जैसे एक चिंगारी अग्नि की प्रचंड रूप ले लेती हैं और पूरे समूह को अपने साथ जला कर भस्म कर देती हैं ठीक वैसे ही नफर, क्रोध,ईर्ष्या,प्रतिस्प्रधा भी पूरे विश्व के विनाश का कारण बनती हैं।
मगर जहाँ पर चारो तरफ अग्नि अपने प्रचंड रूप में विस्तार लेती हैं यदि वहाँ समय पर शीतल जल को अग्नि पर डाल दिया जाए तो अग्नि शांत हो जाती हैं।
शीतल जल में इतनी शक्ति होती हैं वो एक प्रचंड अग्नि को भी बुझाने का काम करती हैं। आपने कभी विचार किया ऐसा क्यों ? क्योकि जल निर्मल, और पवित्र होता हैं उसमे किसी को हानि पहुँचाने की भावना नहीं होती जल दर्पण की तरह होता हैं जब आप जल में देखेंगे आपको अपनी परछाई उसमे दिखाई पड़ेगी। इंसान इस तथ्य को नहीं समझ रहा की हर वक़्त भेदभाव, जातिवाद, अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा अपना-बेगाना, इन विकारो के ही कारण देश में युद्ध,लड़ाई,झगड़े, अधर्म, पाप का विस्तार सबके विनाश का कारण बनते जा रहा हैं इससे किसी का कोई फायदा नहीं मगर लोग नहीं समझ पा रहे अपने जीवन के सत्य को। इस संसार में चाहे कोई किसी भी मजहब का हो किसी भी जाति का हो सभी मनुष्य ईश्वर की नजरो में एक हैं। ना कोई किसी से छोटा हैं,ना कोई किसी से बड़ा सब एक समान हैं। चाहे आप मुस्लिम हो या सिख चाहे आप हिन्दू हो या ईसाई सबके खून का रंग लाल ही हैं किसी के खून का रंग एक दूसरे से भिन्न नहीं ये इस बात का प्रमाण हैं आप सब मनुष्य एक हो आप एक दूसरे से भिन्न नहीं। जब आप एक हो फिर आप आपस में ईर्ष्या, नफरत,क्रोध,स्वार्थ,अहंकार,प्रतिस्पर्धा और बदले, की भावना को अपने अंदर हावी कर स्वयं का ही नुकसान कर रहे हो,स्वयं को ही हानि पहुँचाने का प्रयास कर रहे हो इसमें किसी का कोई फायदा नहीं बल्कि इससे सबका नुकसान हैं। जरा विचार करो यदि सब एक हो जाए आपस में मिलकर प्रेम भाईचारा निभाने की ठान ले तो इसमें सबका कल्याण हैं, किसी को किसी से कोई क्षति नहीं होगी किसी का कोई नुकसान या हानि नहीं होगी।
मगर इन बातो को समझना सबके लिए नामुमकिन हैं क्योकि एकमात्र ईश्वर ही प्रकट हो कर इस बात का प्रमाण दे सकते हैं की आज पूरा देश जो एक दूसरे का शत्रु बन नफरत को जन्म दे रहा वो स्वयं का ही क्षति कर रहा हैं। एक बात हमेशा याद रखना नफरत बस नफरत को ही जन्म दे सकती हैं प्यार को कदापि नहीं। ठीक वैसे आपसी शत्रुता केवल शत्रुभाव ही जन्म दे सकती हैं मैत्रीभाव नहीं। उदाहरणस्वरूप समझने का प्रयास करे - जैसे एक लकड़ी को गठरी से अलग कर दिया जाए, उसे हाथ से तोड़ने का प्रयास किया जाए ,तो उसे तोड़ना काफी सरल होगा, मगर यदि 6/7 लकड़ियों की गठरी को एक साथ तोड़ने का प्रयास करोगे तो उसे तोड़ पाना आसान नहीं होगा,वो टूटेगी नहीं बल्कि तुम्हारे हाथो को ही क्षति यानी चोट आएगी। ठीक वैसे देश के सभी लोग यदि एकजुट हो जाए फिर ना ही किसी को किसी से कोई क्षति का भय रहेगा और ना ही किसी का अहित होगा। एकता से क्या संभव नहीं ?
जहाँ एकता हैं,वहीं जन हित कल्याण की विवेकता हैं। जब समुंद्रमंथन हुआ था, तब देवता असुर सब एकजुट हो कर समुंद्रमंथन में सहयोग प्रदान किया था, जब समुंद्रमंथन से हलाहल विष बाहर निकला तो उसका पान करना किसी के बस में नहीं था, फिर सबने महादेव का स्मरण किया था, फिर महादेव प्रकट हुए और बिना सोचे, बिना किसी प्रश्न के महादेव ने हलाहल विष का पान किया, वरना हलाहल विष समस्त संसार को नष्ट कर देता आज इस धरा पर किसी का कोई नाम और अस्तित्व मौजूद नहीं होता। मेरा मकसद किसी के भावनाओ और दिल को ठेस पहुँचाना नहीं हैं, बल्कि मेरा धेय सबके हित और कल्याण को नजर में रख कर, उनके जीवन को सही और उज्जवल दिशा में ले जाना हैं।
क्योकि अगर सत्य कहूं तो आज ये सम्पूर्ण विश्व की जो हालत हैं वो बहुत जटिल हैं क्योकि यहां पर रहने वाले ज्यादातर मनुष्य सो रहे हैं यदि वो अभी भी नहीं जागे तो आगे का भविष्य खतरे में पड़ सकता हैं।
क्योकि जब छोटी सी चिंगारी लगती हैं तो लोग उसे नजरअंदाज कर जाते हैं, मगर जब वो चिंगारी धीरे-धीरे प्रचंड अग्नि का रूप धारण करती हैं, यदि उसे सही वक़्त पर रोका ना गया तो वो अपने साथ-साथ कई घरो को तथा आसपास के पूरे इलाके को जला कर भस्म कर देती हैं। फिर लोग यही अफ़सोस जताते हैं कि काश समय रहते संभल जाते अपनी भूल सुधार लेते तो आज इतनी क्षति ना होती।
Because when a small spark occurs, people ignore it, but when that spark gradually takes the form of a huge fire, if it is not stopped at the right time, it destroys many houses and the surrounding areas. Burns the entire area to ashes. Then people express their regret that if they had been careful in time and corrected their mistake then there would not have been so much damage today.
ReplyDeleteEvery human being should love all human beings without discrimination and without casteism, and should talk about the national interest of the country, only then there will be welfare of the country and the world. You write every article very well.
🥳👍
Thank you so much....
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