इस कलयुग के कालखंड में अनेको अधर्म और पाप का बोलबाला है,जिससे मानव जीवन पर एक गहरा असर पड़ता जा रहा,जो काफी चिंताजनक है।
इस कुचक्र से यदि तुम्हे बाहर निकलना है तो सबसे पहले तुम्हे अपने मन का शुद्धिकरण करना होगा,अर्थात तुम्हे अपने मन से सभी बुरे विचारो को सदा के लिए निकालना होगा तभी तुम इस कुचक्र से बाहर आ सकोगे।
आज तक एक बात मैं समझ नहीं पाई कि मनुष्य जिन निरर्थक चीजों के पीछे अपना कीमती समय बर्बाद करता है,असल में उन निरर्थक वस्तुओ का कोई महत्व ही नहीं, फिर क्यों सभी मनुष्य अपने जीवन को अपने हाथो ही बर्बाद करने में लगे है,यदि उसका सामना सच से हो जाए,तो वो आजीवन पश्चाताप की अग्नि में जलता रहेगा और अफसोस करता रहेगा कि क्यों उसने अपने उचित कर्मो का चुनाव नहीं किया ? क्यों उसने अपने दायित्वों का सही से पालन नहीं किया ?
ईश्वर को किसी ने नहीं देखा ना जाना और ना ही महसूस किया है,मगर जैसा पुराणों में ग्रंथो में,पुस्तकों में उनकी महिमा का वर्णन और उनका चित्रण तुम्हे बताया गया तुमने उसे ही सच मान कर ईश्वर की भक्ति करना,उनकी पूजा करना तथा मंत्रो का जाप करना आरंभ कर दिया। जैसा तुम्हे बड़े पुरोहित,पंडित बताते गए तुम सब ने उनका वैसे ही ध्यान,पूजन,व्रत अनुष्ठान आदि आरंभ किया।
कभी-कभी तुम्हारे अनुष्ठान,पूजन,उपवास आदि भी तुम्हारे काम नहीं आते,फिर तुम ईश्वर की अनुकंपा और उनकी दया पर प्रश्नचिन्ह लगाने लगते हो,मगर इसके पीछे का मुख्य कारण क्या है ?क्या तुमने कभी इसके सत्य को जांनने और समझने का प्रयास किया है ?
जैसा कि आप सब जानते है,मंदिर और धार्मिक स्थल पर वही जा सकता है जो स्नान आदि से स्वयं को शुद्ध और पवित्र करते है,क्या कोई मांसाहारी भोजन कर मंदिर में प्रवेश कर सकता है ? ये अत्यंत घोर निरादर और पाप कहलाएगा यदि किसी ने भगवान को अपवित्र हाथो से स्पर्श करने का प्रयास किया। जब आप अनुष्ठान और पूजा करते है तो अपने घर को धो कर उसे गंगाजल से पवित्र करते है तथा स्वयं भी स्नान से निवृत हो कर पूजा में बैठते है।
मान लो आपके घर में ही आपके परिवार का कोई सदस्य मांसाहार भोजन पका रहा जिस वक्त आप पूजा में बैठे है,तो क्या आपकी पूजा सफल हो सकती है,क्या आपका ध्यान भंग नहीं होगा ? क्योकि आपके ही घर में आपके घर का ही सदस्य आपकी पूजा में आपका बाधक बनने का प्रयास कर रहा है,मगर आप बिना कुछ कहे अपना पूजा अनुष्ठान का कार्य संपन्न कर आए।
मेरे कहने का तात्पर्य यही है कि ये समस्त संसार और यहां निवास करने वाले सभी प्राणी एक दूसरे से भिन्न नहीं आप एक परिवार ही है,मगर इस परिवार में एक सदस्य है जो शुद्ध शाकाहारी भोजन करता है,दिन रात ईश्वर की भक्ति करता है,मगर दूसरा सदस्य मांसाहारी भोजन करता है,दिन रात बस बुरे कर्मो में लिप्त रहता है,तो क्या उस सदस्य की भूल का भुगतान आप नहीं करेंगे ? क्योकि ये सब कुकर्म आपके ही घर में हो रहा है जिसका प्रभाव कहीं ना कहीं आप पर भी पड़ रहा है,क्योकि आपने उसे ऐसा करने से एक बार भी नहीं रोका ना ही समझाने का प्रयास किया।
यदि आप मेरी बात समझ नहीं पा रहे है तो मैं सरल शब्दों में समझाती हूँ, यदि इस धरा पर आरंभ में भी हर मनुष्य एक दूसरे के लिए अच्छे विचार और व्यवहार का उपयोग करते तो आज इस संसार में कोई एक दूसरे का शत्रु नहीं होता,ना ही किसी को किसी से खतरा होता बल्कि सब एक दूसरे की रक्षक होते भक्षक नहीं।
माता-पिता के चार संतान है,यदि उनका एक संतान दूसरी संतान के जान का दुश्मन बनने का प्रयास करेगा तो कैसे माता-पिता अपनी उस संतान को क्षमा कर सकते है ? यदि एक संतान उनकी दूसरी संतान के खाने का निवाला छीनने का प्रयास करे और माता-पिता को सुंदर स्वादिष्ट पकवान भेट करे तो कैसे माता-पिता उस संतान की भेट को स्वीकार कर सकते है भला ? आज इस धरा पर समस्त संसार पर जो अंधकार छाया हुआ है,उसे कोई समझने का प्रयास नहीं कर रहा है,बल्कि बस पूजा-पाठ अनुष्ठान और मन्त्र आदि का जाप कर ईश्वर को खुश करने का प्रयास करते है, जो सबसे मुख्य है जो सबसे अहम बात है लोग उसे ही समझने का प्रयास नहीं कर रहे है।
अब जो मैं बताने जा रही हूँ उसे ध्यानपूर्वक सुने कलयुग में यदि आपको सदैव ईश्वर की सुरक्षा कवच और सानिध्य में रहना है तो आपको एक खास बात पर ध्यान देना होगा।
''यदि आप एक माता-पिता है, यदि आप अपने घर के सदस्यों में सबसे बड़े है तो सर्वप्रथम अपने घर के प्रत्येक सदस्यों की क्रियाकलाप पर ध्यान दे यदि आपके घर के बच्चे या कोई भी सदस्य किसी गलत आदतों को या व्यवहार को अपनाता है तो उसे उसी वक्त रोके उनका उचित मार्गदर्शन करे क्योकि आपका एक प्रयास कई जिंदगियों को बर्बाद होने से बचा सकता है।
एक अधर्मी ही कई अधर्मियों को जन्म देता है, यदि एक धर्मपरायण अपने धर्म पर अडिग रहे तो वो कितने धर्मपरायण को संगठित कर संसार को बर्बाद होने से बचा सकता है।
इस कलयुग में ना ही मन्त्र काम आते है,ना ही पूजा पाठ यदि कुछ काम आता है, तो वो है तुम्हारा व्यवहार,संस्कार,कर्म और धर्म। यदि कलयुग के कुचक्र से स्वयं को सुरक्षित रखना चाहते हो तो सबसे पहले अपने व्यवहारों को सुधारने का प्रयास करो, उचित संस्कार का पालन करो,अपने कर्म को सुधारने का प्रयास करो,तथा सदैव धर्म के मार्ग का चयन करो। क्योकि कलयुग में यही तुम्हारी ढ़ाल बनेगे और यही तुम्हारा कवच बनेगे।
जैसे दवा भी मरीज के तभी काम आती है,जब मरीज अपने उचित खान-पान का ध्यान रखता है,ठीक वैसे कोई भी पूजा-पाठ ध्यान और मन्त्र आदि तभी अपना प्रभाव दिखाता हैं, और तभी काम आता है जब मनुष्य अच्छे कर्मो का चुनाव कर अपने जीवन में सदैव धर्म के मार्ग का अनुसरण करता है।
यदि तुम्हारे कर्म सही है,यदि तुम्हारा दिल छल कपट से मुक्त है, यदि तुम्हारा व्यवहार सबके प्रति उदार है,यदि तुम्हारे अंदर उचित संस्कार है तो तुम्हारे यही गुण कलयुग में तुम्हारा प्रभावशाली सुरक्षा कवच बन कर हर मुसीबत से तुम्हे आगाह कर तुम्हारी रक्षा करेगा और समय-समय पर तुम्हारा सही मार्गदर्शन करेगा।
ये कोई किताबी बाते नहीं ये अटल सत्य है, जिससे आज मैंने इस समस्त संसार को अवगत कराया है,इसे स्वीकार करना, ना करना आप सब के हाथ में है।
In this period of Kalyug, many sins and evils are prevalent, which are having a deep impact on human life, which is quite worrying.
If you want to get out of this vicious circle then first of all you will have to purify your mind, that is, you will have to remove all the bad thoughts from your mind forever, only then you will be able to get out of this vicious circle.
Till date I have not been able to understand one thing that the useless things on which a person wastes his precious time, in reality those useless things have no importance, then why are all the people engaged in ruining their lives by their own hands, if he is confronted with the truth, then he will keep burning in the fire of repentance throughout his life and will keep regretting why he did not choose his right deeds? Why did he not fulfill his responsibilities properly?
No one has seen, known or felt God, but as per the description and depiction of His glory in Puranas, scriptures and books, you believed it to be true and started worshipping God, praying to Him and chanting mantras.As per the instructions of the great priests and pundits, you all started meditating, worshipping, observing fasts, rituals etc.
Sometimes your rituals, prayers, fasts etc. do not work for you, then you start questioning God's compassion and mercy, but what is the main reason behind this? Have you ever tried to know and understand its truth?
As you all know, only those who purify themselves by taking bath etc. can go to the temple and religious place. Can someone enter the temple after eating non-vegetarian food? It will be called a grave disrespect and sin if someone tries to touch God with impure hands. When you perform rituals and worship, you wash your house and purify it with Gangajal and after taking bath, you sit for worship.
Suppose a member of your family is cooking non-vegetarian food in your house while you are sitting for worship, then can your worship be successful, will your concentration not be disturbed? Because in your own house, a member of your own family is trying to become an obstacle in your worship, but you complete your worship ritual without saying anything.
What I mean to say is that this entire world and all the creatures living here are not different from each other. You are a family, but there is a member in this family who eats pure vegetarian food, worships God day and night, but the other member eats non-vegetarian food, is involved in bad deeds day and night. So will you not pay for the mistake of that member? Because all these evil deeds are happening in your own house, the effect of which is falling on you too, because you did not stop him from doing this even once, nor did you try to explain to him.
If you are unable to understand what I am saying, then I will explain in simple words, if in the beginning every person on this earth had used good thoughts and behavior towards each other, then today in this world no one would have been an enemy of each other, nor would anyone be in danger from anyone, rather everyone would have been each other's protector, not predator.
Parents have four children, if one of their children tries to become an enemy of the other child then how can the parents forgive that child? If one child tries to snatch the food of their other child and gifts a delicious dish to the parents then how can the parents accept the gift of that child? Today on this earth, no one is trying to understand the darkness that is engulfing the entire world, rather they just try to please God by performing Puja-Paath, rituals and chanting mantras etc. People are not trying to understand the most important thing.
Now listen carefully to what I am going to tell you, in Kaliyug if you want to always stay under the protection and proximity of God then you will have to pay attention to one thing in particular.
"If you are a parent, if you are the eldest among the members of your family then first of all pay attention to the activities of every member of your family, if the children or any member of your family adopts any wrong habits or behavior then stop them at that very moment and guide them properly because one effort of yours can save many lives from being ruined.
An unrighteous person gives birth to many unrighteous people. If a Pious Person stays steadfast in his religion, then he can organize many Pious people and save the world from destruction.
In this Kaliyug, neither mantras nor prayers work. If something works, it is your behavior, manners, deeds and righteousness. If you want to protect yourself from the vicious cycle of Kaliyug, then first of all try to improve your behavior, follow proper manners, try to improve your deeds, and always choose the path of righteousness. Because in Kaliyug, these will be your shield and these will be your armor.
Just like medicine is useful for a patient only when he takes care of his diet, similarly any prayer, meditation, mantra etc. shows its effect and is useful only when a person chooses good deeds and always follows the path of righteousness in his life.
If your deeds are correct, if your heart is free from deceit, if your behavior is generous towards everyone, if you have the right manners, then these qualities of yours will become your effective protective shield in Kaliyug and will protect you by warning you of every trouble and will guide you properly from time to time.
These are not bookish things, these are unshakable truths, which I have made the whole world aware of today, it is in your hands to accept it or not.
ReplyDeleteIf a person's deeds are correct and noble, if he stays away from deceit and fraud, then his good deeds always protect him. Very wonderful article....👍😊
Thank you.....
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