईश्वर के होने का कोई प्रमाण नहीं यदि अचानक तुम्हारे समक्ष सत्य उजागर हो जाए ईश्वर से सबका साक्षात्कार हो जाए तो कैसे नजरे मिला पाओगे ?क्योकि ईश्वर की नजरो से कोई सत्य नहीं छुप सकता और ना ही कोई अधर्मी।
जिस निरर्थक खजाने के पीछे तुम भाग रहे हो वो असत्य हैं निरर्थक हैं। क्या ईश्वर अपने संसार का निर्माण कर सभी जीवो प्राणियों को जीवन प्रदान कर भूल सकते हैं ? ईश्वर कुछ नहीं भूलते जैसे आप मनुष्यो को अपने घर से इतना मोह हैं प्यार हैं ठीक वैसे ईश्वर को भी अपने द्वारा निर्मित संसार से प्यार हैं वो बस अपनी सन्तानो को संभलने का मौका दे रहे हैं क्योकि अधर्मी और पापी को सज़ा मिल सकती हैं निर्दोष को नहीं और इस धरा पर आज भी कुछ अच्छे इंसान मौजूद हैं तभी ये पृथ्वी टिकी हैं।
कुछ आसुरी शक्ति इस धरा पर मानव रूप में मौजूद हैं क्योकि ये कली का कालचक्र हैं जिसने कुछ मनुष्यो को अधर्म और पाप के अंधकार में उलझा कर उनसे अधर्म का विस्तार कर रहा हैं जब उसके पाप और अधर्म का अंतिम चरण शामिल होगा अंततः ईश्वर जो इस धरा पर मानव रूप में अवतरित हुए हैं वो समस्त आसुरी शक्ति का नाश कर इस धरा को पुनः पवित्र भूमि बना जाएंगे। आपको ऐसा लगता होगा आसुरी शक्ति मानव रूप में कैसे आ सकते हैं ?
आपने कभी ये विचार नहीं किया इस कलयुग में आखिर क्यों कुछ परिवारों में पुत्र अपने माता पिता के जान का दुश्मन बन बैठा हैं ? भाई अपने भाई का शत्रु बन बैठा हैं ? कहीं पे माँ अपने निजी स्वार्थ के लिए अपनी संतान को ही मार देती हैं तो कहीं पे पिता अपनी संतान को मार देते हैं। पति-पत्नी का प्यार वो पवित्रता अब समाप्त क्यों होने लगी हैं क्यों दोनों एक दूसरे को धोखा दे रहे हैं क्यों झूठ का सहारा ले कर सब अपने ही पवित्र रिश्ते को बर्बाद करने में लगे हैं ? ये सब कुरुरता कोई और नहीं वो आसुरी शक्तियाँ ही सबसे करवा रही हैं। यदि आप आसुरी शक्तियों से जितना चाहते हैं तो उन्हें हराने के लिए आपको ताक़त की नहीं बल्कि अपने विवेक और बुद्धि की आवश्यकता हैं।
आप किसी चैनल पर न्यूज़ में अनेको काल्पनिक बाते सुनते हैं कुछ लोग कहते फिर रहे हैं कल्कि भगवान जो विष्णु अवतार हैं वो कहाँ जन्म लिए उनके पिता का नाम माता का नाम स्थान का नाम सब किसी ग्रन्थ में लिखा हैं और कुछ लोगो को ये मालूम हैं कौन सा अवतार कहाँ जन्म लेगे ? सत्य तो ये हैं ईश्वर अपने अवतार होने का कोई प्रमाण पहले ना उजागर करते हैं और ना ही कोई उन्हें पहचान पाने में सक्षम हो सकता हैं वो कब आपके बीच ही रहकर अपना कार्य कर धर्म की स्थापना कर अधर्म और पाप का अंत कर तथा सभी प्राणियों का उद्धार कर चले जाएंगे किसी को पता भी नहीं चलेगा। आप सब यही विचार करेंगे की वो आप सबके बीच ही थे मगर आप उन्हें पहचान ना सके।
मेरा आशय किसी को ठेस पहुँचाना कदापि नहीं मैंने तो बस सत्य कहा हैं अब मानना या ना मानना,आप सभी मनुष्यो के हाथ में हैं।
ईश्वर का कर्तव्य और उनका कर्म हैं सबका उद्धार और कल्याण करना ईश्वर को किसी की प्रसंशा और किसी नाम की कोई आवश्यकता नहीं ईश्वर तो निराकार हैं।
मगर जब ईश्वर के भक्तो पर अन्याय होता हैं पाप और अधर्म का विस्तार होता हैं,तब ईश्वर को इस धरा की रक्षा हेतु किसी ना किसी अवतार में आना ही पड़ता हैं। जब समुन्द्र मंथन हुआ तो महादेव ने सबके उद्धार और संसार के कल्याण के लिए स्वयं ही हलाहल विष का पान किया था तो जब संसार में पुनः कोई क्षति पहुँचाने का प्रयास करेगा तो क्या महादेव शांत बैठ सकते हैं ? महादेव कदापि नहीं शांत बैठ सकते। वरदान और शाप कोई काट नहीं सकता ना ही बदल सकता हैं आज उसका ही परिणाम हैं जो ईश्वर को अबतक विवश कर शांत कर रखा हैं वरना जो महादेव विष का पान कर सकते हैं वो महादेव एकपल में कुछ भी कर सकते हैं।
जब समय आएगा तब उनकी लीला और उनका साक्षात्कार आप धर्मशील मनुष्यो को स्वतः हो जाएगा।कहाँ हैं कल्कि ? कौन किसका अवतार किया हैं धारण ?
ये सही समय आने पर स्वतः उजागर हो जाएगा।ईश्वर को कोसना बंद करो क्योकि ईश्वर के हर अवतार का जीवन अत्यंत कष्ट भरा होता हैं आप मनुष्यो से कई ज्यादा कठिनाइयों का सामना ईश्वर करते हैं ईश्वर अपने लोक अपने निवास को त्याग कर आप मनुष्यो के उद्धार के लिए ईश्वर मानव अवतार लेते हैं।
मगर आप मनुष्य तो अपने ही परिवार को अपना शत्रु मान कर अधर्म और अपराध करते हैं। यदि कलियुग के प्रकोप से बचना हैं तो धर्म और न्याय के रास्ते पर चलो ईश्वर के अवतार से साक्षात्कार करना हैं तो ईश्वर के द्वारा निर्धारित नियमो का पालन करो यक़ीनन तुम्हे सभी दुखो से मुक्ति मिल जाएगा। तुम्हारे पुण्य कर्म ही तुम्हे आसुरी शक्तियों से बचने का मार्ग दिखाएगा।
You all keep hearing this every day in many news reports that some or the other injustice or crime is crossing its limits every day. An ordinary human being is becoming a big criminal and causing harm to other human beings. Sometimes a member living in someone's house becomes an enemy of his own members and tries to cause trouble to them, while sometimes someone is committing atrocities and injustice on his own parents. Sometimes some unrighteous person made innocent girls victims of his cruelty. After all, who is causing so much sin and injustice on this earth?
He is none other than a negative power hidden within humans, under whose influence some humans are giving birth to unrighteousness and sin and are committing one crime or the other every day. Even today, negative power (demonic power) is present on this earth which has made all living beings its prey, but if a person does not promote negativity within himself, then that person never allows these negative evil powers to dominate inside him.
Have you ever wondered why in the Satyayuga period humans were able to get the visible sight of God very easily? Why were people interested in virtuous deeds in Satyayuga? Why did people remain happy and prosperous in Satyayuga? Because in Satyayuga people always supported the truth. No man was an enemy of another, no man insulted or despised his elderly parents. No man would allow thoughts like belonging to others or strangers to dominate him, for him everyone was equal. In those days, every person lived his life by helping others and adopting the spirit of charity.
Rich, poor, small or big, people did not think about all these vices in Satyayug. There used to be respect and honor for everyone in their hearts. Selfishness, lies, sin and injustice were not found within humans in the Satyayuga period. This is the reason why people used to be happy and prosperous in Satyayuga and they also got the darshan of God. But in this era of Kaliyuga, where does truth reside in man? If people lie to their own people then it would be futile to expect truth from others. When people continue to commit so many mistakes, still worship God and go to pilgrimage places, will God be pleased with that? You will never be happy because a man's actions are his worship. When someone does wrong in his deeds, then how will that person become eligible for God's blessings and grace? Today everyone is getting punished for one person's mistake. You must be wondering how everyone is punished for one person's mistake? That is because the sin and unrighteousness that is happening is not happening anywhere else but on this earth where all living beings reside. Sin and unrighteousness have defiled this earth.
Where impurity resides, demonic powers make their abode there and then the same demonic powers harm humans by increasing pain, suffering and problems. This is the biggest truth of this Kalyug, the truth from which you are away because when you are sad, you blame God for it, you also start considering God as the reason for your problems, you feel that God is not supporting you whereas it is not like that. Just ask yourself once, have you, even if unknowingly, made the mistake of inviting demonic power by worshiping God ?
You call yourself a devotee of God, you consider yourself a child of God, then why are you disappointed? Why do you get scared and start falling under the control of demonic power?
Why don't you remove selfishness and greed from your mind? Why do you make the mistake of taking away the divinity of God from yourself by wishing harm to others? God is seeing that the demonic powers are succeeding in controlling the humans here, the only reason for this is selfishness and greed. Always remember that even wealth worth crores of rupees and even diamonds and jewels are nothing in front of God. What will you do if you come face to face with the truth, when you realize that you thought that God is not in Kaliyuga, there is no proof of the existence of God on this earth, if suddenly the truth appears before you. If everyone gets exposed and meets God then how will they be able to look into each other's eyes? Because neither any truth nor any unrighteous person can be hidden from the eyes of God.
The meaningless treasures you are running after are unreal and meaningless. Can God forget after creating his world and giving life to all living beings? God does not forget anything, just like you humans are so attached to your home and love it, similarly God also loves the world created by him, he is just giving a chance to his children to take care of themselves because the unrighteous and the sinner can get punished,Not innocent and there are some good people still present on this earth, only then this earth survives.
Some demonic powers are present on this earth in human form because it is Kali's timecycle which has entangled some human beings in the darkness of unrighteousness and sin and is spreading unrighteousness among them when the last phase of their sin and unrighteousness will be included, ultimately God who will come to this earth. But He has incarnated in human form and will destroy all the demonic powers and make this earth a holy land again. You might be thinking how can demonic powers come in human form?
Have you ever thought that in this Kalyug, why in some families sons have become enemies of their parents' lives? Brother has become his brother's enemy? At some places, mothers kill their children for their own personal gain, while at other places, fathers kill their children. Why is the purity of love between husband and wife now beginning to end? Why are both cheating on each other? Why are everyone trying to ruin their sacred relationship by taking the help of lies? It is none other than those demonic powers who are making everyone do all this cruelty. If you want to defeat demonic powers, you need not strength but your wisdom and intelligence to defeat them.
You hear many imaginary things in news on any channel, some people are saying that Lord Kalki who is the incarnation of Vishnu, where he was born, his father's name, mother's name, name of the place, all are written in some scripture and some people know this. Which incarnation will be born where? The truth is that God neither reveals any proof of his incarnation nor can anyone be able to recognize him. When does he stay among you and do his work, establish religion, end unrighteousness and sin and save all living beings? After saving the land, no one will even know about it. You all would think that he was among you all but you could not recognize him. I never mean to hurt anyone, I have just told the truth, now whether you believe it or not, is in the hands of all human beings. God's duty and his work are to provide salvation and welfare to all. God does not need anyone's praise or any name. God is formless.
But when injustice is done to the devotees of God and sin and unrighteousness spread, then God has to come in some form or the other to protect this earth. When the churning of the ocean took place, Mahadev himself drank Halahal poison for the salvation of everyone and the welfare of the world. So when someone again tries to cause harm to the world, can Mahadev sit quietly? Mahadev can never sit still. Blessings and curses cannot be cut or changed by anyone, today they are the result of those who have kept God calm by forcing them till now, otherwise Mahadev, who can drink poison, can do anything in a moment.
When the time comes, His miracle and His encounter will automatically happen to you religious people. Where is Kalki? Who has assumed whose incarnation ?
It will be revealed automatically when the right time comes. Stop cursing God because the life of every incarnation of God is full of hardships. God faces many more difficulties than you humans. God leaves his world and his abode and takes human incarnation for the salvation of you humans.
But you humans consider your own family as your enemy and commit unrighteousness and crimes. If you want to be saved from the wrath of Kaliyuga, then follow the path of religion and justice. If you want to meet the incarnation of God, then follow the rules prescribed by God, surely you will get freedom from all the sorrows. Only your virtuous deeds will show you the way to escape from demonic powers.
प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवन में निरंतर अच्छे कर्म करने चाहिए तभी प्रत्येक मनुष्य का कल्याण हो सकता है तभी हम ईश्वर को पा सकते हैं आपने अपने इस लेख में काफी अच्छे से ईश्वर प्राप्ति रवर्णन किया
ReplyDeleteबहुत सराहनीय लेख👍
Thank You so much....
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