सुखी, खुशहाल दाम्पत्य जीवन का रहस्य। The secret of a happy, prosperous married life.

Snehajeet Amrohi
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सुखी और खुशहाल जीवन वही जी सकता हैं  जिसमे हर हालात से लड़ने की हिम्मत और सहनशक्ति का वास होता हैं। चाहे कोई भी रिश्ता हो हर रिश्ते की नींव प्यार और विश्वास पर ही रखी जाती हैं क्योकि प्यार का सही मतलब यही होता हैं की आप जिससे प्यार करते हैं आपको उसपे विश्वास कितना हैं ? या विश्वास हैं भी या नहीं ? यदि विश्वास ही नहीं तो फिर प्यार का कोई मतलब ही नहीं रह जाता। क्योकि प्यार कोई मामूली सा या एकमात्र साधारण शब्द नहीं हैं सच्चे प्यार में ही ईश्वर का वास होता हैं और जहाँ ईश्वर का वास हो वहां पर विश्वास ना करने का कोई प्रश्न ही नहीं रहता। 

आज मैं जिस रिश्ते की बात करने जा रही हूँ वो हैं सुखी और खुशहाल दाम्पत्य रिश्ते का रहस्य। 

एक पवित्र और अटूट दाम्पत्य रिश्ते की पहचान क्या होती हैं ?

जब दो अजनबी जोड़े साथ मिल कर उम्र भर एक दूसरे का साथ निभाने का वचन  देते हैं, हर सुख-दुःख में एकदूसरे का साथ निभाने की कसमे खाते हैं, तथा ईश्वर को साक्षी मान कर विवाह के पवित्र बंधन में बंध जाते हैं वो पवित्र रिश्ता दाम्पत्य रिश्ता कहलाता हैं। विवाह के पश्चात दोनों  एक दूसरे से ना ही अजनबी रह जाते हैं और ना ही दोनों  एक दूसरे से पृथक होते हैं, क्योकि इस दुनिया में पति-पत्नी का ही एक ऐसा रिश्ता हैं,जो तमाम उम्र एक दूसरे की परछाई बन कर दोनों एक दूसरे का साथ देते हैं। अपने पति से ही पत्नी का संसार होता हैं, पति का स्थान ईश्वर तुल्य होता हैं ठीक वैसे पत्नी से पति का संसार उसकी खुशियाँ,उसका सौभाग्य और उसका जीवन सबकुछ पत्नी से ही होता हैं।दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। 

इसलिए पति-पत्नी दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। चाहे जमाना कितना भी आगे बढ़ जाए चाहे युग और समय कितना भी बदल जाए मगर जो नियम और मर्यादा बनाए गए हैं उसका पालन सभी को करना चाहिए। क्योकि बस युग बदला हैं ईश्वर और नियम ना ही बदले हैं और ना ही बदलेंगे। याद रखे दुनिया का हर इंसान यही चाहता हैं उसकी पत्नी उसका सम्मान करे और पूरी वफादारी के साथ दोनों एक दूसरे का साथ निभाए। 

जो युवा आजकल इन दिनों पति-पत्नी के पवित्र दाम्पत्य रिश्ते को खेल समझने की भूल कर रहे हैं,आज मैं उन्हें एक बात बता दूँ  एक पवित्र दाम्पत्य रिश्ते को तोड़ने का प्रयास करना एकमात्र भूल ही नहीं कहलाता,ये एक पाप कहलाता हैं, जिसे ईश्वर कभी क्षमा नहीं करते और ऐसे लोग आजीवन प्यार से वंचित रहते हैं उन्हें ना तो सच्चे प्यार का सुख प्राप्त होता हैं और ना ही किसी का साथ। इसलिए भूल कर भी अपने पति का स्थान किसी अन्य को ना दे और ना ही अपनी पत्नी का स्थान किसी अन्य को दे,क्योकि पति-पत्नी का रिश्ता बहुत अटूट और पवित्र होता हैं। पति का स्थान कोई नहीं ले सकता और ना ही पत्नी का स्थान कोई और प्राप्त कर सकता हैं। 

सुखी, खुशहाल दाम्पत्य जीवन का रहस्य -

जिस रिश्ते में एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान होता हैं वही रिश्ता अटूट और पवित्र रिश्ता कहलाता हैं। यदि आप सुखी और खुशहाल जीवन चाहते हैं तो सर्वप्रथम अपने जीवनसाथी का सम्मान करना सीखे। पत्नी का स्थान पति के चरणों में नहीं बल्कि पति के दिल में होता हैं इसलिए अपनी पत्नी का कभी तिरस्कार करने का प्रयास ना करे। जैसा की मैंने पहले भी बताया हैं पति का स्थान ईश्वर तुल्य होता हैं इसलिए अपने पति का भूल कर भी अपमान करने का प्रयास ना करे। जो नारी अपने पति का सम्मान करती हैं वही नारी पतिव्रता नारी कहलाती हैं। अपने पति से कोई धोखा, झूठ या फरेब करने की भूल ना करे क्योकि झूठ का सहारा आपके रिश्ते को दीमक की तरह खोखला कर देता हैं।

 पति को अपनी पत्नी के अलावा किसी अन्य स्त्री  के बारे में भूलकर भी नहीं सोचना चाहिए, उसे अपनी जिंदगी में लाना तो बहुत दूर की बात है, किसी का ख्याल अपने मन में लाना भी पाप कहलाता है। छोटी-छोटी बातो को अपने दिल पर ना ले क्योकि जिंदगी में हर तरह की परिस्थितियों से हो कर गुजरना पड़ता हैं ऐसी परिस्थितियों में धैर्य से काम लेना पड़ता हैं। पति पत्नी में थोड़ी बहुत नोकझोक तो होते रहती हैं मगर जब दोनों में से किसी को अपनी भूल का एहसास हो जाए तो उसे आपस में ही सुलझा लेना बेहतर होता हैं यदि आप दोनों में से कोई एक अपनी भूल के लिए माफ़ी मांग लेगा तो इससे कोई छोटा नहीं हो जाएगा बल्कि आपकी कदर आपकी अहमियत और सम्मान एक दूसरे के दिल में और बढ़ जाएगा। पति के सम्मान से ही पत्नी का सम्मान टिका होता हैं इसलिए अपने पति के सम्मान को बना कर रखे। 

सदैव इस बात को याद रखे दाम्पत्य रिश्ता ईश्वर द्वारा रचित और निर्धारित होता हैं इसलिए इस रिश्ते को सदैव सम्मान भरी नजरो से ही देखना चाहिए। विवाह का बंधन ईश्वर द्वारा जोड़ा गया बंधन होता हैं अर्थात एक बार यदि आप इस विवाह के बंधन में बंध गए तो इसे चाह कर भी आप या कोई अन्य तोड़ नहीं सकता। हम एक बार जन्म लेते हैं, एक बार मरते हैं तो प्यार और विवाह भी एक बार होता हैं बार-बार नहीं। 




Only those who have the courage and patience to fight every situation can live a happy and prosperous life. No matter what the relationship is, the foundation of every relationship is laid on love and trust because the true meaning of love is how much trust you have in the person you love. Or do you have faith or not? If there is no trust then love has no meaning. Because love is not a simple or ordinary word, only in true love God resides and where God resides there is no question of not believing. 

The relationship I am going to talk about today is the secret of a happy and prosperous marital relationship.

What are the recognition of a sacred and unbreakable marital relationship?

When two strangers couples come together and promise to support each other throughout their life, swear to support each other in every happiness and sorrow, and with God as witness, they get tied in the sacred bond of marriage, that sacred relationship. It is called marital relationship. After marriage, both of them neither remain strangers to each other nor are they separated from each other, because in this world there is only such a relationship between husband and wife, which become each other's shadow throughout the life. The wife's world is from her husband, the husband's place is like God, similarly the husband's world is from the wife, his happiness, his good fortune and his life all are from the wife. Both complement each other. 

Therefore, both husband and wife should respect each other. No matter how much the world progresses, no matter how much the era and time change, everyone should follow the rules and regulations that have been made. Because the era has changed, God and the rules have neither changed nor will change. Remember, every person in the world wants that his wife should respect him and both should support each other with complete loyalty. 

Those youth these days who are making the mistake of considering the sacred marital relationship between husband and wife as a game, today let me tell them one thing. Trying to break a sacred marital relationship is not only called a mistake, it is called a sin, which God never forgives and such people remain deprived of love throughout their life, they neither get the happiness of true love nor anyone's company. Therefore, even by mistake, do not give your husband's place to anyone else, nor give your wife's place to anyone else, because the relationship between husband and wife is very unbreakable and sacred. No one can take the place of a husband, nor can anyone else take the place of a wife.

The secret of a happy, prosperous married life -


The relationship in which there is love and respect for each other is called an unbreakable and sacred relationship. If you want a happy and prosperous life then first of all learn to respect your spouse. The wife's place is not at her husband's feet but in her husband's heart, so never try to disrespect your wife.

As I have told earlier also, husband's place is like God, so do not try to insult your husband even by mistake. The woman who respects her husband is called a devoted woman. Do not make the mistake of cheating, lying or deceiving your husband because the support of lies makes your relationship hollow like termites. 

A husband should not even by mistake think about any other woman, other than his wife, bringing her into his life is a very distant thing, even bringing the thought of someone else in his mind is called a sin. Do not take small things to heart because in life you have to go through all kinds of situations, in such situations you have to be patient. There are some squabbles between husband and wife, but when one of the two realizes his/her mistake, it is better to resolve it amongst yourselves. If one of the two apologizes for his/her mistake, then no one will be hurt. It will not become smaller Rather, your appreciation, importance and respect will increase in each other's hearts. The wife's respect depends only on her husband's respect, so maintain your husband's respect.

Always remember that marital relationship is created and determined by God, hence this relationship should always be viewed with respect. The bond of marriage is a bond created by God, that is, once you are bound by this bond of marriage, neither you nor anyone else can break it even if you want to. We are born once, die once, love and marriage also happen once and not again and again.


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  1. To make married life successful, every husband and wife should trust each other and always maintain the purity of love. Very lovely article.
    🥳❤

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