अक्सर आपने देखा और सुना होगा लोग ज्यादातर आज भी अविश्वास में जी रहे हैं आप यही सोच रहे होंगे आज मैंने अपने लेख में इस प्रसंग का वर्णन क्यों किया ? मैं आज इस संसार को एक अविश्वास से बाहर निकालने का प्रयास कर रही हूँ। यदि आप मेरी इन बातो को नजरअंदाज करते हैं, तो इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योकि जो सच्चाई हैं उसे कोई बदल नहीं सकता एक ना एक दिन सबको इस सच्चाई को स्वीकार करना ही पड़ेगा और एक दिन स्वयं आपको मेरी इन बातो पर विश्वास हो जाएगा।
हमारा आज का विषय हैं अस्पृश्यता ( छुआछूत ) -
अस्पृश्यता क्या है? लोग आज भी ऐसी सोच के साथ क्यों जी रहे हैं? आज हम इन्हीं सब बातों पर मुख्य रूप से चर्चा करेंगे।
यदि मैं आज सत्य कहूं तो छुआछूत नाम की कोई चीज़ नहीं होती। क्योकि यदि ये एक मुख्य चिंता का विषय होता तो आज देश में ना जाने कितने घर तबाह हो जाते, जो आबादी आज इस दुनिया की हैं वो घट कर शून्य पर आ जाती। ईश्वर ने ही सभी जीवों को बनाया हैं और ईश्वर द्वारा बनाया गया कोई भी जीव अछूत नहीं हो सकता यदि आपमें से कोई भी किसी जीव को अछूत मानता हैं, तो वो उस जीव का ही नहीं अपितु ईश्वर का भी तिरस्कार कर रहा हैं। जब कोई व्यक्ति ज्यादा बीमार रहता है उसे अच्छा इलाज और देखभाल की जरुरत होती हैं मगर आज के दौर में लोग ऐसे वहम पाल लेते हैं यदि मैं उसके करीब गया तो कही मुझे भी वो रोग ना हो जाए , चाहे रोग कैसा भी हो चेचक या कोई अन्य मगर लोगो की छोटी सोच और मानसिकता चाह कर भी कोई बदल नहीं सकता।
बात थोड़ी कड़वी हैं मगर आज कह देती हूँ इंसान को इंसान से छुआछूत हो रही हैं तो जो पैसा तुम्हारे पास आ रहा जिससे तुम्हे अत्यंत प्रेम हैं क्या उसमे कोई छुआछूत नहीं वो अछूत नहीं ? क्योकि पैसा तो टिकाऊ नहीं आज जो पैसा तुम्हारे हाथ में हैं कल किसी दूसरे के हाथ में होगा फिर किसी अन्य के हाथ में होगा।
जो अनाज आप खाते हैं, जिसे खा कर आप जिन्दा हैं,वो अनाज कहाँ से आता हैं ?
किसान के कठिन मेहनत और परिश्रम के फलस्वरूप सभी को अनाज प्राप्त हो रहा हैं जो किसान निस्वार्थ भाव से अपनी खेत और फसलों की सेवा करते हैं तेज धुप हो ,तेज बारीश हो या ठंड, किसान कभी अपने काम को नजरअंदाज नहीं करते, क्या होगा जब आपको अनाज से वंचित कर दिया जाए ?
भोजन और जल के बिना किसी का जीवन नहीं अर्थात बिना भोजन के क्या आप कोई कार्य कर सकते हैं ? क्या बिना भोजन के आपके शरीर को बल प्राप्त हो सकता हैं ? बिना भोजन किए कोई एक कदम भी चल नहीं सकता जो शरीर आज ऊर्जावान हैं वो भोजन के वजह से ही हैं।
मेरे कहने का तात्पर्य यही हैं मनुष्य के बिना मनुष्य का कल्याण संभव नहीं हैं चाहे कोई किसी भी धर्म का हो किसी भी जाति का हो ये मायने नहीं रखता,मायने तो ये रखता हैं उस व्यक्ति की सोच उसके कर्म कैसे हैं उसका आचरण और व्यवहार कैसा हैं ? सत्य तो ये हैं की छुआछूत या अछूत कुछ नहीं होता,ये मनुष्यो का एक वहम हैं जिस वहम को वो अपने मन में पाल बैठे हैं,आज यही वहम उन्हें ईश्वर से दूर करने का प्रयास कर रहा हैं।
जब कोई बालक एक गंभीर बीमारी से पीड़ित रहता हैं तो सबसे अधिक कष्ट,पीड़ा और दुःख उस बालक के माता-पिता को होता हैं,क्योकि वो बालक उनके ही शरीर का हिस्सा हैं। कहने का तात्पर्य हैं आज जिस छुआछूत की बीमारी का शिकार ये संसार हो रहा हैं वो हैं मनुष्यो का भ्रम, क्योकि यही भ्रम तुम्हे ईश्वर से दूर कर रखा हैं। अपनी संतानो को इस भ्रम में जीते देख कर ईश्वर बस दुखी ही नहीं बल्कि कुपित भी हैं।
जिसके पास हर दर्द की दवा हैं, जिसके पास हर बीमारी का इलाज हैं, जिसके समक्ष आते ही हर रोगी निरोगी और स्वस्थ हो जाते हैं, जिसके पास हर समस्या का समाधान हैं, ऐसा क्या हैं जो उनके पास नहीं ? मगर अपनी ही बनाई दुनिया को आज बदलते देख वो भी हैरान हैं, जिसने रचा ये समस्त ब्रह्माण्ड जिसने दिया सभी जीवो को जीवन दान, सभी मनुष्यो का निर्माण किया सबमे अपनी शक्ति का संचार किया आज अपनी संतानो की सोच को बदलते देख जो पीड़ा उन्हें हो रही हैं जिसका इलाज उनके पास भी नहीं यदि अभी भी सोच को नहीं बदला किसी ने तब वो दिन दूर नहीं जब उनकी सोच ही उनकी समस्या का कारण बनेगा।
अर्थात हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं की छुआछूत नाम की कोई बीमारी नहीं होती ये बस मनुष्यो की मानसिकता पर आधारित एक वहम होता हैं इसके सिवा कुछ नहीं।
You must have often seen and heard that people are mostly living in disbelief even today. You must be thinking why did I describe this incident in my article today? Today I am trying to take this world out of unbelief. If you ignore these things of mine, then it does not matter to me because no one can change the truth, one day everyone will have to accept this truth and one day you yourself will believe in these things of mine. .
Our Today's Topic is untouchability-
What is untouchability? Why are people still living with such thinking? Today we will discuss all these things mainly.
If I tell the truth today, there is no such thing as untouchability. Because if this had been a major concern then many houses in the country would have been destroyed and the population of this world would have reduced to zero. God has created all living beings and no living being created by God can be untouchable. If any of you consider any living being untouchable, then he is disrespecting not only that living being but also God. When a person is seriously ill, he needs good treatment and care, but in today's times, people develop such misconceptions that if I go close to him, then I may also get that disease, no matter what the disease may be, smallpox or any other disease. But no one can change people's small thinking and mentality even if they try hard.
The matter is a bit bitter but today I say that man is becoming untouchable from man to man, so the money that is coming to you whom you love very much, is there no untouchability in it, is it not untouchable? Because money is not durable, the money that is in your hand today will be in someone else's hand tomorrow and then again in someone else's hand.
The grains that you eat, the grains that keep you alive, where do those grains come from?
As a result of the hard work and effort of the farmers, everyone is getting the grains. Farmers serve their fields and crops selflessly. Be it hot sun, heavy rain or cold, farmers never ignore their work. What will happen when you Be deprived of food grains?
There is no life without food and water, that is, can you do any work without food? Can your body get strength without food? No one can walk even a step without eating. The body that is energetic today is only because of food.
What I mean to say is that human welfare is not possible without humans. It does not matter what religion or caste a person belongs to, what matters is his thinking, his actions, his conduct and behaviour ? The truth is that there is no untouchability in untouchable, this is an illusion of humans which they have nurtured in their minds, today this illusion is trying to distance them from God.
When a child is suffering from a serious illness, the parents suffer the most pain, suffering and sorrow because the child is a part of their body. What I mean to say is that the disease of untouchability that the world is becoming a victim of today is the illusion of humans, because this illusion has kept you away from God. Seeing His children living in this illusion, God is not only sad but also angry. .
The one who has medicine for every pain, the one who has the cure for every disease, the one who has every patient become free and healthy as soon as he comes in front of him, the one who has the solution to every problem, what is it that he doesn't have? But they are also surprised to see their own created world changing today. The one who created this entire universe, who gave life to all the living beings, created all the human beings, infused his power in everyone, what pain they may feel seeing the thinking of their children changing today. There is a problem for which even they do not have the cure. If someone still does not change his thinking, then the day is not far when his thinking will become the cause of his problem.
That is, we come to the conclusion that there is no disease called untouchability, it is just an illusion based on the mentality of humans, nothing else.
''Always remember that a person's bad negative thinking makes him a patient for whom there is neither any cure nor any medicine.''
ReplyDeleteWe should look at every living being with equality. If we discriminate against any living being, it means we insult God. If you want to find God, then learn to love all living beings first..🥳🥳👍
Thank you..
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