मनुष्य रूप में जन्म ले कर पाया जिसने पति रूप में ईश्वर को आसान नहीं था पाना फिर भी अपने कठिन तप से पा ही लिया उसने पति रूप में परमेश्वर को।
आज मैं जिनकी बात करने जा रही हूँ, वो कोई और नहीं बल्कि स्वयं आदिशक्ति हैं जिन्होंने मनुष्य रूप धारण किया देवो के देव महादेव को पाने के लिए।
किसने कहा शिव और सती की प्रेम कहानी अधूरी रह गई ? किसने कहा सती शिव से दूर हो गई ? प्रेम कभी मिटता नहीं,प्रेम कभी मरता नहीं,क्योकि प्रेम तो अमर होता हैं। सती शिव से दूर नहीं हुई, ना ही कभी शिव सती से पृथक हुए,क्योकि दूर तो वो होता हैं जो आपके शरीर से पृथक हो,जब दोनों एक ही शरीर का दो हिस्सा हो तो वो भला कैसे पृथक हो सकता हैं ? सती ने अपने पति महादेव के सम्मान को बनाए रखने के लिए केवल अपने शरीर को त्यागा,आत्मा तो सदैव महादेव में बसा हैं और सदैव बसा रहेगा चाहे सती को कितने भी जन्म लेने पड़े,मगर साथ एकमात्र शिव का ही सती को स्वीकार रहेगा।
मिलना-बिछड़ना, जीना-मरना तो किस्मत की बात हैं मगर अपने प्रेम को जीवित रखना ये बस तुम्हारे हाथ हैं।
आप सभी मनुष्यो को यही लगता होगा की सती तो आदिशक्ति का ही अवतार हैं वो मनुष्य रूप धारण कर भी ले तो उनके पास तो अलौकिक दिव्य शक्तियाँ मौजूद हैं फिर उन्हें किसी भी जन्म में महादेव को पाने के खातिर इतना कठिन तप करने की क्या आवश्यकता हैं ?
इसका मुख्य कारण ये हैं की महादेव चाहे किसी भी अवतार में अवतरित हो चाहे वो मनुष्य रूप में ही क्यों ना अवतरित हो उन्हें अपने पति रूप में पाने की खातिर देवी सती हर कठिन परीक्षाओ से हो कर गुजरती हैं, महादेव और देवी सती कभी अपनी मर्यादा का उलंघन नहीं करते और ना ही अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करते हैं,यही तो खासियत हैं जो महादेव को स्वतः ही महादेव की उपाधि प्राप्त हैं जो देवो के भी देव कहलाते हैं।
जिस प्रेम में एक दूसरे के लिए सम्मान और विश्वास होता हैं उसमे सच्चे प्रेम का वास होता हैं,वही सच्चा प्रेम वरदान बन जाता हैं,जो हर पल, हर जन्म और युगो-युगो के लिए अमर हो जाता हैं।
ना कोई स्वार्थ,ना ही कोई शर्त जहाँ सच्चा प्रेम बसता हैं वहाँ कोई गिला-शिकवा नहीं होता हैं।
आप सब यही सोचते होंगे केवल देवी सती ने ही भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तप किया,मगर शिव ने कोई कठिन तप नहीं किया ना ही शिव ने सती के लिए कोई बलिदान दिया,मगर सत्य कहूं तो वास्तविकता कुछ और ही हैं, जैसे कठिन तप देवी सती ने शिव को पाने के लिए किया उससे भी कही ज्यादा कठोर तप शिव ने अपनी सती से मिलन हेतु किया हैं।
भगवान शिव ने ही सती को,उसके अस्तित्व से मिलाया सती के अंदर छुपी शक्तियों से उसे परिचित कराया। एक महसंयासी महायोगी एक वैरागी को सती ने गृहस्थ बनाया शिव और सती के मिलन से ही ये संसार अपने अस्तित्व में आया। जितने जन्म सती ने अपने शिव को पाने के लिए लिया हैं,उतने ही जन्म शिव ने भी अपनी सती को पाने के लिए लिया हैं।
आज इस कलयुग में आप मनुष्य एक जन्म में भी किसी की प्रतीक्षा नहीं कर सकते, मगर जहां सच्चा प्रेम होता हैं,वो कई जन्मो तक अपनी ही साथी की प्रतीक्षा में गुजार देता हैं। यहां बात हो रही हैं उस दिव्य प्रेम कहानी की शिव और सती की अमर प्रेम कहानी की।
कैसे आदिशक्ति ने शक्तिस्वरूपा होने के बावजूद भी महादेव के साथ गृहस्थ जीवन को बिताया ना तो कभी अपनी शक्ति का अभिमान दिखाया ना ही कभी अपने पति के आज्ञा का उलंघन किया ना तो कभी महादेव ने अपनी अर्धांगनी का किसी भी बात में विरोध किया,ना ही किसी फैसले में विरोध किया,शिव और शक्ति दोनों ने साथ मिल कर सदैव एक सुखी समपन्न गृहस्थ जीवन का पालन किया।
आप सभी मनुष्य यही सोचते हो कहते हो कैसे एक महलो की राजकुमारी शमशान वासी की दीवानी हो गई ? ये शब्द बस एकमात्र भर्म के सिवा कुछ नहीं क्योकि महल, धन-दौलत,पैसा,जायदाद मकान,हवेली ये सब एक भर्म हैं सत्य तो यही हैं की आपका कर्म और आपका परिचय ईश्वर को पता हैं, सबका ठिकाना और सबकी औकाद ईश्वर को पता हैं,चाहे तो महलो में महादेव भी रह सकते हैं,क्योकि ऐसा क्या हैं जो महादेव के पास नहीं ? जो किसी के पास नहीं वो महादेव के पास हैं मगर महादेव सभी मनुष्यो को उसके सत्य से परिचित कराने हेतु उन्हें सही दिशा दिखाते हैं सब मोह माया हैं जिसमे जो उलझ गया वो उससे कभी बाहर नहीं आ सकता जो इस मायाजाल से बाहर नहीं आ सकता वो कभी महादेव को पा नहीं सकता।
जानना चाहते हैं आज इस कलयुग में क्यों प्रेम में इतनी शक्ति नहीं क्योकि लोग कलयुग में अधिक धोखे और फरेब की नींव पर प्रेम का रिश्ता जोड़ रहे हैं, स्वयं ही प्रेम को कलंकित करने का प्रयास करते हैं,और इल्ज़ाम भगवान पर लगाते हैं, क्यों हमारे किस्मत में सच्चा प्यार नहीं,क्यों भगवान ने ऐसा किया ? सत्य कहूं तो भगवान कभी किसी का अहित नहीं चाहते जो इंसान तुम्हारे लिए सही नहीं उसे तुमसे इसलिए दूर किया जाता हैं ताकि तुम धोखे से बच सको।
आपने शिव और सती के प्रेम से कुछ सीखा जो अपने पति के सम्मान के लिए अपने प्राणो की चिंता किए बगैर अपना कर्तव्य निभाया,जिसके प्रेम में इतनी शक्ति थी की उसने पुनः जन्म ले कर अपने प्रेम को पुनः पाया जिनके प्रेम का साक्षी समस्त संसार हैं।
Today, whom I am going to talk about is none other than Adishakti herself who took human form to attain Mahadev, the God of Gods.
Who said that the love story of Shiv and Sati remained incomplete? Who said that Sati went away from Shiv? Love never fades, love never dies, because love is immortal. Sati did not go away from Shiv, nor did Shiv ever get separated from Sati, because the one who is separated from your body is distant, when both are two parts of the same body, then how can they be separated? Sati gave up her body only to maintain the honor of her husband Mahadev, the soul also always resides in Mahadev and will always reside no matter how many births Sati has to take, but only Shiva will be acceptable to Sati.
Meeting and separating, living and dying are a matter of fate, but keeping your love alive is only in your hands.
All of you people must be thinking that Sati is the incarnation of Adishakti, even if she takes human form, she has supernatural divine powers, then why does she need to do such hard penance to get Mahadev in any birth?
The main reason for this is that no matter in which incarnation Mahadev incarnates, even if he incarnates in human form, Goddess Sati goes through every difficult test to get him as her husband. Mahadev and Devi Sati never violates their limits, they neither violates the rules nor misuses their powers, this is the specialty that Mahadev automatically gets the title of Mahadev, who is also called the God of Gods.
True love resides in the love in which there is respect and trust for each other, only that true love becomes a boon, which becomes immortal for every moment, every birth and for ages.
There is no selfishness, no conditions; where true love resides there are no complaints.
You all must be thinking that only Goddess Sati did hard penance to get Lord Shiv, but Shiv did not do any hard penance nor did Shiva make any sacrifice for Sati, but to tell the truth, the reality is something else, like Goddess Sati performed difficult penance to attain Shiv and even more severe penance was performed by Shiv to meet his Sati.
It was Lord Shiv who introduced Sati to her existence and introduced her to the powers hidden within her. A great monk, a great yogi, and a recluse were made householders by Sati. It was only through the union of Shiva and Sati that this world came into existence. As many births as Sati has taken to attain her Shiv, Shiv has also taken the same number of births to attain her Sati.
Today in this Kaliyuga, you humans cannot wait for anyone even in one birth, but where there is true love, they spend many births waiting for their partner. Here we are talking about that divine love story, the immortal love story of Shiv and Sati.
How Adishakti, despite being in the form of Shakti, lived a family life with Mahadev, neither did she ever show pride in her power nor did she ever disobey her husband's orders, nor did Mahadev ever oppose his better half in anything, nor opposed in any decision, both Shiv and Shakti together always led a happy and prosperous family life.
All of you people think the same thing and say, how did a princess from a palace fall in love with a resident of a crematorium? These words are nothing but an illusion because palace, wealth, money, property, house, mansion, all these are an illusion. The truth is that your deeds and your identity are known to God, everyone's whereabouts and everyone's status is known to God. Do you know, if Mahadev wants, he can also live in the palace, because what is there that Mahadev does not have? What no one has, is with Mahadev, but Mahadev shows the right direction to all human beings to make them aware of its truth. All are illusions in which the one who gets entangled can never come out of it. The one who cannot come out of this illusion, he Can never find Mahadev.
Want to know why love doesn't have that much power in this Kalyug, because in this Kalyug, people are building love relationships on the foundation of more deception and deceit, they themselves try to tarnish love, and blame God, why? True love is not in their destiny, why did God do this? To tell the truth, God never wants any harm to anyone. The person who is not right for you is removed from you so that you can avoid deception.
You learned something from the love of Shiv and Sati, who performed her duty without worrying about her life for the honor of her husband, whose love was so powerful that she took birth again and found her love again, whose love is witnessed by the whole world. .
ReplyDeleteEvery person should have true love with faith in his life, only then his love remains immortal every moment for ages, the whole world is very happy to see the love of Mahagauri and Mahadev because the love of Mahadev and Mahagauri is unbreakable and pure. Very lovely article by you.🥳👍👍
Thank you...
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