कोई भी अशांति का माहौल बेवजह नहीं होता जब तक कोई किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं देता। आज हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल हैं उसकी वजह हैं इंसान,वो इंसान जिसमे इंसानियत का दूर-दूर तक कोई वास नहीं,वो इंसान जिसको सही और गलत की पहचान नहीं, वो इंसान जिसमे जानवरों से भी ज्यादा कुरुरता का समावेश हैं,वो इंसान जिसके लिए हैवानियत ही उसका उदेश्य हैं।
देश की हर माताओं को मैं यही संदेश देना चाहती हूँ की चाहे आप किसी की भी माँ हो बेटे की या बेटियों की मगर आपका बस एक ही उदेश्य होना चाहिए की आप अपनी हर संतान को सही और गलत की सीख अवश्य दे वरना आजीवन आपको पश्चाताप की अग्नि में जलना होगा। इसलिए सर्वप्रथम इस बात को अपने दिलों-दिमाग में अवश्य बैठा ले की यदि आप बेटे की माँ हैं तो इस बात का गुरुर स्वयं के भीतर कभी ना लाए की मैं तो बेटे की माँ हूँ चाहे बेटा कोई भी गलती करे इससे क्या फर्क पड़ता हैं वो तो एक लड़का हैं उसका कोई क्या बिगाड़ सकता हैं ? यदि आपमें ऐसी सोच हैं तो यकीनन ऐसी माताओं को एक दिन अपने बेटे के गुनाह के लिए अपनी कोख पे शर्मिंदा होना पड़ सकता हैं। यदि समय रहते अपनी भूल को ना सुधारा गया तो बाद में वही भूल एक अपराध बन जाती हैं और ये अपराध पल भर में आपके बसे बसाए घर को बर्बाद कर देता हैं। कोई भी बच्चा जन्म लेते ही अपने साथ कोई अधर्म या अपराध नहीं लाता बल्कि ये जन्म के बाद वो बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता हैं वो अच्छी या बुरी आदतों का शिकार होने लगता हैं, एक बच्चे का वास्तविक गुरुकुल उसका घर ही होता हैं जहां रह कर वो बच्चा अच्छे और बुरे के बीच का भेद जान पाता हैं। माता-पिता ही अपनी संतान के प्रथम गुरु होते हैं और बच्चे अपने विद्यालय से ज्यादा समय अपने घर में ही बिताते हैं घरवालों के बीच रहकर बच्चे अच्छी और बुरी आदतों को सीखते हैं इसलिए घर के हर मुख्य सदस्य को माता-पिता को अपने बच्चों को बुरी आदतों से और बुराईयों से दूर रखना चाहिए क्योकि माता-पिता जैसे स्वभाव या आदतों को अपनाएंगे उनके बच्चे भी उन्ही आदतों को अपनाएंगे। इसलिए बचपन से ही यदि बच्चे को उसके छोटे बुरे कृत को भी कभी अनदेखा या अनसुना नहीं करना चाहिए बाद में बच्चों का वही छोटा कृत बड़े होने के बाद एक बड़े जुर्म और अपराध का रूप ले लेता हैं। आज जो संसार अशांत बना पड़ा हैं उसकी वजह भी एक ऐसे माता-पिता की कुपात्र और कपूत संतान हैं जो अपनी कुकृत्य से चहु ओर अशांति का माहौल बना रहे हैं आए दिन कोई ना कोई बड़ी घटना को अंजाम देते जा रहे हैं।
मैं हर माँ को या देश के हर बेटे को गलत नहीं कह रही बल्कि उन बेटे की माताओं को कह रही हूँ जिनके बेटे आज समाज में और देश में अपने आतंक का प्रदर्शन कर रहे हैं जो हर स्त्री को अपने संभोग का साधन समझने का पाप कर रहे हैं। ऐसे दुष्ट बेटो को यही कहना चाहूंगी ये जो तुम हर स्त्री को अपमानित करने की उन्हें अपने हवस का शिकार समझने का पाप कर रहे हो ये ना भूलना तुम्हे जो जीवन प्राप्त हुआ हैं वो एक स्त्री से ही हुआ हैं वो स्त्री हैं एक माँ,आज जो तुम अपराध पे अपराध किए जा रहे हो स्वयं ही अपने सर्वनाश को आमंत्रित कर चुके हो तुम कैसे भूल गए की स्त्री से ही पुरुषों का अस्तित्व हैं तुमने एक स्त्री के सम्मान के साथ खेलने का जो जघन पाप किया हैं ऐसा कृत कर तुमने अपने अस्तित्व को ही मिटाने का प्रयास किया हैं क्योकि अब तुम्हारे विनाश की शुरूआत हो चुकी हैं तुम्हारे गुनाहो की एक चिंगारी भीषण अग्नि का रूप ले चुकी हैं ये वो अग्नि हैं जो तुम्हे एकमात्र क्षति ही नहीं पहुंचाएगी बल्कि तुम्हे भस्म कर मिट्टी में मिला जाएगी।
जब किसी को बड़ा पद मिलता हैं तो उस व्यक्ति में अहंकार की वृद्धि होने लगती हैं वो स्वयं को सबसे बड़ा समझने लगता हैं और अपने पद के अहंकार में चूर हो कर वो व्यक्ति अनेको अपराध और भूल कर बैठता हैं। उसे यही लगता हैं की उसका कोई क्या बिगाड़ सकता हैं मगर यही उस व्यक्ति की सबसे बड़ी भूल और मूर्खता हैं क्योकि संसार में भगवान से बड़ा किसी का कोई पद नहीं,और भगवान से बड़ा कोई कानून नहीं जहां पर इंसान दुनिया के बनाए कानून के साथ खेलता हैं वहां पर स्वयं भगवान आ कर उसे सही कानून और न्याय से परिचित करा जाते हैं। संसार की ये दयनीय हालत एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बन चुका हैं क्योकि अब संसार में पाप और अधर्म अपनी सारी सीमाएं लांघ चुका हैं।
Any atmosphere of unrest does not occur without reason unless someone commits a major incident. Today there is an atmosphere of chaos everywhere and the reason for this is man, that man in whom there is no trace of humanity, that man who does not know what is right and wrong, that man in whom there is more cruelty than animals, that man for whom brutality is his only aim.I want to give this message to all the mothers of the country that whether you are the mother of a son or a daughter, you should have only one aim that you must teach your every child the right and wrong, otherwise you will have to burn in the fire of repentance for the rest of your life. Therefore, first of all, make sure to put this thing in your heart and mind that if you are the mother of a son, then never bring pride in yourself that I am the mother of a son, no matter what mistake the son makes, what difference does it make, he is a boy, what can anyone do to harm him? If you have such thinking, then surely such mothers may have to be ashamed of their womb one day for the crime of their son. If your mistake is not corrected in time, then later the same mistake becomes a crime and this crime ruins your settled home in a moment.No child brings any sin or crime with him on his birth, rather as the child grows up after birth, he starts falling prey to good or bad habits. The real Gurukul of a child is his home where the child learns the difference between good and bad. Parents are the first Guru of their children and children spend more time at home than in school. Children learn good and bad habits by living among the family members, so every main member of the house, parents, should keep their children away from bad habits and evils because whatever nature or habits the parents adopt, their children will also adopt the same habits. Therefore, from childhood, even a small bad deed of a child should never be ignored or unheard, later the same small deed of the child takes the form of a big crime and offence after growing up. The world has become restless today because of the unworthy and wicked children of such parents who are creating an environment of unrest all around by their misdeeds and are carrying out some big incident or the other every day.
I am not saying that every mother or every son of the country is wrong, but I am saying this to the mothers of those sons whose sons are today showing their terror in the society and the country, who are committing the sin of considering every woman as a means of their intercourse. I would like to say this to such evil sons that you are committing the sin of insulting every woman and considering them a victim of your lust, do not forget that the life you have got is from a woman only, that woman is a mother, today you are committing crime after crime and you have invited your own destruction, how did you forget that the existence of men is due to women only, you have committed the heinous sin of playing with the honor of a woman, by doing this you have tried to erase your own existence because now your destruction has begun, a spark of your sins has taken the form of a fierce fire, this is the fire that will not only harm you but will also burn you to ashes and reduce you to dust.
When someone gets a big position, the ego of that person starts increasing, he starts thinking himself to be the greatest and being intoxicated with the ego of his position, that person commits many crimes and mistakes. He thinks that no one can harm him but this is the biggest mistake and stupidity of that person because in this world there is no position greater than God and there is no law greater than God. Where man plays with the laws made by the world, there God himself comes and introduces him to the right law and justice.This pitiable condition of the world has become a matter of great concern because now sin and evil in the world have crossed all their limits.
ReplyDeleteUnless we develop social values and culture, our life is useless. Each of your articles gives a new direction to the society. Very lovely article by you..👍
Thank you..
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