शुद्धता कौन नहीं चाहता ? भोजन,जल,मंदिर,घर इन सबका स्वच्छ और शुद्ध होना अत्यंत आवश्यक है,क्योकि जहां पवित्रता नहीं वहां सकारात्मकता नहीं आ सकती। जहां शुद्धता नहीं वहां केवल नकारात्मकता ही प्रवेश कर सकती है। अर्थात शुद्धता और पवित्रता इन दोनों के मेल से ही मानव सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर सकता है।
आज संसार को मैं जिस अहम बात से वाकिफ कराने जा रही हूँ वो समस्त संसार के समक्ष उजागर करना अत्यंत आवश्यक है, वरना आने वाले समय में इस सत्य को यदि किसी ने नहीं माना तो उनका जीवन संकट में पड़ सकता है,जिसकी वजह वो स्वयं होंगे,इसलिए मेरी बातो को नजरअंदाज करने की भूल ना करे।
घर भी स्वच्छ कर लिया तुमने,मंदिर भी धो कर पवित्र कर डाला तुमने,स्वयं भी स्नान से निवित्र हो कर खुद को पवित्र कर लिया तुमने,मगर जिसे सबसे अहम था शुद्ध और पवित्र करना उसे ही अपने बुरे विचारो से मैला और अशुद्ध कर डाला तुमने,फिर क्या फायदा तुम्हारे घर और मंदिर की सफाई का जब अपने मन में बसे भगवान को अपने बुरे विचारो से अपवित्र कर डाला तुमने।
शायद मेरी बाते कुछ युवा नहीं समझ पा रहे है,मैं अपनी बातो को सरल शब्दों में समझाने का प्रयास करती हूँ, मेरे कहने का अर्थ है, मान लो तुम अपने घर के चारो ओर साफ-सफाई कर डाले,अपने मंदिर को भी धो डाले मगर जो तुम्हारा कमरा है जहां तुम दिन रात अपना समय बिताते हो तुमने अपने कमरे को ही साफ नहीं किया तो उस कमरे की गंदगी तुम्हारे पूरे घर को साथ ही साथ तुम्हारे घर के मंदिर को भी तो अपवित्र करेगी क्योकि तुम्हारा कमरा तुम्हारे घर के भीतर है,घर के बाहर नहीं तो सबसे पहले तुम्हे अपने कमरे की सफाई करना आवश्यक था जिसे तुम साफ करना भूल गए फिर क्या फायदा तुम्हारी इतनी मेहनत का ?
अर्थात तुम्हारा मन जो एक खाली कमरा है,जिसमे अनेको अच्छे -बुरे विचार आते जाते रहते है,कभी तुम्हारे मन में किसी के प्रति नफरत की भावना उत्पन्न होती है, कभी ईर्ष्या, अहंकार, लालच,स्वार्थ जैसे बुरे विकार तुम्हारे मन को दूषित करने का प्रयास करते है,तुम उसी अशुद्ध मन में ईश्वर का भी स्मरण लाते हो जिससे तुम ईश्वर को भी अपवित्र करने का पाप करते हो,फिर तुम लाख घर की सफाई कर लो, मंदिर की सफाई कर लो,किसी पवित्र नदी या जल से स्नान कर लो तुम कभी शुद्ध और पवित्र नहीं हो सकते।
आज इस धरा पर अनेको मनुष्य इसी विचारधारा में जी रहे है कि एकमात्र घर और मंदिर को पवित्र कर लिया,स्वयं को गंगाजल से पवित्र कर लिया तो हमारा शुद्धिकरण हो गया,ये एक विडंबना है, तुम्हारी भूल है,तुम्हारी मूर्खता है।
यदि आज मेरे शब्द किसी को कठोर लग रहे,तो मैं क्षमा चाहती हूँ मगर सत्य को कोई झुठला नहीं सकता ना ही सत्य को कोई भयभीत कर सकता है,मैने जो भी कहा सत्य कहा और सदैव इस सत्य को कहती रहूंगी क्योकि मुझे संसार की फिक्र है, क्योकि हम सब इस संसार से अलग नहीं, इसलिए सो रहे संसार को जगाना तथा सभी मनुष्यो को जागरूक करना मेरा दायित्व और मेरा फर्ज है,अभी भी समय है उलझन से बाहर आने का अपने मन के शुद्धिकरण की प्रक्रिया को अपनाने का अन्यथा यदि विलंब हो गया तो तुम्हे सिवाय ग्लानि के कुछ भी प्राप्त नहीं होगा।
बुरे विचारो से ही बुरे व्यवहार का जन्म होता है,बुरे व्यवहार से ही मनुष्य किसी मनुष्य का शत्रु बनता है, शत्रुता से ही मनुष्य किसी का अहित कर डालता है,इस तरह मनुष्य अपने बुरे कर्मो द्वारा अपनी जिंदगी को बर्बाद कर लेता है,ना ही उसे किसी का प्यार हासिल होता है,ना ही किसी का सम्मान, क्योकि बुरे विचार जो तुम्हारे मन को मैला कर रहा तुम्हारा असल शत्रु तुम्हारे मन के भीतर ही पल रहा यदि अपने शत्रु से विजय प्राप्त करना चाहते हो यदि अपने शत्रु को पराजित करना चाहते हो तो सर्वप्रथम अपने मन को शुद्ध और पवित्र करो,अच्छे विचारो को अपने मन में बसा कर अच्छे कर्मो का चुनाव करो,अपने मैले अपवित्र मन को अच्छे विचारो से पवित्र कर धो डालो फिर देखो तुम्हारा जीवन कैसे उन्नति और कामयाबी के शिखर को छूता है। क्योकि पवित्र और शुद्ध मन में ही ईश्वर का वास होता है,जो हर नकारात्मक शक्तियों को पराजित कर तुम्हे विजयी बनाता है।
आज के लिए इतना ही यदि मैं गहन विस्तार में समझाऊंगी तो ये लेख एक किताब बन जाएगा,उम्मीद करती हूँ मेरी बातो को सभी मनुष्य समझ जाए तथा अपने नकारात्मक बुरे विचारो से जल्द ही मुक्ति पाए एवं अपने मन के शुद्धिकरण की निति को अपनाए।
Today I am going to make the world aware of an important thing which is very important to be exposed to the whole world, otherwise in the coming times if someone does not accept this truth then their life may be in danger, the reason for which will be themselves, so do not make the mistake of ignoring my words.
You cleaned the house, you purified the temple by washing it, you purified yourself by bathing, but the thing that was most important to purify and sanctify, you made it dirty and impure with your evil thoughts, then what is the use of cleaning your house and temple when you have defiled the God residing in your heart with your evil thoughts.
Perhaps some youngsters are not able to understand what I am saying. I try to explain in simple words. What I mean to say is, suppose you clean all around your house, even wash your temple, but if you do not clean your room where you spend your time day and night, then the dirt of that room will defile your entire house as well as the temple of your house because your room is inside your house, not outside it, so first of all it was necessary for you to clean your room, which you forgot to do, then what is the use of all your hard work ?
That is, your mind is an empty room in which many good and bad thoughts keep coming and going, sometimes a feeling of hatred for someone arises in your mind, sometimes bad vices like jealousy, ego, greed, selfishness try to pollute your mind, you remember God in that same impure mind, thereby committing the sin of defiling God as well, then you may clean your house a million times, clean the temple, take bath in any holy river or water, you can never become pure and holy.
Today many people on this earth are living with this thinking that if we purify our home and temple, if we purify ourselves with Gangajal, then we are purified. This is an irony, it is your mistake, it is your foolishness.
If my words seem harsh to anyone today, I apologize, but no one can deny the truth, nor can anyone scare the truth. Whatever I said was the truth and I will always say this truth because I care for the world, because we all are not separate from this world, hence it is my responsibility and my duty to wake up the sleeping world and make all humans aware. There is still time to come out of the confusion and adopt the process of purifying your mind, otherwise if there is any delay then you will get nothing except remorse.
Bad behavior is born from bad thoughts, it is because of bad behavior that man becomes the enemy of another man, it is because of enmity that man harms someone, in this way man ruins his life by his bad deeds, neither does he get anyone's love, nor anyone's respect, because the bad thoughts that are polluting your mind, your real enemy is growing inside your mind itself, if you want to win over your enemy, if you want to defeat your enemy, then first of all purify and sanctify your mind, let good thoughts dwell in your mind and choose good deeds, wash your dirty impure mind by purifying it with good thoughts, then see how your life touches the peak of progress and success. Because God resides in a pure and holy mind, who defeats all negative forces and makes you victorious.
That's all for today. If I explain in great detail, this article will become a book. I hope that all people will understand my words and soon get rid of their negative thoughts and adopt the morality of purifying their mind.
ReplyDeleteOur mind should be pure and clean like water, and we should not let any kind of bad thoughts settle in our mind, only then we can make our life successful and meaningful. Very lovely article by you....👍
Thank you....
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