ज्ञान का वास्तविक अर्थ क्या हैं ?
ज्ञान का वास्तविक अर्थ होता हैं एक ऐसी प्रतिज्ञा जो सदा जग के हित का कारण बन सके सबके प्रगति का कारण बन सके जिसमे ना कोई अहंकार का वास हो ना ही स्वार्थ का वास हो। एक असली ज्ञान वही कहलाता हैं जो सही और गलत का भलीभाति आकलन कर सके। एकमात्र शिक्षा ग्रहण कर,बड़ी डिग्रीया हासिल कर कोई इंसान महाज्ञानी नहीं कहलाता।
तुम्हारी शिक्षा तभी सार्थक हैं जब तुम्हे अपनी शिक्षा और ज्ञान पर कभी अहंकार ना हो, तुम दूसरो को खुद से तुच्छ समझने की यदि भूल नहीं करते तभी तुम एक शिक्षित इंसान कहला सकते हो। जहाँ ज्ञान होता हैं वहाँ हर समस्या का समाधान होता हैं, ज्ञान एक ऐसा बहुमूल्य रत्न हैं जो यदि किसी में समा जाए तो वो उसे पत्थर से हीरे में तब्दील कर देता हैं। किताबो को पढ़ कर यदि उसमे लिखी बातो को आप नहीं समझते तो आपको कभी सही ज्ञान का परिचय नहीं हो सकता। केवल किताबो को रटना केवल अपने शौक के लिए उससे पढ़ने से कोई फायदा नहीं होता जबतक उसमे लिखे शब्दों को आप गहराई से नहीं समझेंगे। आपको शिक्षित करने का उदेश्य क्या हैं ? ये भलीभाति आपके माता पिताऔर आपके गुरुजन समझते हैं। कभी-कभी कुछ छात्र किताबो को समझने के बजाय उसको रटने लगते हैं उन्हें लगता हैं ऐसे उन्हें बड़ी सरलता से सब याद हो जाएगा मगर यही उनकी भूल होती हैं। क्योकि जबतक आप किसी शब्द को उचित प्रकार समझने का प्रयास नहीं करोगे वो शब्द आपको कभी समझ नहीं आ सकते हैं रटने से आप उस विषय को कुछ पल कुछ समय ही याद रख सकते हो मगर यदि उसे भलीभाति समझ कर पढ़ लिया तो आजीवन आपको वो याद रहेगा यही से शुरुआत होती हैं आपके ज्ञान के विस्तार की।
क्या हैं ज्ञान का महत्व ?
ज्ञान का जो महत्व इस संसार में माना गया हैं उसे समझना हर किसी के बस की बात नहीं। क्योकि आप पैसे चाहे कितने कमा लो आप कितने भी धन-दौलत इकट्ठे कर लो मगर ज्ञान के समक्ष वो सब निरर्थक हैं। धन-दौलत, पैसा आपको हर जगह सम्मान नहीं दिला सकता मगर जिसमे ज्ञान का वास होता हैं उसे दुनिया में हर जगह सम्मान प्राप्त होता हैं, क्योकि सम्मान माँगा नहीं जाता सम्मान पाया जाता हैं और सम्मान वही पा सकता हैं जिसमे सही ज्ञान का समावेश होता हैं। ज्ञान एक ऐसा वरदान हैं जो किसी भी साधारण मनुष्य को असाधारण में बदल देता हैं क्योकि ज्ञान से ही व्यक्ति का विवेक स्थिर होता हैं वो कभी विचलित और परेशान नहीं हो सकता। क्योकि ज्ञान से ही आप हर समस्या का हल ढूँढ पाते हैं, ज्ञान से ही आप अच्छे बुरे के बीच का फर्क समझ पाते हैं, ज्ञान से ही हर निर्णय आप बड़ी आसानी से ले पाने में सक्षम होते हैं। जो पैसा आप कमाते हैं वो स्थाई नहीं आज आपके पास हैं कल वही किसी दूसरे के पास होगा एकमात्र आपका ज्ञान ही आपका सच्चा साथी,आपका सारथि कहलाता हैं जो आपको छोड़ कर कभी किसी अन्य के पास नहीं जा सकता। ज्ञान चाहे कितना भी बांटो मगर ज्ञान कभी खत्म नहीं होता। ज्ञान एक ऐसी शक्ति हैं जिसे ना तो किसी अस्त्र की जरुरत हैं ना किसी सहायक की क्योकि ज्ञान में ही अद्धभुत शक्ति निहित होती हैं। ज्ञान आपको किसी भी बड़ी से बड़ी चुनौतियों से लड़ने की शक्ति, बुद्धि और युक्ति प्रदान करता हैं। जिसमे ज्ञान का वास होता हैं वो अपने शत्रु को भी मित्र में तब्दील कर देता हैं।
कब बन जाता हैं ज्ञान एक अभिशाप ?
जब किसी व्यक्ति को अपने अर्जित शिक्षा और ज्ञान का अहंकार होने लगता हैं तो उस वक़्त उसका वो ज्ञान उसके लिए एक अभिशाप बन जाता हैं। क्योकि अपने ज्ञान को वो सही दिशा में ले जाने कि जगह गलत दिशा में ले जाता हैं जिससे अहंकार वश उससे कई भूल होने लगती हैं क्योकि व्यक्ति का अहंकार उसके विवेक को हर लेता हैं। अंततः यही अहंकार सबके पतन का कारण बनता हैं। ज्ञान में अहंकार,स्वार्थ,ईर्ष्या,नफरत,क्रोध का कोई स्थान नहीं होता। यदि शिक्षित होने के बावजूद भी आपमें ऐसे विकार मौजूद हैं तो आपकी शिक्षा में कोई त्रुटि अवश्य होगी। फिर आपको ज्ञान का सही मतलब ही नहीं पता क्योकि जब ज्ञान किसी में जगह बनाने लगता हैं तो उस व्यक्ति में खुद ही सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं। एक सही ज्ञानी इंसान वही हो सकता हैं जो सबको एक समान समझे। यदि शिक्षित होने के बावजूद भी आप किसी का अहित कर रहे किसी को कष्ट पहुँचा रहे तो ये अवश्य समझ जाना तुम्हारा ज्ञान अब तुम्हारे लिए एक अभिशाप बन चूका हैं। यदि शिक्षित होने के बावजूद भी तुम अपने बड़े बुजुर्गो को माता पिता को सम्मान नहीं देते,तो तुम्हारा ज्ञान तुम्हारी शिक्षा किसी काम की नहीं। गालियाँ देना, बद्तमीज़ी करना, किसी का मजाक बनाना,किसी की निंदा करना, ये सब बुरी आदते यदि शिक्षित होने के बावजूद तुम्हारे भीतर मौजूद हैं तो ये मान लेना वास्तविक ज्ञान क्या होता हैं तुम्हे उसका बोध नहीं तुम्हारी ये शिक्षा ये डिग्री एकमात्र कागज़ के टुकड़े की भाति बन कर रह गई हैं जिसका कोई महत्व नहीं।
कब बन जाता हैं ज्ञान एक वरदान ?
जब ज्ञान किसी के चेहरे की उदासी को दूर कर उसके चेहरे की मुस्कान बने तो वो ज्ञान वरदान कहलाता हैं। चाहे तुमने कितनी भी बड़ी डिग्री हासिल कर ली हो मगर तुम्हे उसका कोई अभिमान नहीं तो ये मान लेना तुमने वास्तविक ज्ञान को पा लिया हैं। यदि शिक्षा ग्रहण करने के बाद कामयाबी हासिल करने के बाद भी किसी ऊंचे बड़े पद को हासिल करने के बाद भी यदि तुम्हारी नजरो में कोई बड़ा-छोटा नहीं सभी एक समान हैं तो ये समझना तुम्हारा ज्ञान सही दिशा में हैं। यदि तुम अपने बड़े बुजुर्ग माता पिता सभी को दिल से सम्मान देते हो उनकी अहमियत को समझते हो तो ये समझ लेना तुमने अपने ज्ञान को वरदान में बदल दिया। यदि तुम्हारे अंदर कोई बुरे विकार, नफरत,ईर्ष्या, क्रोध,अहंकार और स्वार्थ का वास नहीं तो ये समझ लेना वास्तविक ज्ञान क्या होता हैं तुमने ये जान लिया और अपने ज्ञान की शक्ति से तुमने अपने ज्ञान को वरदान में तब्दील कर दिया। आपका ज्ञान ही आपको सही पहचान से अवगत करता हैं, आपके लिए क्या सही हैं और क्या गलत ये आपका ज्ञान ही आपको एहसास कराता हैं। बिना ज्ञान के ये जिंदगी अधूरी हैं जहाँ ज्ञान नहीं वहाँ कोई दिव्यता नहीं क्योकि ज्ञान का विकास ही किसी मनुष्य को जीवन में सफल बनाने का कार्य करता हैं। अपने अर्जित ज्ञान से ही कोई भी मनुष्य असंभव को भी संभव कर पाने में सक्षम होता हैं।
जिस ज्ञान से तुम दूसरो की सहायता करते हो जिस ज्ञान से तुम सही और गलत की पहचान करते हो तथा जिस ज्ञान से तुम निरंतर जग का कल्याण करते हो वही ज्ञान वास्तविक ज्ञान कहलाता हैं जो तुम्हे बुराई से दूर कर अच्छाई के करीब लाता हैं।ऐसे दिव्य और महा ज्ञान को पाकर ही मनुष्य महाज्ञानी कहलाता हैं।
What is The Real Meaning of knowledge?The real meaning of knowledge is a promise that can always be a cause for the welfare of the world and a cause for everyone's progress, in which neither ego nor selfishness resides. Only that which can properly assess right and wrong is called a real knowledge.
A person is not called a great scholar just by getting education or getting a big degree. Your education is meaningful only when you never have pride in your education and knowledge. If you do not make the mistake of considering others as inferior to yourself, then only you can be called an educated person. Where there is knowledge, there is solution to every problem, knowledge is such a precious gem that if it gets absorbed in someone, it transforms him from a stone to a diamond. If you do not understand the things written in books after reading them, then you can never get the true knowledge. There is no benefit in memorizing books and reading them just for the sake of your hobby unless you understand the words written in them deeply. What is the purpose of educating you? Your parents and your teachers understand this very well. Sometimes some students start memorizing the books instead of understanding them, they think that they will be able to remember everything easily, but this is their mistake. Because unless you try to understand a word properly, you can never understand that word. By rote learning, you can remember that subject only for a few moments, but if you understand it and read it well, then you will remember it for the whole life. This is where the expansion of your knowledge begins.
What is The Importance of Knowledge?
It is not within everyone's reach to understand the importance of knowledge in this world. Because no matter how much money you earn, no matter how much wealth you accumulate, all that is meaningless in front of knowledge. Wealth and money cannot get you respect everywhere, but the one who has knowledge gets respect everywhere in the world, because respect is not asked for, respect is earned and respect can only be achieved by the one who has the right knowledge. Knowledge is such a blessing that transforms any ordinary person into an extraordinary person because only with knowledge a person's conscience is stable and he can never get distracted or troubled. Because only with knowledge you are able to find the solution to every problem, only with knowledge are you able to understand the difference between good and bad, only with knowledge are you able to take every decision very easily. The money you earn is not permanent, today you have it, tomorrow it will be with someone else, only your knowledge is called your true companion, your charioteer who can never go to anyone else except you. No matter how much knowledge is shared, it never ends.Knowledge is such a power that neither needs any weapon nor any helper because amazing power lies in knowledge itself. Knowledge gives you the strength, wisdom and tactics to fight even the biggest challenges. He who resides in knowledge transforms his enemies into friends.
When does Knowledge Become a Curse?
When a person becomes arrogance of his acquired education and knowledge, then that knowledge becomes a curse for him. Because instead of taking his knowledge in the right direction, he takes it in the wrong direction due to which due to his ego, he starts making many mistakes because a person's ego takes away his discretion. Ultimately this ego causes everyone's downfall. There is no place for ego, selfishness, jealousy, hatred and anger in knowledge. If such disorders are present in you despite being educated, then there must be something wrong with your education. Then you do not know the true meaning of knowledge because when knowledge starts making its place in someone, positive changes start taking place in that person. A truly knowledgeable person can only be one who treats everyone equally.If, despite being educated, you are harming someone and causing pain to someone, then you must understand that your knowledge has now become a curse for you. If, despite being educated, you do not respect your elders, your parents, then your knowledge and your education are of no use. Abusing, being rude, making fun of someone, criticizing someone, if all these bad habits are present within you despite being educated, then accept that you do not understand what real knowledge is, this education of yours, this degree is only on paper. They have become like pieces which have no importance.
When does Knowledge Become a Boon?
When knowledge removes the sadness from someone's face and brings a smile to his face, then that knowledge is called a boon.No matter how big a degree you have achieved, if you are not proud of it, then consider that you have attained real knowledge. If after getting education, after achieving success, even after attaining a high position, if in your eyes no one is big or small, everyone is equal, then understand that your knowledge is in the right direction. If you respect your elders and parents wholeheartedly and understand their importance, then understand that you have converted your knowledge into a boon. If there are no bad vices, hatred, jealousy, anger, ego and selfishness within you, then you should understand what real knowledge is. You have understood this and with the power of your knowledge you have transformed your knowledge into a boon. It is your knowledge that makes you aware of your true identity, it is your knowledge that makes you realize what is right and what is wrong for you. This life is incomplete without knowledge. Where there is no knowledge there is no divinity because only the development of knowledge makes a person successful in life. Only with his acquired knowledge any person is capable of making even the impossible possible.
The knowledge with which you help others, the knowledge with which you identify right and wrong and the knowledge with which you continuously do good to the world, that knowledge is called real knowledge which takes you away from evil and brings you closer to goodness. Man is called a great knowledgeable person only after attaining divine and great knowledge.
ReplyDeleteWe should respect every person whether small or big and should keep developing our knowledge only then we can become a successful person.
😊
Thank you so much.....
DeleteGood 👍
ReplyDeleteThank you so much....
DeleteNice 👍
ReplyDeleteThank you so much....
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