भगवान उसी की मदद करते हैं,जो दूसरो की मदद करता हैं, कुछ ना होते हुए भी जो संतुष्ट रहता हैं, एक दिन उसके पास सब कुछ होता हैं।
दुनिया में कुछ भी बेवजह नहीं होता, मनुष्य के जीवन में होने वाली हर घटना के पीछे कोई ना कोई कारण अवश्य होता हैं, मगर मनुष्य अपने लोभ और अहंकार में इतना खोया रहता हैं कि उसे सब कुछ बेवजह प्रतीत होता हैं।
जैसे कि मान लो तुम्हारा घर जहां तुम और तुम्हारा पूरा परिवार बसा हैं, उस घर में हर सदस्य की अपनी अलग भूमिका होती हैं, जो सबसे बड़ा सदस्य होता हैं उसकी जिम्मेदारियां कठिन और अहम होती हैं, वो जैसा चाहता हैं, बाकि सदस्य उसके इच्छानुसार ही कार्य करते हैं, जिससे उस घर का मुख्य और बड़ा सदस्य सबके व्यवहार को परखता हैं जिसका व्यवहार उसे पसंद आता हैं, वो सदैव उसका ध्यान रखने का पूरा प्रयास करता हैं, मगर जो सदस्य उस बड़े मुख्य सदस्य की बातो को अनसुना करते हैं या कोई गलत शब्द बोलते हैं या व्यवहार करते हैं तो उस घर के बड़े सदस्य को उस बुरे व्यवहार वाले सदस्य से घृणा होने लगती हैं, फिर वो उस सदस्य की किसी भी समस्या या दुःख में उसका कभी साथ नहीं देता जब तक उस सदस्य को अपनी भूल का अपराध का एहसास और पछतावा नहीं हो जाता,तब तक वो बड़ा मुख्य सदस्य उससे दूरी बनाए रखता हैं। ठीक वैसे ही ये संसार भी उस परमपिता परमात्मा का हैं जिसमे सभी मनुष्य निवास करते हैं, जिसमे से कुछ मनुष्य उस परमपिता परमात्मा के अति प्रिय होते हैं, तो कुछ मनुष्यो की गलत आदत और उनके बुरे कर्म उस परमपिता परमात्मा को उससे नफरत करने पर विवश कर देते हैं। भगवान ऐसे लोगो से दूरी बना लेते हैं, साथ ही साथ उनकी मदद करना भी छोड़ देते हैं।
कहने का तात्पर्य हैं, तुम स्वयं को जितना जानते हो तुम्हे उतना कोई अन्य नहीं जान सकता सिवाय ईश्वर के। क्योकि ईश्वर तो घट-घट वासी हैं, प्रत्येक प्राणियों के क्रियाकलाप से ईश्वर अनभिज्ञ नहीं उन्हें सब पता रहता हैं।
हमे किसकी मदद करनी चाहिए और किसकी नहीं करनी चाहिए ?
ईश्वर ये नहीं कहते कि जो बुरे लोग हैं तुम उनकी भी मदद करो, जो बुरे लोग हैं जिनकी सोच सदैव गलत रहती हैं ऐसे लोगो की मदद करना तो दूर की बात हैं तुम्हे ऐसे लोगो के संपर्क से भी दूर रहना चाहिए। मदद उसकी करो जो तुम्हारी मदद के लायक हैं, जिसकी सोच और व्यवहार सरल हैं जिनके दिल में किसी को हानि या कष्ट पहुंचाने का विचार कभी नहीं आता ऐसे साफ और नेकदिल व्यक्ति की मदद करना ईश्वर के कार्य में सहभागी बनने के समान होता हैं।
तुम्हारे कौन से गुण तुम्हे ईश्वर के निकट लाते हैं ?
जब छल और कपट से तुम स्वयं को दूर रखते हो, तो ईश्वर स्वतः ही तुम्हारे निकट आने लगते हैं। जब तुम्हारे अंदर अच्छे व्यवहार आने लगते हैं और तुम्हारे कर्म सदैव जगत कल्याण के हित में होता है, तब तुम ईश्वर के प्रिय संतान बनने लगते हो, फिर तुम जहां भी जाते हो ईश्वर तुम्हारी सदैव रक्षा करते हैं, तुम्हारे बिना बताए ही वो तुम्हारी खुशियों का ध्यान रखते हैं। बड़े बुजुर्गो का सम्मान, स्त्रियों का सम्मान, किसी को स्वयं से छोटा ना समझना,उचित संस्कारो का पालन करना ही तुम्हे ईश्वर से जोड़े रखता हैं। चाहे कोई गरीब हो या अमीर भगवान के लिए सभी एक समान होते हैं। क्योकि सब तो उसी की संतान हैं, भला माता-पिता अपनी किसी संतान में भेदभाव कैसे कर सकते हैं ? मगर यदि जो संतान बुराई के मार्ग का चयन करता हैं और सदैव दूसरो को कष्ट पहुंचाता हैं,ऐसी संतान फिर दया और कृपा के नहीं बल्कि सजा के पात्र कहलाते हैं।
तुम्हे क्या लगता हैं की ईश्वर तुम्हारे प्रश्नो के उत्तर नहीं देते ? ईश्वर सबके प्रश्नो के उत्तर अवश्य देते हैं, बस जरूरत हैं उस उत्तर को समझने की, जिसे तुम ईश्वर के संकेतो के माध्यम से समझ सकते हो। तुम ईश्वर से बात कर सकते हो, चाहे तुम्हे कोई समझे या ना समझे मगर तुम्हारी बातो को ईश्वर अवश्य समझते हैं, और तुम्हारे हर दुःख का भी एक ना एक दिन ईश्वर समाधान भी अवश्य करते हैं। जब कोई इंसान अचानक तुम्हारी मदद करने आ जाए तो अवश्य विचार करना ऐसा क्यों हुआ ? तो इतना समझ लेना उसे ईश्वर ने ही भेजा हैं तुम्हारी मदद के लिए, फिर तुम्हे एक दिन तुम्हारे हर सवालों के जवाब स्वतः ही मिल जाएंगे।
कुपात्रों से ईश्वर सदैव दूर ही रहते हैं और उन्हें सदा अपनी कृपा और दया से वंचित रखते हैं। जो दूसरे से ईर्ष्या करते हैं,दूसरो की जिंदगी में ताक-झांक करते हैं तथा जो सामने से किसी से बहुत हितैशी होने का दिखावा करते हैं और पीठ पीछे किसी की बुराई करते हैं ऐसे कपटी और कुपात्र केवल अपने मन के संतोष के लिए ईश्वर की पूजा करते हैं, उन्हें लगता हैं केवल पूजा से ईश्वर उन पर प्रसन्न हो जाएंगे मगर ये उनकी भूल होती हैं, क्योकि ईश्वर को सब पता होता हैं, जो ईश्वर के सच्चे भक्तो के साथ छल करता हैं या उन्हें कष्ट या पीड़ा पहुंचाने का प्रयास करता हैं एक दिन वो अपने प्रत्येक कर्मो की सजा अवश्य पाता हैं जब ऐसे दुष्टो का पाप का घड़ा भर जाता हैं, तो ईश्वर उसी क्षण उसे दंडित करते हैं।
जो सुपात्र होते हैं वही असलियत में ईश्वर के निकट होते हैं, ईश्वर सदैव धर्म और न्याय का ही साथ देते हैं, इसलिए जो संतान न्यायप्रिय और धर्मपालक होते हैं वही संतान ईश्वर के सबसे प्रिय संतान होते हैं।
God helps only those who help others, one who is satisfied despite having nothing, will have everything one day.Nothing happens without reason in this world. There is a reason behind every incident that happens in a person's life. But a person is so lost in his greed and ego that everything seems to be without reason.
For example, suppose your house is where you and your entire family live, in that house every member has his own role, the eldest member has difficult and important responsibilities, whatever he wants, the rest of the members work according to his wish, due to which the main and eldest member of that house judges the behavior of everyone, whose behavior he likes, he always tries his best to take care of them, but if any member ignores the words of that main member or uses any wrong words or behaves in a wrong manner, then the eldest member of that house starts hating that bad-behaved member, then he never supports that member in any problem or sorrow, until that member realizes and repents his mistake, till then that main member keeps distance from him. Similarly, this world also belongs to that Supreme Father Almighty in which all humans reside, out of which some humans are very dear to that Supreme Father Almighty, then the bad habits of some humans and their bad deeds force that Supreme Father Almighty to hate them. God keeps distance from such people and also stops helping them.
The meaning of saying is, no one can know you as much as you know yourself except God. Because God resides in every heart and is not unaware of the activities of every living being, He knows everything.
Whom should we help and whom should we not help?
God does not say that you should help bad people also, bad people whose thinking is always wrong, help such people is far from it, you should even stay away from such people. Help those who deserve your help, those whose thinking and behavior is simple, in whose heart the thought of harming or hurting anyone never comes, helping such a clean and good-hearted person is like becoming a partner in God's work.
Which of your qualities brings you closer to God?
When you keep yourself away from deceit and fraud, God automatically starts coming closer to you. When you start having good behaviour and your actions are always in the interest of the welfare of the world, then you start becoming God's beloved child, then wherever you go, God always protects you, without you even telling him, he takes care of your happiness.Respecting elders, respecting women, not considering anyone inferior to yourself, following proper rituals are what keeps you connected to God. Whether someone is poor or rich, everyone is the same for God. Because everyone is his child, how can parents discriminate between their children? But if the child chooses the path of evil and always hurts others, then such a child is not worthy of mercy and grace but of punishment.
Do you think that God does not answer your questions? God definitely answers everyone's questions, you just need to understand the answer, which you can understand through God's signs. You can talk to God, whether anyone understands you or not, but God definitely understands your words, and one day God definitely solves your every problem. When a person suddenly comes to help you, then definitely think why did this happen? So understand this much that God has sent him to help you, then one day you will automatically get the answers to all your questions.
God always stays away from the unworthy and always deprives them of his grace and mercy. Those who are jealous of others, who peep into others' lives and who pretend to be well-wishers of someone in front and speak ill of them behind their back, such hypocrites and unworthy people worship God only to satisfy their minds. They think that God will be pleased with them only by worshiping him but this is their mistake because God knows everything. Those who cheat the true devotees of God or try to cause them pain or suffering, one day they definitely get punished for their every deed. When the pot of sins of such wicked people is full, then God punishes them at that very moment.
Those who are worthy are the ones who are really close to God. God always supports righteousness and justice. Therefore, those children who are just and follow righteousness are the most loved children of God.
ReplyDeleteGod always helps those who never lose courage in sorrow and never choose the wrong path. Very lovely article by you. 👍
Thank you....
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