क्या लगता है तुम्हें की एकमात्र अपने घर को रोशन करने से तुम्हारे घर में प्रकाश हो जाने से तुम्हारा अंधकार दूर हो गया ? ये जो असल अंधकार तुम्हारे जीवन में हैं उसे दूर कौन करेगा क्या तुम सब मनुष्यों ने इसका विचार किया हैं ? क्योंकि इस अंधकार की पहल मनुष्यों ने ही किया है जिसका परिणाम आज समस्त संसार भुगत रहा हैं।जब मनुष्यों ने इस संसार का निर्माण नहीं किया तो कैसे संसार के नियमों को तोड़ कर अपनी इंसानियत भुला कर वो ईश्वर के निर्धारित नियमों के विरुद्ध जाने की चेष्ठा कर सकता हैं ?
आखिर किस अंधकार ने इस संसार को अपने मायाजाल में घेरे रखा हैं ?
जब ईश्वर ने तुम्हारा निर्माण किया होगा उन्हें तुमसे कई आशाएं और उम्मीदे होगी की तुम ईश्वर के बनाए संसार में जा कर इंसानियत को अपना कर सही मार्ग का अनुसरण करोगे जिससे ईश्वर को तुमपे गर्व महसूस हो क्योकि यदि ईश्वर को तुमसे कोई उम्मीद ना होती तो वो तुम्हे इंसान क्यों बनाए होते ? वो चाहते तो तुम्हे पशु भी बना सकते थे। मगर बड़े अफसोस के साथ आज मुझे ये कहना पड़ रहा हैं की इस संसार में कुछ इंसान अपनी इंसानियत को भुला कर इंसान हो कर भी एक पशु तुल्य बन चुके हैं जिनमे कुरुरता और दुष्टता के सिवा कुछ भी मौजूद नहीं।
आपकी संरचना ईश्वर ने की मगर आज इस कलयुग में आप ईश्वर को ही गलत ठहरा रहे कभी स्वयं के भीतर झांकने का प्रयास भी किया हैं की कितनी खामियां आपमें मौजूद हैं ? जब कोई अन्य व्यक्ति आपसे आ कर कुछ कहता हैं या आपको बताता हैं तो आप उसकी बातों को सुन कर उसे बिना परखे बिना पता लगाए अपने निष्कर्ष पर पहुंच जाते हो यही आपकी सबसे बड़ी कमि हैं। इन्हीं कमियों के वजह से ना जाने कितने रिश्ते और कितने परिवार टूट कर बिखर गए।
कुछ लोग यदि आपसे आ कर कह देते हैं की तुम्हारे भाई या पिता तुम्हारी आलोचना कर रहे थे तुम्हे बहुत गलत बातें कह रहे थे तो आप अपनी आँखों से बिना देखे या अपने कानों से बिना सुने जब उस व्यक्ति की बातों पर यकीन कर लेते हैं और तुरंत क्रोध से भर आते हैं तो ये आपकी बहुत बड़ी भूल कहलाती हैं क्योकि जब तक हम अपनी आँखों से नहीं देखते या अपने कानों से नहीं सुनते तब तक किसी निष्कर्ष पर उतरना हमारी सबसे बड़ी मूर्खता कहलाती हैं जो आजीवन हमें पीड़ा पहुँचाती हैं। भगवान ने तुम्हे भी आँखे दी हैं कान दिया हैं तो तुम दुसरो की कानों से सुनी बातों पर कैसे यकीन कर लेते हो ? क्या तुम्हे पता हैं की सामने वाला व्यक्ति वाकई तुमसे सच कह रहा हैं या झूठ ? यदि हर मनुष्य इस बात और तथ्य को समझ कर अपने जीवन में ऐसी भूल नहीं करे तो यकीनन वो कभी किसी को शिकायत का मौका नहीं दे सकता ना ही कोई उसे दोषी समझने की भूल कर सकते हैं।
आज मनुष्य जाति स्वयं के लिए ही एक खतरा बन चूका हैं क्योकि उसमे अनेको गलत विकार समाहित हो चुके हैं जिसकी वजह से वो दुसरो का तो अहित कर ही रहा साथ ही साथ अपने विनाश का भी आगाज़ स्वयं के हाथो करने की भूल कर रहा यदि समय रहते वो अपनी हर गलती को सुधार लेते तो आज जो बड़ा संकट इस संसार पर मंडरा रहा वो टल जाता जो अंधकार उनके जीवन को रोशनी से दूर करने का प्रयास कर रहा उस अंधकार की छाया भी उनकी जिंदगी से हट जाती।
किसी से बदले की भावना आपको ही इस आग में जला डालती हैं। सही और गलत को पहचानने की शक्ति आपसे छीन लेती हैं। तुम्हे क्या लगता हैं जो गलत कर्म करता हैं वो ईश्वर से दंड प्राप्त नहीं करता ? क्या तुम किसी को सज़ा या कोई फैसला सुनाओगे ? क्या ईश्वर की बागडोर तुम अपने हाथों में लेने की चेष्ठा करोगे ? क्या इससे तुम ईश्वर की नजरों में ऊपर उठ जाओगे ? असंभव ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता बल्कि तुम भी ईश्वर के लिए एक दोषी एक सज़ा का पात्र बन बैठोगे।इसलिए यदि कुछ बेहतर करना हैं तो अच्छे कर्म करो अपनी सोच को सदैव सकारात्मक रखो किसी भी नकारात्मकता को खुद पर हावि ना होने दो किसी के अहित का विचार अपने दिमाग से सदा के लिए निकाल दो क्योकि तुमसे भी बड़ा ज्ञानी कोई और हैं जो समस्त जगत का रखवाला हैं जिसे सबकी चिंता हैं किसने क्या किया और किसने कौन से अपराध किए उसका लेखा-जोखा सब उसके पास हैं फिर तुम मनुष्य कौन होते हो उसके बनाए नियमों और प्रथा से खेलने वाले ?
After all, Which Darkness has Surrounded This World in its Illusion?
When God created you, he must have had many hopes and expectations from you that you will go into the world created by God and follow the right path by adopting humanity so that God feels proud of you because if God did not have any expectations from you then why would he have made you a human? If he wanted, he could have made you an animal. But with great regret today I have to say that some people in this world have forgotten their humanity and despite being humans, have become like animals in whom nothing exists except cruelty and wickedness.
You were created by God but today in this Kaliyug you are blaming God. Have you ever tried to look inside yourself to see how many flaws are present in you? When someone else comes and says something to you or tells you something, you listen to him and reach your own conclusion without investigating it. This is your biggest shortcoming.Because of these shortcomings, who knows how many relationships and how many families have been torn apart.
If some people come and tell you that your brother or father was criticizing you and saying very wrong things to you, then without seeing with your own eyes or hearing with your own ears, if you believe in that person's words and immediately get filled with anger, then it is said to be your biggest mistake because until we see with our own eyes or hear with our own ears, coming to any conclusion is called our biggest foolishness which hurts us throughout our life.God has given you eyes and ears, then how do you believe what you hear from others? Do you know whether the person in front of you is really telling you the truth or a lie? If every person understands this fact and does not make such a mistake in his life, then he can never give anyone a chance to complain nor can anyone make the mistake of considering him guilty.
Today, the human race has become a threat to itself because it has got many wrong disorders due to which it is not only harming others but also making the mistake of starting its own destruction with its own hands. If it had corrected all its mistakes in time, then the big crisis that is looming over this world today would have been averted and the darkness that is trying to take the light away from their lives would have also disappeared from their lives.
The feeling of revenge against someone burns you in this fire. It takes away the power to differentiate between right and wrong. Do you think that the one who does wrong deeds does not get punishment from God? Will you punish anyone or give any verdict? Will you try to take the reins of God in your hands? Will you rise in the eyes of God by doing this? Impossible, this cannot happen at all, rather you too will become a culprit and a punishable person for God. So if you want to do something better, then do good deeds, always keep your thinking positive, do not let any negativity dominate you, remove the thought of harming someone from your mind forever because there is someone more knowledgeable than you, who is the caretaker of the whole world, who is concerned about everyone, who has the account of who did what and who committed what crimes, then who are you humans to play with the rules and customs made by him?
ReplyDeleteVery lovely article by you, The inspiration you have given to humans in this article to come out of darkness is quite commendable.👍
Thank you...
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