इस सृष्टि का निर्माण करने वाली भी एक माँ ही हैं जिन्हे आप सब आदिशक्ति के नाम जानते हैं। जो सभी माताओ की माता हैं वो आदिशक्ति ही हैं जिनका अंश संसार की हर स्त्री में पाया जाता हैं।
आइए जानते हैं माँ के महत्व के बारे में -
जब कोई शिशु जन्म लेता हैं भले ही वो अपने मुख से किसी का नाम नहीं लेता मगर जन्म के बाद उस शिशु को ये आभास हो जाता हैं की उसकी माँ कौन हैं ? ऐसा इसलिए होता हैं जब कोई शिशु नौ माह तक अपनी माँ की कोख में पल रहा होता हैं तो उसे ये महसूस हो जाता हैं की उसको जीवन देने वाली उसकी जन्मदायिनी माँ ने कितनी पीड़ा और कष्टों को सहन कर अपने शिशु को जन्म दिया उसका पालन पोषण किया। इसलिए जन्म के बाद जब शिशु बोलना सीखता हैं तो सर्वप्रथम वो माँ कहना शुरू करता हैं।
जब थोड़ा सा सर दर्द या बुखार हो जाता हैं तो आप विचलित हो जाते हैं कभी किसी ने ये विचार किया हैं जब एक माँ नौ माह तक अपने शिशु को अपने गर्भ में पाल रही होती हैं तो उसे कितना दर्द और पीड़ा का अनुभव होता होगा मगर माँ तो माँ होती हैं चाहे वो किसी की भी माँ हो।
अपनी संतान को जन्म देने से ले कर अपनी संतान के जन्म के बाद तक माँ कभी अपने फर्ज और कर्तव्यों से मुख नहीं मोड़ती। मगर आज की संतान माँ के बलिदान और त्याग को भुला बैठे हैं। जिस माँ ने प्रसव की दर्दनाक पीड़ा को सहन कर तुम्हे जीवन प्रदान किया आज तुम बड़े हो कर उस माँ को ही आँखे दिखा रहे हो उस माँ पर ही जुल्म ढाने का पाप कर रहे हो। जब तुमने पहली बार चलना सीखा तुम्हारा हाथ थाम कर तुम्हे जिस माँ ने चलना सिखाया आज तुम उसी माँ को अपने उन हाथो से पकड़ कर घर से बाहर का रास्ता दिखा रहे हो।
जिस माँ ने तुम्हे बचपन में अपने हिस्से का भी निवाला खिलाया आज तुम उसी माँ से उसका ही निवाला छीनने की भूल कर रहे हो। आज के इस बदलते युग में ना जाने कितनी माँ अपनी संतान के होते हुए भी अनेको दुःख और कठिनाइयों से हो कर गुजर रही हैं और उनकी संतान बेफिक्र हो कर बड़े सुकून से अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
जो संताने आज बड़े और कामयाब हो कर अपनी माँ को कठोर दुर्वचन कह देते हैं उन्हें ये नहीं पता की आज वो यदि कामयाब हो पाए हैं तो ये उस माँ की दुआओ और आशीर्वाद का ही फल हैं।
माँ तो ममता की मूर्ति होती हैं जो क्रोध में भी अपनी संतान को बद्दुआ नहीं दे सकती मगर जो संतान ही कपूत बन चूके हैं उनकी माँ के लिए इससे बड़ा दुःख का कारण भला और क्या हो सकता हैं ?
खुद भूखे रहकर जिसने तुम्हें पाल पोस कर इतना बड़ा किया अपनी तमाम ख्वाईशो को मिटा कर जिसने तुम्हारी हर जिद्द और ख्वाईशो को पूरा किया बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा आज तुम उस माँ को एक पल की खुशी भी नहीं दे सकते ये ना सोचना समय तुम्हारा हैं ये समय काल तो एकमात्र तुम जैसी संतानो की परीक्षाएं लेने के लिए आता हैं जो इस परीक्षा से सफल हो कर निकल गए वो ही एकमात्र ईश्वर की सच्ची संतान हैं मगर जो इस परीक्षा में असफल हुए वो ईश्वर की नजरो में एकमात्र गुनहगार बन कर रह गए।
अपनी माता-पिता का तिरस्कार करने वाली संतानो से मैं बस इतना ही कहना चाहूँगी, आज तुमने जिनका अपमान किया हैं वो अपमान माता पिता का तो हुआ ही हैं साथ ही साथ ईश्वर का भी अपमान हुआ हैं क्योकि संसार के हर बुजुर्ग माता-पिता में ईश्वर का वास होता हैं जिनके अपमान से किसी को मुक्ति नहीं मिलती।
क्या करवट ली हैं वक़्त ने, जिस माँ से तुम्हे अपनी पहचान मिली आज तुमने उस माँ को ही पहचानने से इंकार कर दिया,ये मत भूलना अपने कर्मो से कोई भी आजतक बच पाया हैं चाहे वो इंसान हो या भगवान यदि भूल ईश्वर से भी हो जाती हैं तो वो भी अपनी भूल का प्राश्चित अवश्य करते हैं तो तुम तो एकमात्र इंसान हो।
The creator of this universe is also a mother, whom you all know as Adishakti.The one who is the mother of all mothers is the Adi Shakti, whose part is found in every woman in the world.
Let us know about the importance of mother -
When a child is born, even if he does not take anyone's name with his mouth, but after birth that child gets an idea of who his mother is. This happens because when a child is growing in his mother's womb for nine months, then he realizes how much pain and suffering his mother who gave him life bore to give birth to her child and nurtured him. Therefore, after birth, when the child learns to speak, then first of all he starts saying Maa.
When you get a little headache or fever, you get disturbed. Has anyone ever thought about the pain and suffering a mother must be experiencing when she carries her baby in her womb for nine months. But a mother is a mother, no matter whose mother she is.
From giving birth to her child till after the birth of her child, a mother never turns away from her duties and responsibilities. But today's children have forgotten the sacrifice and renunciation of the mother. The mother who gave you life by enduring the painful pain of childbirth, today you have grown up and are threatening her and committing the sin of torturing her.When you first learned to walk, the mother who taught you to walk by holding your hand, today you are holding the same mother with those hands and showing her the way out of the house.
The mother who fed you her share of food in your childhood, today you are making the mistake of snatching the food from that mother.In today's changing times, who knows how many mothers are going through many sorrows and difficulties despite having children, while their children are living their lives without any worries and very peacefully.
Those children who grow up and become successful and abuse their mothers do not know that if they have been successful today, it is due to the prayers and blessings of their mothers.
Mother is the embodiment of love and affection, who cannot curse her children even in anger, but what can be a bigger cause of sorrow for the mother of those children who have turned out to be unfaithful?
The one who brought you up by staying hungry herself, who fulfilled all your insistence and wishes by giving up all her own desires, I have to say this with great sadness that today you cannot give even a moment's happiness to that mother, don't think about it, the time is yours, this time comes only to take tests of children like you, the ones who pass this test successfully are the only true children of God, but the ones who failed in this test remain the only sinners in the eyes of God.
I would just like to say to the children who disrespect their parents, that the insult you have done today is not only an insult to your parents but also to God because God resides in every elderly parent in the world and no one can escape from whose insult.
What a turn has time taken, today you have refused to recognise the mother from whom you got your identity,Do not forget that till date no one has been able to escape from his deeds, be it a human being or God, if even God makes a mistake, he too repents for his mistake, then you are the only human being
ReplyDeleteMother's love is supreme in the world, hence we should not hurt mother's feelings even by mistake because mother's place in the world is considered to be supreme even than God..very nice article..👍🇮🇳
Thank you....
Delete