इस दुनिया में आज जो भी घटित हो रहा उसमे कही ना कही सभी मनुष्य जिम्मेदार हैं,मगर कोई अपनी गलती नहीं मानता। एक छोटा सा सवाल हैं जब कोई शिशु का जन्म होता हैं उसके जन्म के समय ना वो किसी का शत्रु होता हैं ना उसका कोई शत्रु होता हैं,मगर जैसे-जैसे वो बच्चा बड़ा होने लगता हैं पूरी दुनिया को समझना शुरू करता हैं तो इस दुनिया में उसके कई शत्रु बनने लगते हैं आखिर ऐसा क्यों ? क्योकि बड़े होने से ये बिल्कुल मायने नहीं रखता कि आप वाकई सही और गलत के बीच के फर्क को समझने में समझदार और तजुर्बेदार हो गए हो,अक्सर बहुत से युवा पीढ़ी अपनी युवा अवस्था में अनेको बुरी आदतों के शिकार होने लग जाते हैं गलत लोगो को अपना मित्र समझने लग जाते हैं और सही इंसान को अपना शत्रु मान बैठते हैं क्योकि बुराई के रास्ते पर जब कोई एक बार अपनी कदम बाहर निकाल देता हैं तो उस समय से ही वो स्वयं का अपनी जिंदगी का तथा अपने परिवार का सबका शत्रु बन जाता हैं।
जब कोई बुरी आदतों को अपनाना शुरू कर देता हैं तो जो इंसान उसे समझाने का प्रयास करता हैं वो उनकी बातो को अनसुना कर जाता हैं उन्हें अपनी खुशियों का शत्रु मानने लगता हैं। तुम्हे पता हैं जब कोई तुम्हे बर्बाद करना चाहता हैं तो सर्वप्रथम वो तुमसे दोस्ती का हाथ बढ़ाता हैं तुम्हे ये यकीन दिला देता हैं कि उससे ज्यादा तुम्हारा अपना हितैषी कोई और हो नहीं सकता।
ठीक वैसे बुरी आदते,बुरी लत, बुरे रास्ते तुम्हे शुरुआत में अपनी तरफ ऐसे आकर्षित करते हैं जैसे तुम्हारे लिए उससे बेहतर कोई अन्य विकल्प हो नहीं सकता। जब तुम उनकी तरफ आकर्षित होने लगते हो जब उन्हें एहसास हो जाता हैं कि अब तुम चाह कर भी उससे बाहर नहीं आ सकते तब तुम्हारा वही गलत निर्णय बुरे विकार तुम्हे पूर्ण रूप से बर्बाद कर देता हैं ना तो तुम्हे किसी के विश्वास का पात्र बनने लायक छोड़ता हैं और ना तो किसी के प्यार और सम्मान के लायक रहने देता हैं।
तो इन सब बातो से इतना तो तुम खुद समझ गए होगे कि,तुम्हारा सबसे बड़ा शत्रु कोई अन्य नहीं बल्कि स्वयं तुम हो तुम्हारी बुरी आदते हैं, तुम्हारी नासमझी, सही और गलत को बिना परखे बिना समझे किसी से भी दोस्ती का हाथ आगे बढ़ा देना, किसी की भी बातो में आ जाना झूठ को सच और सच तो झूठ मान लेना। तुम्हारी यही त्रुटि तुम्हे अनेको समस्या में उलझा देती हैं जिन बुरे रास्ते पर तुम जिन बुरे लोगो को अपना मित्र मान कर चल रहे थे बाद में वही रास्ते और वही मित्र तुम्हारे शत्रु बन तुमसे शत्रुता निभाने लग जाते हैं। क्योकि इसकी शुरुआत तो तुमने ही की थी तो अंत का परिणाम भी तो तुम्ही भुगतोगे। ये जो युवा अवस्था होती हैं बहुत ही नाजुक अवस्था से हो कर गुजरती हैं क्योकि इसी अवस्था में युवा पीढ़ी या तो अपने भविष्य को सवारने में सफल होते हैं या अपने भविष्य को गलत दिशा में मोड़ कर अपनी तमाम जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं। तुम हमेशा युवा नहीं रहोगे अभी जो कीमती समय तुम्हे प्राप्त हुआ हैं उसे यदि सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया तो आगे चल कर तुम्हे ही इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। माना कि आज माता-,पिता तुम्हारे साथ हैं तो तुम्हे किसी चीज़ की कोई कमी नहीं मगर कबतक किसी के माता-पिता साथ रहते हैं आज नहीं तो कल सबको जाना हैं किसी कि आयु दीर्घायु नहीं होती सबको अपने समय अनुसार ही जीवन प्राप्त हैं।
इसलिए समय की कीमत को समझो वरना बाद में ना तो य समय लौट कर पुनः आएगा ना तो तुम्हारी युवा अवस्था पुनः लौट कर आएगी। प्यार और मोहब्बत के चक्कर में आजकल देश के युवा पीढ़ी इतने अंधे हो चूके हैं कि बिना सोचे विचारे किसी से भी प्यार कर बैठते हैं, हाँ मैं मानती हूँ कि प्यार में अमीर, गरीब, जाति और रूप नहीं देखा जाता प्यार तो दो दिलो का मेल हैं, जो एकदूसरे से पृथक नहीं होते यदि दोनों तरफ प्यार सच्चा हो तो। मगर आजकल तो लोग प्यार भी अपने स्वार्थ के लिए कर रहे हैं यदि उनकी स्वार्थ की पूर्ति नहीं होती तो वो अपने प्यार को ही मार डालते हैं।
इसलिए कोई भी कदम बिना जाने बिना सोचे कभी भी ना उठाए। आजकल आए दिन जो दुर्घटनाएं होती चली जा रही हैं उसका एकमात्र कारण युवा स्वयं ही हैं क्योकि बिना जाने किसी अजनबी से दोस्ती का हाथ बढ़ाना किसी से भी कोई रिश्ता जोड़ लेना ये आपकी भूल नहीं तो फिर क्या हैं ? मगर जब गलत होता हैं लोग ईश्वर पर प्रश्न उठाने लगते हैं, ईश्वर ने किसी को ये नहीं कहा तुम किसी से भी रिश्ता जोड़ लो,किसी पर भी यकीन कर लो हर पल हर जगह ईश्वर समझाने नहीं आएंगे,कही पर कुछ फैसले ईश्वर आप मनुष्यो पर भी छोड़ देते हैं, क्योकि ईश्वर बस यही देखते हैं आप उनके दिए हुए जीवन को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं सही और गलत का चुनाव आपके हाथो में होता हैं।
अब आप भलीभाति समझ चूके होंगे मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कोई और नहीं उसके ही भीतर मौजूद उसकी बुरी आदते,बुरे विकार और उसकी नासमझी हैं।
Whatever is happening in this world today, all human beings are responsible in some way or the other, but no one accepts his fault. There is a small question, when a child is born, at the time of his birth neither he is anyone's enemy nor he has any enemy, but as the child starts growing up and starts understanding the whole world, then this world Many people start becoming his enemies, why is this so? Because by growing up, it does not matter that you have become wise and experienced in understanding the difference between right and wrong. Often, many young generations start falling prey to many bad habits in their youth and adopt wrong people. Friends start understanding and consider the right person as their enemy because once someone steps out on the path of evil, from that very moment he becomes the enemy of himself, his life and everyone in his family.
When someone starts adopting bad habits, the person who tries to explain it to him ignores his words and starts considering him as the enemy of his happiness. You know that when someone wants to destroy you, he first extends his hand of friendship to you and makes you believe that no one can be more well-wisher of you than him.
Similarly, bad habits, bad addictions, bad paths attract you in the beginning as if there can be no other better option for you. When you start getting attracted towards them, when they realize that now you cannot come out of it even if you want, then your same wrong decision and bad vices ruin you completely, neither do you deserve to be the object of anyone's trust. Neither leaves nor allows anyone to remain worthy of love and respect.
So from all these things you yourself must have understood that your biggest enemy is none other than yourself, it is your bad habits, your foolishness to extend the hand of friendship to anyone without testing and understanding right and wrong. Get influenced by anyone's words and consider lie as truth and truth as lie. This mistake of yours gets you entangled in many problems. The bad paths on which you were walking and considering the people as your friends, later on, the same paths and the same friends become your enemies and start being hostile towards you. Because you were the one who started it, so you will suffer the consequences of the end too.These youthful stages pass through a very delicate stage because in this stage the young generation either succeeds in taking charge of their future or turns their future in the wrong direction and wastes their entire life. You will not remain young forever. If you do not use the precious time you have now got in the right way, you will have to suffer the consequences in the future. It is believed that if your parents are with you today, then you do not lack anything, but how long can someone's parents stay with him, if not today then tomorrow everyone has to go, no one's life is long, everyone gets life as per their own time.
Therefore, understand the value of time, otherwise neither will this time come back nor will your youth come back.Nowadays, in the pursuit of love and affection, the young generation of the country has become so blind that they fall in love with anyone without thinking, yes I believe that in love, rich, poor, caste and appearance are not seen, love is the union of two hearts. There are unions which cannot be separated from each other if the love on both sides is true. But nowadays people are doing love for their own selfishness and if their selfishness is not fulfilled then they kill their love.
Therefore, never take any step without knowing and thinking first. Nowadays, the only reason for the accidents that are happening day by day is the youth themselves because if extending a hand of friendship to a stranger without knowing it and getting into a relationship with anyone is not your mistake, then what is this? But when things go wrong, people start questioning God, God has not told anyone that you can establish a relationship with anyone, believe in anyone, God will not come to explain every moment and everywhere, somewhere God leaves some decisions to humans, because God only sees in which direction you want to take the life given by him, the choice of right and wrong is in your hands.
Now you must have understood very well that the biggest enemy of man is none other than his bad habits, bad vices and his ignorance present within him.
ReplyDeleteWe should keep company of good people because if even one apple is rotten inside the basket then it would make all the apples useless, hence company has immense impact on our life. very nice article by you
😊
Thank you so much for your lovely comment and appreciation.....
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