हर मकान तबतक घर नहीं बनता जबतक उसमे रहने वाले सदस्यों में एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान का विस्तार नहीं होता। यदि आपके घर में बसने वाले लोग एक दूसरे का सम्मान नहीं करते तो ये समझ लेना आप घर में नहीं बल्कि एक मकान में रह रहे हो। मकान और घर में बहुत फर्क होता हैं।
घर वो कहलाता है जहां प्रतिदिन बड़े बुजुर्गों का सम्मान होता हैं, घर वो कहलाता हैं जहां अपने और पराए का कोई मतभेद नहीं होता हैं। घर वो कहलाता हैं जहां बहू बेटी बन कर उस घर में बसती हैं, घर वो कहलाता हैं जहां भाई-भाई का शत्रु नहीं बल्कि मित्र बन कर रहते हैं। ऐसे अच्छे संस्कार और विचारधारा रखने वाले सदस्यों के घर में सदैव ईश्वर का वास मौजूद रहता हैं,और ऐसा घर सदा खुशहाल रहता हैं।
खुद विचार करें क्या करेंगे आप अपार धन का जब आपकी जिंदगी में सुख और शांति ही नहीं ?
सब कुछ यहीं रह जाएगा,यदि तुम्हारे साथ कुछ जाएगा वो हैं तुम्हारा अच्छा कर्म जो तुम्हारी परछाई बन कर तुम्हारा साथ निभाएगा।
परिवार से ही आपका जीवन सुखमय बनता हैं, इसलिए अपने परिवार का दिल से सम्मान करे। छोटी-छोटी खुशियाँ ही आपके जीवन में बड़ी खुशियों का सौगात ले कर आती हैं। एकमात्र अपने लिए सोचना खुद की खुशियों को दुसरो से ज्यादा अहमियत देना कभी किसी मनुष्य को बेहतर परिणाम नहीं दे सकता। जब आप स्वयं ही किसी की कद्र नहीं करेंगे तो आप दुसरो से खुद की कद्र की उम्मीद कैसे रख सकते हैं ? जब बड़े हो कर भी आपमें सही और गलत को समझने और परखने का ज्ञान नहीं तो आपका किताबी ज्ञान किसी काम का नहीं। जिस घर में प्रतिदिन बड़े बुजुर्गो का माता-पिता का सम्मान होता हैं उस घर में खुशहाली का विस्तार होता हैं। अपनी हर खुशियों को अपने परिवार से बांटना सीखे।इस दुनिया में कौन नहीं चाहता वो खुश रहे ?
आप ये क्यों नहीं सोचते आप तो अभी युवा हो आपका जीवनकाल लम्बे अवधि का हैं मगर जो बड़े बुजुर्ग माता-पिता आपके घर में मौजूद हैं उनकी आयु तो लम्बे अंतराल की नहीं यदि उन्हें अभी कोई खुशियाँ प्राप्त नहीं हुई तो जब उनका समय पूरा हो जाएगा उन्हें इस बात का अवश्य दुःख होगा की अपना तमाम जीवन उन्होंने अपने बच्चो की खुशियों के ख्याल में लगा दिया मगर बाद में उनके बच्चे उनके ही खुशियों का ख्याल ना रख सके।क्योकि ये संसार जीते जी किसी की कद्र और अहमियत को नहीं समझता मगर किसी के जाने के बाद ही मनुष्य को उसकी अहमियत का अंदाज़ा होता हैं और बाद में पछतावे के सिवा कुछ नहीं रह जाता हैं।
चाहे कोई भी रिश्ता हो पति-पत्नी का, माता-पिता का सास-ससुर का भाई-बहन का या कुछ अन्य हर रिश्ता विश्वास और सम्मान पर टिका होता हैं किसी भी रिश्ते में स्वार्थ का कोई स्थान नहीं होता। जो परिवार अपने संस्कारो में बंधे रहते हैं जो परिवार एक दूसरे के दुःख-सुख में भागीदारी निभाते हैं वही परिवार खुशहाल परिवार कहलाता हैं। हमेशा याद रखे एकमात्र त्यौहार ही आपके जीवन में खुशियाँ नहीं लाता यदि आपका रिश्ता आपके परिवार के हर सदस्य के साथ मजबूत और अटूट हैं आप सबके दिलो में एक दूसरे के लिए प्यार और सम्मान हैं तो फिर ऐसे परिवारों के लिए हर दिन एक त्यौहार हैं।
Home is a place where elders are respected every day, home is a place where there is no discrimination between one's own and others. Home is a place where daughter-in-law lives in the house like a daughter, home is a place where brothers live like friends and not like enemies. God always resides in the house of members with such good rites and ideology and such a house is always happy.
Think for yourself, what will you do with this immense wealth when there is no happiness and peace in your life?
Everything will remain here, if something goes with you then it is your good deeds which will remain with you like your shadow.
Your life becomes happy only because of your family, so respect your family from your heart. Small joys bring big joys in your life. Thinking only about yourself and giving more importance to your own happiness than others can never give better results to any person.When you yourself don't respect anyone then how can you expect others to respect you? If even after growing up you do not have the knowledge to understand and judge the right and wrong then your bookish knowledge is of no use.
Happiness spreads in the house where elders and parents are respected every day.Learn to share all your happiness with your family. Who doesn't want to be happy in this world? Why don't you think about it, you are still young and you have a long lifespan but the elderly parents present in your house do not have a long lifespan. If they have not got any happiness now, then when their time is over, they will surely be sad that they spent their whole life thinking about the happiness of their children but later their children could not take care of their happiness.Because this world does not understand the value and importance of anyone while alive, but only after someone's death, a person realizes his importance and later nothing is left except regret.
Be it any relationship of husband-wife, parents, mother-in-law-father-in-law, brother-sister or any other, every relationship is based on trust and respect. There is no place for selfishness in any relationship. The families which remain bound by their rites and share each other's sorrows and happiness are called happy families.Always remember that only festivals do not bring happiness in your life. If your relationship with every member of your family is strong and unbreakable and you all have love and respect for each other in your hearts, then every day is a festival for such families.
ReplyDeleteWe should respect our parents and always talk to elders and younger ones in a sweet and polite language in our home, only then can happiness come to our home. 🥳
Thank you.....
DeleteThank you so much for your appreciation and support...
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