माता-पिता से बढ़ कर दुनिया की कोई दौलत नहीं होती, क्योकि माता-पिता में साक्षात् ईश्वर का वास होता है।जिस माता-पिता के बदौलत ही तुम इस दुनिया में आए,जिनकी छत्रछाया में तुम पले बड़े हुए,उनकी ममता उनका प्यार पा कर तुम आज कामयाब बने,भला कैसे तुम उस माता-पिता के उपकारों को भुला सकते हो ?
ना जाने कितनी रातें उस माँ ने जाग कर ही बिताया होगा, जब तुम सोते नहीं थे,तो तुम्हारी माँ भी चैन की नींद सोई नहीं, खुद गीले में सो कर तुम्हे सूखे में सुलाया, तुम्हारी इतनी देखभाल उस माँ ने किया। जब तुम किसी कीमती खिलौने की जिद्द करते थे तो तुम्हारे पिता सबसे पहले तुम्हारी उस जिद्द को पूरा किया करते थे,खुद भूखे रह कर तुम्हे तुम्हारे पसंद का खाना खिलाया करते थे,खुद पुराने कपड़े पहना उन्होंने तुम्हे हर त्यौहार पर नए कीमती कपड़े खरीद कर पहनाया मगर क्या खूब उस संतान ने अपना फर्ज निभाया,बड़े हो कर तुम भूल गए उस माता-पिता के स्नेह और उपकार को,एक पल में पराया कर दिया बचपन की यादो को मिटा दिया तुमने,क्या खूब कर्तव्य निभाया तुमने उस माता-पिता को उनके ही घर से बाहर निकाल दिया तुमने।
जरा ये विचार करना यदि तुम अचानक बीमार हो गए,तुम अस्वस्थ हो गए,तुम्हे किसी की सहारे की जरुरत महसूस होने लगी मगर उस वक्त तुम्हे सहारा देने वाला धक्के मार कर घर से बाहर निकाल दे तो तुम्हारे दिल पर क्या गुजरेगी ?
मेरे शब्द थोड़े कठोर है,मगर मैं मजबूर हूँ,क्योकि माता-पिता और बड़े बुजुर्गो की इस दशा को देख मैं अति विचलित और दुखी हूँ। ऐसी मार्गभ्र्ष्ट संतानो को सही मार्ग से अगवत कराने हेतु मैंने स्वयं को कठोर बनाया।
तो अब मैं अपने अहम बात पर आती हूँ मेरे कहने का तात्पर्य है जैसे तुम बीमार और अस्वस्थ होने पर कोई सहारा ढूंढते हो ठीक वैसे ही जब माता-पिता बुजुर्ग होने लगते है उन्हें अपने बुढ़ापे में एक सहारे की आवश्यकता होती है यदि उस वक्त तुम उन्हें निराश करते हो तो सोचो उनके दिल पर क्या गुजरती होगी वो और कमजोर हो जाते है क्योकि एक संतान ही अपने माता-पिता की ताक़त होती है,उनके बुढ़ापे का सहारा होती है।
एक माता-पिता के लिए कोई भी संतान बोझ नहीं होती,यदि उनकी चार संतान है,तो वो अपने सभी संतान को एक समान स्नेह और दुलार देते है,उनके खाने पीने का तथा उनकी शिक्षा का विशेष ध्यान रखते है,खुद माता-पिता चाहे कैसे भी अपना जीवन बिता दे मगर अपनी प्रत्येक संतान की परवरिश में वो कोई कमी नहीं छोड़ते है, यदि तुम माता-पिता के बलिदान और उनकी ममता को नजरअंदाज करते हो यदि तुम अपने माता-पिता का आए दिन अपमान करते हो तो धिक्कार है तुम जैसी मार्गभ्र्ष्ट संतान पर,लानत है तुम जैसी उदंड संतान पर।
यदि तुम अपने माता-पिता को समय ना दे कर सारा समय अपने मोबाइल को देते हो,यदि तुम अपने माता-पिता से बढ़ कर पैसे,धन-दौलत जायदाद को अधिक महत्व देते हो तो एक बात अवश्य याद रखना ये पैसे धन-दौलत जमीन जायदाद सब निरर्थक है इनका कोई महत्व नहीं ये असल जमा पूंजी नहीं।
क्योकि जो सबसे अहम जमा पूंजी है वो है तुम्हारा दायित्व,तुम्हारा कर्म,तुम्हारा कर्तव्य, इनके सहारे ही मनुष्य अपने जीवन को सुखमय बना पाता है और तुम्हारा दायित्व क्या कहता है ? क्या है तुम्हारा कर्तव्य ? अपने जमा पूंजी को यदि सुरक्षित रखना चाहते हो तो अपने माता-पिता के प्रति अपना दायित्व निभाना सीख जाओ,अपने कर्मो में सुधार लाओ, अपने माता-पिता के प्रति उचित कर्तव्य का पालन करना सीखो,क्योकि बिना माता-पिता की सेवा के तुम्हे कोई खुशी और कामयाबी हासिल नहीं हो सकती है।
ये नियति अपना बदला सबसे ले कर रहती है,जिसने जैसा भी कर्म किया है,उससे उसका हिसाब ले कर रहती है,क्षणिक सुख और वैभव को देख तुम इस भूल में ना रहना कि ये कलयुग है भगवान किसी के कर्मो की सजा कहां देते है ? यदि ये विचारधारा किसी की है तो सावधान जैसे दिन से रात होता है,जैसे ऋतुओ में भी बदलाव होता है ठीक वैसे ही प्रत्येक इंसान कर्मो का भी हिसाब अवश्य होता है चाहे विलंभ हो या शीघ्र मगर होता अवश्य है,क्योकि यही है नियति जिससे कभी कोई चूक नहीं होता है।
जिस ईश्वर के मंदिरो में जा कर उनकी कृपा और दर्शन को पाने के लिए तुम तरस रहे,वो ईश्वर हकीकत में तुम्हारे घर में ही निवास कर रहे जिस माता-पिता का तिरस्कार किया है तुमने जिस माता-पिता को भूखा रखने का पाप किया है तुमने,वो ईश्वर ही है जो अपनी संतान से परीक्षा ले रहे,याद रखो जो चला गया इस दुनिया से वो दोबारा लौट कर नहीं आएगा आज जिस माता-पिता की सलाह और उनकी बाते तुम्हे नहीं भा रही है तुम उन्हें नजरअंदाज करने का प्रयास कर रहे हो कल जब वो इस दुनिया में नहीं रहेंगे तब तुम्हे उनकी बहुत याद आएगी,जब तुम्हे ठोकर लगेगी,तब तुम्हे संभालने वाले हाथ तुम्हारे साथ नहीं होगा,जब तुम किसी मुसीबत में होंगे तब तुम्हे समझाने वाला कोई नहीं रहेगा। इसलिए समय रहते कद्र कर लो अपने माता-पिता की वरना आजीवन प्राश्चित की अग्नि में जलते रहोगे अपने कर्मो का हिसाब चुकाते रहोगे।
There is no greater wealth in the world than parents, because God resides in parents.It is because of your parents that you came into this world, under whose protection you grew up, because of their love and affection that you became successful today, how can you forget the favors of those parents?
I don't know how many nights that mother must have spent awake, when you did not sleep, your mother too did not sleep peacefully, she herself slept in wet clothes and made you sleep in dry clothes, that mother took so much care of you. When you insisted on having an expensive toy, your father was the first one to fulfill that insistence, he himself stayed hungry and fed you the food of your choice, he himself wore old clothes, he bought you new expensive clothes on every festival and made you wear them but, how well that child performed his duty, after growing up you forgot the love and favor of your parents, you became a stranger in a moment, you erased the memories of your childhood, what a great duty you performed, you threw those parents out of their own house.
Just think about this, if you suddenly fall sick, you become unwell, you start feeling the need of someone's support, but the person who is supposed to support you at that time pushes you out of the house, then what will happen to your heart?
My words are a bit harsh, but I am helpless because I am very disturbed and sad to see the condition of parents and elders. I have made myself tough to guide such misguided children on the right path.
So now I come to my main point. What I mean to say is that just like you look for support when you are sick and unwell, similarly when your parents start getting old, they need support in their old age. If you disappoint them at that time, then think what they must be going through. They become even weaker because a child is the strength of his/her parents, the support of their old age.
No child is a burden for a parent. If they have four children, they give equal love and affection to all their children. They take special care of their food and education. No matter how the parents themselves live their lives, they leave no stone unturned in the upbringing of their each child. If you ignore the sacrifices of the parents and their affection, if you disrespect your parents day in and day out, then shame on misguided children like you. Shame on unruly children like you.
If you give all your time to your mobile instead of giving time to your parents, if you give more importance to money, property than your parents, then remember one thing, this money, property, land, all are useless, they have no importance, they are not the real savings.
Because the most important savings is your responsibility, your work, your duty, with the help of these, a man can make his life happy and what does your responsibility say? What is your duty? If you want to keep your savings safe, then learn to fulfill your responsibility towards your parents, improve your actions, learn to perform the right duty towards your parents, because without serving your parents, you cannot achieve any happiness and success.
This destiny takes its revenge from everyone, it takes account of whatever deeds a person has done, seeing momentary happiness and prosperity do not be under the illusion that this is Kaliyug, when does God punish anyone for his deeds? If someone has this ideology then be careful, just like day turns into night, just like there is a change in the seasons, in the same way every person's deeds are also accounted for, whether it is delayed or early, but it definitely happens, because this is destiny which never makes any mistake.
The God whose blessings and darshan you go to and yearn to receive, that God in reality resides in your house. The parents whom you have insulted, the parents whom you have committed the sin of starving, they are the God who is testing his children. Remember, the one who has left this world will never return. Today, you are trying to ignore the parents whose advice and their words do not please you. Tomorrow when they will be no more in this world, you will miss them a lot. When you will stumble, the hands that support you will not be there with you. When you will be in some trouble, there will be no one to explain to you. So respect your parents while there is time, otherwise you will keep burning in the fire of repentance for the rest of your life, you will keep paying the price of your deeds.
ReplyDeleteThere is no greater wealth in the world than parents because parents are our God, those people are very lucky who get the opportunity to serve their parents. Very lovely article by you. 👍
Thank You...
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