आज मेरा सवाल सभी मनुष्यों से बस इतना ही हैं की तुम इस दुनिया में जब आए थे तो अपने साथ क्या लाए थे ?
कोई भी इस दुनिया में जन्म के साथ ना ही कुछ ले कर आता हैं और ना ही कुछ ले कर जाता हैं। ये जन्म और मृत्यु का कालचक्र सदा ही गतिमान रहता हैं अर्थात ये प्रक्रिया रुकता नहीं जिसका जन्म हुआ हैं एक दिन समय पूर्ण होने पर उसकी मृत्यु भी होना अनिवार्य हैं ये तो कई युगो से होते चला आ रहा और निरंतर होते चला जाएगा।
मैं कौन हूँ ? इसका जवाब यदि कोई पूछता हैं तो आपके हिसाब से इसका जवाब होगा मैं एक मनुष्य हूँ, एक लेखक हूँ मगर क्या ये जवाब पर्याप्त हैं मेरे परिचय के लिए ? क्या वाकई मेरा वास्तविक परिचय यही हैं ?
मुझसे बेहतर मेरा परिचय कोई अन्य नहीं दे सकता और मुझसे बेहतर मेरे विषय में कोई अन्य जान नहीं सकता इसलिए सर्वप्रथम स्वयं को जानना अत्यंत आवश्यक हैं वरना आपका जीवन निरर्थक हैं। और जहां तक किस्मत की बात आती हैं तो हर इंसान की किस्मत का संबंध उससे ही होता हैं इंसान में जितने गुण होते हैं वो सारे गुण उसे अपनी किस्मत से जोड़े रखता हैं यदि किसी इंसान में अनेको अवगुण मौजूद होते हैं तो उसका किस्मत उसका साथ देना छोड़ देती हैं। ये किस्मत कोई रेस्टोरेंट का खाना नहीं जो बना बनाया मिलता हैं बल्कि ये किस्मत इंसान के कर्मो के द्वारा निर्धारित होती हैं आपके जैसे कर्म होंगे आपकी किस्मत ठीक वैसी होगी।
अब मुझे एक बात बताओ तुम्हें बहुत प्यास लगी है मगर तुम किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे यदि किस्मत में होगा प्यास बुझना तो पानी खुद चल कर मेरे पास आ जाएगा तो क्या ये संभव हैं ? बल्कि जब तक तुम स्वयं उठ कर पानी ला कर नहीं पीते तब तक तुम्हारी प्यास कैसे बुझ सकती हैं भला ? मनुष्य जब भी कुछ कर पाने में सक्षम नहीं होता तो वो अपनी किस्मत को दोषी ठहराने लगता हैं मगर किस्मत तो तुम्हे दोषी मानती हैं तुमने यदि समय रहते इस तथ्य को स्वीकारा होता अपने अच्छे कर्मो को स्वीकार कर निरंतर परिश्रम किया होता तो ऐसा क्या हैं जो तुम्हे प्राप्त ना होता ? बार-बार अपनी किस्मत को कोसना सही नहीं होता जब आप ये बात स्वयं अपने मुँह से कहते हैं की मेरी किस्मत खराब हैं तो इसका अर्थ यही हुआ की आपको अपनी किस्मत का पता हैं और आप ना चाह कर भी अनजाने ही सही अपनी किस्मत को स्वयं अपने हाथो से अपने कथनों से बर्बाद कर लेते हैं। इसलिए सभी मनुष्यों को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखनी चाहिए वरना ये आपके जीवन के लिए एक चिंता का विषय बन सकता हैं।
24 घंटे में एक बार हर मनुष्य की वाणी पर सरस्वती अवश्य विराजती हैं जिस वक्त वो विराजती हैं यदि आपकी वाणी गलत निकलती हैं तो वो सत्य हो जाती हैं। इसलिए जानबूझ कर किसी भी मनुष्य को स्वयं से कोई गलत शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
* किस्मत का तो बस इतना ही खेल है,ये तो आपके परिश्रम और कर्मो का मेल हैं।
भगवान सभी को एक मौका अवश्य देते हैं चाहे बात आपकी किस्मत की हो या आपके सुनहरे सपनों की वो सच तभी हो सकते हैं जब आप उसे पूरा करने का प्रयत्न करते हैं आप कोशिश कर के तो देखो सोई किस्मत भी जाग उठेगी आपके किस्मत के बंद दरवाज़े की चाभी आपके पास मिलेगी।
Today my question to all human beings is this: when you came into this world, what did you bring with you?
No one comes to this world with anything nor does he take anything with him. This time cycle of birth and death is always in motion, that is, this process does not stop. Whoever is born, one day after the completion of time, his death is inevitable. This has been happening for many ages and will continue to happen.
Who am I? If someone asks the answer to this question, then according to you the answer would be I am a human being, I am a writer, but are these answers sufficient to introduce me? Is this really my real introduction?
No one can introduce me better than me and no one can know about me better than me, that is why it is very important to know yourself first, otherwise your life is meaningless.And as far as luck is concerned, every person's luck is related to him. All the qualities that a person has, keep him connected to his luck. If a person has many demerits, then his luck stops supporting him.This destiny is not like the food available readymade in a restaurant, rather this destiny is determined by the deeds of a person. Your destiny will be as per your deeds.
Now tell me one thing, you are very thirsty but you are sitting relying on fate, if quenching thirst is in my fate then water will come to me by itself, is this possible? Rather, how can your thirst be quenched unless you yourself get up and bring water and drink it? Whenever a person is not able to do something, he starts blaming his fate, but fate blames you. If you had accepted this fact in time, accepted your good deeds and worked hard continuously, then what is it that you would not have achieved? It is not right to curse your fate again and again. When you say with your own mouth that my fate is bad, then it means that you know about your fate and even if you do not want it, you ruin your fate with your own hands through your words. That is why all humans should control their speech, otherwise it can become a matter of concern for your life.
Saraswati definitely resides on the speech of every person once in 24 hours. When she resides, if your speech turns out to be wrong, it becomes true. That is why no person should intentionally use any wrong word.
* This is The Whole Game of Luck, It is a combination of Your Hard Work and Deeds..
God gives everyone a chance, whether it is about your luck or your golden dreams, they can come true only when you try to fulfill them, try and see, even your sleeping luck will wake up and you will get the key to the closed door of your luck.
ReplyDeleteInstead of cursing our fate, we should work hard day and night to build our future. God will surely reward us for our hard work. This is a very inspiring article by you.👍
Thank You....
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