भाई वो होता हैं जो अपने भाई के लिए अपनी जान तक न्यौछावर कर जाता हैं। भाई वो होता हैं जो दौलत,जायदाद और पैसो से भी अधिक अहमियत अपने भाई को देता हैं। भला वो दौलत और पैसा किस काम का जो अपने ही भाईयों को आपस में लड़ने पर मजबूर कर दे ? एक ही माँ के कोख से जन्म लेने वाली संतान अपने ही भाई और बहन की खुशियों का दुश्मन कैसे बन सकता हैं ? आज इस कलयुग में जो भी रिश्ते हैं वो बस अपने स्वार्थ और फायदे के लिए जोड़ा जाता हैं,किसी भी रिश्ते में जरा सा भी सम्मान और प्यार कायम नहीं रहा।
* जो बट गया हैं प्यार, हो रहा भाई-भाई में टकरार, खड़ी कर दी जिसने भाई-भाई में नफरत की दीवार वो हैं जायदाद और पैसे का अहंकार।।
इस संसार में बसने वाले सभी इंसानो को कितना भी समझाया जाए वो कभी सत्य तक पहुँचना नहीं चाहते क्योकि उन्हें सत्य कहना और सुनना पसंद नहीं आता ऐसा इसलिए हैं क्योकि सत्य कड़वा होता हैं और सत्य वही सुन और कह सकता हैं जिसमे स्वार्थ,लोभ और अहंकार का कोई वास नहीं। आज के बदलते युग में लोग भी बदल चूके हैं जिन्हे यदि सत्य से अगवत करा दिया जाए तो वो बुरा मान लेते हैं। जरा ये भी विचार करे जब आप बीमार होते हैं तो आपको पुनः स्वस्थ करने के लिए कड़वी और सही दवाईयां दी जाती हैं ताकि आप जल्दी ठीक हो सके, ठीक उसी प्रकार आपको सही मार्ग पर ले जाने हेतु सही रास्ते का परिचय दिया जाता हैं ताकि आप सही मार्ग से भटके नहीं और सही मंज़िल तक आसानी से पहुँच सके। आप ये क्यों नहीं सोचते यदि आप अपने ही भाईयों का अहित करते हैं या उनसे ईर्ष्या करते हैं तो आप स्वयं ही अपने पतन की ओर अग्रसर कर रहे हैं। क्योकि जिन्हे आप अपना शत्रु मान बैठे हैं वो दरअसल आपका ही खून हैं आपकी माँ ने ही उसे भी जन्म दिया उसका भी अपने माता-पिता के पैसे और जायदाद पर उतना ही अधिकार हैं जितना आपका फिर आप अपने निजी स्वार्थ के लिए अपने ही भाई को कैसे क्षति पहुँचा सकते हैं ?
कुछ लोगो को आपके परिवार की एकता और खुशी नहीं देखी जाती हैं तो वो आपके भाइयों और माता-पिता के खिलाफ बाते करते हैं आपको उनसे पृथक करने का प्रयास करते हैं ताकि आपके घर की सुख शांति भंग हो जाए मगर आपको गैरो की नहीं बल्कि अपनों की सुननी चाहिए जहां आपने अपना बचपन गुजारा जहां आप बड़े हुए भला वो आपका घर और आपके अपने कैसे आपकी खुशियों का दुश्मन हो सकते हैं ?
मगर मेरी ये लेख आज उन लोगो को पसंद नहीं आएगा जो नफरत और स्वार्थ के वशीभूत हो चूके हैं। यदि माता-पिता के बाद कोई आपका अपना हितैषी होता हैं वो हैं आपके भाई-बहन। जो उम्र में बड़े होते हैं उन्हें भी और जो उम्र में छोटे होते हैं उन्हें भी एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए और अपनी खुशियों से ज्यादा अपने भाई-बहन की खुशियों का ध्यान रखना चाहिए जिन घरो में ऐसे रिश्ते और ऐसे संस्कार पाए जाते हैं वो घर एक मंदिर बन जाता हैं जहां पवित्रता और ईश्वरीय कृपा का वास होने लगता हैं। ऐसे घरो की सुख शांति कभी भंग नहीं होती।
आप स्वयं विचार करे जब आप किसी धार्मिक स्थल या मंदिरों में जाते हैं तो आपको वहां अधिक सुकून और शांति का अनुभव क्यों होता हैं ? क्यों आपका उस पवित्र स्थल से आने का मन नहीं करता ? क्या हैं इसका मुख्य कारण आप जानते हैं ? इसका मुख्य कारण ये हैं की मंदिरो में ईश्वर का वास होता हैं वहां कोई स्वार्थ,लोभ नफरत और अहंकार का दूर-दूर तक वास नहीं होता हैं इसलिए ही आपको वो पवित्र स्थान अपनी ओर आकर्षित करता हैं। क्योकि वहां अपना -पराया ,अमीर-गरीब छोटा-बड़ा और मेरा-तुम्हारा ये सब भावना नहीं पाई जाती हैं वहां सबको एक समान दर्जा मिलता हैं।
इसलिए अभी भी वक़्त हैं संभल जाइए अपनों को पहचान जाइए और वक़्त रहते ही उनकी अहमियत को जान जाइए इससे पहले की बहुत देर हो जाए और आप अपनों के होते हुए भी अकेले रह जाए।
A brother is one who sacrifices his life for his brother. A brother is one who gives more importance to his brother than wealth, property and money. What is the use of wealth and money which forces one's own brothers to fight among themselves? How can a child born from the womb of the same mother become an enemy of the happiness of his own brother and sister? Today in this Kaliyug whatever relationships are there are formed only for selfishness and benefit, not even a little bit of respect and love remains in any relationship.* The one that has divided love, there is conflict between brothers, the one that has raised a wall of hatred between brothers is the pride of property and money..
No matter how much we try to explain to all the people living in this world, they never want to reach the truth because they do not like to say or hear the truth. This is because truth is bitter and only those who have no selfishness, greed and ego can hear and tell the truth. In today's changing era, people have also changed, if they are made aware of the truth, they feel bad. Just think about this, when you are sick, you are given bitter and right medicines to make you healthy again so that you can recover quickly, in the same way, you are introduced to the right path to take you on the right path so that you do not stray from the right path and can reach the right destination easily.Why don't you think that if you harm your own brothers or are jealous of them, then you are yourself leading towards your downfall. Because the people whom you consider your enemies are actually your own blood, your mother gave birth to them too, they too have as much right on their parents' money and property as you do, then how can you harm your own brother for your personal gain?
Some people cannot see the unity and happiness of your family, so they talk against your brothers and parents and try to separate you from them so that the peace and happiness of your home is disturbed, but you should listen to your own people and not to strangers, where you spent your childhood, where you grew up, how can that home of yours and your own people be the enemy of your happiness?
But my article today will not be liked by those people who have been influenced by hatred and selfishness. If after parents, someone is your well-wisher, then it is your siblings. Those who are elder in age and those who are younger in age should also respect each other and should take care of the happiness of their siblings more than their own happiness. The house in which such relations and such rites are found, that house becomes a temple where purity and divine grace starts to reside.The happiness and peace of such houses is never disturbed.
Think for yourself that when you visit any religious place or temple, why do you feel more relaxed and peaceful there? Why do you not feel like leaving that holy place? Do you know the main reason for this? The main reason is that God resides in temples, selfishness, greed, hatred and ego do not reside there, that is why those holy places attract you towards them. Because there, feelings of ours-others, rich-poor, small-big and mine-yours are not found, everyone gets equal status there.
Therefore, there is still time to be careful, recognize your loved ones and understand their importance in time before it is too late and you are left alone despite having your loved ones
ReplyDeleteThe love between brothers is the most precious relationship in the world, therefore brothers should always stay together because brothers are each other's strength.🥳👍
Right.. Thank you...
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