कहीं ये तुम्हारी अज्ञानता तो नहीं ? (Is This Your Ignorance?)

Snehajeet Amrohi
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इस दुनिया में सभी मनुष्य एक सामान नहीं ना ही किसी की सोच और ना ही किसी का व्यवहार एक समान होता हैं। कुछ लोगो की एक बहुत बुरी आदत होती हैं, उन्हें यदि कोई कष्ट या समस्या सताती हैं तो वो इल्जाम भगवान पर लगाते हैं,जब कोई उन्हें तकलीफ पहुंचाता हैं, तब भी वो उस इंसान को जवाब ना दे कर सब कुछ भगवान भरोसे छोड़ देते हैं,वो यही बात कहते हैं भगवान खुद सजा देंगे।अरे ये तो बहुत ही अजीब बात हैं, कि तुम्हारी हर प्रतिक्रिया का उत्तर भगवान देंगे,जो लोग तुम्हे दस बाते सुना कर चले गए और तुम उन्हें कोई जवाब ना दे कर उन्हें और बढ़ावा देने का काम कर रहे हो और कहते हो तुम्हारे बदले भगवान उसे प्रतिउत्तर और सजा देंगे।ये एकमात्र तुम्हारी मूर्खता ही नहीं बल्कि तुम्हारी अज्ञानता भी हैं कि तुम्हारे अंदर इतना साहस नहीं की तुम किसी के सताने पर उसे उसका प्रतिउत्तर दे सको, तुम अन्याय को सह रहे हो और ऐसा सोच रहे हो की तुम बहुत पुण्यात्मा हो भगवान तुमसे अति प्रसन्न हैं,कि तुम किसी के जुल्म को चुपचाप सह रहे हो मगर उसे जवाब नहीं दे रहे हो,ये तुम्हारी महानता का परिचय नहीं बल्कि अज्ञानता का परिचय दे रहा। 

क्योकि जुल्म और अन्याय करना जितना बड़ा पाप होता हैं उससे कई ज्यादा जुल्म और अन्याय को सहना,ईश्वर की नजरो में दोनों गुनहगार हैं। 

यदि मैं कहूं कि हर परेशानी की वजह और दोषी इंसान खुद होता हैं, तो बहुत कम लोग मेरी बातो से सहमत होंगे मुझे पता हैं, खास कर ऐसे लोग जो अपनी हर समस्या का जिम्मेदार भगवान को ठहराते हैं। माना कि तुम व्यवहार और सोच से नेक हो मगर तुम्हारी अच्छाई तभी सार्थक हो सकती हैं जब तुम्हारे अंदर अन्याय को सहने की जगह उस अन्याय का जवाब देने की हिम्मत हो। हर समस्या का हल भगवान नहीं करेंगे कुछ तुम मनुष्यो को भी करना होता हैं, अपने कर्म से तुम मुँह नहीं मोड़ सकते।   

गुलाब का पुष्प कांटो के बीच ही रह कर खिलता हैं उसमे इतनी साहस होती हैं, फिर तुम तो इंसान हो तुम एक कोमल पुष्प नहीं जिसे जब मर्जी कोई भी तोड़ कर या कुचल कर चला जाए। 

अपनी अज्ञानता को कब दूर करोगे तुम ? स्वयं को सशक्त कब बनाओगे तुम ? तुम भगवान पर कब तक आश्रित रहोगे ? अपने जीवन के बहुत से सही-गलत फैसले लेते वक्त तो तुम भगवान से नहीं पूछते मगर जब तुम्हारा खुद का निर्णय गलत साबित होता हैं तो तुम भगवान को उसका दोषी मानने की भूल करते हो। 

मेरा एक प्रश्न हैं जिसका उत्तर मुझे आज संसार से चाहिए क्या मेरे इस प्रश्न का उत्तर हैं किसी के पास ? मुझे आज सभी मनुष्यो से यही पूछना हैं, क्या तुम सबने भगवान को देखा हैं कभी ? क्या तुमने कभी देखा हैं भगवान का जीवन कैसा होता हैं ? इसका जवाब हैं किसी के पास ? मैं जानती हूँ किसी में इतनी शक्ति नहीं की वो ईश्वर को अपनी आँखों से देख सके। मेरे प्रश्नों से मुझे कठोर मत समझना ये उन मनुष्यो के लिए हैं जो अज्ञानता के अंधकार से बाहर नहीं आ रहे हैं,जिसे देख मुझे पीड़ा होती हैं, मैं आज सभी मनुष्यो को एक बात कहना चाहूंगी ईश्वर के लिए सभी जीव एक समान हैं चाहे कोई भी हो मगर जब कोई संतान गलत राह पर चल पड़ती हैं तो ईश्वर क्या उसके अन्याय को चुपचाप सहन कर लेते हैं ? ईश्वर तो न्याय की मूर्ति है,जब वो गलत बर्दाश्त नहीं करते हैं,जब वो दुष्टो को उसके कर्मो का दंड देते हैं, तो तुम क्यों अपनी अच्छाई का लोगो को फायदा उठाने दे रहे हो ? मैं ये नहीं कह रही तुम किसी का अहित करो,मगर तुम अन्याय या जुल्म सहन करना बंद करो,उसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत रखो, फिर देखो कोई भी तुम्हे पीड़ा या कष्ट पहुंचाने की चेष्ठा नहीं करेगा।

भगवान यदि असुरो के अधर्म और पाप को देख कर यदि चुप रहते तो आज इस समस्त ब्रह्मांड में असुरो का आतंक रहता तुम मनुष्यो का जीवन कब का समाप्त हो चुका होता। यदि सही वक्त पर समय रहते किसी की गलतियों के लिए उसे जवाब नहीं दिया गया तो उसकी सह और भी बढ़ जाती हैं इसलिए स्वयं को कमजोर बनाने के स्थान पर स्वयं को सशक्त बनाओ,तथा अपने अज्ञान को मिटा कर अपने ज्ञान की शक्ति से अपने जीवन को सुंदर और सार्थक बनाओ। ऐसा नहीं कि भगवान कुछ नहीं देख रहे,ऐसा नहीं कि भगवान तुमसे दूर हैं,वो किसी भी रूप में हर पल तुम्हारे साथ हैं,उन्हें ढूंढने के स्थान पर महसूस करने का प्रयास करो। 

जो तुम बारम्बार भगवान को कोसते हो,यदि सच कहूं तो तुमसे ज्यादा कठिन और पीड़ादायक जीवन भगवान का होता हैं। तुम मनुष्य अपने छोटे से परिवार में थोड़ी सी भी परेशानियों को देख जब विचलित हो जाते हो तो जरा विचार करना इतने बड़े संसार को चलाने वाला कैसे अपने संसार को चला रहा हैं ? कितना कष्ट होता होगा उन्हें जब उनकी ही संतान उनके बनाए संसार को उजाड़ने का प्रयास करे,उनके नियमो के विरुद्ध जाने का साहस करे। 




In this world all the people are not the same, neither their thinking nor their behaviour is the same. Some people have a very bad habit that if they are troubled by any pain or problem then they blame God, when someone troubles them then also they do not reply to that person and leave everything to God, they say that God himself will punish them. Oh this is a very strange thing that God will answer your every reaction, the people who told you ten things and went away and by not giving them any answer you are encouraging them further and you say that God will answer and punish them instead of you. This is not only your foolishness but also your ignorance that you do not have enough courage to answer someone when he harasses you, you are tolerating injustice and thinking that you are a very pious soul, God is very happy with you, that you are silently tolerating someone's oppression but are not answering him, this is not an introduction of your greatness but is an introduction of your ignorance. 

Because tolerating oppression and injustice is a bigger sin than committing oppression and injustice; both are guilty in the eyes of God.

If I say that man himself is the cause and culprit of every problem, then I know that very few people will agree with me, especially those who blame God for all their problems. I agree that you are good in your behavior and thinking, but your goodness can be meaningful only when you have the courage to respond to injustice instead of tolerating it. God will not solve every problem, you humans also have to do some things, you cannot turn away from your deeds.

The rose flower blooms amidst thorns, it has so much courage, then you are a human being, you are not a soft flower that anyone can pluck or crush and go away whenever they want.

When will you remove your ignorance? When will you empower yourself ? How long will you depend on God ? While taking many right and wrong decisions of your life, you do not ask God, but when your own decision proves wrong, then you make the mistake of blaming God for it.

I have a question which I want an answer from the world today. Does anyone have the answer to this question? I want to ask this to all humans today, have you all seen God ever? Have you ever seen what God's life is like? Does anyone have the answer to this? I know that no one has the power to see God with their own eyes. Do not think me harsh because of my questions. These are for those humans who are not coming out of the darkness of ignorance, which pains me to see. Today I would like to say one thing to all humans, all creatures are the same for God, no matter who they are, but when a child goes on the wrong path, does God silently tolerate his injustice? God is the embodiment of justice, when he does not tolerate wrong, when he punishes the wicked for their deeds, then why are you letting people take advantage of your goodness? I am not saying that you should harm anyone, but you should stop tolerating injustice and oppression, have the courage to raise your voice against it, then see that no one will try to cause you pain or suffering.

If God had remained silent after seeing the sins and injustice of demons, then today this entire universe would have been terrorized by demons and the lives of you humans would have ended long ago. If someone is not answered for his mistakes at the right time, then his fears increase even more. Therefore, instead of making yourself weak, empower yourself and by eradicating your ignorance, make your life beautiful and meaningful with the power of your knowledge. It is not that God is not seeing anything, it is not that God is far from you, he is with you every moment in some form or the other, try to feel him instead of searching for him.

You who repeatedly curse God, if I tell you the truth, God's life is more difficult and painful than yours. You humans get disturbed when you see even the slightest problems in your small family, then just think how the one who runs such a big world is running his world? How much pain he must be feeling when his own children try to destroy the world he has created, dare to go against his rules.

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  1. God will not do everything, all humans have to perform some duties, instead of tolerating every injustice and oppression, one has to respond to it. Very nice article by you.
    👍

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