इंसान के अंदर ही छिपा है सारा ज्ञान मगर ना जाने क्यों इस बात से हैं सब अनजान।
आज कलयुग में इंसान को इंसान से ही खतरा क्यों हैं ? आज इस बदलते युग में हर माता-पिता की संतान उनके लिए एक चिंता का विषय क्यों हैं ? क्यों लोभ-लालच, ईर्ष्या, अहंकार, नफरत, अधर्म,अन्याय,जुल्म,पाप का बसेरा देश के हर कोने-कोने में हैं ? क्यों अच्छाई के बावजूद भी अच्छे इंसान के जीवन में इतने दुःख हैं ? क्यों इतने पाप और अधर्म के रास्ते पर चलने वाले सुखी संपन्न हैं ? यही समय हैं कि सत्य का साक्षत्कार हो और मनुष्य अपने जीवन के सत्य से परिचित हो। आज इसी खास अहम मुद्दे पर मैं आप सबसे बात करने जा रही हूँ।
जो अधर्म के मार्ग का अनुसरण करता हैं शुरुआत में वो स्वयं को ईश्वर से भी श्रेष्ठ समझने की भूल करता हैं उसे ऐसा लग रहा हैं की आज इस कलयुग में इंसान ही सबसे बड़ा भगवान हैं और सारी दुनिया उसकी मुठ्ठी में हैं यही से शुरुआत होती हैं उस अधर्मी के बर्बादी की, जो उसे अनेको पाप और अधर्म करवाता हैं अंततः उसका जीवन एक नर्क बन जाता हैं जहां से बाहर का रास्ता सिर्फ उसकी मौत से हो कर जाता हैं मगर उससे पूर्व उसे अनेको वैभव,सुख प्राप्त होते हैं जो उसने बुरे कर्मो से कमाया था ताकि जब उससे वो छिन्न जाए तो उसे अपने कुकर्मो का एहसास हो जैसे उसने लोगो से उनकी खुशियां,उनका सुख और शांति छीना था आज ठीक वैसे ही उसकी तमाम खुशियां उससे उसके कुकर्मो ने उससे छीन लिया। यही कारण हैं की आज इस कलयुग में बुरे लोग अच्छे लोगो से ज्यादा सुखी और प्रसन्न दिखते हैं तो अच्छे लोगो को ईश्वर से शिकायत रहती हैं की उनके साथ ही अन्याय क्यों ? मगर ईश्वर के प्रिय भक्तो आप हकीकत से अनजान हैं आपके साथ अन्याय नहीं बल्कि न्याय ही होगा क्योकि यही ईश्वर की लीला हैं।माता-पिता के सभी संतान एक समान नहीं होते जैसे रावण और विभीषण दोनों भाई ही थे मगर दोनों में कितना फर्क था एक भाई धर्म और न्याय को अपना सब कुछ मानता था तो दूसरा अधर्म और पाप के मार्ग पर चलना पसंद करता था अंततः दोनों में जीत किसकी हुई ? धर्म की अच्छाई की यानि विभीषण की जिन्होंने श्री राम और हनुमान का साथ चुना धर्म के लिए लड़ना अपना कर्तव्य समझा ईश्वर ने भी उनको एक बड़ा स्थान दिया आज भी रावण के पुतले को दशहरा में जलाने की परम्परा हैं क्योकि अधर्मियों की यही सज़ा हैं।
इस कलयुग में माता-पिता की संतान उनकी चिंता का विषय क्यों हैं ? मैंने ऐसा क्यों कहा आप यही विचार कर रहे होंगे। मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योकि कुछ माता-पिता अपनी संतान को गलत सीख देते हैं उन्हें ऐसा प्रतीत होता हैं की ये गलत सीख उनकी संतान दूसरो पर उपयोग करेंगे,मगर यही तो आज के माता-पिता की भूल हैं की उनकी संतान उनके गलत सीख को सर्वप्रथम अपने माता-पिता पर ही प्रयोग करते हैं ऐसी संताने अपने माता-पिता को कभी सम्मान नहीं देते बल्कि उन्हें सताते हैं अंततः माता-पिता को अपनी भूल का एहसास हो जाता हैं इसलिए कभी भी भूल कर भी अपनी संतान को कोई गलत सीख प्रदान ना करे।
क्यों है इंसान अपनी वास्तविकता से अनजान कहने का तात्पर्य ये हैं की आखिर क्यों ईश्वर ने तुम्हे मनुष्य बना कर इस धरा पर भेजा तुम्हे एक पशु क्यों नहीं बनाया क्योकि ईश्वर को तुमसे कुछ उम्मीदे थी मगर तुमने ईश्वर को ही गलत और स्वयं को सही समझने की भूल की हैं। इंसान को आज दूसरे इंसान से ही खतरा हैं बड़े दुःख की बात हैं यही कारण हैं जो ईश्वर मौन हैं वरना ईश्वर चाहे तो पल में सब खत्म करने की ताकत रखते हैं।
आज इस कलयुग में इंसान अधर्म को गले लगा कर स्वयं को ईश्वर से दूर कर चूका हैं। इंसान के भीतर इंसानियत मौजूद होने के बावजूद भी इंसान उस इंसानियत से वाकिफ नहीं। जब मृत्यु किसी के नजदीक आती हैं तो उसे अपनी जिंदगी की कीमत का एहसास होता हैं, मगर इंसान इस हकीकत से बहुत दूर होता हैं। यदि सत्य कहूं तो हर इंसान को भेजने से पहले ईश्वर उसे पूर्ण रूप से स्वतंत्र भेजते हैं क्योकि वो यही देखना चाहते हैं जिसे उन्होंने विश्वास पर इस धरा पर भेजा हैं तो किन कर्मो का चुनाव करता हैं ? सही या गलत ? यदि चुनाव सही हुआ तो आजीवन इंसान अपने कर्मो से अपने भाग्य को बदल पाने में सक्षम होगा यदि चुनाव गलत हुआ तो इंसान अपने भाग्य में जो लिखा हैं उसे भी अपने बुरे कर्मो द्वारा मिटा देगा। यही हैं इंसान के जीवन की वास्तविकता।
All the knowledge is hidden within the human being but I don't know why everyone is unaware of this.
Why is man in danger from man in this Kaliyug? Why are children a cause of worry for every parent in this changing age? Why is greed, jealousy, arrogance, hatred, injustice, oppression and sin prevalent in every corner of the country? Why is there so much sorrow in the life of a good man despite being good? Why are so many people walking on the path of sin and injustice happy and prosperous? This is the time to witness the truth and man should become familiar with the truth of his life. Today I am going to talk to you all on this important issue.
The one who follows the path of Adharma, in the beginning, makes the mistake of considering himself superior to God. He feels that in this Kaliyug, man is the biggest God and the whole world is in his fist. This is where the destruction of that Adharma begins, which makes him commit many sins and Adharma. Ultimately, his life becomes a hell from which the only way out is through his death. But before that, he gets many luxuries and happiness which he earned through his bad deeds so that when he loses them, he realizes his evil deeds. Just like he snatched people's happiness, their peace and happiness, today, in the same way, his evil deeds snatched all his happiness from him. This is the reason that today in this Kaliyug, bad people appear happier and more content than good people, so good people keep complaining to God that why only injustice is done to them? But dear devotees of God, you are unaware of the reality. You will not be treated unfairly but only with justice because this is the play of God.Not all children of parents are the same. Like Ravana and Vibhishan were both brothers but there was a lot of difference between them. One brother considered righteousness and justice as his everything while the other preferred to follow the path of sin and unrighteousness. Who won among the two in the end? The goodness of righteousness, i.e. Vibhishan who chose to support Shri Ram and Hanuman and considered it his duty to fight for righteousness. God also gave him a big place. Even today there is a tradition of burning the effigy of Ravana on Dussehra because this is the punishment for the unrighteous.
In this Kaliyug, why are the children of parents a matter of concern for them? You must be thinking why I said this. I said this because some parents give wrong teachings to their children and they feel that their children will use these wrong teachings on others, but this is the mistake of today's parents that their children first use their wrong teachings on their parents. Such children never respect their parents, rather they harass them. Ultimately the parents realize their mistake, so never give any wrong teachings to your children even by mistake.
Why is man unaware of his reality? What I mean to say is that why did God make you a man and send you to this earth, why didn't he make you an animal? Because God had some expectations from you but you made the mistake of considering God wrong and yourself right. Today man is in danger from other humans, it is a matter of great sadness, this is the reason why God is silent, otherwise if God wants, he has the power to destroy everything in a moment.
Today in this Kaliyug, man has distanced himself from God by embracing sin. Despite the presence of humanity within man, man is not aware of that humanity. When death comes near to someone, he realizes the value of his life, but man is far away from this reality. To tell the truth, before sending every human being, God sends him completely free because this is what he wants to see. The one whom he has sent on this earth on faith, what deeds does he choose? Right or wrong? If the choice is right, then man will be able to change his fate throughout his life by his deeds, if the choice is wrong, then man will erase whatever is written in his fate by his bad deeds. This is the reality of human life.
ReplyDeleteThere is a storehouse of knowledge inside every human being, therefore we should use our discretion and make our life successful by working hard continuously. What can I praise you for, this is not only your article but it is magic, it changes people's lives.👍
Thank you so much....
Delete