एक पिता अपने दस बच्चों की भी परवरिश कर सकते हैं मगर वहीं पर जब बात बच्चों की आती हैं तो बड़े हो कर वहीं बच्चे अपने एक पिता का खर्च उनकी देखभाल नहीं कर पाते,उन्हें अपने ही माता-पिता बोझ लगने लगते हैं। मैं आज उन्ही संतानो से एक सवाल करना चाहूँगी। जो माता-पिता तुम्हारे बाल्यावस्था में तुम्हें पाल पोस कर बड़ा किया तुम्हे कंधो पर बिठा कर तुम्हारे बालयकाल में तुम्हे भ्रमण कराया तुम उन्हें कभी बोझ नहीं लगे उस पिता ने तुम्हारा भार उठाया आज इस बदलते युग में कोई भी संतान अपने ही माता-पिता की देखभाल करने में असमर्थ क्यों हैं ?
बदल गया युग, इस बदलते युग के साथ बदल गए सभी रिश्ते-नाते। आज रो रही ये प्रकृति भी देख माता-पिता के उपकारों को कैसे भुला बैठी सभी संताने।
याद करो वो बचपन जब तुम किसी खिलौने की जिद्द करते थे तो तुम्हारी हर जिद्द को माता-पिता पूरी करते थे तुम्हारी आँखों में यदि थोड़ी धूल चली जाती तो तुम्हारी आँखों में फुंक मार कर माँ अपनी आँचल से तुम्हारी आँखों को सहलाया करती थी या तुम्हे थोड़ी सी भी खरोच आती थी तो माता-पिता उस वक़्त अपनी ममतामय करुणाभरी नजरो से तुम्हे देख कर तुम्हारे हर दर्द को तकलीफ को एक पल में कम कर दिया करते थे।
ये माता-पिता का स्नेह उनका दुलार हैं जिसमे इतनी शक्ति हैं जो अपनी संतान को हर बला से सुरक्षित रखती हैं।
चाहे आप कितने भी सफल हो जाओ चाहे आप कितने भी बड़े पद की नौकरी प्राप्त कर लो मगर इसके बावजूद यदि तुम्हारे माता-पिता तुम्हारी बेरुखी से, तुम्हारे व्यवहार से अगर अप्रसन्न हैं तो तुमसे बड़ा बदनसीब कोई अन्य हो नहीं सकता। क्योकि माता-पिता को दुखी करने वाली संतान कभी ईश्वर की कृपा के अधिकारी नहीं हो सकते।
जो बाग-बगीचे फूल,पेड़ और पौधे तुम अपने घर की शान को बढ़ाने के लिए लगा रहे वो तबतक निरर्थक हैं जबतक तुम्हे अपने माता-पिता की कद्र का उनकी अहमियत का एहसास नहीं होता क्योकि वास्तविक घर की शोभा ये पेड़-पौधे बाग-बगीचे नहीं बल्कि हर घर के बड़े बुजुर्ग माता-पिता होते हैं क्योकि उनकी ही छत्रछाया में आप पल रहे होते हैं जो हर मुसीबत और खतरे से आपको आगाह करते हैं आपकी रक्षा करते हैं क्योकि माता-पिता की दी गई हर सीख अपनी संतान के हित में होता हैं और जो अपनी माता-पिता की सीख को अमल करता हैं वो आजीवन सभी चिंताओं से मुक्त रहता हैं।
मगर आज इस कलयुग की संतानो को अपने माता-पिता की दी गई कोई सीख कहाँ पसंद आती हैं क्योकि आज की संताने तो अपने माता-पिता को ही सीख दे जाते हैं। माता-पिता के उपकारों को उनकी ममता को भुला कर आज की संतान अपने ही माता-पिता को घर से बेघर करने में लगे हैं, बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा हैं जो हाथ माता-पिता की सेवा के लिए उठना चाहिए वो हाथ आज की संताने अपने माता-पिता पे शोषण करने को उठा रहे हैं कितनी बेरहम संताने तो ऐसी हैं जो अपने माता-पिता को थप्पड़ मारने के लिए उनपे हाथ तक उठा देती हैं। सोचो जरा क्या गुजरती होगी उन माता-पिता पर जिनकी संताने उन्हें ही आँख दिखाती हैं उन्हें ही गालियाँ देती हैं।
जिन हाथों को थाम कर जिनकी उंगलियों को पकड़ कर तुमने चलना सीखा आज उस माता-पिता का ही हाथ पकड़ कर तुमने घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया।।
माता-पिता की संतानो ये ना भूलना तुमने बड़ा नाम कमा लिया।।
ये समय हैं तुम्हारा इसलिए तुमने ये गुस्ताखी कर लिया ये ना भूलो कर्म ही हैं सबका सारथि जिसने जैसा कर्म किया उसे वैसा फल मिला।।
ना जाने कितने माता-पिता अपनी संतान के होते हुए भी वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर हैं आज उन्ही संतानो को मेरा एक संदेश यदि तुम्हारे युवावस्था में बिना कामयाब हुए तुम्हारे माता-पिता तुम्हे घर से निकाल देते या तुम्हे किसी अनाथाश्रम छोड़ आते और तुमसे अपना हर रिश्ता तोड़ देते तो उस नाकामी में तुम्हारे दिल पर क्या गुजरती क्या इस सवाल का जवाब हैं किसी के पास ?
A father can raise even ten children but when it comes to the children, when they grow up, they are not able to bear the expenses and take care of their one father, they start feeling their own parents as a burden. Today I would like to ask a question to those children. The parents who brought you up in your childhood, carried you on their shoulders and took you around in your childhood, you never felt like a burden to them, that father bore your burden. Today, in this changing era, why are children unable to take care of their own parents?
The era has changed, with this changing era all relationships have changed. Today even nature is crying, see how all the children have forgotten the favors of their parents.
Remember your childhood days when you used to insist on getting a toy and your parents used to fulfill all your demands. If a little dust got into your eyes, your mother used to blow away your eyes and caress them with her pallu. Or if you got even a little scratch, your parents used to look at you with their loving and compassionate eyes and reduce your pain and suffering in a moment.
This is the love of parents, their affection which has so much power that it keeps their children safe from every danger.
No matter how successful you become, no matter how high-ranking job you get, if in spite of all this your parents are unhappy with your indifference and your behavior, then no one can be more unlucky than you. Because children who make their parents unhappy can never deserve God's grace.
The garden, flowers, trees and plants that you plant to enhance the beauty of your house are useless till the time you do not respect your parents and realise their importance because the real beauty of a house is not these trees and plants or gardens but the elderly parents of every house because you are growing up under their protection, who warn you of every trouble and danger and protect you because every lesson given by the parents is for the benefit of the children and the one who follows the teachings of his parents remains free from all worries throughout life.But today, the children of this Kalyug do not like any teachings given by their parents because today's children give teachings to their parents only. Forgetting the favors and affection of the parents, today's children are busy in making their own parents homeless, it is very sad to say that the hands which should be raised to serve the parents, those hands are being raised by today's children to exploit their parents, there are so many ruthless children that they even raise their hands to slap their parents. Think about what those parents must be going through whose children defy them and abuse them.
Holding the hands and fingers of those parents who taught you to walk, today holding the hands of those parents you have shown them the way out of the house. Children of parents, do not forget that you have earned a big name..
This is your time, that is why you committed this insolence..
Do not forget that karma is the charioteer of everyone, whoever did whatever deed, got the same result..
Who knows how many parents are forced to live in old age homes despite having children. Today, I have a message for those children. If your parents had thrown you out of the house without being successful in your youth age or left you in an orphanage and broke all relationships with you, what would you have gone through in that failure? Does anybody have the answer to this question?
ReplyDeleteParents keep their children happy by putting their every happiness at stake. They themselves stay hungry to feed their children properly and raise them well. Therefore, all children should respect and serve their parents. 👍
You are absolutely right...
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