जहां हमारा परवरिश होता है, जहां हमे निस्वार्थ प्रेम और अपनेपन का बोध होता है, जहां पल कर हमे उचित संस्कारो का ज्ञान प्राप्त होता है, यही तो परिवार का सही अर्थ होता है।
एक उंगली से तुम कोई वस्तु उठा नहीं सकते, मगर जब तुम्हारी पांच उंगलिया एकत्रित हो कर उस वस्तु को उठाती है तो तुम्हारा कार्य आसान हो जाता है तुम बहुत आसानी से उस वस्तु या सामान को उठा पाने में सक्षम होते हो ठीक वैसे ही यदि तुम अकेले किसी मुसीबत से गुजरते हो तो तुम्हे उससे बाहर आने में काफी वक्त लगता है मगर यदि तुम्हारे परिवार में एकता है सब यदि एक साथ उस मुसीबत का हल ढूंढने का प्रयास करते है, तो बहुत जल्द वो मुसीबत तुम्हारा पीछा छोड़ देती है और तुम्हारे लिए जिंदगी आसान हो जाती है।
ईश्वर ने तुम्हे इसका प्रमाण भी दिया है मगर तुम मनुष्य उस प्रमाण को अपने अज्ञान की वजह से समझ पाने में असमर्थ हो इसलिए तुम अपने जीवन में दुःख, तनाव और चिंताओं से ग्रस्त हो।
ये प्रमाण है तुम मानव के शरीर की रचना जिसका तुम सदुपयोग करो ना की दुरूपयोग मगर तुम आज अपने मार्ग से भ्र्ष्ट हो चुके हो जिसका प्रमाण हर दिन मिल रहा कि ऐसा बहुत कम ही घर होंगे जहां लड़ाई, झगड़े, कलह और अशांति ना हो।
यदि तुम्हारा एक नेत्र काम करना बंद कर दे तो तुम्हारा दूसरा नेत्र तुम्हारे काम आ सकता है, यदि तुम्हारा एक हाथ काम करना बंद कर दे तो तुम्हारा दूसरा हाथ काम कर सकता है मगर यदि तुम्हारा एक पैर काम करना बंद कर दे तो तुम्हारा दूसरा पैर होते हुए भी वो तुम्हारे किसी काम का नहीं क्योकि तुम एक पैर पर खड़े हो कर नहीं चल सकते जब तक तुम्हारा दूसरा पैर ठीक नहीं होता, तुम्हे किसी सहारे की जरूरत पड़ेगी अगर तुम्हारा दोनों पैर सही सलामत होता तो तुम्हे किसी सहारे की जरूरत नहीं पड़ती।
ठीक उसी प्रकार परिवार होता है यदि तुम्हारे परिवार का एक भी सदस्य तुमसे दूर हुआ तो ये मान लेना तुम्हारा सहारा तुमसे विलग हो गया और तुम समाज में पहले कि तरह सम्मानजनक खड़े नहीं हो सकते क्योकि तुम्हारा परिवार ही तुम्हारी ढाल है, तुम्हारी ताकत है।
माता- पिता कभी गलत नहीं होते, परिस्थितियां ही उन्हें तुम्हारी नजरो में गलत बनाती है, जिससे तुम उन्हें नहीं समझ पाते और ना ही वो तुम्हे समझ पाते है, इसका मतलब ये नहीं कि तुम अपने परिवार को छोड़ कर उनसे दूर चले जाओ सारे रिश्ते खत्म कर दो।
मान लो कोई तुमसे आ कर कहे कि तुमने उसके घर में कचरा फेंका है मगर तुमने फेंका ही नहीं तो तुम उसकी बात का यकीन नहीं करोगे क्योकि तुमसे बेहतर तुम्हे कोई अन्य नहीं जान सकता ठीक वैसे ही तुम्हारा परिवार होता है, जो तुमसे ही जुड़ा है चाहे तुम्हारे माता-पिता हो,या भाई बहन हो यदि कोई बाहरी इंसान तुम्हे तुम्हारे परिवार के खिलाफ कुछ कहने का प्रयास करे तो तुम्हे उसका विश्वास नहीं करना चाहिए और अपने परिवार पर कोई दोषारोपण नहीं लगाना चाहिए क्योकि परिवार एक विश्वास के कच्चे धागे के समान होता है यदि इसे खींचने या तोड़ने का प्रयास किया गया तो वो टूट सकता है और धागे में गांठ पड़ सकती है जो पहले की भांति नहीं जुड़ सकती।
इसलिए भगवान ने तुम सभी मनुष्यो को अपनी आंखे दी है, अपना कान दिया है, ताकि तुम अपनी आंखो और कानो का सही इस्तेमाल कर सको वरना ईश्वर तुम्हे आंखे या कान देते ही नहीं जब तुम दूसरो के कानो और उनकी आंखो से देखी सुनी बातो पर यकीन कर लेते हो।
जिस पैसे दौलत,जायदाद के लिए तुम अपने परिवार से बगावत करते हो वो पैसा,दौलत और जायदाद तुम्हारे किसी काम का नहीं क्योकि परिवार से बड़ा संसार का कोई दौलत नहीं होता, जिस पैसे को तुम अपना सब कुछ मानते हो वो पैसा आज तुम्हारे हाथ में है कल किसी दूसरे के हाथ में होगा तो वो पैसा कैसे तुम्हारा सब कुछ हो सकता है ? जिस परिवार को तुम पैसो के लिए खुद से दूर कर रहे हो वो परिवार दूर हो कर भी तुमसे दूर नहीं हो सकता क्योकि वो कहीं भी रहे, दुनिया के किसी भी कोने में रहे मगर उस परिवार का नाम उसकी पहचान सदैव तुमसे जुड़ी रहेगी जिस पर केवल तुम्हारा अधिकार है।
फिर क्यों अज्ञानता में डूब कर तुम खुद को अपने अधिकार से वंचित कर रहे, अपने परिवार को स्वयं से दूर करने की भूल कर रहे ?
परिवार तुम्हारे शरीर का ही अंग होता है, यदि तुम्हारे शरीर का एक भी अंग तुमसे दूर हुआ तो मान लेना तुम्हारा शरीर अब तुम्हारे किसी काम का नहीं, क्योकि पैसा किसी को उसकी खोई आंखो की रौशनी नहीं लौटा सकता ,पैसा किसी के कटे हाथ और पैर को पुनः नहीं लौटा सकता, फिर क्यों तुम अपने अंग को स्वयं ही विभाजित करने की भूल कर रहे हो ?
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Sneha Amrohi
Where we are brought up, where we feel selfless love and belongingness, where we grow up and gain knowledge of proper values, this is the true meaning of family.
You cannot lift any object with one finger, but when your five fingers come together and lift that object then your work becomes easy, you are able to lift that object or thing very easily. Similarly, if you go through any problem alone then it takes you a lot of time to come out of it, but if there is unity in your family and if everyone tries to find a solution to that problem together then very soon that problem leaves you and life becomes easy for you.
God has also given you the proof of this, but you humans are unable to understand that proof due to your ignorance, that is why you are suffering from sadness, stress and worries in your life.
This is proof that human body composition and you should use it properly and not misuse it, but today you have gone astray from your path, proof of which is being found every day that there will be very few houses where there are no fights, quarrels, disputes and unrest.
If one of your eyes stops working then your other eye can be useful to you, if one of your hands stops working then your other hand can work but if one of your legs stops working then even if you have a second leg it is of no use to you because you cannot stand and walk on one leg. Till the time your other leg is not fine, you will need some support. If both your legs were fine then you would not need any support.
Similarly, family is like that, if even one member of your family goes away from you then assume that your support has gone away from you and you cannot stand with respect in the society like before because your family is your shield, your strength.
Parents are never wrong, it is the circumstances that make them wrong in your eyes, due to which you are unable to understand them and neither they are able to understand you, this does not mean that you leave your family and go away from them and end all relationships.
Suppose someone comes and tells you that you have thrown garbage in his house but you did not do it at all, then you will not believe him because nobody knows you better than you. Similarly, your family is related to you only, whether it is your parents or siblings. If any outsider tries to tell you something against your family, then you should not believe him and should not blame your family because family is like a fragile thread of trust. If an attempt is made to pull or break it, then it may break and a knot may form in the thread which cannot be joined again like before.
That is why God has given all of you humans eyes and ears so that you can use them properly, otherwise God would not have given you eyes or ears if you believed in what you heard from others' ears and what they saw through their eyes.
The money, wealth and property for which you rebel against your family is of no use to you because there is no wealth in the world greater than family. The money which you consider your everything is in your hands today and will be in someone else's hands tomorrow, so how can that money be your everything? The family which you are distancing yourself from for money cannot be away from you even if they are away because wherever they live, in any corner of the world, but the name and identity of that family will always be associated with you, over which only you have the right.
Then why are you drowning in ignorance, depriving yourself of your rights, and making the mistake of distancing your family from yourself?
Family is a part of your body. If even a single part of your body goes away from you, then accept that your body is no longer of any use to you, because money cannot return the lost eyesight to someone, money cannot return someone's severed hands and legs, then why are you making the mistake of dividing your body parts yourself?
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ReplyDeleteFamily is the most precious thing for us, so we all should live lovingly with our family. Very nice article by you.👍😊
Thank you...
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