सत्संग का मतलब ये नहीं होता की आप किसी संत-महात्मा, पंडित के दरबार में उनके बीच शामिल हो कर उनके द्वारा दिए परवचन को सुनने जाते हो। बल्कि सत्संग का अर्थ होता हैं सत्य के संग चलना, सत्य को अपना कर अपने जीवन को प्रकाश की ओर ले जाना यही होता हैं सत्संग का सही अर्थ।
सत्संग के सही मायने को जाने - माता-पिता से बड़ा जग में कोई नहीं होता और माता-पिता से बढ़कर जग का कोई सत्संग नहीं होता इसलिए अपनी विवेक को जागृत करे सत्य को स्वीकारे क्योकि यही आपके जीवन का सबसे बड़ा सत्य हैं ईश्वर ने भी माता-पिता को एक ऊँचा स्थान प्रदान किया हैं क्योकि माता-पिता से ही आज आपका जीवन सफल हो पाया हैं उनके ही उपकार के वजह से आज आपको समाज में अपना स्थान मिला हैं। मगर आजकल के युवा और युवती अपने बड़े बुजुर्गो को सम्मान ना दे कर तांत्रिक और बाबा के पास जा कर उनकी सेवा करने लगते हैं उन्हें ऐसा लगता हैं जैसे तांत्रिक पंडित उनके भविष्य को बदल देंगे स्वार्थवश आजकल के युवा पीढ़ी अंधविश्वास में जी रहे हैं।
* आपका अच्छा कर्म ही आपका सत्संग हैं यही वो सत्संग हैं जो जीते जी और मरने के बाद भी आपके संग हैं मगर बदलते इंसानो को देख आज ईश्वर भी दंग हैं।।
कर्म कभी किसी का पीछा नहीं छोड़ता चाहे ईश्वर हो या इंसान कोई भी अपने कर्म से मुँह नहीं मोड़ सकता। श्रवण कुमार जो अपने नाम और कीर्ति से आज भी जाने जाते हैं ये उनके महान कर्म ही हैं जो उन्हें ईश्वर ने इतना बड़ा स्थान प्रदान किया जो माता-पिता की सेवा उनके प्रति सम्मान भाव को ही अपना सबकुछ मानते थे यही कारण हैं जो आज भी लोग उदाहरणस्वरूप श्रवण कुमार का ही नाम लिया करते हैं उनकी महानता का बखान करते हैं एक कर्त्तव्यनिष्ठ संतान के रूप में श्रवण कुमार जाने जाते हैं। मगर दुर्भाग्यवश जब राजा दशरथ शिकार करने वन में गए तो अज्ञात वश उन्होंने अपना बाण श्रवण कुमार पर चला दिया जिससे वो घायल हो गए उस वक़्त श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए जल लेने गए थे। राजा दशरथ ने जब श्रवण कुमार को देखा वो अत्यंत दुखी हुए श्रवण कुमार ने तो उन्हें क्षमा कर दिया मगर जब राजा दशरथ श्रवण कुमार के माता-पिता के पास गए उन्हें जल प्रदान किया तो उनके माता-पिता ने जल ग्रहण ही नहीं किया क्योकि उन्हें ये ज्ञात हो गया की वो उनका पुत्र श्रवण नहीं बल्कि कोई और हैं जबकि श्रवण कुमार के माता-पिता दृष्टिहीन थे मगर अपनी संतान की सच्ची सेवा भाव और प्यार को पा कर उन्हें अपनी संतान के होने ना होने का एहसास हो गया ये हैं माता-पिता की सेवा की शक्ति। जब श्रवण कुमार के माता-पिता को ज्ञात हुआ उनका पुत्र अब इस दुनिया में नहीं रहा तो उन्होंने क्रोधवश राजा दशरथ को श्राप दे डाला की जैसे वो अपनी संतान के वियोग में अपने प्राण त्याग दिए ठीक वैसे ही राजा दशरथ को भी अपनी संतान के वियोग को सहना पड़ेगा। श्री राम जो भगवान विष्णु के ही अवतार हैं जब वो अपने पिता के श्राप को टाल ना सके तो आप तो एक साधारण मनुष्य हो। ये कर्म हैं जो ईश्वर को भी विवश कर देता हैं जिसका जैसा कर्म होता हैं वो वैसा ही परिणाम पाता हैं।
इस कलयुग में बहुत कम ही साधु महात्मा होंगे जो सत्य वाणी का अनुशरण करते होंगे क्योकि इस धरा पर जो आजकल घटित हो रहा हैं वो पाप का ही फल हैं जो सबको भोगना पड़ रहा। आपकी संगति जैसी होगी आपकी सोच वैसी ही होगी आप यदि गलत व्यक्ति अधर्मी और झूठे इंसान को भगवान मान कर उनकी पूजा करोगे उनकी चरणों को धो कर पियोगे तो उसका परिणाम उस दुष्ट के साथ आपको भी भुगतना पड़ेगा यही हैं ईश्वर का नियम। जो आज आपका भविष्य बता रहे हैं उन्हें खुद अपना भविष्य पता हैं ? जो स्वयं को ब्रह्मा,विष्णु और महेश से बड़ा बता रहे उन्हें त्रिदेवो की महिमा का पता हैं ? जो आज स्वयं को महाज्ञानी बता कर आपके जमा धन को खा रहे उन्हें सच्चे ज्ञान की महिमा का पता हैं ? यदि पता होता तो वो स्वयं को ईश्वर तुल्य नहीं बताते।
जो आपको बोल रहे अपने चरणों की रज को अपने घर में रख कर पूजा अर्चना करने उन्हें ये भी ज्ञात नहीं सबसे बड़ा चरण रज वो हैं जिसके बदौलत आप इस दुनिया में आए वो हैं आपके माता-पिता।
महिलाएं जो अपने सास-ससुर का अपमान करती हैं और बड़े साधु संत के कहने पर सत्संग में जाती हैं वो सही मायने में सत्संग से दूर रहती हैं क्योकि ऐसी महिलाओं को सत्संग का सही अर्थ ही नहीं पता वो क्या समझेगी सत्संग की महिमा। आज आप अपने बुजुर्ग माता-पिता, दादा-दादी, सास-ससुर के साथ अपमानजनक व्यवहार कर रहे हो उनसे घृणा कर रहे हो उनके वृद्धावस्था को देख उनसे दूर जा रहे हो तो ये ना भूलना तुम स्वयं ही अपने विनाश की ओर बढ़ रहे हो। क्योकि जब ईश्वर अपनी शांति को तोड़ते हैं जब ईश्वर अधिक पाप को देख कुपित होते हैं तो पाप करने वाला और उसके साथ चलने वाला सभी को उसके कर्मो की सज़ा देते हैं। क्योकि पाप करने वाला जितना बड़ा दोषी कहलाता हैं पाप को देख कर भी मौन रहने वाला उससे बड़ा दोषी कहलाता हैं।
* जो करते सदैव बड़ो का सम्मान, जो रखते सदैव अपने माता-पिता की खुशियों का ध्यान, सही मायने में इसे ही कहते हैं सत्संग का ज्ञान।।
Satsang does not mean that you go to the court of a saint or a Pandit and join them and listen to their discourses. Rather, satsang means walking with the truth, adopting the truth and taking your life towards light, this is the true meaning of satsang.
Know The True Meaning of Satsang - There is no one greater than parents in this world and there is no better company than parents. So awaken your conscience and accept the truth because this is the biggest truth of your life. God has also given a high place to parents because it is because of your parents that your life has become successful today. It is because of their kindness that you have got your place in society today. But today's young men and women, instead of giving respect to their elders, go to tantriks and babas and start serving them. They feel as if the tantrik pandit will change their future. Due to selfishness, today's young generation is living in superstition.
* Your good deeds are your good deeds. These are the good deeds that are with you during your life and even after your death. But today even God is stunned to see the changing people..
Karma never leaves anyone, be it God or human, no one can turn away from his karma.Shravan Kumar who is known by his name and fame even today, it is because of his great deeds that God has given him such a high place, he considered service to his parents and respect for them as his everything, this is the reason that even today people take the name of Shravan Kumar as an example and describe his greatness, Shravan Kumar is known as a dutiful son. But unfortunately when King Dasharath went to the forest for hunting, he shot his arrow at Shravan Kumar due to which he got injured, at that time Shravan Kumar had gone to get water for his parents. When King Dasharath saw Shravan Kumar, he became very sad, Shravan Kumar forgave him, but when King Dasharath went to Shravan Kumar's parents and offered them water, his parents did not drink the water because they came to know that he was not their son Shravan but someone else, while Shravan Kumar's parents were blind, but after getting the true service and love of their child, they realized whether their child was there or not, this is the power of serving parents. When Shravan Kumar's parents came to know that their son is no more in this world, they cursed King Dasharath in anger that just like they had given up their life in the separation of their son, King Dasharath will also have to suffer the separation of his son.When Shri Ram, who is the incarnation of Lord Vishnu, could not avert the curse of his father, then you are just an ordinary human being. It is the deeds that compel even God. A person gets the result of his deeds.
In this Kaliyug, there will be very few saints and sages who will follow the true words because what is happening on this earth these days is the result of sin which everyone has to suffer. Your thinking will be as per your company. If you worship a wrong person, an irreligious person and a liar by considering him as God and wash his feet and drink the water, then you will also have to suffer the consequences along with that evil person. This is the law of God.Do those who are telling your future today know their own future? Those who are calling themselves greater than Brahma, Vishnu and Mahesh, do they know the glory of the three gods? Those who are eating up your savings by calling themselves great scholars, do they know the glory of true knowledge? If they knew, they would not have called themselves equal to God.
Those who are telling you to keep the dust of your feet in your house and worship it, they don't even know that the biggest dust of the feet is the one due to which you came into this world, they are your parents.
Women who disrespect their in-laws and go to satsang on the advice of a great saint, stay away from satsang in the true sense because such women do not know the true meaning of satsang, how will they understand the glory of satsang. Today, if you are disrespecting your elderly parents, grandparents, in-laws, hating them, and going away from them on seeing their old age, then do not forget that you are yourself moving towards your destruction. Because when God breaks his peace, when God gets angry on seeing too many sins, then the sinner and those who walk with him are punished for their deeds. Because the one who commits a sin is considered as big a culprit as the one who remains silent even after seeing the sin is considered more guilty than him.
* Those who always respect their elders, those who always take care of their parents' happiness, this is truly called the knowledge of Satsang..
ReplyDeleteServing parents and elders is the greatest good deed, that is why we should remember God with all our hearts and always serve our parents. Very beautiful article by you.
👍
Thank you....
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