किसने दिया हैं हक लोगो को जो तुम्हारी जिंदगी का फैसला सुनाएंगे ? ये ना भूलो ये जिंदगी तुम्हे खुदा ने दी हैं अब वही तुम्हे सही राह दिखाएंगे।
क्यों हताश होते हो तुम,क्यों निराश होते हो तुम ? ये तो जीवन हैं इसमें सुख और दुःख तो आते-जाते रहेंगे,मगर जो दुःख में भी हिम्मत ना हारे,खुदा अपनी रहमत उस पर बरसाते रहेंगे।
आज मैंने ये विचार किया की इस दुनिया में जाने कितने ऐसे लोग हैं जिनके पास कहने को तो सब कुछ हैं मगर जो उनके जीवन का असली सुख हैं वो उस सुख से ही वंचित हैं और कहीं पे ऐसे लोग हैं जिनके पास सब कुछ ना होते हुए भी यदि कुछ हैं तो वो हैं धैर्य और संतोष,ये एक ऐसा साधन जो सबका समाधान कर जाता हैं। क्योकि एक असंतुष्ट मन कभी चैन और सुकून नहीं पा सकता अधिक लालसा ही मनुष्य के भीतर अनेको विकारो को जन्म देती हैं जो यदि पूरी नहीं होती तो मनुष्य अपनी लालसा को पूर्ण करने हेतु कई बुरे रास्ते पर चल पड़ता हैं और अंत में वो अपनी जिंदगी से हार जाता हैं। इसलिए धैर्य और संतोष का दामन जिसने थाम लिया वही अपने जीवन के सही मायने को जान लिया।
इंसान में ही कई गुण पाए जाते हैं और इंसान में ही कई अवगुण पाए जाते हैं मगर गहराई से चिंतन किया जाए तो एक ही विचार सबके जहन में आता होगा,कि हैं तो सब इंसान मगर इंसान हो कर भी कोई अपनी इंसानियत को जागृत रखता हैं,तो कोई इंसान हो कर भी अपनी इंसानियत को भुला कर अपने भीतर हैवानियत को जागृत करता हैं,जिसे देख कर अधिकांश मनुष्य यही सोचते हैं,की प्रभु ये तेरी कैसी माया हैं एक इंसान हो कर इस जहान में इंसान के दिल में दूसरे इंसान के लिए कितना घृणा समाया हैं।
जब कोई तुम्हारी बात नहीं मानता या कोई तुम्हरा साथ नहीं देता तो तुम्हे उस व्यक्ति से यकीनन नफरत होने लगती हैं मगर इस बात पे ध्यान अवश्य दे की आपकी मनसा कैसी हैं ? सही या गलत ? यदि आप सही हो और कोई आपका समर्थन नहीं करता तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं,ना ही व्यक्ति की क्योकि इस संसार में यदि हर इंसान एक जैसा हो जाता तो क्या आज संसार में इतना पाप और अधर्म घटित होता ? दूसरी तरफ देखा जाए तो यदि तुम्हारा चुनाव या फैसला किसी को हानि पहुंचाने का हैं,तब यदि कोई तुम्हारा साथ नहीं देता तो इसमें गलती तुम्हारी हैं की तुमने अपने जीवन को स्वयं ही गलत दिशा में ले जाने का प्रयास किया हैं,और अपने साथ-साथ तुम दुसरो को भी उसी अंधकार में ले जाना चाहते हो यकीनन तुम अपने साथ-साथ दुसरो को भी गुनहगार बनाने का अपराध कर रहे हो,इस तरह तो अपने विनाश को तुम स्वयं बुलावा दे रहे हो।
जब तुम किसी बीमारी का इलाज वक्त रहते सही समय पर नहीं करवाते हो तो वो बीमारी एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती हैं,बाद में वो बिमारी लाइलाज हो जाती हैं जिसका सीधा असर तुम्हारे जीवन पर पड़ता हैं,क्योकि इस बीमारी से तुम्हारा जीवन संकट में पड़ जाता हैं''उसी तरह जब कहीं किसी जगह या किसी भी देश में जुल्म या अधर्म हो रहा हैं,यदि तुम उसे समय रहते अन्य लोगो की सहायता ले कर खत्म करने का प्रयास नहीं करोगे तो वो बाद में तुम्हे अपने रास्ते से हटाने का प्रयास करेगा इसलिए वक्त रहते जाग जाओ अन्यथा तमाम उम्र तुम्हे सोना पड़ सकता हैं अर्थात अपनी जिंदगी खोना पड़ सकता हैं।
यदि तुम सही हो और तुमने कभी किसी का बुरा नहीं सोचा और ना ही किसी का कभी बुरा चाहा हैं तो तुम्हे किसी से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं,क्योकि तुम सच के साथ हो,अच्छाई के साथ हो। मेरी इन बातो को गौर करना मान लो दो रास्ते हैं तुम्हारी मजिल के बीच, एक रास्ता जो काफी नजदीक हैं मगर वो रास्ता काफी गंदा और कीचड़ो से भरा हैं और दूसरा रास्ता जो तुम्हारी मंजिल से दूर हैं,मगर वो बिल्कुल साफ-सुथरा हैं तो तुम किस रास्ते की तरफ अपना कदम आगे बढ़ाओगे ? ये विचार तुम्हे करना हैं यदि जल्दी के चक्कर में तुमने आसान रास्ते का चुनाव किया जहाँ इतनी गंदगी भरी हैं तो तुम्हे वो गंदगी अपनी तरह मैली और दूषित बना देगी जहां से तुम निकल तो जाओगे मगर जो दाग होंगे वो कभी साफ नहीं होंगे तुम चाह कर भी उस रास्ते से उस दलदल से बाहर निकल नहीं पाओगे यदि तुम निकल भी गए तो आजीवन तुम कभी सही मंजिल तक नहीं पहुंच पाओगे क्योकि बुराई और अधर्म का रास्ता जितना आसान दिखाई पड़ता हैं हकीकत में वो एक दलदल हैं,मगर अच्छाई और सत्य की राह एकमात्र ऐसी विकल्प और चुनाव हैं जो भले ही शुरुआत में कठिन हो मगर आजीवन सभी चिंताओं से दुःख से तथा भय से मुक्त रखता हैं।
अब फैसला तुम मनुष्यो को करना हैं भगवान का काम हैं तुम्हे सही रास्ता दिखाना चलना और ना चलना ये तो मनुष्य पर निर्भर करता हैं मगर ये जो मनुष्य भगवान पर आरोप लगाता हैं की भगवान कुछ करते क्यों नहीं चुपचाप तमाशा देखते हैं,जरा विचार करो भगवान ने कहा,तुम मनुष्य गलत रास्ते पर चलो,जुल्म को सहन करो, किसी का अहित करो,नहीं कहा ना फिर भगवान कैसे दोषी हुए ?
Why do you get disappointed, why do you get disheartened? This is life, happiness and sadness will keep coming and going, but the one who does not lose courage even in sadness, God will keep showering his blessings on him..
Today I thought that there are so many people in this world who have everything but are deprived of the real happiness of their life. And somewhere there are people who do not have everything but if they have something, it is patience and contentment, which is a means that solves all the problems. Because an unsatisfied mind can never find peace and comfort. Excessive desire gives birth to many disorders in a person, which if not fulfilled, then the person starts walking on many bad paths to fulfill his desire and in the end he loses his life. Therefore, only the one who has held on to patience and satisfaction has understood the true meaning of his life.
Many qualities are found in a human being and many demerits are found in a human being, but if we think deeply then only one thought will come to everyone's mind that after all everyone is a human being but despite being a human, some keep their humanity alive, while some, despite being a human, forget their humanity and awaken the brutality within themselves, seeing which most of the people think that Lord, what kind of illusion is this of yours, being a human in this world, how much hatred is filled in the heart of a human being for another human being.
When someone does not listen to you or does not support you, you definitely start hating that person, but you must pay attention to what your intentions are? Right or wrong? If you are right and no one supports you, then it is neither your fault nor that of the person because if every person in this world was the same, would so much sin and injustice have happened in the world today? On the other hand, if your choice or decision is to harm someone, then if no one supports you, then it is your fault that you yourself have tried to take your life in the wrong direction and along with yourself, you want to take others also in the same darkness, definitely you are committing the crime of making others guilty along with yourself, in this way you are inviting your own destruction.
When you do not get any disease treated on time, then that disease takes the form of a serious disease and later becomes incurable, which directly affects your life because this disease puts your life in danger. Similarly, when oppression or injustice is happening at any place or in any country, if you do not try to end it with the help of other people in time, then later it will try to remove you from its path, so wake up in time, otherwise you may have to sleep for the whole life, i.e. you may have to lose your life.
If you are right and you have never thought ill of anyone nor have you ever wished ill for anyone then you need not fear anyone because you are with the truth, with goodness. Consider these words of mine, suppose there are two paths between your destination, one path is very close but that path is very dirty and full of mud and the other path is far from your destination but it is very clean, then towards which path will you move forward? You have to think about this, if in a hurry you choose the easy path which is filled with so much dirt, then that dirt will make you dirty and polluted like itself, you will get out of it but the stains will never be cleaned, you will not be able to get out of that swamp even if you want to, even if you get out, you will never be able to reach the right destination in your lifetime because the path of evil and unrighteousness looks easy, but in reality it is a swamp, but the path of goodness and truth is the only option and choice which may be difficult in the beginning but keeps you free from all worries, sorrows and fears throughout life.
Now you humans have to decide, it is God's job to show you the right path, to walk or not to walk depends on the man, but these humans who accuse God that why doesn't God do anything and silently watch the show, just think, God said, you humans walk on the wrong path, tolerate oppression, harm someone, he didn't say that, then how is God guilty?
ReplyDeleteWe should not tolerate oppression, we should raise our voice against every oppression, only then will oppression end. Very wonderful and inspiring article. 👍
Thank You....
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