ईश्वर एक हैं सारी जाति और मजहब भी एक हैं यदि इस बात पर किसी को संदेह हैं तो क्या ये सबूत काफी नहीं की हर दिन सूरज की रौशनी सबको एक समान रौशन करती हैं हर रात का चाँद सबको अपनी शीतलता एक समान प्रदान करता हैं। अब मैं अटल सत्य कहूँ तो ईश्वर ने कोई जाति और मजहब नहीं बनाया ये तो मनुष्यो विचारधाराएं होती हैं जो उन्हें सत्य से विमुख रखने का कार्य करती हैं,और दिखावे भरी जिंदगी में जीने को विवश करती हैं।
आप जानना नहीं चाहेंगे,नास्तिक भी कभी आस्तिक हुआ करते थे ऐसा मैंने क्यों कहा ?
आप सबको मेरा ये तथ्य शुरुआत में थोड़ा अजीब लग सकता हैं मगर अंततः आप पूरे तथ्य को पढ़ने के बाद मेरे तथ्य से जरूर सहमत होंगे।
चलिए अब रुख मोड़ते हैं हमारे इस मुख्य तथ्य की ओर।
इस संसार में कोई भी रिश्ता विश्वास और सम्मान पर ही टिका रह सकता हैं चाहे रिश्ता भक्त का भगवान से हो या रिश्ता इंसान का इंसान से हो। मगर भक्ति ऐसी हो जिसमें लेश मात्र भी स्वार्थ और लालच का कोई स्थान ना हो तभी वो भक्ति सार्थक परिणाम दे सकती हैं। आज इस कलयुग में मनुष्य का हर मनुष्य से दुश्मनी की एकमात्र वजह हैं उनके मन में बसा स्वार्थ,लालच,ईर्ष्या और अहंकार। यही बुरे विकार मनुष्यो को ईश्वर से भी दूर कर रखा हैं जिसका उन्हें अनुमान ही नहीं। जब किसी की प्राथनाएं ईश्वर द्वारा नहीं सुनी जाती तो उस मनुष्य का विश्वास ईश्वर से कम होने लगता हैं यही वजह हैं की आज इस कलयुग में बहुत से लोग धर्म परिवर्तन में लगे हैं यदि ईश्वर की पूजा उन्हें बेहतर परिणाम नहीं देती तो लोग एक पल में बिना सोचे ईश्वर भी बदल देते हैं। ये तो बस मनुष्य की समझ का फर्क हैं क्योकि सत्य को आजतक कोई बदल नहीं सका ना ही बदल पाएगा ईश्वर सत्य हैं और जहाँ सत्य विराजमान हैं वहाँ असत्य के लिए कोई स्थान नहीं। जब कोई दुखद घटना घटित होती हैं तो लोग ईश्वर को दोषारोपण करने लगते हैं,जब कोई कार्य सफल नहीं होता तो लोग ईश्वर को भला-बुरा कहना शुरू कर देते हैं मगर अपनी त्रुटि को भला कौन देखता हैं ?
जब आपकी कोई मन्नत पूरी नहीं होती तो आप उसका जिम्मेदार भी ईश्वर को ठहराते हैं कभी ये विचार नहीं करते कि हो सकता हैं आपकी वो मन्नत आगे चल कर भविष्य में आपके लिए संकट का कारण भी बन सकती हैं जिसका अनुमान मगर ईश्वर को हैं। आज के कुछ युवा प्रेम को खेल समझते हैं बहुत कम ही ऐसे युवा होंगे जिन्हे प्रेम का सही अर्थ पता हैं। कुछ युवा या युवती ईश्वर से अपना मनचाहा जीवनसाथी माँगते हैं वो यही चाहते हैं जिनसे वो प्रेम करते हैं उनका विवाह उससे ही हो मगर किसी कारणवश ऐसा नहीं हो पाता तो वो ईश्वर पर अपनी आस्था और विश्वास खो बैठते हैं ऐसे युवाओ से मैं एक ही बात कहना चाहूँगी सही और गलत की परख जितना ईश्वर को हैं उतनी परख आप मनुष्यो को नहीं इसलिए जो ईश्वर को आपके लिए बेहतर लगता वो आपके नसीब में वही लिखते हैं इसलिए शिकायत करने से बेहतर होगा आप स्वयं को ईश्वर का शुक्रगुजार माने। जन्म और मरण एक ऐसा चक्र हैं जिससे हो कर सभी को एक ना एक दिन गुजरना हैं क्योकि विनाश से ही नया निर्माण संभव हैं। मगर मनुष्यो ने ईश्वर के बनाए नियमो को तोड़ने का प्रयास किया हैं जिसका भुगतान ये प्रकृति आज सबसे ले रही। मनुष्य का नास्तिक होना इस बात का प्रमाण हैं की उसे ईश्वर पर विश्वास नहीं और जहाँ ईश्वर पर ही संदेह हो वहाँ कोई भी अपने कल्याण की भावना को भला कैसे बनाए रख सकता हैं ?
दुःख से विचलित होने वाले मनुष्यो से मैं आज एक ही बात कहना चाहूँगी की कुछ भी इस संसार में स्थाई नहीं हर दुःख के बाद सुख के दिन आते हैं हर अँधेरी रात के बाद एक नई सुबह की शुरुआत होती हैं, मौसम में परिवर्तन होते हैं यहाँ तक की मनुष्यो की आयु में भी परिवर्तन अनिवार्य हैं ये प्रकृति और ईश्वर का नियम हैं इस नियम से जब ईश्वर भी विमुख नहीं जब ईश्वर भी अपने बनाए नियमो का पालन करते हैं तो भला मनुष्य कैसे विमुख हो सकते हैं ?
God is one and all castes and religions are one. If anyone has any doubts about this, then is this evidence not enough that every day the sunlight gives equal light to all and every night the moon gives its coolness equally to all.Now if I tell you the absolute truth, God did not create any caste or religion. These are the ideologies of humans which work to keep them away from the truth and force them to live a life full of pretense.
You wouldn't want to know, why did I say that atheists were also once believers?
This fact of mine may seem a bit strange to you all in the beginning but ultimately after reading the entire fact, you will definitely agree with my fact.
Now let's turn to our main fact
In this world, any relationship can be based only on trust and respect, whether it is a relationship of a devotee with God or a relationship of a human with a human.But the devotion should be such that there is no place for even the slightest selfishness and greed in it, only then can that devotion give meaningful results.Today in this Kaliyug, the only reason for human's enmity towards another man is the selfishness, greed, jealousy and ego in their minds. These evil vices have kept human away from God as well, which they have no idea about.When someone's prayers are not heard by God, then that person's faith in God starts to diminish. This is the reason why in this Kaliyug, many people are engaged in changing their religion. If worshipping God does not give them better results, then people change their God in a moment without thinking.This is just a difference in human understanding because no one has been able to change the truth till date nor will be able to change it. God is truth and where truth exists there is no place for untruth.When some sad event occurs then people start blaming God, when some work is not successful then people start abusing God but who sees his own mistakes?
When any of your wishes is not fulfilled, you hold God responsible for it, never thinking that it is possible that your wish may become a cause of trouble for you in the future, which God is aware of. Some of today's youth consider love a game. There are very few youth who know the true meaning of love. Some young men and women ask God for a life partner of their choice. They want that they should marry the person they love, but if this does not happen due to some reason, then they lose their faith and belief in God. I would like to say only one thing to such youth, you humans cannot judge the right and wrong as much as God has, so whatever God feels is best for you, He writes that in your destiny, so instead of complaining, it would be better to consider yourself thankful to God. Birth and death is a cycle that everyone has to go through one day or the other because new creation is possible only through destruction. But humans have tried to break the rules made by God, for which nature is making everyone pay today. A man being an atheist is proof of the fact that he does not believe in God, and where there is doubt on God himself, how can anyone maintain his sense of well-being?
Today I would like to say only one thing to those people who are disturbed by sorrow that nothing is permanent in this world, after every sorrow come happy days, after every dark night a new morning begins, there are changes in the seasons, even changes in the age of humans are inevitable, this is the law of nature and God, when even God is not averse to this law, when even God follows the rules made by himself, then how can humans be averse to this law?
ReplyDeleteEvery person should remember God even in happiness because we remember God only when we are in sorrow, God always supports those who remember God selflessly.👍
Thank you....
DeleteAapne bht achi lines likhi h 👏👏
ReplyDeleteThank You.....
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