सत्य को स्वीकार करना और हमेशा उसके साथ खड़े रहना हर किसी के बस की बात नहीं है।
केवल ऊंचे बड़े पद को प्राप्त कर लेने से कोई बड़ा नहीं हो सकता जब तक उसमे सबके लिए सम्मान की भावना जागृत नहीं होती। यूंही बड़े पद को हासिल करने से कोई बड़ा नहीं बनता,बड़े बनने के लिए सोच भी बड़ी रखनी पड़ती है।
इंसान तब तक दूसरों की तकलीफ और दर्द को नहीं समझ सकता जब तक उस तकलीफ और दर्द से वो खुद नहीं गुजरता।
क्या तुम्हे पता है कि इंसान का सबसे बड़ा शत्रु कौन है ? इंसान का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार होता है,जिस अहंकार में वो सबको खुद से छोटा,और खुद को सबसे बड़ा और महान समझने की भूल करता है।
यदि तुम जन्म से ही रईस हो तो शायद जब तुम्हारा जन्म हुआ होगा तुम हीरे और सोने पहन कर ही इस दुनिया में आए होंगे, या जैसे साधारण बच्चा निवस्त्र जन्म लेता है वैसे तुम भी पैदा हुए ? फिर किस बात का अहंकार है तुम्हे ? जब ना ही इस दुनिया में आते वक्त तुम साथ कुछ लाए,और ना ही इस दुनिया से जाते वक्त तुम कुछ ले कर जाओगे फिर किस बात का तुम अभिमान दिखाओगे ?
ये जो तुम अहंकार दिखा रहे हो, ये किसी काम का नहीं यदि तुम्हे सत्य सुनना है तो सुनो,तुम्हारा शरीर भी तुम्हारा नहीं जिस पर तुम्हे इतना अभिमान है, तुम्हारा धन भी तुम्हारा नहीं जिस पर तुम्हे इतना अहंकार है, यदि तुम्हारा कुछ है तो वो है तुम्हारे कर्म जो जीते जी और मरने के बाद भी तुम्हारा सारथि बन कर तुम्हारे साथ रहता है, यदि तुम्हारे कर्म भी सही नहीं तो समझ लेना तुमसे बड़ा निर्धन और बदकिस्मत कोई अन्य नहीं हो सकता। क्योकि सबसे कीमती चीज को तुम संभालना भूल गए, संसार की मोहमाया में उलझ कर धन वैभव की चकाचौंध में फंस कर तुम अपने अहंकार में इतने अंधे हो गए कि तुम्हे अच्छा क्या है और बुरा क्या यही समझ नहीं आ रहा ?
कैसे होता है एक अहंकारी का विनाश -
एक अहंकारी का विनाश सबसे पहले वहां से शुरू होता है, जिसे पा कर उसके अंदर अहंकार समाया, यदि ये धन है तो सबसे पहले उस अहंकारी का कीमती धन नष्ट किया जाता है, जिस धन को पा कर वो इतना अंधा हो गया कि किसी भी इंसान का तिरस्कार करने से पीछे नहीं हटा।
अपने अहंकार में उसने अपने बड़ो का भी तिरस्कार किया, माता-पिता का निरादर किया ऐसे अहंकारी का विनाश तो एक ना एक दिन होता ही होता है,चाहे देर हो या सवेर प्रत्येक मनुष्यो के कर्मो का हिसाब अवश्य होता है।
यदि तुम ऊंचे पद को प्राप्त कर चुके हो, और कोई असहाय गरीब तुम्हारे पास एक मदद की उम्मीद लगा कर आया है, मगर तुमने उस असहाय की पुकार को ठुकराने का प्रयास किया है तो वो दिन दूर नहीं जब तुम उस असहाय के स्थान पर स्वयं को पाओगे और उस असहाय को अपने ऊंचे बड़े पद पर पाओगे। ये समय का खेल है, ये नियति का उसूल है जिसने जैसा कर्म किया है, उसे उसका मूल अवश्य चुकाना होगा।
संसार के सभी मनुष्यो से आज मैं एक बात अवश्य कहना चाहूंगी, '' यदि तुम्हे ईश्वर ने इतना बड़ा पद संभालने के काबिल बनाया है तो उसके पीछे कोई ना कोई मुख्य कारण अवश्य होगा, ईश्वर देखना चाहते है कि तुम इस बड़े पद को संभालने योग्य हो भी या नहीं, यदि बड़े पद को प्राप्त कर तुम्हारे भीतर अहंकार समाने लगता है तो ये मान लेना तुमने जिंदगी के एक बहुत कीमती और सुनहरे अवसर को अपनी भूल और मूर्खता के कारण गवा दिया साथ ही साथ तुमने स्वयं को ईश्वर के कोप का भाजन भी बना लिया।
* अहङ्कारः मनुष्यस्य पतनस्य मार्गः इति कथ्यते, अहङ्कारः मनुष्यस्य बृहत्तमः शत्रुः, यः अहङ्कारात् मुक्तिं प्राप्तवान् सः ईश्वरस्य कठोरपरीक्षां उत्तीर्णः अस्ति।
अर्थात, अहंकार व्यक्ति के पतन का मार्ग कहलाता है, अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है,अहंकार से जिसने मुक्ति पा लिया, उसने ईश्वर की कड़ी इम्तिहान को पास कर लिया।
Accepting the truth and always standing by it is not everyone's cup of tea.
One cannot become great just by achieving a high position unless he develops a sense of respect for everyone. One does not become great just by achieving a high position, to become great one has to have a big thinking too.
A person cannot understand the pain and suffering of others until he himself goes through that pain and suffering.
Do you know who is the biggest enemy of man? The biggest enemy of man is his ego, in which he makes the mistake of considering everyone else smaller than him and himself the biggest and the greatest.
If you are rich by birth, then perhaps when you were born you must have come into this world wearing diamonds and gold, or were you born naked like a normal child? Then what are you so proud of? When neither did you bring anything with you when you came into this world, nor will you take anything with you when you leave this world, then what are you proud of ?
The arrogance you are showing is of no use. If you want to hear the truth then listen. Even your body, on which you are so proud, is not yours. Even your wealth, on which you are so arrogant, is not yours. If something is yours, then it is your deeds, which remain with you as your charioteer during your life and even after your death. If even your deeds are not right, then understand that no one can be poorer and more unlucky than you. Because you have forgotten to take care of the most precious thing. Entangled in the illusion of the world and caught in the dazzle of wealth and splendor, you have become so blind in your arrogance that you are unable to understand what is good and what is bad ?
How an Egoistic Person is Destroyed -
The destruction of an egoistic person begins from the point where he got the thing which made him egoistic. If it is wealth, then the precious wealth of that egoistic person is destroyed first. After getting the wealth, he became so blind that he did not hesitate to insult any person.
In his arrogance, he disrespected his elders and disrespected his parents. Such an arrogant person is bound to be destroyed one day or the other. Every man has to pay for his deeds sooner or later.
If you have achieved a high position and a helpless poor person has come to you with the hope of help, but you have tried to reject the call of that helpless person, then the day is not far when you will find yourself in the place of that helpless person and you will find that helpless person in your high position. This is the game of time, this is the principle of destiny, whoever has done whatever deed, he will have to pay the price of it.
Today I would like to say one thing to all the people of the world, "If God has made you capable of handling such a big post, then there must be some main reason behind it, God wants to see whether you are capable of handling this big post or not, if after getting a big post, you start feeling arrogant, then accept that you have lost a very precious and golden opportunity of life due to your mistake and foolishness, along with that you have also made yourself the object of God's wrath.
* That is, ego is the path of a person's downfall, ego is the biggest enemy of man, the one who got rid of ego, passed the tough test of God.
ReplyDeleteEgo is called the path of downfall, only an ignorant person can show ego, because a wise person knows how terrible the consequences of ego can be. Very lovely article...👍
Thank you....
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