ज्यादातर मनुष्य बात-बात पर औकात की बात करते हैं ना जाने क्यों उन्हें ऐसा लगता हैं हर किसी की औकात बस पैसो से ही पता चलता हैं। आज मैं इस औकात शब्द का वास्तविक अर्थ संसार के सभी मनुष्यो के समक्ष उजागर करती हूँ जिससे आप पूर्णतः इस औकात शब्द से परिचित हो जाएंगे और जो बात-बात पर दुसरो की औकात की बात करते हैं वो अपने स्वाभाव को ही बदल लेंगे। मुझे सत्य कहते भय नहीं लगता,जो सत्य हैं वो सत्य ही रहेगा चाहे कोई माने अथवा ना माने क्योकि सत्य को किसी के साथ और किसी के सहयोग की कोई आवश्यकता नहीं होती।
हो जाए औकात का वास्तविक परिचय जानने को तैयार-
औकात ना तो किसी के पैसो से, ना ही बड़े ऊंचे पद से और ना ही जायदाद से पता चलता हैं। अब जिनके पास अधिक पैसा,धन-दौलत और जायदाद हैं वो सोच रहे होंगे की आखिर औकात तो बस इससे ही पता चलता हैं भला किसी की हैसियत और किस तरह पता चल सकता हैं ? क्योकि जब अधिक धन और पैसे इंसान कमा लेता हैं तो उसमे एक अहंकार जागृत हो जाता हैं वो अहंकार उसे आसमान से ज़मीन की तरफ देखने नहीं देता हैं उसी अहंकार में चूर हो कर वो सबको उनकी औकात दिखाने लगता हैं। उसे ऐसा लगता हैं एकमात्र पैसो से ही बड़े ऊंचे पद पर पहुँचने से औकात बढ़ती हैं और इससे ही औकात का पता चलता हैं मगर ऐसे विचारधारा रखने वालो की ये सबसे बड़ी भूल हैं।औकात ये जो शब्द हैं इसकी गहराई तले आजतक कोई ना ही पहुँच पाया हैं और ना ही पहुँच पाएगा क्योकि इस संसार में सभी मनुष्य औकात को एक ही पहलू में देखते आ रहे हैं और देखते रहेंगे जबतक उन्हें कोई औकात की वास्तविकता तक नहीं ले जाने का प्रयास नहीं करता तबतक वो उस सोच और विचारधारा में जीते रहेंगे।
मेरा तथ्य यही कहता हैं की जब कोई व्यक्ति किसी गरीब बेसहारे को औकात दिखाने का प्रयास करता हैं उसे अपमानित करने की भूल करता हैं उस वक़्त वो अमीर व्यक्ति अपनी औकात खो चूका होता हैं ना ही उस गरीब बेसहारे व्यक्ति के समक्ष बल्कि ईश्वर के भी समक्ष। किसी की भी औकात,हैसियत बस पैसा,नाम, शोहरत नहीं बतलाता बल्कि व्यक्ति का स्वाभाव ही उसके औकात का वास्तविक परिचय देता हैं।
यदि किसी व्यक्ति के पास अधिक धन और पैसा ना भी हो मगर यदि उसका स्वाभाव सबके लिए दयालु और सरल हो तो सबसे बड़ी औकात उस व्यक्ति की होती हैं ना की किसी अमीर व्यक्ति की। यदि कठोर शब्दों में आज कहूं तो जो व्यक्ति अपने घमंड में चूर हो कर सबका तिरस्कार करता हैं बात-बात पर सबको उनकी औकात दिखाने की भूल करता हैं आज ऐसे इंसानो को मैं यही कहना चाहूँगी ईश्वर से बड़ा और ईश्वर के सिवा इस तीनो लोको में इतनी किसी की औकात नहीं जो ईश्वर के बनाए किसी भी जीव या पशु का अपमान करने की भूल करे ईश्वर कभी अपनी शक्तियों का अहंकार नहीं करते ईश्वर किसी भी जीव या पशु का तिरस्कार नहीं करते तो भला मनुष्य ऐसा कैसे कर सकते हैं और जो ऐसा करते हैं एक दिन ईश्वर ऐसे मनुष्यो को उनकी वास्तविक औकात से परिचित करा देते हैं।
अधिक ऊंचाई से जब आप नीचे देखने का प्रयास करोगे तो सब आपको छोटे ही नजर आएंगे, मगर यदि उनके बराबरी में खुद को ला कर देखोगे तो सब तुम्हे तुम्हारे बराबरी में ही नजर आएंगे।
Most people talk about status on every small thing. I don't know why they feel that everyone's status is determined only by money. Today I will reveal the real meaning of this word 'Aukaat' to all the people of the world, so that you will become fully familiar with this word 'Aukaat' and those who keep talking about the status of others on every small thing will change their very nature.I am not afraid of speaking the truth. Whatever is truth will remain the truth whether anyone believes it or not because truth does not need anyone's support or cooperation.
Get ready to know your true status -
One's status is not determined by his money, high position or property.Now those who have more money, wealth and property must be thinking that after all, status is determined only by this; how else can one know his status? Because when a person earns a lot of money, an ego gets awakened in him. That ego does not let him look from the sky to the ground. Being drenched in that ego, he starts showing everyone their place. He feels that by reaching a high position with only money, one's status increases and this is the only way to know one's status, but this is the biggest mistake of people having such thinking.Till date no one has been able to reach the depth of the word 'Aukaat' (status), nor will anyone be able to reach, because in this world all humans have been looking at status in the same aspect and will continue to do so until someone makes an effort to take them to the reality of status, they will continue to live in that thinking and ideology.
My fact is that when a person tries to show his place to a poor helpless person and makes the mistake of insulting him, at that time that rich person has lost his status not only in front of that poor helpless person but also in front of God.One's status and position is not determined by money, name and fame, rather the person's nature gives a true introduction of his status.
Even if a person does not have much wealth and money but if his nature is kind and simple towards everyone then that person has the greatest status and not any rich person. If I say in harsh words today, then the person who is drenched in his pride and despises everyone, makes the mistake of showing everyone their place on every small thing, today I would like to say this to such people that no one is greater than God and except God in these three worlds no one has the guts to make the mistake of insulting any living being or animal created by God, God is never proud of his powers, God does not disrespect any living being or animal, so how can humans do this, and those who do this, one day God makes such people aware of their real place.
When you try to look down from a great height then everyone will appear small to you, but if you try to bring yourself at par with them then everyone will appear equal to you.
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