दुःख और सुख के बीच का फर्क यही हैं की सुख में आप स्वयं में ही खोए रहते हैं और दुःख में आप स्वयं से ही दूर होने लगते हैं क्योकि सुख में मनुष्य जल्दी ईश्वर को भी याद नहीं करता तो बाकि रिश्ते-नाते उसे क्या याद आएंगे मगर दुःख आते ही मनुष्य सबसे पहले ईश्वर को पुकारता हैं उनसे गुहार लगाता हैं कभी किसी मित्र या परिवार से मदद मांगता हैं मगर जब हर तरफ से मनुष्य के हाथ निराशा लगती हैं तो वो अंत में ईश्वर से अपनी भूल के लिए क्षमा मांगता हैं।
माता-पिता भ्राता सब होही ,संकट में पूछत नहीं कोई स्वामी एक हैं आस तुम्हारी आए हरहु मम संकट भारी।
शिव चालीसा पाठ में इस दोहे को सबने पढ़ा होगा इसका अर्थ यही हैं माता-पिता,भाई सब मौजूद हैं मगर संकट में कोई सहारा नहीं यदि कोई इस विघ्न संकट को दूर कर सकता हैं तो वो आप कर सकते हो प्रभु क्योकि हमे बस आपसे ही आस हैं।
आज मैं इस दोहे को इसलिए दोहरा रही क्योकि इस कलयुग में कोई भी दुःख या सुख बेवजह आपके जीवन में दस्तक नहीं देता।
दुःख आने के बाद आपके साथ कौन खड़ा रहता हैं और कौन नहीं इसका पता आपको दुःख में ही मालूम चलता हैं इसलिए आप दुःख को गलत तरीके से ना ले बल्कि ईश्वर को दुःख में भी शुक्रिया अदा करे क्योकि यदि दुःख नहीं आता तो तुम्हे अपनों में छुपे गैर और गैरो में छुपे अपनों का पता कैसे चलता ?
अच्छा वक्त आने से पूर्व आपको पहले अनेको दुःख और संकटो का सामना करना पड़ता हैं जब आप दुःख में होते हैं तो आप ईश्वर को अनेको बाते सुनाते हैं ईश्वर से शिकायत करते हैं मगर आपको क्या ये पता हैं जब आप कोई भी कार्य कर रहे उसमे आपको यदि बार-बार असफलता मिल रही तो इसका मतलब ये नहीं आपकी किस्मत खराब हैं या भगवान आपके साथ नहीं बल्कि आपका कार्य पूर्ण करने की जिम्मेदारी अब आपके हाथो से स्वयं ईश्वर ने अपने हाथो में ले लिया हैं ये कोई नकारात्मक संकेत नहीं की आप जिस कार्य को करते हैं वो अधूरा रह गया और पूरा नहीं होगा ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं। जब आप दीपक जलाते हैं वो रौशनी चारो ओर फैलती हैं और प्रकाश करती हैं मगर जब वो दीपक बुझने लगता हैं तो बुझने से पूर्व उसकी लौ और रौशनी और तेज होने लगती हैं ठीक वैसे जब बुरा वक्त खत्म होना होता हैं तो आपके जीवन में कई उथल-पुथल और उतार-चढ़ाव लगातार आ कर आपके दिमाग को विचलित करने का प्रयत्न करते हैं मगर इसे ईश्वर का एक संकेत समझे की अब आपका अच्छा वक्त आपके जीवन में दस्तक देने वाला हैं आपके जीवन से दुःख का अब अंत होने वाला हैं।
अच्छा वक्त आने से पहले आपके मन में एक बेहतर बदलाव और सकारात्मक सोच अवश्य आपके दिमाग में आने लगते हैं,जैसे कुछ अच्छा होने वाला हैं चाहे आप कितने भी दुखी होंगे,मगर उस दुःख में भी आपको एक सुकून का अनुभव स्वतः ही होने लगता हैं। अच्छा वक्त आने से पहले आपकी सोच में बदलाव आने लगते हैं आप जल्दी निराश नहीं होते बल्कि आप दुसरो को भी प्रोत्साहित करने का कार्य करने लगते हैं। अच्छा वक्त आने से पूर्व हर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में आपकी आँखे अवश्य खुलने लगती हैं और ऐसा कई बार होना शुरू हो जाता हैं ये भी ब्रह्माण्ड का एक संकेत होता हैं।आपके अंदर का सारा भय खत्म होने लगता हैं। आप हमेशा प्रसन्न रहने लगते हैं चाहे परिस्थिति कैसी भी हो आप उससे विचलित नहीं होते। आपको अपने आसपास एक दिव्य ऊर्जा का अनुभव होने लगता हैं।
जब आप ज्यादा पूजा-पाठ व्रत आदि करते हैं तो अक्सर कई लोगो को इतने पूजा-पाठ के बाद भी कई दुःख से गुजरना पड़ता हैं तो कुछ लोग सोचते हैं पूजा व्रत से कुछ अच्छा नहीं होता उनका विश्वास ईश्वर से खत्म हो जाता हैं यही उनकी सबसे बड़ी भूल कहलाती हैं क्योकि जब आप अपने मंजिल के बहुत करीब होते हैं तो आपको आजमाने की कोशिश की जाती हैं आपमें सहनशक्ति का वास हैं भी या नहीं यदि आपका विश्वास कम होने लगता हैं तो आप अपने अच्छे वक्त को आने से पूर्व ही उसे अपनी भूल से गवा देते हैं।
दुःख से हो कर तो ईश्वर भी गुजरते हैं मगर ईश्वर अपनी सहनशक्ति नहीं खोते हैं और ना ही अपने भक्तो से नाता तोड़ते हैं फिर आप भक्त इस दुःख से क्यों विचलित होते हैं ? दुःख और सुख का यही तो नाता होता हैं जिसे पार कर सभी को जाना ही होता हैं।
When you experience happiness even in sadness, then accept that your sadness is only momentary because the sadness that you have seen in your life, the troubles that you have endured, definitely came in you for a good change.The difference between sorrow and happiness is that in happiness you remain lost in yourself and in sorrow you start getting away from yourself because in happiness a man does not easily remember even God, then how would he remember other relationships, but as soon as sorrow comes, the first thing a man does is call out to God, appeals to him, sometimes asks for help from a friend or family, but when the man gets disappointment from all sides, then in the end he asks forgiveness from God for his mistake.
Mother, father and brother, everyone will be there, but in times of trouble no one asks about me, Lord, I have only one hope, please remove my great trouble.
Everyone must have read this couplet in Shiv Chalisa, its meaning is that parents, brothers all are present but there is no support in times of trouble, if anyone can remove this problem then it is only you who can do it Lord because we have hope only from you.
Today I am repeating this couplet because in this Kaliyug, no sorrow or happiness knocks on your life without reason.
After the sorrow comes who stands with you and who does not, you get to know this only in sorrow, so do not take sorrow in the wrong way, rather thank God even in sorrow because if there was no sorrow then how would you know about the strangers hidden among your own and your own people hidden among the strangers?
Before the good times come, you have to face many sorrows and problems. When you are in sorrow, you tell many things to God and complain to God, but do you know that if you are repeatedly failing in any work you are doing, it does not mean that your luck is bad or God is not with you, but the responsibility of completing your work has now been taken from your hands by God himself. This is not a negative sign that the work you do remains incomplete and will not be completed. This is not at all true. When you light a lamp, the light spreads all around and illuminates, but when that lamp starts to extinguish, before extinguishing, its flame and light start becoming brighter. Similarly, when the bad times are about to end, many ups and downs come in your life and try to distract your mind, but consider it a sign from God that now your good time is about to knock in your life. Now the sorrows of your life are about to end.
Before good times arrive, a better change and positive thinking definitely starts coming in your mind, like something good is going to happen, no matter how sad you are, but even in that sadness, you automatically start feeling a sense of peace.Before the good times arrive, your thinking starts changing. You do not get disappointed easily, rather you start encouraging others. Before the good times arrive, your eyes definitely start opening every morning in the Brahma Muhurta and this starts happening many times. This is also a sign from the universe.All the fear inside you starts to disappear. You always remain happy, no matter what the situation is, you do not get disturbed by it. You start to experience a divine energy around you.
When you do a lot of worship, fasting, etc., then often many people have to undergo a lot of sorrow even after so much worship. Some people think that nothing good happens with worship and fasting; their faith in God ends. This is called their biggest mistake, because when you are very close to your destination, attempts are made to test you, whether you have the strength to endure or not. If your faith starts waning, then you lose your good times due to your mistake, even before they arrive.
Even God goes through sorrow but he does not lose his patience and neither does he break his ties with his devotees, then why do you devotees get disturbed by this sorrow? This is the relationship between sorrow and happiness which everyone has to cross.
ReplyDeleteEvery person should wait for good times, good times definitely come, very inspiring article.👍
Thank you..
Delete